Wednesday, August 28, 2013

459 सीनियर सैकेण्डरी स्कूल प्रिसिपलों से वचिंत

Wed, Aug 28, 2013 at 6:05 PM
एक-एक प्रिसिंपल को 4-4 स्कूलों का प्रबंध देकर समय निकाला जा रहा है
चंडीगढ़ : 28 अगस्त 2013: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): गवर्नमेंट स्कूल हेडमास्टर ऐसोसिएशन ने सरकार के पक्षपाती व्यवहार से तंग आकर अब लोकतंत्र के चौथे स्तभं प्रैस के समक्ष अपना दुःख रखा है। नियमों की आड़ में हो रही धाधली के विरोध में सरकार की बदनीति को लोगों तक पहुंचाने के लिए अब संगठन ने प्रैस का सहारा लिया है। पिछले पांच वर्षों से अपनी तरक्कीयों के संबंध में सरकार को 500 से अधिक मांग पत्र दे चुके हेडमास्टारों ने बताया कि तरक्की के संबंध में गलत नीति होने के कारण 459 सीनियर सैकेण्डरी स्कूल प्रिसिपलों से वचिंत हैं और एक-एक प्रिसिंपल को 4-4 स्कूलों को प्रबंध देकर समय निकाला जा रहा है। यहां पर यह जिक्र योग है कि इन स्कूलों में पढऩे वाले अढ़ाई लाख छात्रों का भविश्य खतरे में है।
गौरतलब है कि वर्ष 1997-98 और 2005 में सरकार तजुर्बे में छूट देकर प्रिसिंपल लगा चुकी है, गवर्नमेंट स्कूल हेडमास्टर एसोसिएषन ने मांग की थी कि सरकार के पत्र नं. २१२२-ष्ठस्त्रस्-६३/३८११८ दिनांक 27/11/1964 के अनुसार लोकहित में नियमों में ढील देकर प्रिसिंपल की तरक्कीयां की जायें। इस उपरान्त सिविल रिट पटीशन 6444 ऑफ 2009 में मानयोग पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से सरकार को तुजुर्बे में ढील देने के लिए दिषा निर्देष भी दिये गये थे। परन्तु सरकार ने इसकी तरफ कोई ध्यान नही दिया।
वास्तव में 2004 के एक्ट में हेडमास्टर और लेक्चरार से पी.ई.एस. ग्रुप-ए की तरक्कीयों के लिए 7 साल का तुजुर्बा रखा गया है जो कि मुख्याध्यापकों के लिए बिल्कुल तर्कहीन शर्त  है। क्योंकि मुख्याध्यापक लगने के लिए लैक्चरर और अध्यापक के लिए 7 साल का तुजुर्बा जरूरी है। नियमों की कमजोरी के कारण गैर प्रबंधकीय तुजुर्बे वाले लैक्चररों को सीधा प्रिसिंपल और जिला शिक्षा अधिकारी, ए.डी.पी.आई. इत्यादि ऊंचे पदों पर लगा दिया जाता है। परन्तु मुख्याध्यापक पर और सात साल प्रबंधकीय तुजुर्बे की षर्त लगा दी गई है जो कि पी.पी.एस.सी. के नियमों के खिलाफ है और तर्क संगत नही है। क्योंकि पी.पी.एस.सी. पी.ई.एस. ग्रुप ए की भर्ती के लिए 3 साल के स्कूल प्रबंध का तुजुर्बा  लाजमी रखती है। जबकि लैक्चरर को कोई प्रबंधकीय तुजुर्बा नही होता। खुद सरकार ने एक जनहित याचिका न. 19400 आफ 2012  के उत्तर में माना है कि प्रिसिंपल का पद प्रषासकिय व प्रबंधकीय है और इस पद से जिला षिक्षा अधिकारी, ए.डी.पी.आई. और प्रिसिंपल डाईट के तौर पर विभाग में अहम प्रषासकिय कार्य सभालते है। परन्तु इस सटेटमेंट के बावजूद भी प्रषासकिय तुजुर्बे वाले मुख्याध्यापिकों को नजऱ अंदाज करके बिना प्रषासकिय तुजुर्बे वाले लेक्चररों को लगातार प्रिसिंपल की तरक्कीयां दी जा रही हैं।
एसोसिएषन सरकार से मांग करती है कि सीनियर सैकेण्डरी स्कूलो का प्रबंध योग्य हाथों में देने के लिए केन्द्र और दूसरों राज्यों की तरह लैक्चररों को पहले वाईस प्रिसिंपल की पोस्ट पर तैनात किया जाये ताकि वो भी प्रबंधन एवं वित्तीय डयूटियों के बारे में सरकारी नियमों से अवगत हो सकें और तुजुर्बा हासिल कर सकें। इसके उपरान्त पी.पी.एस.सी. के नियमों के अनुसार तीन साल के प्रबंधकीय तुजुर्बे के बाद ही पी.ई.एस. ग्रुप ए में तरक्कीयां की जायें।  प्रिसिपल की 459 असामियां जो कि मुख्याध्यापक के कोटे की हैं को तुरन्त भरा जाये, लेक्चरर से प्रिसिंपल बनाने के लिए निर्धारित 70 प्रतिषत कोटा खत्म किया जाये क्योंकि इस व्यवस्था में लेक्चरर के पास कोई भी प्रबंधकीय तुजुर्बा नहीं है। माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के डबल बेंच के निर्णय जो कि सिविल रिट पटीशन न. 9715 आफ 2005 दिनांक 18/10/2005 में दिये नियम 1941 सब नियम 3,4,5 अनुसार मुख्याध्यापक का कोटा सुरक्षित रखकर वर्श 2011 में मांगें गये प्रिसिंपल की तरक्की के केसों की डी.पी.सी. करवाई जाये। दिनांक 23/07/2013 को डी.पी.आई. (सैकेण्डरी षिक्षा) के दफतर के समक्ष एवं दिनांक 09/08/2013 को टीचर होम बठिंडा में उपरोक्त मांगों के संबंध में मुख्याध्यापकों द्वारा भारी मात्रा में एकत्रता की गई और सरकार से इन मांगों को मानने के लिए अनुरोध किया गया।


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