Wednesday, August 15, 2012

स्वतंत्रता-दिवस की सार्थकता //राजीव गुप्ता

लगभग 60%  जनसँख्या  गरीबी में अपना जीवनयापन कर रही है
                                                                                                                                             साभार तस्वीर 
15 अगस्त 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के साथ द्वितीय विश्व युद्ध हिरोशिमा और नागासाकी के त्रासदी के रूप में कलंक लेकर समाप्त तो हुआ परन्तु जापान पिछले वर्ष आये भूकंप और सूनामी जैसी त्रासदी के बाद भी बिना अपने मूल्यों से समझौता किये राष्ट्रभक्ति, अपनी ईमानदारी और कठिन परिश्रम के आधार पर अखिल विश्व के मानस पटल पर लगभग हर क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ता हुआ नित्य-प्रतिदिन आगे बढ़ता जा रहा है. ठीक दो वर्ष बाद 15 अगस्त 1947 को भारतवर्ष ने अपने को रणबांकुरों के बलिदानों की सहायता से एक खंडित-रूप में अंग्रेजों की बेड़ियों से स्वाधीन करने से लेकर अब तक भारत ने कई क्षेत्रो में को अपनी उपलब्धियों के चलते अपना लोहा मनवाने के लिए पूरे विश्व को विवश कर दिया.
भारत ने लंबी दूरी के बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र अग्नि-5 का परीक्षण किया जिसकी मारक-क्षमता चीन के बीजिंग तक की दूरी तक है और अरिहंत नामक पनडुब्बी का विकास किया  जो कि परमाणु ऊर्जा से चलती है तथा पानी के अन्दर असीमित समय तक रह सकती है और साथ ही सागरिका जैसी मिसाइलो को छोड़ने में भी सक्षम है को अपनी नौ सेना में शामिल कर अपनी सामरिक शक्ति में कई गुना वृद्धि किया तो वहीं रिसैट-1 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण कर दिखाया जिससे बादल वाले मौसम में भी तस्वीर ली जा सकती है. भारत अपने भुवन" नामक तकनीकी के माध्यम से गूगल अर्थ तक को पीछे छोड़ दिया है. इस तकनीकी के माध्यम से दुनिया भर की सैटेलाईट तस्वीर बहुत बेहतर तरीके से जिसकी गुणवत्ता गूगल अर्थ की गुणवत्ता से कई गुना बेहतर है.
अपने पहले मानवरहित चंद्रयान-1 के माध्यम से चन्द्रमा की धरती पर तिरंगे साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के साथ ही  भारत विश्व का चौथा देश बन गया. इतना ही नहीं चिकित्सा क्षेत्र में नैनोटेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे देश ने गत कुछ समय में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं परिणामतः कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का भी इलाज संभव हो गया है.  भारत हर वर्ष एक नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है जिसकी वजह से पूरा विश्व भारत को उभरती हुई महाशक्ति के रूप में मान्यता देने को मजबूर हुआ है. टीम इंडिया ने विश्व कप क्रिकेट 2011 पर कब्जा जमाया तो भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स और फॉर्मूला वन रेस का आयोजन कर दुनिया में अपना परचम लहरा दिया.
परन्तु भारत की इन उपलब्धियों के बावजूद इसका एक दूसरा रूप भी है. भारत की लगभग 70 प्रतिशत जनता अभी भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण भारत से सम्बन्ध रखती  है.  भारत में हुई हरित क्रांति के इतने साल बाद भी हम नई खेती के तरीको को मात्र 20 - 25  प्रतिशत खेतो तक ही ले जा पायें है . आज भी भारतीय - सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी) में  कृषि का  लगभग 15  प्रतिशत  का योगदान है .  बावजूद इसके भारत की आधी  से ज्यादा एनएसएसओ के ताजा आंकड़ो के आधार पर लगभग 60%  जनसँख्या  गरीबी में अपना जीवनयापन कर रही है . देश का कुल 40 प्रतिशत हिस्सा सिंचित/असिंचित है . इन क्षेत्रो के किसान पूर्णतः मानसून पर निर्भर है . आज भी किसान जोखिम उठाकर बीज, खाद, सिंचाई इत्यादि के लिए कर्ज लेने को मजबूर है ऐसे में अगर फसल की पैदावार संतोषजनक न हुई आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है .
भारत में किसानो की वर्तमान स्थिति बद से बदत्तर है . जिसे सुधारने के लिए सरकार को और प्रयास करना चाहिए . इसी के मद्देनजर किसानो की इस स्थिति से निपटने हेतु पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल की अध्यक्षता में गत वर्ष अक्टूबर में एक कमेटी बनायीं गयी थी जो शीघ्र ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपेगी . इन सब उठापटक के बीच इसका एक  दूसरा पहलू यह भी है कि सीमित संसाधन के बीच यह देश इतनी बड़ी आबादी को कैसे बुनियादी जरूरतों को उपलब्ध करवाए यह अपने आपमें एक बड़ा सवाल है जिसके लिए आये दिन मनरेगा जैसी  विभिन्न सरकारी योजनाये बनकर घोटालो की भेट चढ़ जाती है और भारत - सरकार देश से गरीबी खत्म करने के खोखले दावे करती रहती है .
सिर्फ इतना ही नहीं भारत में स्वास्थ्य - सेवा तो भगवान भरोसे ही है अगर ऐसा माना जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी . एक तरफ जहा हमारी सरकार चिकित्सा - पर्यटन को बढ़ावा देने की बात करती  है तो वही देश का दूसरा पक्ष कुछ और ही बयान करता है जिसका अंदाज़ा हम आये दिन देश के विभिन्न भागो से आये राजधानी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के आगे जमा भीड़ को देखकर लगा सकते है जहाँ एक छोटी बीमारी की इलाज के लिए ग्रामीण इलाके के लोगों को दिल्ली - स्थित एम्स आना पड़ता है . एक आकडे के मुताबिक आजादी के इतने वर्षों के बाद भी इलाज़ के अभाव में प्रसव - काल में 1000 मे 110 महिलाये दम तोड़ देती है . ध्यान देने योग्य है कि यूएनएफपीए के कार्यकारी निदेशक ने प्रसव  स्वास्थ्य सेवा पर चिंतित होते हुए कहा है कि विश्व भर में प्रतिदिन लगभग 800 से अधिक महिलाये प्रसव  के समय दम तोड़ देती है . भारत में आज भी एक हजार बच्चो  में से 46 बच्चे काल के शिकार हो  जाते है और 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते है .
भारत को अब मैकाले – शिक्षा नीति को भारत-सापेक्ष बनाना नितांत आवश्यक है क्योंकि प्राचीन भारतीय शिक्षा दर्शन का परचम विश्व में कभी लहराया था. प्राचीन भारत का शिक्षा-दर्शन की शिक्षा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लिए थी. इनका क्रमिक विकास ही शिक्षा का एकमात्र लक्ष्य था. मोक्ष जीवन का सर्वोपरि लक्ष्य था और यही शिक्षा का भी अन्तिम लक्ष्य था. प्राचीन काल में जीवन-दर्शन ने शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित किया था. जीवन की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि का प्रभाव शिक्षा दर्शन पर भी पड़ा था. उस काल के शिक्षकों, ऋषियों आदि ने चित्त-वृत्ति-निरोध को शिक्षा का उद्देश्य माना था. शिक्षा का लक्ष्य यह भी था कि आध्यात्मिक मूल्यों का विकास हो. किन्तु इसका यह भी अर्थ नहीं था कि लोकोपयोगी शिक्षा का आभाव था. प्रथमत: लोकोपयोगी शिक्षा परिवार में, परिवार के मध्यम से ही सम्पन्न हो जाती थीं. वंश की परंपरायें थीं और ये परम्परायें पिता से पुत्र को हस्तान्तरित होती रहती थीं.
प्राचीन युग की प्रधानता होने से राजनीति में हिंसा और शत्रुता, द्वेष और ईर्ष्या, परिग्रह और स्वार्थ का बहुल्य न होकर, प्रेम, सदाचार त्याग और अपरिग्रह महत्वपूर्ण थे. उदात्त भावनायें बलवती थीं. दिव्य सिद्धान्त जीवन के मार्गदर्शक थे. सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति प्रधान नहीं था, अपितु वह परिवार और समाज के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग करने को तत्पर था. उदात्त वृत्ति की सीमा सम्पूर्ण वसुधा थी. जीवन का आदर्श ‘वसुधैवकुटुम्बकम्’ था. भौतिकवादिता को छोड़ व्यवसायों के क्षेत्र में प्रतियोगिता नहीं के बराबर थीं. सभी के लिए काम उपलब्ध था. सभी की आवश्यकताएँ पूर्ण हो जाती थीं. भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार और  काले  -धन जैसी सुरसा रूपी बीमारी को खत्म करके तथा तंत्र-व्यवस्था को भारतीय - सापेक्ष कर एकांगी-विकास की बजाय समुचित-विकास पर ध्यान देना चाहिए ताकि एक खुशहाल और समृद्ध भारत का सपना साकार हो सके और हर भारतीय स्वतंत्रता की सार्थकता को समझ सकें.    

 - राजीव गुप्ता, लेखक,  9811558925
 पंजाब स्क्रीन में भी देखें 
दिल्ली स्क्रीन में देखें: एक ही जन्म में दो जन्म का कारावास

ये भारत देश है मेरा !

स्वतंत्रता दिवस के इस पावन त्यौहार पर हमें कुछ लिंक मिले हैं। इन लिंकस  में दो ऐसी तस्वीरें हैं जो इंसान की बराबरी पर सवाल खड़ा करती हैं। कुछ इसे लोगों के बारे में बताती हैं जिहें अभी पूजा पाठ की स्वतन्त्रता नहीं मिली। क्या सचमुच छूयाछात अभी जारी है ?

                                                                                                                                               दोनों तस्वीरें साभार 

इन् तस्वीरों की पोस्टिंग 4 दिसम्बर 2011 को हुई थी। क्या अब वहां कुछ बदला है।.....ये तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका। स्वतन्त्रता दिवस के इस एतिहासिक दिवस पर आओ आज संकल्प लें की इंसान को बराबरी का हक दिलाने के लिए इस वर्ष कुछ और ठोस कदम उठाए जायेंगे।--रेक्टर कथूरिय!

Friday, August 10, 2012

पंजाब के भूजल में खतरे की गूँज लोकसभा में भी

Courtesy photo 
जल संसाधन एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री वींसेंट एच पाला ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को पंजाब राज्य सरकार से पेयजल में यूरेनियम-संदूषण के आकलन का प्रस्ताव हुआ है। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने पंजाब के सभी प्रभावित जिलों में पेयजल स्रोतों में यूरेनियम संदूषण की जांच के लिए जनवरी, 2011 में 3.80 करोड़ रुपये जारी किए हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र पेयजल में यूरेनियम के संदूषण की जांच करने में पंजाब सरकार की मदद कर रहा है।

इसके अतिरिक्त, पेयजल स्रोतों में से यूरेनियम को हटाने हेतु प्रौद्योगिकी कार्यों को अंतिम रूप देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय और पंजाब सरकार के विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई है। समस्या से निपटने के लिए संभव कार्रवाई की एक सूची पंजाब सरकार को भेजी गई है।          ( पत्र सूचना कार्यालय) 
09-अगस्त-2012 19:56 IST

सब के लिए शुभ जन्माष्टमी....!

दुखों से मुक्ति का एक ही रास्ता....
भगवान कृष्ण की शरण.....!
मुक्ति दाता भगवान कृष्ण......! 
                                                                                                                          साभार चित्र
अधिकारों की जंग....! 
न्याय की जंग.....!
शांति के लिए जंग....!
गम में भी खुशियों का रास्ता बताने वाला कृष्ण कन्हया 
पूरे समाज को रास्ता दिखाने कारावास में ही चला आया....और हमें मुक्ति का मार्ग दिखा गया....!
इस बार की जन्माष्टमी आप सबको अवश्य ही कृष्ण के रंग में रंग जाये.....!

अनशन की बिसात पर राजनीति//राजीव गुप्ता

अन्ना टीम ने जनता को धता बताकर अलग ही कदम उठाया
राजीव गुप्ता
स्वतंत्रता-पश्चात भारत में भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी. देश से व्याप्त भ्रष्टाचार को ख़त्म करने हेतु जनता सडको पर उतरकर सरकार पर दबाव बनाकर उससे क़ानून बनवायेगी यह लगभग अशोचनीय सी-ही स्थिति थी. परन्तु गत दो वर्षो से भारत में ऐसा हुआ. जनता हाथो में मशाल थामे सडको पर उतरी, कई - कई दिनों तक समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में अनशन हुए. ऐसा लगने लग गया कि भारत में इस भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन का "राष्ट्रीयकरण" हो गया है क्योंकि इस आन्दोलन में समाज के हर वर्ग ने बढ़-चढ़कर भाग लिया परिणामतः  भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन की लहर पूरे देश में चली. इस आन्दोलन ने एक बार तो महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले आंदोलनों की याद दिला दी क्योंकि सन 1920 के बाद के आंदोलनों की प्रकृति बिलकुल बदल गयी थी और गांधी जी के आह्वान पर समाज के सभी वर्ग ने अंग्रेजो की पराधीनता से स्वतंत्रता-प्राप्ति की साफ़ नियति से घर से निकल पड़े थे.

दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में 3 जून को बाबा रामदेव के अनशन पर हुई पुलिसिया कार्यवाही से पूरा देश में सरकार के खिलाफ आक्रोश था अतः जनता के इस आक्रोश का प्रस्फुटन उस  समय हुआ जब 16 अगस्त, 2011 को अन्ना हजारे को अनशन न करने देने के लिए षड्यंत्र के तहत सरकार ने उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया. उसकी परिणति यह हुई कि जनता के साथ-साथ लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कही जाने वाली मीडिया ने अन्ना हजारे को अपना भरपूर समर्थन दिया परिणामतः अन्ना टीम द्वारा संचालित  भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन का राष्ट्रीयकरण-सा हो गया ऐसा प्रतीत होने लगा. उनके इस आन्दोलन को अगस्त क्रांति तक का नाम दिया जाने लगा और सरकार से जनलोकपाल बनाने की मांग जोर - शोर से उठाई गयी. जनता की इस मांग से सरकार दबाव में आ गयी और संसद से लिखित आश्वासन के बाद ही यह अनशन का आन्दोलन थमा. इस आन्दोलन के साथ जुड़े जन सैलाब के प्रमुख दो कारण ही थे- एक स्वतंत्रता - पश्चात जनता को अन्ना टीम नहीं "सिर्फ अन्ना ही" एक मात्र साफ़ छवि एवं नियति वाले समाजसेवी के रूप में आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता के रूप में मिले थे और दूसरा इस आन्दोलन को आधुनिकतम तकनीकी और मीडिया की सहायता से दूरदराज क्षेत्र में रहने वाले लोगो तक इस आन्दोलन की खबर मिली. समाचार चैनल चौबीस घंटे बस इसी आन्दोलन से सम्बंधित खबरों को दिखाते रहे और ऐसा प्रतीत होने लगा कि इस आन्दोलन को सफल बनाने की कमान मीडिया पर ही है.

परन्तु हाल के  अन्ना टीम के अनशन ने जनता के सारे अरमानो को धता बताकर  एक अलग प्रकार का ही अविश्वसनीय कदम उठाया. अगर हम अन्ना और अन्नाटीम के बयानों पर नजर दौडाए तो पता चलता है कि कलतक अन्ना टीम बिना चुनाव लड़े जिस राजनीति की शुद्धिकरण की बात करती थी उसने अपना एकदम से पैतरा कैसे बदल लिया यह एक यक्ष प्रश्न जनता के सामने खड़ा हो गया है. अभी हाल ही में अन्नाटीम के तीन सदस्यों  द्वारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन शुरू करने के लगातार दो दिन बाद तक यह घोषणा होती रही कि जब तक हमारी मांगे नहीं मनी जाती हम बलिदान हो जायेंगे पर अनशन से पीछे नहीं हटेंगे पर रातोरात ऐसा क्या हो गया कि 23 लोगो की बातो का आधार बनाकर जनता को राजनैतिक विकल्प देने के लिए राजनैतिक पार्टी बनाने की घोषणा के साथ अनशन ख़त्म कर दिया गया. इसी घोषणा के साथ अन्ना टीम की नियति भी सवालो के घेरे में आ गयी और जनता में यह सन्देश गया कि क्या ये सारे अनशन अन्ना टीम की महत्वकांक्षा का यह कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का हिस्सा थे और जनता को यह दिखाने की कोशिश थी कि सरकार उनकी नहीं सुन रही है जबकि सरकार का रवैया तो पहले से ही जग - जाहिर था हालाँकि सरकार का रवैया इस बार जरूर आश्चर्यजनक रहा कि पिछले साल अगस्त में सरकार जिस अन्ना की उंगलियों पर  नाच रही थी, उसने इस बार उनकी टीम से प्रत्यक्ष तो क्या अप्रत्यक्ष संवाद की भी जरूरत नहीं समझी और आन्दोलन को अपनी मौत मरने के लिए छोड़ दिया.

यहाँ सवाल अब जनलोकपाल का नहीं बल्कि नियति का है. जब संसद में जनलोकपाल बनाने के लिए अपनी राजनैतिक पार्टी ही बनानी थी तो  दो-वर्ष तक क्या अन्ना टीम ( हालाँकि अब यह टीम बर्खास्त हो चुकी है ) राजनैतिक पार्टी बनाने की भूमिका के साथ-साथ जन समर्थन प्राप्त करने के लिए  अनशन की बिसात  पर राजनीति कर रही थी. व्यवस्था परिवर्तन हेतु जन-आन्दोलन  करना और खुद चुनाव लड़कर व्यवस्था परिवर्तन करना दो अलग - अलग ध्रुवो के मिलन जैसी बात है . इससे पहले साफ़ और स्पष्ट नियति से जनता को विकल्प देने के लिए जयप्रकाश नारायण ने भी "जनता पार्टी" का गठन कर तत्कालीन प्रधानमंत्री को चुनाव में हराया था हालाँकि वह पार्टी मात्र तीन सालो में ही टूट गयी थी. ध्यान देने योग्य है  इससे पहले जयप्रकाश नारायण ने भी 25 जून 1975 को एमरजेंसी अर्थात आपातकाल के खिलाफ आन्दोलन छेड़ा था.  उस समय भी जनता राजनेता जयप्रकाश नारायण की अगुआई में सत्ता के खिलाफ सरकार विरोधी सामग्रियों तथा मीडिया पर प्रतिबंधो के बावजूद सडको पर उतरी और 1977 के लोकसभा चुनाव में अपने मतदान के जरिये सत्ता के मद में चूर सत्ताधारियो को अर्श से फर्श पर ला दिया था.

यह सर्वस्वीकार्य है कि भारत में भ्रष्टाचार की सड़क चुनाव-प्रणाली से ही गुजरती है अतः चुनाव-सुधार की नितांत आवश्यकता है पर चुनाव जीतने की महत्वकांक्षा के साथ - साथ राजनैतिक विकल्प देने का रास्ता जमानत जब्त होने की तरफ भी जाता है. जनता बड़ी भावुक प्रवृत्ति होने की वजह से मतदान भावुकता के वशीभूत होकर मतदान करती है. भले ही अन्ना और उनके शुभचिंतक चुनाव न लड़े और किसी बड़े नाम की बजाय आम जनता के बीच से कोई अपना उमीदवार खड़ा करे पर इतना तो तय है कि आगामी लोकसभा का चुनाव  बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है. भविष्य में राजनीति के दांव - पेच का ऊँट किस करवट बैठेगा व सरकार किस पार्टी की बनेगी यह तो समय के गर्भ में है पर हाँ इतना जरूर है कि जनता के लिए अब किसी आन्दोलन पर विश्वास करना बड़ा मुश्किल हो जायेगा.
राजीव गुप्ता , 9811558925    

Thursday, August 09, 2012

मेरा गोविन्दा, श्याम ,गोपाला !! !

मेरा छोटा सा प्यारा सा लाला!
मेरा गोविन्दा, श्याम ,गोपाला !!
जसुमति का है यह  क्न्हाई,
इसे नज़र किसी ने  लगाई,
कर डारूंगी,उसका मुँह काला!! मेरा गोविन्दा श्याम..
नन्द्लाला का है यह खिलोना,
मेरा छौना है सबसे सलोना,
बडे नाज़ों से इसको है पाला !!मेरा गोविन्दा श्याम...
ब्रज़ मण्डल मे बाजे -बधाई ,
इसकी प्यारी छवि सबको भाई!
नाचें ब्रज के गोपी औ ग्वाला !!मेरा गोविन्दा श्याम..

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

Wednesday, August 08, 2012

हत्यारों के बाद चोरों ने भी दी पुलिस को चुनौती

लुधियाना के गहन भीडभाड वाले पोश इलाके घुमार मण्डी में चोरी चोरों ने घड़ियों की दुकान पर किया हाथ साफ़....पुलिस जांच जारी  
लुधियाना के पोश इलाके घुमार मंडी में तीस लाख की घड़ियाँ चोरी होने की खबर से सनसनी फ़ैल गई है. यह चोरी इंडो वाच नामक दूकान पर हुयी जहाँ अच्छे अच्छे ब्रांड की महंगी घड़ियाँ बिकती हैं. सख्त निगरानी के इस क्षेत्र में सी सी टी वी कैमरे भी लगे हैं लेकिन फिर भी चोरों ने यहाँ भुत ही सफाई से हाथ साफ़ कर लिया.
 लुधियाना की घुमार मंडी एक आधुनिक कारोबारी केंद्र बन चुय्की हैं . चौड़े बाज़ार और घनता घर के बाद लुधियाना की शोपिंग को एक नया रंग रूप इसी घुमार मंडी से मिला. यहाँ हुई  एक बड़ी चोरी ने सब के होश उड़ा दिए हैं. करीब तीस लाख की यह चोरी इंडो वाच नामक दूकान पर हुई.

 इंडो वाच के शोरूम मालिक विजय कुमार  बहुत ही घबराहट में मीडिया को बताया अंदाज़न २५ तीस लाख के माल की चोरी हुई है. तिजौरी में कुछ हजार रुपयों का कैश भी था पर ज्यादा नुक्सान कीमती और महंगे ब्रांड की घड़ियाँ चोरी होने से हुआ.घड़ियों की इतनी बड़ी चोरी से सारा बाज़ार सन्न रह गया. गौरतलब है की शो रूम का शटर बस थोडा सा ही मुदा हुआ था. पहली नजर से देख कर दीवार में कोई दरार सी भी नज़र नहीं नाती. न जाने इतने छोटे से रास्ते में से चोर कैसे अंदर गया होगा और फिर माल लेकर कैसे बाहर निकला होगा.
पुलिस ने मौके पर पह्गुंच कर पूरी बारीकी से जाँच शुरू कर दी है. सी टी वी कैमरे के फुटेज पर नज़रें गधा कर बैठे पुलिस टीम के सदस्य हर चेहरे को गौर से देख रहे हैं. इसके साथ ही उन्ग्ल्कियों के निशाँ लेने का काम भी बहुत ही ज़िम्मेदारी से पूरा किया जा रहा है. पुलिस के साथ महिला जांच अधिकारी भी थे. पुलिस का कहना है कि जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.
मौके पर तयनात पुलिस अधिकारी ने बताया के मामले के जाँच जारी है और उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.
इस चोरी के बाद बड़े शोपिंग केन्द्रों की सुरक्षा पर पैदा हुए सवालों पर फिर से से गंभीरता के साथ विचर आवश्यक हो गया है. कुल मिला कर हत्या हो या चोरी, लूट हो या तस्करी....मुजरिमों का होंसला बढ़ते जाना पूरे समाज के लिए खतरे की घंटी है. इसे रोकने के लिए पूरे समाज को पुलिस से सहयोग करना ही चाहिए. रेक्टर कथूरिया  

लुधियाना में फिर हुआ डबल मर्डर,

इस बार की गई एक माँ बेटी की बड़ी बेरहमी से हत्या 
 लुधियाना में फिर हुआ डबल मर्डर,इस बार एक माँ बेटी की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गयी, हत्या करने वाला कोई और नहीं बल्कि ये लड़की के सास ससुर ही थे जो बेटे को ब्याहते समय किसी परायी बेटी को अपनी बेटी बना कर अपने घर लेट हैं. ,हत्या के बाद से हत्यारे फरार है जिनकी तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है 
हत्या की आरम्भिक सूचना मिलते ही पुलिस जांच में जुट गई और साथ ही शुरू की हत्यारों की तलाश भी. बेरोजगारी के कारण घर की संकटपूर्ण स्थिति ला अंजाम आखिर इस हत्या में निकला. माँ बेटी की बड़ी बेरहमी से की गई हत्या ने फिर साबित कर दिया है कि बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपया और अगर रुपया पास न हो तो घर के लोग ही बन सकते हैं हत्यारे. रिश्ते नाते प्यार वफा सब बातें हैं बातों का क्या. गौरतलब है कि इस हत्या के मामले में भी  हत्या करने वाला कोई और नहीं बल्कि लड़की के सास ससुर ही थे जिन्हें हमारे समाज में कानून में एक तरह से मां बाप ही समझा जाता है.हत्या के बाद से कातिल फरार बताये जा रहे है,मिली जानकारी के मुताबिक सीमा नाम की लड़की का उसी के मोहल्ले में रहने वाले लड़के के साथ एक साल पहले विवाह हुआ था,सीमा का पति कोई काम नहीं करता था जिसके चलते उसके घर में अक्सर कलेश रहता था,सीमा 6 महीने की गरबवती थी,सीमा ने अपने पति का घर छोड़ दिया और अपने माईके आकर रहने लगी,23 साल की सीमा सीमा आज अपने बीमार पति को देखने के लिए अपनी माँ उषा के साथ अपने ससुराल गयी थी घर पर उसका पति  नहीं था सिर्फ उसके सास ससुर थे जिन्होंने अपनी बहु सीमा और उषा का दात्री मार का कत्ल कर दिया 
वहीँ घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँच गयी और कार्यवाई शुरू कर दी पुलिस के मुताबिक हत्या के बाद से कातिल फरार है जिनकी तलाश में छापेमारी की जा रही है
 लुधियाना की राहों रोड स्थित बाजड़ा कालोनी इलाके में मंगलवार की रात को हुई इन जघन्य हत्यायों ने जिंदगी और समाज के ढंग स्टाईल पर कई तरह के सवाल भी खड़े किये हैं. एक व्यक्ति ससुर पिता होकर भी अपनी गर्भवती बहू व उसकी मां को गली में दौड़ा-दौड़ा कर तेजधार दातर से सरेआम काट डालता है तो सोचना पड़ेगा कि हमारे समाज के आधार किस शांति पर रखे गए हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी ससुर पिता खुद ही थाना बस्ती जोधेवाल में जाता है और पुलिस के सामने सरेंडर कर देता है. अर्थात उसे न फांसी कि सज़ा का कोई डर लगा न ही उम्र कैद की सज़ा से। उसकी उम्र बताती है कि वह हर बात सोच समझ सकता था. इस सब के बाद भी वह इस बेरहमी पर उतरा तोइसके कारणों का पता लगाना आवश्यक है. सवाल किसी एक जिंदगी या परिवार का नहीं बल्कि बहुत से उन परिवारों का है जो आर्थिक तंगी के कारण हर रोज़ इसी तरह कि कला से गुजरते हैं. अगर इस तरह के मामलों का मनो वैज्ञानिक फ्लू नजर अंदाज़ किया गया तो समाज में इस तरह के दोहरावों की आशंका बनी रहेगी.   थाना बस्ती जोधेवाल पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया। एसएचओ बलविंदर सिंह के मुताबिक पारिवारिक विवाद के कारण ही आरोपी ने इस घटना को अंजाम दिया। उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। गौरतलब है कि राहों रोड स्थित एकता कालोनी निवासी सीमा (24) की शादी को अभी सिर्फ ग्यारह महीने ही तो हुए थे. यह शादी इसी इलाके अर्थात बाजड़ा कालोनी निवासी सोनू के साथ ही हुई थी। ज़ाहिर है दोनों परिवारों में घर लगाव तह होगा पर तीन-चार महीने बाद ही जब जिंदगी कि ठोस हकीकत और आर्थिक तंगी सामने आई तो दोनों परिवारों का एक दुसरे से का मोहभंग हो गया.रिपोर्ट के मुताबिक सीमा व उसके ससुरालियों का आपस में झगड़ा होना शुरू हो गया था। हालांकि इसी बीच सीमा गर्भवती भी हो गई थी लेकिन घर में नए मेहमान के आगमन की खबर भी कोई ख़ुशी नहीं ला सकी। करीब तीन महीने पहले सीमा ससुराल छोड़ कर मायके चली गई थी पति या ससुर परिवार पर दबाव का यह सिलसिला काफी पुराना है। आम तौर पर मायके के कुछ लोग हालात को बदलने या संघर्ष की बजाये इस तरह के रास्ते को उत्साहित करना उचित समझते हैं जो कि सर्वथा गलत होता है. यहाँ भी शायद यही हुआ. .उसके बाद सोनू के पिता सुभाष ने सोनू को भी घर से बेदखल कर दिया। पिछले दस दिन से सोनू घर नहीं आ रहा था। मंगलवार की देर शाम सीमा और उसकी मां ऊषा सोनू का पता लेने के लिए ससुराल आ गई, जहां सुभाष के साथ उनका झगड़ा हो गया। झगड़ा इतना बढ़ गया कि सुभाष ने तेजधार दातर से मां-बेटी पर हमला कर दिया। जान बचाने के लिए दोनों महिलाएं गली में भागीं, लेकिन सुभाष ने दोनों महिलाओं की गली में दौड़ा-दौड़ा कर सरेआम हत्या कर दी। अपनी जान से हाथ धो बैठी मां वेति और उस अजन्मे बच्चे की अंतर आत्मा के लिए यह बात शायद बहत ही शांती कि होगी अगर इन हत्यायों के पीछे छिपे कारणों को दूर करने कि फल शुरू हो सके.

पंजाब में जारी है नशे के खिलाफ अभियान

लुधियाना पुलिस ने पकड़ी नशे की एक और बहुत बड़ी खेप  
छह क्विंटल से अधिक भुक्की पोस्त का चूरा बरामद
हर पल पंजाब को खोखला कर रहे नशे के खिलाफ पंजाब पुलिस ने दिन रात एक कर रखा है. आज कल तेज़ी से फ़ैल रहे नशे भुक्की पोस्त चूरे की छह क्विंटल से अधिक मात्र एक साथ बरामद करके पुलिस ने एक बड़ी उपलब्धी अपने नाम कर ली है.
जिस तर्क को आप देख रहे हैं यह टाटा-४०७ है और इस पर लदी हैं भुक्की पोस्त से भरी १६ बोरियां.. इन सब का वजन बनता है छह क्विंटल चालीस किलोग्राम  नशे का सेवन करने वालों में यह नशा कार्ड के नाम से भी जाना जाता है. क्यूंकि इसका सेवन करने वाले किसी चमच के न मिलने से इसे अपनी जेब या मेज़ पर पड़े किसी भी विजटिंग कार्ड पर रख कर पानी से हलक में उतार लेते हैं और फिर बन जाते हैं कुछ देर के लिए शेर. न कोई थकावट. न कोई चिंता और मजे ही मजे.
 शराब और अफीम के मुकाबले में बहुत ही सस्ता होने के कारण इस न चाहने वाले लोग भी पसंद करते हैं. इसकी कोई बदबू नहीं होती इसलिए इसे कभी भी अर्थात दिन के समय भी लिया जा सकता है. अन्य नशीली चीज़ों के मुकाबले सस्ता होने के साथ साथ यह आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है लेकिन कानून इस के मामले में भी सख्त है. इसे पकड़े जाने की पूरी कहानी सुनाई गई एक पत्रकार सम्मेलन में जहां ऐ डी सी पी-३ जोगिन्दर सिंह ने सारा मामला पूरे विस्तार से पत्रकारों को बताया.
इस पत्रकार सम्मेलन में ऐ सी पी (वैस्ट) गुरप्रीत पुरेवाल भी थी और अन्य पुलिस अधिकारी भी. खचा खच भरे पत्रकार सम्मेलन में आदी सी पी ने इसे पकड़ने कजी बात पूरे विवरण के साथ सुनाई.
अब देखना है कि पुलिस की इस उपलब्धी के बाद सरकार और प्रशासन इन कारोबारों के पीछे छिपे लोगों को बाहर लेन के लिए क्या करते हैं जो लोग इतनी बड़ी मात्र में इतनी दूरी तक इस तरह का नशा खुले आम लेजाने या मंगवाने का दुस्साहस दिखाते हैं. रेक्टर कथूरिया .

Monday, August 06, 2012

फिजा ने की आत्महत्या

ख़ुदकुशी का रास्ता चुना प्रेम की दीवानी फिजा ने 
                                                                                                                   साभार चित्र 
अनुराधा बाली उर्फ़ फिजा ने की आत्महत्या. इस दुनिया को बदलने के लिए बड़ी बड़ी बातें करने वाली फिजा आखिर इस दुनिया को ही अलविदा कह गई. इसका शव उसके घर में पंखे से लटकता हुआ मिला शव से बदबू आने से लगता है की इस ख़ुदकुशी को एक से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं.
 विवरण की इंतजार जारी है कुछ और जानकारी मिलते ही हम आपके पास फिर लौट कर आते हैं 

Sunday, August 05, 2012

मजदूरों को अभी तक नहीं मिला उनका अधिकार

टी एम् यूं ने फिर बुलंद की मजदूरों के अधिकारों की आवाज़ 
 लुधियाना: देश में अनगिनत कुर्बानियों के बाद आजादी के बाद भी वोह सुबह नहीं आई जिसके लिए लोगों ने खून बहाया था र एक नए समाज की स्थापना के सपने देखे थे. शहीदों के मकसद का भारत अभी तक भी नहीं बन पाया. लम्बे संघर्ष किये बिना यहाँ कभी भी मजदूरों को अपना हक नहीं मिला। मेहनत करना और उसका मुआवजा मांगने के वक्त लाठी गोली खाना एक गरीब और मजदूर का नसीब बन गया है. यह सब याद दिलाते हुए संकल्प किया गया कि हम सभी को उनका हक दिलाने का संकल्प लेना होगा। एक जुट होना होगा और संघर्ष के रस्ते पर लगातार बिना थके चलना होगा. यह बात शनिवार को टेक्सटाइल यूनियन के नेताओं ने मनजीत नगर स्थित धर्मशाला में आयोजित सम्मेलन में पहुंचे श्रमिक प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कही गयीं। सम्मेलन को संबोधित करते हुए यूनियन के संयोजक राजविंदर, सुखविंदर, लखविंदर, गोपाल घनश्याम आदि ने कहा कि खुशहाल पंजाब में मजदूरों का शोषण हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से श्रमिकों को न्याय व उनका अधिकार दिलाने के लिए कार्रवाई की मांग की। सम्मेलन में टेक्सटाइल मजदूर यूनियन के संविधान का प्रारूप तैयार किया गया। इसके साथ ही प्रदेश कमेटी का गठन भी किया गया। कमेटी में राजविंदर को प्रधान, ताज मोहम्मद को उप प्रधान, विश्वनाथ को महासचिव, विशाल कुमार को सचिव, गोपाल को खजांची और धनश्याम को प्रवक्ता नियुक्त किया गया। सम्मेलन में करीब 200 के डेलीगेटों ने भाग लिया। यूनियन की ओर पांच अगस्त को ग्लाडा ग्राउंड चंडीगढ़ रोड पर वर्धमान मिल के सामने विशाल रैली का आयोजन किया गया है। इस आयोजन से लुधियाना की मजदूर जमात में एक नया जोश जगा है और sश्रमिक वर्ग का मनोबल और मजबूत हुआ है. इस मौके पर  उपलब्धियों का लेखा जोखा भी किया गया  और नए निशाने भी सुनिश्चित किये गए. लटक रही समस्यायों पर भी गंभीरता से विचार हुआ. अतीत के साथ साथ नई मंजिलों कि निशानदेही भी की गई. कुल मिला कर यह आयोजन मजदूर आन्दोलन में एक नई जान फूंकने में सफल रहा.lउम्मीद है कि यह आयोजन दुनिया भर के मजदूरों को एक करने के सैद्धांतिक क्षेत्र में भी अपना योगदान देगा. ---रेक्टर कथूरिया 



भारतीय समाज की मुक्ति जातिप्रश्न को हल किये बिना संभव नहीं!

‘जाति प्रश्न और मार्क्सवाद’ पर पांच दिवसीय संगोष्ठी

मैं अन्तिम साँस तक ज़ि‍न्‍दगी की जंग लड़ूँगी

Friday, August 03, 2012

भारत के राष्‍ट्रपति की नए डिजाइन वाली वेबसाइट का शुभारंभ

अब आम नागरिक भी राष्‍ट्रपति से सीधे कर सकेंगे सपंर्क
                                                                                                       साभार चित्र 
भारत के राष्‍ट्रपति की नए डिजाइन वाली वेबसाइट का आज राष्‍ट्रपति भवन में शुभारंभ किया गया। पुरानी वेबसाइट के एतिहासिक परिप्रेक्ष्‍य को बनाए रखा गया है लेकिन नए डिजाइन वाली वेबसाइट में कुछ नई खूबियां जाड़ी गई हैं। इसमें वेबसाइट से सीधे जुड़ने की सुविधा जोड़ी गई है अर्थात राष्‍ट्रपति के लिए फेसबुक और यू ट्यूब जैसे सोशल नेटवर्किंग माध्‍यम उपलब्‍ध कराए गए हैं। ये दोनों खूबियां राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पदभार संभालने के बाद शुरू की गई हैं। नई वेबसाइट में वीडियो गैलरी भी उपलब्‍ध कराई गई है। अब देश के नागरिक राष्‍ट्रपति से सीधे सपंर्क कर सकते हैं। इसके लिए सिर्फ "राष्‍ट्रपति को लिखें" बटन पर क्लिक करना होगा। वेबसाईट का शुभारंभ करते हुए राष्‍ट्रपति की सचिव ओमिता पॉल ने आशा प्रकट की कि इससे भारत के राष्‍ट्रपति को जनता के और करीब जाने में मदद मिलेगी। (पत्र सूचना कार्यालय)                          03-अगस्त 2012   21:21 IST

दुनिया की सबसे बड़ी सौर दूरदर्शी


विज्ञान पर विशेष लेख                                  * कलपना पाल्‍खीवाला
      अत्‍यधिक अशांत पलाज्‍मा को नियंत्रित करने वाली बहुत सी मेगनेटो - हाइइ्रोडाइनेमिक प्रक्रियाओं का अध्‍ययन और परीक्षण करने के लिए सूर्य का वायुमंडल आदर्श स्‍थान है। सूर्य के कुछ सबसे महत्‍वपूर्ण और सूक्ष्‍म गुणों का पता अत्‍याधुनिक दूरदर्शी से लगाया जा सकता है। लद्दाख भारत का शीत रेगिस्‍तान है, जहां इस उद्देश्‍य से दुनिया की सबसे बड़ी और अत्‍याधुनिक सौर दूरदर्शी लगाई जाएगी। इसका नाम नैशनल लार्जेस्‍ट सोलर टेलिस्‍कोप (एनएलएसटी) रखा गया है, जो भारत-चीन की सीमा पर वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के निकट पोंगओंग त्‍सो लेक मेराक पर स्‍थापित की जाएगी। यह वैश्विक रूप से बहुत अनोखी दूरदर्शी होगी क्‍योंकि यह दुनिया की सबसे बड़ी सौर दूरदर्शी होगी। इस समय दुनिया की सबसे बड़ी सोलर दूरदर्शी मेक मैथ पीयर्स सोलर टेलिस्‍कोप है, जिसकी लंबाई 1.6 मीटर है। यह अमरीका में अरिजोना में किट पीक पर राष्‍ट्रीय वेधशाला में स्‍थापित की गई है। एनएलएसटी 2020 तक दुनिया की सबसे बड़ी दूरदर्शी बनी रहेगी, क्‍योंकि उसके बाद 2020-21 में अमरीका में सबसे बड़ी दूरदर्शी स्‍थापित की जाएगी।
      एनएलएसटी ग्रेगोरियन बहुद्देशीय मुक्‍त दूरदर्शी है। यह स्‍पैक्‍ट्रोग्राफ के इस्‍तेमाल से रात के समय भी अवलोकन करने में सक्षम होगी। यह सूर्य के पचास किलोमीटर के दायरे में फैले कणों का अध्‍ययन कर सकेगी। इससे करीब 0.1 आर्कसैक के आकार के कणों की विशेषताओं का पता लगाया जा सकेगा। इस दूरदर्शी में 0.01 प्रतिशत की सटीकता के साथ ध्रुवीकरण की माप लेने के लिए हाई रेजोलूशन पोलेरीमेट्रिक पैकेज़ लगाया गया है। एक साथ पांच अलग-अलग चौड़ी अवशोषण पंक्तियों के अवलोकन के लिए हाई स्‍पैक्‍ट्रल रेजोलूशन स्‍पैक्‍ट्रोग्राम तथा विभिन्‍न पंक्तियों ने संकीर्ण छवियों को देखने के लिए हाई स्‍पैटियल रेजोलूशन का इस्‍तेमाल किया गया है।
      यह दूरदर्शी दो मीटर के परावर्तक लेन्‍स के साथ फिट की जाएगी, जिससे वैज्ञानिक धरती पर होने वाली बुनियादी प्रक्रियाओं को समझने के लिए अत्‍याधुनिक शोध कर सकेंगे। इस दूरदर्शी का डिजाइन अंतर्राष्‍ट्रीय कंपनी ने तैयार किया है जिसने स्‍पेन में टेनारिफ द्वीप पर स्थि‍त 1.5 मीटर लंबी दूरदर्शी का डिजाइन भी तैयार किया है। इस दूरदर्शी के सभी उपकरण भारतीय एस्‍ट्रो फीजिक्‍स संस्‍थान में विकसित किये जाएंगे तथा बंगलौर में मास्‍टर कंट्रोल फैसिलिटी के जरिए इसे रिमोट से संचालित किया जा सकेगा। दूरदर्शी उपग्रह से जुड़ी होगी जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन उपलब्‍ध कराएगा। विशेष उपकरण के जरिए रात के समय खगोलीय घटनाओं का अवलोकन किया जाएगा। यह उपकरण जर्मनी के हेम्‍बर्ग विश्‍वविद्यालय के सहयोग से बनाया जाएगा।
      इस दूरदर्शी के जरिए वैज्ञानिक सूर्य की संरचना का सूक्ष्‍म अध्‍ययन करेंगे और पृथ्‍वी की जलवायु तथा पर्यावरण में दीर्घावधि बदलावों का भी अध्‍ययन किया जाएगा। इस दूरदर्शी से समय - समय पर सौर आंधी के कारण संचार नेटवक और उपग्रह संपर्क में आने वाली बाधाओं को न्‍यूनतम करने या पूरी तरह दूर करने के लिए अनुसंधान में उपयोगी डाटा उपलब्‍ध कराया जा सकेगा।
      दूरदर्शी से इस बुनियादी प्रश्‍न का जवाब भी खोजा जाएगा कि सोलर मेगनेटिज्‍म की प्रकृति कैसी है। इसका लक्ष्‍य फलक्‍स ट्यूब्‍स का समाधान करना तथा उनकी लंबाई मापना और सूर्य के चु‍म्‍बकीय क्षेत्र के विकास से निपटना है, जिसके कारण सूर्य पर तमाम अनोखी घटनाएं घटती है जिनमें सोलर डाइनमो, सोलर सर्किल और सौर विवर्तनीयता शामिल है, जो अंतरिक्ष के मौसम को नियंत्रित और निर्धारित करती है।
      सूर्य के ऊपरी वायुमंडल में ऊर्जा के परिसंचरण के लिए जिम्‍मेदार दोलन की अवधियों के निर्धारण और छोटी-छोटी संरचनाओं का समाधान पाने के लिए मेगनेटो हाईड्रो डाइनेमिक्‍स  तरंग-
·     उच्‍च स्‍तर के अवलोकन के जरिए अत्‍यधिक सूक्ष्‍म सरंचनाओं की गतिशील छवि
·     सोलर फ्लेयर, प्रोमिनेन्‍स फिलामेंट इरप्‍शन्श, सीएनई इत्‍यादि को उकसाने वाले सक्रीय क्षेत्रों और उनकी भूमिकाओं का पता लगाना
·     इनफ्रा रेड तरंग दैर्ध्‍य  में अवलोकनों के जरिए क्रोमो स्‍पेयर्स का थर्मो डाइनेमिक्‍स
·     हेनले प्रभाव के इस्‍तेमाल से कमजोर और गतिशील चुम्‍बकीय क्षेत्र का माप जो उतना ही महत्‍वपूर्ण जितना मजबूत चुम्‍बकीय क्षेत्र का माप।
            यह सारी जानकारी आकाशीय विभेदन उपकरणों की सहायता से अवलोकन करके प्राप्‍त की जायेगी। इसके लिए अनुकूली प्रकाश विज्ञान, उच्‍च छाया संबंधी (स्‍पेक्‍ट्रल) विश्‍लेषण, उच्‍च लौकिक विश्‍लेषण, चित्ररूपण (इमेजिंग) और स्‍पेक्‍ट्रम विज्ञान के उपकरणों की मल्‍टी-वेव लैंथ क्षमता, उच्‍च फोटोन प्रवाह और डिटेक्‍टरों की सूक्ष्‍मग्राहि‍ता तथा परीवीक्षण के लिए स्‍पेक्‍ट्रम के इन्‍फ्रा-रेड भाग का इस्‍तेमाल करके जानकारी प्राप्‍त की जायेगी।
      दूरबीन (टेलीस्‍कोप) में नये डिजाइन का इस्‍तेमाल किया जायेगा, जिसमें प्रतिबिंबन कम होगा, ताकि उच्‍चस्‍तरीय परीवीक्षण हो सकेगा। डिजाइन में उच्‍चस्‍तरीय अनुकूली प्रकाश विज्ञान का समावेश होगा और इसमें 7 सेंटीमीटर के साधारण फ्रीड पैरामीटर का इस्‍तेमाल होगा, जिससे सीमित विवर्तन (डिफ्रेक्‍शन) होगा। टेलीस्‍कोप के साथ कई फोकस संबंधी उपकरण लगे होंगे, जिनमें उच्‍च विश्‍लेषण क्षमता का स्‍पेक्‍ट्रोग्राफ और पोलैरीमीटर भी होगा।
स्‍थल का चुनाव
      टेलीस्‍कोप स्‍थापित करने के लिए भारतीय खगोल भौतिकी संस्‍थान ने लेह में हानले का और उत्‍तराखंड में नैनीताल के पास देवस्‍थल का अध्‍ययन किया गया, लेकिन बाद में लद्दाख में मेराक स्‍थान को चुना गया। इस स्‍थान पर बादलों से मुक्‍त साफ आसमान और कम जलवाष्‍प वाला वायुमंडल उपलब्‍ध है, जिसके कारण यह प्रकाश विज्ञान संबंधी मिलीमीटर और मिलीमीटर से भी कम वेव लैंथ के उपकरणों के लिए विश्‍व के बेहतरीन स्‍थलों में से एक है।
      इस स्‍थान को विभिन्‍न वैज्ञानिक और पर्यावरण संबंधी पहलुओं का सावधानी से अध्‍ययन करने के बाद चुना गया। दृश्‍यता की परख के लिए सौर फोटोमीटर, एस-डीआईएमएम (सोलर डिफ्रेंशियल इमेज मोशन मॉनिटर) और शाबर (शैडो बैंड रेडियोमीटर) तकनीकों का इस्‍तेमाल किया गया। शाबर उपकरण की सहायता से निचले वायुमंडल के विक्षोभ की जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है। इसमें बहुत सारे फोटो डिटेक्‍टरों की सहायता से सूर्य या चंद्रमा जैसे बड़े अतिरिक्‍त पिंडों की चमक का अवलोकन किया जा सकता है।
      हिमालय क्षेत्र में टेलीस्‍कोप के इस तरह के कार्य के लिए विशेष वायुमंडलीय परिस्थितियां है। वहां पर अवलोकन के लिए कई घंटों तक बहुत अच्‍छी दृश्‍यता उपलब्‍ध होती  है। वायुमंडल में जलवाष्‍प भी कम होता है, जिसमें चुम्‍बकीय क्षेत्र और सही-सही वेग-मापन के लिए इन्‍फ्रा-रेड वेव लैंथ के अवलोकन में सहायता मिलती है। झील के आस-पास बहुत अच्‍छी  दृश्‍यता उपलब्‍ध है। झील के पानी के कारण जलवाष्‍प की मात्रा भी बहुत कम होती है तथा मानसून का भी इस पर असर नहीं होता।
      राष्‍ट्रीय वृहद् सौर टेलीस्‍कोप की यह परियोजना एक बहुत बड़ी परियोजना है, जिसमें भारतीय खगोल भौतिकी विज्ञान संस्‍थान, आर्यभट्ट परीवीक्षण विज्ञान संस्‍थान, टाटा मौलिक अनुसंधान संस्‍थान तथा खगोल शास्‍त्र और खगोल भौतिकी के लिए अंतर-विश्‍वविद्यालय केंद्र जैसे कई संस्‍थान शामिल हैं। इस परियोजना में 250 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा, जिसमें से अधिकतर राशि उपकरणों की खरीद पर खर्च होगी।
(पसूका विशेष लेख)
*लेखक एक स्‍वतंत्र लेखक हैं
नोट:- लेख में व्‍यक्‍त किये गए विचार लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे पसूका के विचारों से मेल खाते हों।   (पत्र सूचना कार्यालय)   02-अगस्त-2012 14:04 IST

Thursday, August 02, 2012

रक्षाबंधन के पर्व पर राष्‍ट्रपति ने किया आह्वान

महिलाओं की सुरक्षा और कल्‍याण प्रयासो को और बढ़ाया जाये 
राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने लोगों से महिलाओं की सुरक्षा और कल्‍याण प्रयासो को ओर अधिक करने का आह्वान किया है। श्री मुखर्जी आज राष्‍ट्रपति भवन में रक्षाबंधन के उपलक्ष्‍य में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि राखी स्‍नेह का एक धागा है जो बहनें भाईयों के हाथ पर बांधती है। हमें यह याद रखना चाहिए कि यह सिर्फ एक प्रथा न होकर एक शक्तिशाली प्रयास है जो प्रत्‍येक पुरूष को महिलाओं को सुरक्षा देने और सुरक्षित रखने की याद दिलाती है। मैं देश से महिलाओं की सुरक्षा और उनके कल्‍याण के प्रयासों को ओर अधिक करने का आह्वान करता हूं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे देश की महिलाएं हर समय सुरक्षित महसूस करें।

महिलाओं के पूरे अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्‍यक कदम उठाए जाने चाहिए। घृणित प्रथाएं जैसे महिला भ्रूण हत्‍या और दहेज हत्‍या की समाप्ति होनी चाहिए। बालिका शिशु का कल्‍याण हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।

इस पर्व के मौके पर हम सभी को शपथ देनी चाहिए कि हम सब भारत की सभी महिलाओं विशेष तौर पर बालिका शिशु की बेहतरी के प्रति खुद को समर्पित करेंगे।

इस समारोह में दिल्‍ली और आस पास के क्षेत्रों के विभिन्‍न स्‍कूलों के छात्रों और सामाजिक संगठनों ने भाग लिया। इस अवसर पर छात्रों ने गीत गाए और कविता पाठ किया और राष्‍ट्रपति के साथ बातचीत की और उन्‍हें राखी भी बांधी।     (पत्र सूचना कार्यालय) 
      02-अगस्त-2012 17:06 IST

एक उपलब्धि और

भारत विश्‍व में मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्‍ता
                                                                                                                                                               साभार चित्र 
90 करोड़ से भी अधिक उपभोक्‍ताओं के साथ भारत विश्‍व में मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्‍ता बन गया है। वर्ष 2011 में विश्‍व की कुल ऑनलाइन जनसंख्‍या का 10 प्रतिशत से भी अधिक हिस्‍सा भारत में रहा है। केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज लंदन में यह बात कही। ‘’स्‍वास्‍थ्‍य सूचनाविज्ञान की भूमिका-भारत में आम आदमी के लिए स्‍वास्‍थ्‍य किस प्रकार विशिष्‍ट है’’ नामक विषय पर स्‍वास्‍थ्‍य सेवा और जीवनविज्ञान वैश्विक व्‍यापार शिखर सम्‍मेलन में अपने संबोधन में श्री आजाद ने कहा कि भारत में मोबाइल दूरसंचार सुविधाओं में अत्‍यधिक वृद्धि दर्ज की गई है। देश के दूरस्‍थ क्षेत्रों में निर्धनतम परिवारों तक पहुंची यह सुविधा समावेशी विकास का एक उदाहरण है। केवल वर्ष 2011 में ही भारत में 14 करोड़ 20 लाख मोबाइल फोन के नये उपभोक्‍ता इस सेवा के साथ जुड़ गए थे, जो पूरे अफ्रीका के मोबाइल फोन ग्राहकों की तुलना में दुगुना है और अरब राज्‍यों, सीआईएस और यूरोप को एक साथ मिलाकर उनसे अधिक है। भारत में पूरे विश्‍व की तुलना में मोबाइल फोन पर लगने वाला शुल्‍क सबसे कम है।आम जनता तक, विशेषकर दूरस्‍थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक मोबाइल फोन की पहुंच को महत्‍व देते हुए भारत ने हाल में मौजूदा स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को बढ़ाने के लिए उसे सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रणालियों से जोड़ने की दिशा में कदम उठाए हैं। स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने नाम, पता और टेलिफोन आधारित जच्‍चा-बच्‍चा खोज प्रणाली (एमसीटीएस) नामक एक नयी पहल की शुरूआत की है, जो गर्भवती महिलाओं और अधिकतम पांच वर्ष की उम्र के बच्‍चों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य और रोग प्रतिरक्षण सेवाओं का संपूर्ण वितरण सुनिश्चित करने में सूचना प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल का एक विशिष्‍ट उदाहरण है। इन पहलों का शिशु म़त्‍युदर (आईएमआर) और मातृ मृत्‍युदर (एमएमआर) जैसे महत्‍वपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य संकेतों पर एक सकारात्‍मक प्रभाव कायम होगा। 
(पत्र सूचना कार्यालय)   02-अगस्त-2012 20:00 IST

......और राखी पर आतंकी हमला ...!

राखी के पावन मौके पर हुए बम धमाकों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि  आतंकी कभी भी कहीं भी खुल खेल सकते हैं। धमाकों की खबर को देश विदेश के मीडिया ने  प्रमुखता से प्रकशित की है। जालन्धर से प्रकशित लोकप्रिय समाचार पत्र दैनिक पंजाब केसरी ने भी यह खबर अपने मुख्य पृष्ठ पर प्रकशित की है। 

अँधेरे में चमका पूर्णिमा का चाँद

दृष्टि की अहमियत वही समझ सकते हैं जिनके पास दृष्टि नहीं होती।  आँखों में अँधेरा और दिल में रौशनी से प्यार रौशनी की चाह और सोते जागते बस एक ही सपना रौशनी का। हर पल रौशनी का ध्यान, रौशनी से लगाव, राशनी की ही लग्न।.....इस सब का परिणाम होता है की हर पल अँधेरे में जीने वाले इन लोगों के अंदर एक अलौकिक सी रौश्निरौशनी पैदा हो जाती है। इतनी छोटी सी उम्र में देश के सर्वोच्च पद पर आसीन महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भेंट इस आंतरिक रौशनी का ही करिश्मा है। बहाना बना रक्षा बंधन का पावन दिन और  हुई राष्ट्रपति जी से। देश के प्रमुख को राखी बाँध पाना इन सब बच्चियों के लिए एक यादगारी दिवस बन गया।  इस अवसर पर वहां मौजूद पत्र सूचना कार्यालय के कैमरा मैं ने इन पलों को हमेशां के लिए अपने कैमरे में संजो लिया। बहुतही स्नेह के साथ राखी बंधवा रागे महामहिम मानों पूरे समाज को एक संदेश दे रहे हों ...अँधेरे में जो बैठे हैं।..नजर उन पर भी कुछ डालो।...अरे ओ रौशनी वालो।.....!... --रेक्टर कथूरिता   (PIB 02-August-2012

भूमि हस्‍तांतरण नीति में छूट की मंजूरी

प्रधानमंत्री ने महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं की बाधाएँ दूर की 
प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने सरकारी स्‍वामित्‍व वाली भूमि के लिए सरकारी भूमि हस्‍तांतरण नीति में छूट की मंजूरी दे दी है, ताकि ढांचागत परियोजनाओं को प्रक्रियागत देरी का सामना न करना पड़े।

पिछले वर्ष के प्रारंभ में सिर्फ उन मामलों को छोड़कर सरकारी स्‍वामित्‍व वाली भूमि के सभी तरह के हस्‍तांतरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जहां भूमि एक सरकारी विभाग से दूसरे सरकारी विभाग को दी जानी थी। इस बीच, आर्थिक मामलों के विभाग ने सरकारी स्‍वामित्‍व वाली भूमि के लिए व्‍यापक भूमि हस्‍तांतरण नीति तैयार की। यदि किसी विभाग को कोई परियोजना लागू करनी हो जिसके लिए भूमि को लीज़, लाइसेंस या किराय पर लेना है तो ऐसे मामले में उसे मंत्रिमंडल की विशेष मंजूरी लेनी होती थी।

इसके कारण ढांचागत परियोजनाओं खासतौर से सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं के लिए अनुमति देने में देरी हो रही थी। सड़क , रेल, बंदरगाह, नागरिक उड्यन और मेट्रो जैसी सभी सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली ढांचागत परियोजनाओं को भूमि के हस्‍तांतरण की जरूरत होती है, क्‍योंकि ऐसी सभी परियोजनाएं प्राय: सरकारी भूमि पर बनाई जाती हैं। लीज़ पर लेने या देने के बाद भी भूमि पर सरकार का स्‍वामित्‍व जारी रहता है। प्रत्‍येक सार्वजनिक निजी भागीदारी वाली परियोजना के लिए मंत्रिमंडल की अनुमति लेने की प्रक्रिया में कुछ महीनों का समय लग जाता है।

इसलिए प्रधानमंत्री ने भूमि हस्‍तांतरण की मंजूरी देने के लिए कुछ विशिष्‍ट श्रेणी की परियोजनाओं के लिए प्रतिबंध में छूट देने का फैसला किया है। यह योजनाएं इस प्रकार हैं- 1. मंत्रालयों से वैधानिक प्राधिकरणों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को भूमि के हस्‍तांतरण के सभी मामलों को अनुमति दी जाएगी, बशर्ते भारत सरकार के सामान्‍य नियमों की अपेक्षाएं पूरी होती हों।

2. लीज़ या किराए या लाइसेंस पर छूट लेने वाले को भूमि हस्‍तांतरण के सभी मामले जो सार्वजनिक निजी भागीदारी मूल्यांकन समिति के जरिए आकलित किए गए हों तथा वित्‍त मंत्रालय या संबंधित मंत्रालयों या मंत्रिमंडल (जैसा भी मामला हो) के जरिए परियोजना के मूल्‍य के आधार पर स्‍वीकार की गर्इ हों।

3. रेलवे संशोधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों और उसके बाद इसके तहत बनाए गए नियमों तथा रेल मंत्रालय और भारत सरकार की प्रचलित नीतियों तथा दिशा निर्देशों के अनुरूप रेल भूमि विकास प्राधिकरण द्वारा रेल भूमि का विकास तथा इस्‍तेमाल।

इस फैसले से इस महीने से सार्वजनिक निजी भा‍गीदारी की परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा।

(पीआईबी)            02-अगस्त-2012 14:10 IST

Wednesday, August 01, 2012

एक उम्मीद के उद्घाटन पर स्वास्थ्य मंत्री का वादा

मिलावट करने वालों को किसी भी हालत में नहीं नहीं बख्शेंगे: मित्तल
एक उम्मीद का उद्घाटन:सर पर मंच पर सुशोभित हैं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मदन मोहन मित्तल और अन्य प्


स्वास्थ्य मंत्री श्री मदन मोहन मित्तल को सुस्वागतम कहे जाने की एक यादगारी तस्वीर 
निखिल सिघल नोबल ट्रस्ट की और से प्रायोजित एक उम्मीद इमारत का उद्घाटन करते स्वास्थ्य मंत्री एम एम मित्तल 
के ऍफ़ सी के खिलाफ ज्ञापन देने आये यूथ कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों से घिरी स्वास्थ्य मंत्री श्री मित्तल की कार 
लुधियाना : राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने व मिलावट करने वालों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। कोई भी बड़ा हो या छोटा जनता के स्वास्थ्य से किसी को भी खिलवाड़ करने की इज़ाज़त किसी को भी नहीं दी जाएगी। यह बात सेहत मंत्री मदन मोहन मित्तल ने बुधवार पहली अगस्त 2012 को  सिविल अस्पताल परिसर में एक आयोजन के दौरान मंच से कही। यह आयोजन निखिल सिंघल नोबल ट्रस्ट की ओर से बनाए गए नए भवन एक उम्मीद का उद्घाटन करने के शुभ अवसर पर किया गया था।  उन्होंने कहा कि पंद्रह अगस्त से राज्य की सभी जेलों में बंद महिला कैदियों के स्वास्थ की जांच लिए महिला डाक्टर नियुक्त की जाएंगी टंकी महिला रोगी अपनी बीमारी के बारे में खुल कर बता सकें और उनका इलाज सही वक्त  पर सही ढंग से हो सके। सभी सिवल अस्पतालों में कम से कम एक महिला डाक्टर, एक बाल  रोग विशेषज्ञ और एक सर्जन की नियुक्ति को भी आवश्यक घोषित किया गया। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में कम से कम दो डाक्टर और न्यूनतम इलाज भी अवशयक करार दिए गए। सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश जारी किए गए हैं कि अस्पताल में आने वाले बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गो का विशेष ध्यान रखा जाए। लडकों और लडकियों की जन्म दर अनुपात में अंतर को कम करने के लिए उनहोंने बहुत जोर दिया। में 108 नम्बर एम्बुलेंस को बहुत ही चमत्कारी बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गाँव हो या शहर यह बैन आधे घंटे में बताये गए स्थान पर पहुँच जाती है और गर्भवती महिला को घर से सिवल अस्पताल ले आती है। प्रसूति के बाद फिर उस महिला और बच्चे को घर छोड़ कर भी आती है। साथ ही उस परिवार को मन और बच्चे की परवरिश के लिए एक हजार रूपये भी दिए जाते हैं। नशे की बुराई कोजड से उखाड़ने के लिए  श्री मित्तल ने कहा कि इन बच्चों को नशे के चंगुल से निकलने के लिए मनो वैज्ञानिक  ढंग तरीकों का इस्तेमाल भी जरूरी है। अकेले कानून या द्वयों से समस्या हल न होगी। जब तक मन में नशे से दूर होने की तडप न उठे तब तक बाकी उपाए अधिक समय तक कारगर नहीं रहते। स्वास्थ्य पर जोर देते हुए श्री मित्तल ने कहा की जब तक शरीर तंदरुस्त न हो तब तक अच्छा दिमाग या अच्छा मन भी कुछ ज्यादा अच्छा करके नहीं दिखा सकते। श्री मित्तल की बारें सुनते हुए लगता था की उन्होंने  इस सब पर गहन अध्यन किया है और कई नए प्रेक्टिकल तरीकों की खोज भी की है। अगर उस दिन रोष प्रदर्शनों का शोरुगुल और डिस्टर्बेंस न होती तो शायद वह इस बेहद अवशयक विषय पर काफी कुछ और भी बताते।इस मौके पर पूर्व सेहत मंत्री सतपाल गोसाई भी मौजूद थे। उन्होंने एक बड़ी कम्पनी के बर्गर में से एक छोटा सा सांप नीलने के मामले पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मीडिया से कहा कि  अगर सारा मामला उनके पास लाया जाये तो वह सरकार के हात्नों ही सरकार से अधिक सख्त कारवाई करायेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा की मिलावट करने वाला देश का दुश्मन है उसे छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अपने इस दौरे का दौरान स्वास्थ्य मंत्री प्रदर्शनकारियों के अंदाज़ से कुछ खफा नज़र आये। उन्हें यह बात बहुत बुरी लगे की प्रदर्शकारी अपना ज्ञापन मीडीया को साथ अ कर या दिखा कर देना चाहते हैं।  सिविल सर्जन डा. सुभाष बत्ता और भाजपा के जिला प्रधान प्रवीण बांसल सहित कई अन्य अधिकारी व नेता भी मौजूद थे। जैसा कि आम तौर पर होता है जल पान का प्रबंध बहुत ही अव्यवस्थित था। खाने पीने का सामान कम नहीं पर  पर हर एक तक पहुँचाने के मामले में गडबडी हो रही थी। मेहमान खड़े देख रहे थे और बिन बुलाये बहुत से लोग सामान पर झपट रहे थे। इस सब कुछ के बावजूद कुल मिला कर यह भी एक यादगारी आयोजन रहा।-रेक्टर कथूरिया 

पेप्सी-कोक की लूट का षड्यन्त्

कोक द्वारा भूगर्भ जल का अंधाधुंध दोहन 
सामान्य रूप से पेप्सी कोला की एक बोतल बनाकर बेचने में 10 लीटर पानी का खर्चा आता है। हालांकि बोतल में 300 मिली॰ ही पेय होता है बाकी पानी बोतल को धोने में तथा अन्य मशीनरी प्रयोग में खर्च होता है। भारत देश में पेप्सी कोला की लगभग 600 से 700 करोड़ बोतल प्रतिवर्ष बिकती हैं। अर्थात भारत में प्रतिवर्ष 6000 से 7000 करोड़ लीटर पानी प्रतिवर्ष इन कोला कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।

"सेंट्रल ग्राउंड वॉटर एथॉरिटी" का कहना है की सरकार इन कोला कंपनियों से भूगर्भ जल के इस्तेमाल का कोई शुल्क नहीं लेती है, जबकि खेतों में भी पानी छोडने का टैक्स सरकार्ड द्वारा लिया जाता है। कितनी आश्चर्य की बात की एक तरफ पेप्सी और कोला जैसी विदेशी कंपनियां भारत के बेशकीमती भूगर्भ जल का इस्तेमाल करके हजारों करोड़ कमा रही हैं और हमारी सरकार इस पानी पर कंपनियों से कोई शुल्क नहीं ले रही हैं। दूसरी ओर भारत देश के 2 लाख से अधिक गाँव पीने के पानी से भी वंचित हैं। जिस पानी से भारत के लाखों लोगों एवं पशुओं की प्यास बुझाने का इंतेजाम हो सकता है, वही बेशकीमती पानी ज़मीन से दोहन करके ठंडे पेयोन में बर्बाद किया जा रहा है जिसका पैसा भी अमेरिका जा रहा है।

इस भूगर्भ जल पर पहला अधिकार भारतवासियों एवं पशुओं का है जिन्हें अपनी प्यास बुझाने के लिए इस जल की जरूरत है। दूसरा अधिकार उन करोड़ों किसानों का है जो देश के लोगों का पेट भरने के लिए इस जल का प्रयोग करते हैं। तीसरा अधिकार यदि हो सकता है तो उन उद्योगों का है जो हमारे जीवन के लिए अत्यंत जरूरी एवं उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। ठंडे पेय कोई जरूरी उद्योग नहीं हैं।

जिस देश के अधिकांश भागों में औसतन हर साल सूखा पड़ता हो, जिस देश के लाखों गाँव एवं करोड़ों मनुष्य, पशु, पक्षी पीने के पनि को तरसते हों वहाँ हर साल ठंडे पेय के नाम पर हजारों करोड़ लीटर पानी को बर्बाद करना एक "राष्ट्रीय अपराध" है।

पेप्सी- कोला के कारखाने जहां जहां भी लगे हुए हैं वहाँ की ग्राम पंचायत, नगर परिषद से भूगर्भ जल निकालने की अनुमति भी इन कंपनियों ने नही ली है। इन कंपनियों द्वारा प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी निकालने से संयंत्र के आस पास के गाँवों का भूगर्भ जल बहुत ही कम हो जाता है, इसी कारण केरल के प्लाचीमडा गाँव में कोका कोला को संयंत्र को बंद कराने के लिए आंदोलन हुआ था।

पेप्सी-कोक की लूट के षड्यन्त्र को जानने के लिए पढे:
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सोचिए जरा !!
स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ............स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओ