Friday, May 10, 2013

श्री प्राण किशन सिकंद को दादासाहेब फालके पुरस्‍कार

10-मई-2013 16:39 IST 
सूचना और प्रसारण मंत्री ने उनके निवास पर जाकर प्रदान किया लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान
सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने आज मुम्‍बई में श्री प्राण किशन सिकंद को, जो ''प्राण'' नाम से लोकप्रिय हैं, उनके निवास पर जाकर स्‍वयं लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिए प्रतिष्ठित दादासाहेब फालके पुरस्‍कार प्रदान किया। मं‍त्री महोदय इस उद्देश्‍य के लिए विशेष रूप से मुम्‍बई गए थे। जाने-माने अभिनेता श्री प्राण नई दिल्‍ली में 3 मई, 2013 को आयोजित राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार समारोह में खराब स्वास्थ्य के कारण शामिल नहीं हो पाये थे। इस प्रतिष्ठित पुरस्‍कार में एक स्‍वर्ण कमल, प्रशस्ति पत्र, शाल और दस लाख रुपये नकद शामिल हैं। 

इस अवसर पर श्री तिवारी ने कहा कि भारतीय सिनेमा के शताब्‍दी वर्ष में प्राण साहब को व्‍यक्तिगत रूप में यह पुरस्‍कार प्रस्‍तुत करना मेरे लिए गर्व की बात है। उन्‍होंने कहा कि प्राण साहब इस पुरस्‍कार को प्राप्‍त करने के लिए सर्वाधिक योगय व्‍यक्तियों में से हैं। 

श्री तिवारी के साथ सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री उदय कुमार वर्मा और वरिष्‍ठ अधिकारी भी गए थे। दादासाहेब फालके पुरस्‍कार सिनेमा के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्‍च पुरस्‍कार है, जो भारत सरकार द्वारा हर वर्ष एक ऐसी हस्‍ती को दिया जाता है, जिसने भारतीय सिनेमा के विकास में और इस माध्‍यम को बढ़ावा देने में विशेष योगदान दिया हो। 

श्री प्राण सिकंद दादासाहेब फालके पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाले 44वें व्‍यक्ति हैं। यह पुरस्‍कार भारतीय सिनेमा के जनक समझे जाने वाले दादासाहेब फालके के जन्‍म शताब्‍दी वर्ष 1969 में शुरू किया गया था। जाने-माने अभिनेता प्राण ने दिलीप कुमार, देव आनन्‍द और राज कपूर के साथ 1950, 1960, और 1970 के दशक में अनेक फिल्‍मों में उत्‍कृष्‍ट अभिनय किया। आज़ाद, मधुमती, देवदास, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्‍याम, आदमी, जिद्दी, मुनीमजी, अमरदीप, जब प्‍यार किसी से होता है, आह, चोरी-चोरी, जागते रहो, छलिया, जिस देश में गंगा बहती है और जंजीर आदि फिल्‍मों में प्राण के अभिनय को अत्‍यधिक सराहा गया। इन फिल्‍मों की सूची बहुत लम्‍बी है। 

वर्ष 1920 में पुरानी दिल्‍ली में जन्‍मे श्री प्राण ने वर्ष 1940 में फिल्‍मों में काम करना शुरू किया। उन्‍होंने पहले फोटोग्राफी के क्षेत्र में कदम रखा, लेकिन एक फिल्‍म निर्माता के साथ अचानक हुई एक भेंट से उन्‍हें यमला जट नाम की फिल्‍म में पहली बार अभिनय का अवसर प्राप्‍त हुआ। 6 दशक से अधिक समय में उन्‍होंने 400 से अधिक फिल्‍मों में काम किया और प्रत्‍येक फिल्‍म में उन्‍होंने नया स्‍टाइल प्रस्‍तुत किया। अपने अभिनय से उन्‍होंने दर्शकों को बहुत प्रभावित किया। भारत सरकार ने 2001 में श्री प्राण सिकंद को पद्म भूषण पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया था। 
(PIB)
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मीणा/इ.अहमद/क्‍वात्रा/शौकत-2316

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