Monday, January 21, 2013

स्तास नामिन और "दस अवतार"


भारतीय संस्कृति और कला से मोहित हैं-स्तास नामिन
                                                           कोलाज व्यास आफ रशिया 
कई दशक पूर्व जाने माने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी शख्सीयत राज कपूर साहिब की एक फिल्म का एक गीत बहुत लोक प्रिय हुआ था 
मेरा जूता है जापानी 
ये पतलून इंगलिस्तानी 
सर पे लाल टोपी रूसी 
फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी 
फिल्म श्री420 के इस गीत को लिखा था शैलेन्द्र ने और संगीत दिया था शंकर-जयकिशन ने।  गीत संगीत की दुनिया में एक यादगारी छाप छोड़ने वाले जनाब मुकेश साहिब की आवाज़ में जब गीत  दुनिया के सामने आया तो सबके दिल में उतर गया।  आज भी लोग इसे  गुनगुनाते अक्सर सुने जा सकते हैं। इस गीत की  भावना को इतनी मुद्दत के बाद याद दिलाया है रेडियो रूस ने अपनी एक खबर में। खबर है स्तास नामिन और "दस अवतार" की।  रेडियो रूस के मुताबिक स्तास नामिन-एक प्रसिद्ध रूसी रॉक संगीतकार, कलाकार, फोटोग्राफर और थिएटर तथा फिल्म निर्देशक हैं। उन्होंने भारतीय विषय पर एक नाटक तैयार करने का संकल्प किया है। स्तास नामिन का कहना है कि वह भारतीय संस्कृति और कला से मोहित हैं। स्तास नामिन ने कहा-

आप यह सुकर हैरान होंगे कि मुझे भारत से प्यार विगत शताब्दी के आठवें दशक में तब हुआ जब मैंने "बीटल्स" का संगीत सुना। बाद में मैं प्रामाणिक भारतीय कला के संपर्क में आया। तब हमारे देश में भारत से कई संगीत कलाकार आए थे। भारत के परंपरागत वाद्ययंत्रों की सुंदरता और विशिष्टता ने मेरा मन मोह लिया। मैं उन भारतीय संगीत कलाकारों से मिला और भारतीय वाद्ययंत्रों के बारे में जानकारी हासिल की। सितार का तो में दीवाना हो गया और मैंने संकल्प किया कि भारत जाकर सितार वादन की शिक्षा पाऊँगा।

भारत जाने से पहले स्तास नामिन और उसकी संगीत मंडली ने लगभग आधी दुनिया की यात्राएँ कीं और अपने कई दिलचस्प कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उन्होंने अस्सी के दशक में मास्को में आयोजित नशीले पदार्थों के विरुद्ध एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय रॉक संगीत त्योहार में भाग लिया था। उसके बाद उन्होंने विभिन्न देशों के संगीतकारों के साथ मिलकर ब्रिटेन के कई नगरों में अपने संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किए। वह कुछ समय के लिए अमरीका में भी रहे। वहाँ वह संगीत संस्कृति का ज्ञान हासिल करने के प्रयास करते रहे। वहाँ ही उन्होंने सितार ख़रीदा और भारतीय संगीतकारों से सितार वादन सीखना शुरू किया। उसके बाद उन्होंने सितार के साथ अपने संगीत कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू किया और इस साल उन्होंने भारत का दर्शन भी किया। वहाँ उन्होंने भारत के बारे में कुछ दस्तावेज़ी फिल्में बनाईं। उनमें से एक फिल्म वाराणसी और वहाँ आनेवाले तीर्थयात्रियों के बारे में है। स्तास नामिन की यह फिल्म हाल ही में मास्को स्थित भारत के सांस्कृतिक केंद्र में दिखाई गई जो दर्शकों को बहुत पसंद आई। इस फ़िलाम के लिए संगीत भी स्तास नामिन ने स्वयं ही रचा है।

मास्को में स्तास नामिन का अपना एक थीएटर भी है। इस थीएटर में रूसी चैम्बर संगीत, रॉक ओपेरा और संगीत नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं। ऐसा लगता है कि यह रूसी फिल्म निर्माता और संगीतकार अपने थिएटर को एक नया रंग देना चाहते हैं। स्तास नामिन ने बताया कि अपने थीएटर में एक भारतीय महाकाव्य पर आधारित संगीत नाटक प्रस्तुत करने की उनकी योजना है। उन्होंने कहा-

हमारे नए संगीत नाटक का नाम होगा- "दस अवतार"। यह भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार धारण करने की कहानी होगी जिसका वर्णन प्राचीन पुराणों में किया गया है। यह एक संगीत और नृत्य प्रस्तुति होगी। इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य होगा। हम रूसी दर्शकों को भारतीय महाकाव्य की विलक्षण झलकियाँ दिखानी चाहते हैं ताकि दर्शक अद्वितीय भारतीय कला और संस्कृति की मूल परंपराओं को अच्छी तरह से समझ सकें।

स्तास नामिन के संगीत नाटक "दस अवतार" में भाग लेने के लिए भारतीय संगीत कलाकारों को आमंत्रित किया गया है और इसमें भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूसी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। उम्मीद है कि यह संगीत नाटक अगले वर्ष के पूर्वार्ध में प्रस्तुत किया जाएगा।(
रेडियो रूस से साभार)
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