Wednesday, March 28, 2012

विनिर्माण क्षेत्र के सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यम

इन उद्यमों को डिज़ाइन विशेषज्ञता प्रदान करने के‍ लिए डिज़ाइन क्लिनिक योजना -विशेष-लेख    
·         योजना का कुल बजट 73.58 करोड़ रु. है, जिसमें से 49.08 करोड़ रु. की सरकारी सहायता दी जाएगी तथा शेष राशि लाभार्थी सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों द्वारा अंशदान की जाएगी।
·         योजना के तहत करीब 200 कलस्‍टरों को शामिल किया जाएगा।
उद्देश्‍य
·         सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यम क्षेत्र तथा डिजाइन विशेषज्ञता को सामान्‍य प्‍लेटफार्म पर लाना।
·         वर्तमान उत्‍पाद हेतु विशेषज्ञ की सलाह मुहैया कराना तथा डिजाइन से संबंधित समस्‍या का समाधान निकालना, इसके परिणामस्‍वरूप इसमें लगातार सुधार तथा इसकी कीमत में वृद्धि होना।
गतिविधियां
·         सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यम क्षेत्र की डिजाइन आवश्‍यकताओं पर हस्‍तक्षेप के लिए
चार क्षेत्रीय केन्‍द्रों के साथ-साथ डिजाइन क्लिनिक्‍स केन्‍द्र की स्‍थापना।
·         एएस एवं डीसी (एम एस एम ई) की अध्‍यक्षता के तहत गठित परियोजना निगरानी एवं सलाहकार समिति, (पीएमएसी) दिल्‍ली तथा क्षेत्रीय केन्‍द्रों में डिजाइन केन्‍द्र की स्थापना के लिए प्रस्‍तावों के अनुमोदन के लिए उत्‍तरदायी रहेगी, संगोष्‍ठी एवं डिजाइनरों/डिजाइन सलाह‍कारों/डिजाइन संस्‍थाओं के प्रस्‍तावों का अनुमोदन करेगी, व्‍यक्तिगत सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों/एमएसएमई के समूह/विद्यार्थियों, आदि के लिए डिजाइन परियोजनाओं की मंजूरी प्रदान करेगी।
·         योजना के लिए राष्‍ट्रीय डिजाइन संस्‍थान (एनआईडी), अहमदाबाद को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
डिजाइन जागरूकता- संगोष्‍ठी और कार्यशाला 
·         प्रत्‍येक संगोष्‍ठी के संचालन के लिए रु. 60,000/- (साठ हजार रु. मात्र) से अनधिक सरकारी अंशदान मान्‍य होगा।
·         कार्यशाला के संचालन के‍लिए (डिजाइन आवश्‍यकता आकलन सर्वेक्षण रिपोर्ट समेत) मान्‍य लागत की 75 प्रतिशत तक सरकारी सहायता जो 4,00,000 रु. (चार लाख रु. मात्र) तक प्रतिबन्द्धित । बाकी की राशि सहभागी सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों द्वारा वहन की जाएगी।
डिजाइन परियोजनाएं
·         व्‍यक्तिगत सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यम या तीन एमएसएमई आवेदकों से अनधिक के समूह के मामले में कुल अनुमोदित परियोजना लागत का अधिकतम 60 प्रतिशत या 9.0 लाख रु., इनमें से जो कम हो अनुदान के रूप में दिया जाएगा।
·         चार या अधिक सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यम आवेदकों के समूह के मामले में कुल अनुमोदित परियोजना लागत का अधिकतम 60 प्रतिशत तक या 15 लाख रु. मात्र,  इनमें से जो भी कम हो की सहायता दी जाएगी।
·         योजना के तहत सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों के लिए अंतिम वर्ष के छात्र की अनुमोदित परियोजनाओं के संबंध में खर्च की गई राशि के 75 प्रतिशत तक (अधिकतम 1.5 लाख रु. तक) सरकारी सहायता दी जाएगी। (पीआईबी) 27-मार्च-2012 19:56 IST

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सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यम मंत्रालय से प्राप्‍त जानकारी के आधार पर

Tuesday, March 27, 2012

गंगा सेवा मिशन अब लुधियाना में भी हुआ सक्रिय

हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है
केवल धर्म शास्त्र ही नहीं फ़िल्मी दुनिया के लोग भी कल कल बहती पावन गंगा जी की धारा के सामने नतमस्तक होते रहे हैं. पूरे समाज के लोग गंगा जी से प्रभावित होते भी रहे हैं और दूसरों को प्रभावित करते भी रहे. कभी जमाना था जब देश के बच्चे बच्चे की जुबान पर बस यही गीत हुआ करता था...हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है. एक भारतीय होने की बस यही पहचान काफी थी. गंगा जी के देश का वासी होना बस यही गर्व काफी था. दुनिया के सामने सर उठा कर चलने के लिए बस यही प्रमाणपत्र पर्याप्त था किसी और चीज़ की ज़रुरत महसूस भी नहीं होती थी. गंगा जी के दर्शन सारी चिंता को दूर कर देते, गंगा स्नान से तन मन के सारे ताप दूर हो जाते. लोग प्रेम की दुनिया में भी उतरते तो बस यही कामना करते गंगा मैया में जब तक ये पानी रहे मेरे सज्जना तेरी जिंदगानी रहे.....!
लोगों के दिल से बस यही आवाज़ निकलती..गंगा तेरा पानी अमृत कल कल बहता जाए. पर यह सुखद हकीकत जल्द ही सपना बनने लगी. हालात बदलने लगे. देश को शक्ति व प्रेरणा देने वाले स्रोतों पर वार करने की साजिशें सफल होने लगी. गंगा जी के पावन शीतल जल को नकार कर बोतल में बंद पानी बेचने के कारोबार खड़े होने लगे. स्विमिंग पूल में नहाने की संस्कृति ने ऐसा सर उठाया कि  लोग माँ गंगा जी के पावन आँचल से ही दूर होने लगे. गंगा स्नान बस व्रत त्योहारों की बात बनने  लगा. लोग गंगा और यमुना से जुड़े सम्बन्धों को तेज़ी से भूलने लगे. जब जब भी घर में गंगा जल आता तो बच्चे पूछते यह क्या है? यह क्यूं है?  इससे से क्या होने वाला है?
जमाना ऐसा बदला और हालत बेहद तेज़ी से बिगड़ने लगी. देश के दुश्मनों की साजिश और देश के सपूतों की अज्ञानता कि गंगा जी की शक्ति को समाप्त  करने के कुप्रयास होने लगे. देश के कलमकारों ने, फिल्मकारों ने वक्त पर आगाह भी किया और तडप कर कहा...राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पाप धोते धोते. पर न पाप रुका और न ही पाप में लगे लोग. देश ऐसा सोया कि न अपनी सुध रही और न ही गंगा जी की. देश का जल, देश की वायु, देश का अन्न, देश का मन सब कुछ प्रदूषित होता चला गया पर देश के कर्णधार सोते रहे सोते रहे. देश कि युवा शक्ति को गंगा जी कि पावन धारा से तोड़ कर नशे कि धारा में डुबोने कि सुनियोजित साजिशें सफल होने लगीं. गंगा पुत्र निगमानन्द जी का बलिदान भी इन्हें जगाने में नाकाम रहा. गंगा यमुना से भावुक तौर पर टूटा भारतीय मानव पूरी तरह भावहीन होता गया, कारोबारी बनता गया और धर्म व संस्कारों से पूरी तरह टूटने लगा. आज अगर अश्लीलता बढ़ रही है, भाई भाई पर वार कर रहा है, पिता पुत्री से सम्बन्ध बना रहा है तो इसके गहरे अर्थ यहाँ भी जुड़े हैं. गंगा जी कि पावन धरा से टूट कर, पर्यादा को भूल कर यही होने वाला था. गंगा यमुना छूटी तो स्नेह भी छूट गया और भावना भी. पवित्रता का वह अहसास भी और मंजिलें पाने का वह असीम जोश भी.
अप्रैल 1985 में शुरू हुए गंगा एक्शन प्लान पर 1200 करोड़ रूपये खर्च हुए पर समस्या हल होने कि बजाये लगातार गंभीर होती चली गई. लेकिन इन सरे प्रयासों में बहुत कुछ ऐसा भी हुआ जिसे उल्लेखनीय कहा जा सकता है.गंगा बचायो अभियान से जुड़े लोगों और संगठनों में गंगा सेवा मिशन भी है. स्वामी आंनद स्वरूप जी कहते हैं गंगा सिर्फ नदी नहीं एक संस्कृति है। गंगा से लगाव उनका बचपन से है। गंगा की लहरों ने उन्हें सदैव आकर्षित किया है। यही कारण है कि उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गिरिधर मालवीय के साथ इलाहाबाद में वर्ष 1998 में गंगा समर्पण संस्थान के माध्यम से गंगा की पवित्रता के लिए काम शुरू किया। मालवीय इसके अध्यक्ष थे। इसके पूर्व महामंडलेश्वर स्वामी महेश्वरानंद ने हरिद्वार कुंभ 1998 में जब गंगा में कुत्ते की लाश देखी तो आहत होकर कहा, गंगा के लिए कुछ करो। बाद में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की प्रेरणा से तो इस संकल्प ने अभियान का रूप ले लिया। शुरू में गंगा सेवा अभियान के माध्यम से इलाहाबाद, पटना, हरिद्वार, रामपुर आदि स्थानों पर सम्मेलन आयोजित किए गए। गंगा सेवा मिशन की स्थापना के बाद अभियान में तेजी आई। 26 दिसंबर 2010 को काशी से गंगा की पवित्रता के लिए एक बड़ी यात्रा शुरू हुई। इसमें बड़ी संख्या में संत और गृहस्थ शामिल हुए। इस यात्रा की समाप्ति मथुरा में हुई। वहां गोवर्धन पीठ में स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती की अध्यक्षता में बड़ा सम्मेलन हुआ। इसके बाद हरियाणा के परहवा में शिवशक्ति महायज्ञ हुआ। 
इस सारे अभियान की अंतरात्मा से जुड़े स्वामी आनन्द स्वरूप जी आजकल लुधियाना में है. नवरात्र के शुभ अवसर पर गंगा सेवा मिशन की अलख जगाते हुए स्वामी इस मुद्दे के सभी पहलूयों  पर विस्तार से जानकारी दे रहे है तन की लोगों में जागरूकता आ सके. उनके इस मिशन में बहुत से लोग शामिल हैं लेकिन ठाकुर परिबार का नाम लेना आवश्यक है. युवा मन और जोश के साथ आरती ठाकुर भी इस मिशन को सफल बनाने में जुटी है और आरती का परिवार भी.--रेक्टर कथूरिया सहयोग: आरती ठाकुर  

Monday, March 26, 2012

इडिंठकरई में चल रहे उपवास के समर्थन में

सात दिवसी देश व्यापी उपवास  जगह-जगह विरोध
कूड़ंकुलम में सक्रिय परमाणु विरोधी अभियान गरमाया मार्च २६, नयी दिल्ली : कूड़ंकुलम परमाणु बिजलीघर के विरोध में इडिंठकरई, तमिल नाडु में चल रहे उपवास के समर्थन में, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, परमाणु निशस्त्रीकरण और शांति के लिए गठबंधन, लोक राजनीति मंच और दिल्ली समर्थक समूह ने संयुक्त रूप से जंतर मंतर, दिल्ली, पर 26 मार्च से 1 अप्रैल 2012 तक सात दिवसीय उपवास का आह्वान दिया है। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय समन्वयक और प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने आज से जंतर मंतर पर सात दिन का उपवास सुरु किया है | इन सात दिनों में अन्य कई लोग क्रमिक अनशन भी करेंगे |


कूड़ंकुलम परमाणु बिजलीघर के विरोध में चेन्नई में भी लोग उपवास पर हैं और मुंबई में प्रख्यात फिल्म निर्माता आनंद पटवर्धन दादर रेलवे स्टेशन के सामने विरोध का नेतृत्व करेंगे। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय आन्ध्र प्रदेश ने २७ मार्च को शाम ६ बजे से ८ बजे तक एक प्रदर्शन और मोमबती जुलूस निकलने का भी कार्यक्रम आंबेडकर मूर्ती, टैंक बंद, हैदराबाद में किया है |
कूड़ंकुलम परमाणु बिजली घर के विरोध में, 27 मार्च 2012 को एक दिवसीय उपवास का आयोजन देश में जगह जगह होगा।


यह विडम्बना ही तो है कि एक तरफ भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में, श्री लंका में तमिल लोगों के ऊपर हुए अत्याचार का मुद्दा उठाया है, परंतु देश के भीतर तमिल नाडु में परमाणु बिजली घर बनाने की जिद्द पर भारत अड़ा हुआ है जिसकी वजह से तमिल नाडु में रह रहे लोग खतरनाक परमाणु दुष्परिणामों को आने वाले सालों में भुगत सकते हैं।


हम भारत सरकार के गैर लोकतान्त्रिक ढंग से परमाणु ऊर्जा थोपने के प्रयास का विरोध करते हैं। अमरीका और यूरोप में जब भारी संख्या में आम लोग सड़क पर उतार आए तब उनकी सरकारों को परमाणु ऊर्जा त्यागनी पड़ी परंतु भारत में जब आम लोग परमाणु ऊर्जा पर सवाल उठा रहे हैं तो उनकी आवाज़ दबाने का प्रयास किया जा रहा है। कुडनकुलम, तमिल नाडु के डॉ उदयकुमार के नेतृत्व में परमाणु ऊर्जा के विरोध में जन अभियान को भारत सरकार ने भ्रामक आरोपों आदि द्वारा दबाने का पूरा प्रयास किया है। जब कि डॉ उदयकुमार ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है और उनके पास ‘एफ.सी.आर.ए.’ ही नहीं है जिससे ‘विदेशी पैसा’ लिया जा सके। यह भी साफ ज़ाहिर है कि भारत सरकार स्वयं ‘विदेशी’ ताकतों (जैसे कि अमरीका, रूस, आदि) के साथ मिलजुल कर सैन्यीकरण और परमाणु कार्यक्रम बढ़ा रही है।


भारत सरकार ने एक जर्मन नागरिक को जिसने शांतिपूर्वक कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा विरोधी अभियान में भाग लिया था, उसको पकड़ कर वापिस जर्मनी भेज दिया। 8 मार्च 2012 को भारत सरकार ने एक जापानी नागरिक का वीसा भी रद्द कर दिया। ‘ग्रीनपीस’ के निमंत्रण पर फुकुशिमा,जापान में 11 मार्च 2011 को हुई परमाणु दुर्घटना झेले हुए माया कोबायाशी को भारत सरकार ने 15 फरवरी 2012 को ‘बिजनेस’ वीसा दिया था जिससे कि वो भारत में एक सप्ताह आ कर जगह-जगह आयोजित कार्यक्रमों में परमाणु विकिरण आदि खतरों के बारे में बता सकें। परंतु 8 मार्च 2012 को भारत ने उनका वीसा ही रद्द कर दिया।


हाल हे में तमिल नाडु मुख्य मंत्री द्वारा डॉ एस.पी. उदयकुमार को नक्सलवादी करार करने का प्रयास यह ज़ाहिर करता है कि सरकार परमाणु कार्यक्रम को लागू करने के लिए कितनी मजबूर है। हम सरकार के आम लोगों को गुमराह करने का और परमाणु कार्यक्रम में पारदर्शिता नहीं रखने का भरसक विरोध करते हैं।


अब विकसित दुनिया यह मानने लगी है कि निम्न चार कारणों से नाभिकीय ऊर्जा का कोई भविष्य नहीं हैः (1) इसका अत्याधिक खर्चीला होना, (2) मनुष्य स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए खतरनाक, (3) नाभिकीय शस्त्र के प्रसार में इसकी भूमिका से जुड़े खतरे, व  (4) रेडियोधर्मी कचरे के दीर्घकालिक निपटारे की चुनौती।


भारत को नाभिकीय ऊर्जा का विकल्प ढूँढना चाहिए जो इतने खर्चीले व खतरनाक न हों। पुनर्प्राप्य ऊर्जा के संसाधन, जैसे सौर, पवन, बायोमास, बायोगैस, आदि, ही समाधान प्रदान कर सकते हैं यह मान कर यूरोप व जापान तो इस क्षेत्र में गम्भीर शोध कर रहे हैं। भारत को भी चाहिए कि इन विकसित देशों के अनुभव से सीखते हुए नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में अमरीका व यूरोप की कम्पनियों का बाजार बनने के बजाए हम भी पुनर्प्राप्य ऊर्जा संसाधनों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करें। भारत को ऐसी ऊर्जा नीति अपनानी चाहिए जिसमें कार्बन उत्सर्जन न हो और परमाणु विकिरण के खतरे भी न हो।


हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि परमाणु ऊर्जा के मुद्दे पर लोकतान्त्रिक तरीके से खुली बहस करवाए और जब तक यह सर्व सम्मति से निर्णय नहीं होता कि भारत को परमाणु कार्यक्रम चलना चाहिए या नहीं, परमाणु कार्यक्रम को स्थगित करे।


जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, परमाणु निशस्त्रीकरण और शांति के लिए गठबंधन, और लोक राजनीति मंच


अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: पी.के. सुंदरम 9810556134, रमेश शर्मा 9818111562, मधुरेश कुमार ९८१८९०५३१६, विजयन एम् जे 9582862682

Sunday, March 25, 2012

केन्द्रीय बजट और ग्रामीण भारत//राजीव गुप्ता का विशेष लेख

ग्रामीण भारत से जुड़ाव दिखाने का प्रयास और हकीकत
                                                                                                                     तस्वीर भारत जल पोर्टल से साभार 
पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन से सबक लेते हुए एवं  रेल बजट से उत्पन्न हुए गर्म सियासी माहौल के बीच वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने यूपीए सरकार की दूसरी पारी का तीसरा बजट पेश करते हुए अपने को आम आदमी अर्थात ग्रामीण भारत से जुड़ाव दिखाने का प्रयास किया ! हालाँकि ग्रामीण भारत के लिए जितनी घोषणाएं वित्त मंत्री ने की है वह अभी अपर्याप्त है परन्तु फिर भी कुछ हद तक स्वागत योग्य है लेकिन यह भी कड़वा सच है आने वाले समय में महंगाई की मार से आम आदमी फिर से और त्रस्त होगा क्योंकि वित्त मंत्री द्वारा सेवा कर में दो प्रतिशत (पहले दस प्रतिशत थी अब बारह प्रतिशत हो जायेगी ) की वृद्धि के प्रयोजन के साथ  - साथ आम जनता को दी जा रही  सब्सिडी में कटौती का बंदोबस्त कर दिया गया है जिसके कारण लोक - लुभावनी घोषणाओं के साथ - साथ महंगाई का दंश झेल रहा आम आदमी की जेब अब और भी ढीली होगी ! या यूं कहा जाय कि मामला अब एक हाथ दे और एक हाथ ले का हो गया है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी !
लेखक: राजीव गुप्ता 
बहरहाल इस बजट से कुछ हद तक किसानो को जरूर फायदा होगा और अब किसानों को किसानी घाटे का सौदा नहीं रह जायेगा ! ज्ञातव्य है कि एन एस एस ओ की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 41 फीसदी किसान अपनी किसानी छोड़ना चाहते है ! 2.5 की ग्रोथ दर से कृषि क्षेत्र जहां अपनी सांसे गिन रहा था तो ऐसे में कृषि एवं सहकारिता विकास के लिए वित्त मंत्री द्वारा चालू वित्त वर्ष आयोजना परिव्यय को 18 फीसदी बढाकर 17123 करोड़ रूपये (2011 -2012 ) से 20 ,208 करोड़ रुपये (2012 -2013 ) करने के साथ-साथ कृषि कर्ज में  भी 1 ,00 ,000  करोड़ रुपये का इजाफा करते हुए 4,75,000 करोड़ रुपये (2011 -2012 ) से 5,75,000 करोड़ रुपये (2012 -2013 ) की व्यवस्था कर दी गयी है जिससे कुछ हद तक सूदखोरों से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है ! साथ ही किसानों को प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की दर पर अल्पावधि फसल ऋण के लिए ब्याज आर्थिक सहायता को जारी रखा गया है एवं कर्ज समय से चुकाने वाले किसानो को 3 प्रतिशत की अतिरिक्त राहत की व्यवस्था की जायेगी ! 
यूरिया उत्पादन - क्षेत्र में अगले पांच वर्ष में आत्म निर्भरता का लक्ष्य स्वागत योग्य है क्योंकि अभी तक लगभग 25 प्रतिशत यूरिया आयत किया जाता है साथ ही उर्वरक सब्सिडी किसानो और रिटेलरों को सीधे देने की घोषणा भी स्वागत योग्य है क्योंकि अभी तक ऐसा माना जाता था कि उर्वरक सब्सिडी के 40 प्रतिशत से ही किसान लाभान्वित होते थे बाकी 60 प्रतिशत उर्वरक उद्योग  उर्वरक सब्सिडी का लाभ उठाते थे ! सरकार ने नंदन नीलकणि जो कि आईटी नीति से संबंधित है की अध्यक्षता वाले कार्यबल की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा है कि सब्सिडी का सीधा अंतरण किया जायेगा और इनके आधार पर एक  मोबाइल आधारित उर्वरक प्रबंध प्रणाली तैयार की गई है जिसे 2012 में पूरे देश में लागू किया जाएगा !  उर्वरकों के दुरूपयोग में कमी और सब्सिडियों पर व्यय कम करने के उपायों से 12 करोड़ किसान परिवारों को लाभ होगा ! वित्त मंत्री ने आगामी वित्त वर्ष 2012 -2013 में कृषि क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए कई लुभावनी घोषणाएं की है जो कि स्वागत योग्य है !
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक - नाबार्ड
समन्वित ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण क्षेत्र में संमृद्धि सुनिश्चित करने हेतु कृषि , लघु उद्योगों , कुटीर एवं ग्रामोद्योगों हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प कलाओं के विकास में आने वाली ऋण समस्याओ के निपटान हेतु बनाई  गयी इस योजना को वित्त मंत्री ने 10 ,000 हजार करोड़ रुपये प्रावधान किया है !
किसान क्रेडिट कार्ड - केसीसी
किसान क्रेडिट कार्ड - केसीसी  का उद्देश्य मौसमी कृषि परिचालनो के लिए  पर्याप्त , कम लागत पर और समय पर बिना किसी झंझट के अल्पावधि ऋण प्राप्त करने में कृषको को होने वाली कठिनाइयों को दूर करना है ! मौखिक पट्टेदार , काश्तकारों और बटाईदारों आसी सहित सभी कृषक वर्गों को इस योजना में शामिल किया गया है ! कृषि यंत्र , खाद व अन्य खेती से जुड़े समानो की खरीदारी के लिए उपयोग में आने वाला किसान क्रेडिट कार्ड से अब एटीएम की तर्ज पर नकदी भी प्राप्त किया जा सकेगा ! इससे किसानो को फसल के समय कृषि यंत्र, बीज, उर्वरक इत्यादि के लिए ऊंचे दरों पर ब्याज लेने की आवश्यकता नहीं होगी ! साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड की खरीद सीमा बढ़ाने पर भी सरकार विचार कर रही है ! गौरतलब है कि वर्तमान समय में किसानो को 25 ,000 रूपये तक की सीमा का किसान क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है !
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम - मनरेगा
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम - मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हर एकल परिवार जिसमे माता , पिता और उन पर आश्रित बच्चे शामिल है का साल में सौ दिन का अकुशल शारीरिक काम मांगने और प्राप्त करने का हक बनता है ! इसके अंतर्गत उपेक्षित समूहों को रोजगार प्रदान किया गया ! फरवरी 2011 तक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की भागीदारी क्रमशः 28 व 24  प्रतिशत रही वही महिलाओ की भागीदारी वित्त वर्ष 2010 -2011 में 47 प्रतिशत तक हो गयी ! ऐसा कहा जाता है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम - मनरेगा से पलायन रोकने में काफी मदद मिली है ! इस महत्वपूर्ण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लिए आगामी वित्त वर्ष 2012 - 2013 में सरकार ने 33 ,000 हजार करोड़ रूपये देने का प्रावधान किया गया है ! हालाँकि पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा को 40 ,000 करोड़ रूपये देने का प्रावधान किया गया था !
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन - एनआरएलएम
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिदेश में सभी निर्धन परिवारों तक पहुँच सुनिश्चित करना, उन्हें स्थाई जीविका के अवसर उपलब्ध करवाना और गरीबी से ऊपर आने तक उनका पोषण करना निहित है ! एनआरएलएम के माध्यम से बेरोजगार ग्रामीण निर्धन युवाओं के कौशल विकास तथा विशेष रूप से विकसित क्षेत्रों में नौकरियों में रोजगार उपलब्ध कराने अथवा लाभकारी स्वरोजगार एवं लघु उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराने का उद्देश्य है ! सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2012 -2013 एनआरएलएम को 34 प्रतिशत के बढ़ोत्तरी करते हुए 3915 करोड़ रूपये का प्रायोजन किया है !
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना - एनआरएचएम
इस बार ग्रामीणों के  स्वास्थ्य  की चिंता करते हुए वित्त मंत्री ने आगामी वित्त वर्ष 2012-2013  के लिए  विगत वर्ष में किये गये 18,115 करोड़ रुपए आबंटन को बढ़ाकर 20,822 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया है!
बुनकर क्षेत्र को विशेष राहत 
स्‍वचालित शटल-रहित करघों को 5 प्रतिशत के बुनियादी सीमा-शुल्‍क से पूर्ण छूट देने का प्रस्‍ताव किया गया है और स्‍वचालित रेशम चरखी और प्रसंस्‍करण मशीनरी और इनके पुर्जों को भी बुनियादी शुल्‍क से पूरी छूट दे दी गयी है ! एक तरफ जहां 5 प्रतिशत की बुनियादी सीमा-शुल्‍क की इस छूट और मौजूदा रियायती दर को केवल नई टेक्‍सटाईल मशीनरी तक सीमित रखा गया तो दूसरी तरफ सेकेंड हैंड मशीनरी के लिए 7.5 प्रतिशत के बुनियादी शुल्‍क का प्रस्‍ताव किया गया जिससे बुनकर समाज को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी !
इसके साथ - साथ ग्रामीण पेयजल और स्‍वच्‍छता के लिए बजटीय आबंटन को 27 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ातें हुए वर्ष 2012-13 में 14,000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए आबंटन को 20 प्रतिशत बढ़ाते हुए 24,000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया गया है ! साथ ही पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर अपना ध्‍यान केन्‍द्रि‍त करते हुए उन्‍होंने पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि की धन राशि में लगभग 22 प्रतिशत वृद्धि करते हुए वर्ष 2012-13 में आबंटन राशि 12,040 करोड़ रुपए करने की वित्त मंत्री द्वारा घोषणा की गयी ! ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि के अ‍धीन आबंटन को बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया गया एवं सर्वशिक्षा अभियान के लिए 25,555 करोड़ रुपए उपलब्‍ध कराने की घोषणा भी की गयी, जो विगत वर्ष की तुलना में 21.7 प्रतिशत अधिक है ! इसी प्रकार राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के परिव्‍यय को 7860 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2012-13 में 9217 करोड़ रुपए करने का भी प्रस्‍ताव किया गया है !
भारत के राज्‍यों में हरित क्रांति लाने के उपायों के परिणामस्‍वरूप धान के उत्‍पादन और उत्‍पादकता में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है ! हरित क्रांति में भाग लेने वाले राज्यों ने 70 लाख टन चावल पैदा कर एक नयी मिशाल कायम की परिणामतः धान के उत्‍पादन को और बढ़ाने के लिए 400 करोड़ रुपए के आबंटन को बढ़ाकर वर्ष 2012-13 में 1000 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव किया गया ! साथ ही राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विदर्भ सघन सिंचाई विकास कार्यक्रम के लिए 300 करोड़ रुपए आबंटित करने का भी प्रस्‍ताव किया गया ! राष्‍ट्रीय प्रोटीन पूरक आहार मिशन को सुदृढ़ बनाने और डेयरी क्षेत्र में उत्‍पादकता बढ़ाने के उद्देश्‍य से विश्‍व बैंक की सहायता से 2242 करोड़ रुपए की परियोजना की घोषणा एवं मछली पालन आदि के लिए वर्ष 2012-13 में परिव्‍यय को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए किया जाना स्वागत योग्य कदम है ! देश में सिंचाई सुविधा के विस्‍तार के लिए आबंटन को 13 प्रतिशत बढ़ाकर वर्ष 2012-13 के दौरान 14,242 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव एक सराहनीय कदम के साथ - साथ अपर्याप्त है ! 
देश में खुले आसमान के नीचे लाखो - करोड़ों टन सड़ते अनाजों को बचाने के लिए   खाद्यान्‍नों की अतिरिक्‍त भंडारण क्षमता सृजित करने के उद्देश्‍य से भी कई उपायों की घोषणा तो की परन्तु उन  भंडारण में बिजली पहुँचाने की व्यवस्था कैसे होगी यह नहीं बताया गया ! बहरहाल वित्त मंत्री द्वारा ग्रामीण भारत को सशक्त और सुदृढ़ करने के लिए उठाया गया कदम अपर्याप्त परन्तु कुछ हद तक सराहनीय है बशर्ते इन घोषणाओं के पालन एवं उसमे पारदर्शिता हो ! भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी वर्तमान यूंपीए - 2  सरकार से ईमानदारी की अपेक्षा करना थोडा मुश्किल जरूर है परन्तु समुचित राशि अगर उन्ही के हाथो में पहुचे जिनके लिए आबंटित की गयी है तो निश्चित ही ग्रामीण भारत का जीवन आगामी वित्त वर्ष में थोडा सुधरेगा ! पर राजीव गुप्ता का विशेष लेख 

Thursday, March 22, 2012

मन्‍नार के कांसे की चमक

300 परिवार अब भी बनाते हैं भटि़टयों में कांसे के उत्‍पाद

विशेष लेख                                                                               * पल्‍लवी चिन्‍या
                                                                                                                                                    Photo Courtesy: Munnar.org
केरल का छोटा सा कस्‍बा मन्‍नार ऊपर से देखने पर खामोशी की चादर में लिपटा नजर आता है । लेकिन जैसे ही आप इस कस्‍बे की प्राकृतिक छटा को गहराई से निहारते हुए कस्‍बे में जाते हैं तो खामोशी की सारी चादरें धीरे-धीरे उतरने लगती हैं। कांसे की झनझनाहट, वेल्डिंग और मशीनों की आवाजें आपके कानों तक पहुंचकर संभवत: आपकी दिलचस्‍पी को चरम पर पहुंचा देती हैं। जैसे-जैसे आप आवाज के स्रोत की ओर बढ़ेंगे तो आप वहां सदियों से मौजूद परंपरा के तहत अनेक तरह से ढलाई किए जा रहे कांसे के उत्‍पादों की चमक-दमक से आश्‍चर्यचकित रह जाएंगे। 


मन्‍नार अलप्‍पुझा जिले की ग्राम पंचायत है जिसकी विशेष पहचान उस परंपरा की रक्षा करना और बढ़ावा देना है जो कई सदियों से वहां विद़यमान है। इस कस्‍बे में लगभग 300 परिवार अपनी भटि़टयों में बनाए जा रहे कांसे के उत्‍पादों की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। कांसा टिन और कापर का मिश्रण है। इस धातु पर जब चोट की जाती है तो उसमें से गूंजने वाली विशेष ध्‍वनि निकलती है इसलिए यह धातु विभिन्‍न रूपों और आकार की धार्मिक शिल्‍पकृतियां खासतौर से शानदार दिए बनाने की शिल्‍पकला के लिए उत्‍कृष्‍ट माध्‍यम उपलब्‍ध कराने के साथ-साथ घरेलू बर्तन बनाने के लिए भी बेहतरीन है। मन्‍नार में पारंपरिक भटि़टयों की शोभा देखते ही बनती है। इसके साथ ही वहां कम आधुनिक कारखाने भी हैं जो हाल के वर्षों में ही अस्तित्‍व में आए हैं और कांसे की वस्‍तुएं बना रहे हैं। वर्षों से ये खूबसूरत शिल्‍पकार अरब सागर के पार तक इस छोटे से कस्‍बे के शिल्‍प की शौहरत फैला चुके हैं तथा दुनिया के विभिन्‍न भागों के बाजारों में जगह बना चुके हैं। 


कोच्चि में प्रमुख पर्यटन स्‍थलों में से एक दुनिया का सबसे बड़ा वारपू (पारपंरिक बर्तन जो आमतौर पर पयासम या खीर बनाने के काम आता है) है जो ज्‍यू टाउन में पुरानी चीजों की दुकान में रखा है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह मन्‍नार में बनाया गया था। इसे बनाने में एक वर्ष से अधिक समय लगा था। 100 कारीगरों ने इसे अंतिम रूप दिया। 3250 किलोग्राम के इस वारपू का व्‍यास 12 फुट है तथा इसमें 10,000 लीटर पानी भरा जा सकता हैा इसे राजन अलक्‍कल ने बनवाया था। श्री राजन का परिवार पांच पीढि़यों से कांसे के बर्तन और उत्‍पाद बनाने के काम में लगा है। 17 कर्मचारियों की टीम के साथ काम करने वाला यह परिवार कांसे के पारंपरिक उत्‍पादों का कारोबार करता है जिसमें उरुली (चौड़े मुंह का बर्तन), निलाविलक्‍कु (दीपक), किंडी (फुहारे की तरह का घड़ा) और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां, पोप की मूर्तियां, मंदिरों के लिए नारायण गुरू की मूर्तियां, चर्चों एवं संग्रहालयों के लिए मूर्तियां शामिल हैं और देशभर में भेजी जाती हैं। नई दिल्‍ली में इन्दिरा गांधी संग्रहालय में प्रदर्शित अल विलक्‍कु (1001 दीपक) राजन की कार्यशाला में ही बना है। 


इस छोटे से कस्‍बे के शिल्‍पकारों ने वर्षों से न सिर्फ पारपंरिक उत्‍पाद बनाने के लिए नई प्रौद़योगिकी अपनाई बल्कि इसे श्री अनंत कृष्‍ण आचार्य जैसे नए क्षेत्रों में भी फैलाया जो अपने अला या भट़टी में लोहे के डब्‍बे बनाते हैं। सरकार की सहायता से कांसे के बर्तन और चीजें बनाने की पारंपरिक कला ने कुटीर उद़योग का स्‍थान ले लिया है। मन्‍नार ने वर्षों से जो अनुपम दर्जा हासिल किया है वह कुछ असाधारण शिल्‍पकारों की मेहनत का नतीजा है। उनमें चेटि़टकुलांगारा देवी मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा दीपक, शिमला में मोहन नगर मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी घंटी, नई दिल्‍ली में कैथेड़्रल चर्च में दुनिया की सबसे बड़ी चर्च की घंटी तथा अब चेन्‍नई में संग्रहालय में रखी जीवन एवं ज्ञान के प्रसिद्ध वृक्ष की प्रतिकृति शामिल हैं। (पीआईबी) 21-मार्च-2012 19:10 IST

Wednesday, March 21, 2012

श्री किशोर देव ने राष्‍ट्रीय जनजातीय पुरस्‍कार प्रदान किए

श्रीमती यांगा को 5 लाख रूपए नकद, प्रशस्ति पत्र तथा एक ट्रोफी
जनजातीय मामलों तथा पंचायती राज मंत्री श्री वी. किशोर चंद्र देव ने कल शाम राष्‍ट्रीय जनजातीय नृत्‍य त्‍यौहार ‘प्रकृति’ का उद्घाटन किया। अपने भाषण में उन्‍होंने कहा कि नृत्‍य त्‍यौहार का उद्देश्‍य जनजातीय संस्‍कृति को बढ़ावा देना तथा उन्‍हें अपने नृत्‍य तथा संगीत का प्रदर्शन करने का अवसर देना है। 

इस अवसर पर उन्‍होंने खेल, शिक्षा और संस्‍कृति में उत्‍कृष्‍ट जनजातीय विजेताओं तथा जनजातीय कल्‍याण में अनुकरणीय योगदान देने वाले व्‍यक्तियों को राष्‍ट्रीय जनजातीय पुरस्‍कार भी प्रदान किए। श्रीमती बिन्‍नी यांगा (माया) को अनुसूचित जनजातियों में अनुकरणीय समुदाय सेवा के लिए पुरस्‍कार दिया गया। श्रीमती यांगा को 5 लाख रूपए का नकद इनाम, प्रशस्ति पत्र तथा एक ट्रोफी दी गई। श्रीमती एम.सी.मेरी कॉम को खेल के क्षेत्र में सर्वश्रेष्‍ठ जनजातीय विजेता पुरस्‍कर दिया गया। इसमें उन्‍हें 2 लाख रूपए का नकद इनाम, प्रशस्ति पत्र तथा एक ट्रोफी दी गई। श्री गुरू रियुबेन मशहंगवा को भी जनजातीय कला तथा संस्‍कृति के क्षेत्र में सर्वश्रेष्‍ठ जनजातीय विजेता पुरस्‍कार दिया गया। श्री किशोर चंद्र देव राव ने कहा कि उन्‍होंने मंत्रालय को पुरस्‍कारों की श्रेणियों बढ़ाने पर विचार करने के लिए कहा है।

इस मौके पर जनजातीय मामलों के राज्‍य मंत्री श्री महादेव सिंह खंडेला भी मौजूद थे। सिरी फोर्ट सभागार, नई दिल्‍ली में 20 से 22 मार्च, 2012 तक चलने वाले इस तीन दिवसीय जनजातीय त्यौहार का आयोजन जनजातीय मामलों के मंत्रालय तथा संस्‍कृति मंत्रालय मिलकर कर रहा है।
[पीआईबी] 21-मार्च-2012 17:16 IST

Tuesday, March 20, 2012

दिल्ली में हुआ पुस्तक का विमोचन

कभी गीत लिखा गया था दिल्ली है दिल हिन्दोस्तान का...ये तो तीर्थ है सारे जहान का. यह गीत बहुत ही लोकप्रिय भी हुआ पर इस गीत की अंतरात्मा में छिपा सत्य वही जानते हैं जिन्होंने दिल्ली को नजदीक से देखा है. दिल्ली में बहुत से कार्यक्रम हर रोज़ होते हैं. इसी तरह के एक कार्यक्रम में एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया. अंग्रेजी की पुस्तक  ‘Power and Resistance: The Delhi Coronation Durbars’  को रलीज करने की रस्म अदा की सांस्कृतिक सचिव कुमारी संगीता गैरोला ने./ सोमवार १९ मार्च २०१२ को हुए इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे. पत्र सूचना कार्यालय के फोटोग्राफत ने तेज़ी से व्यतीत हो रहे ख़ुशी के इन इन पलों को अपने कैमरे में संजो कर हमेशां के लिए सजीवता प्रदान करदी. आपको यह तस्वीर कैसी ;लगी अवश्य बताएं. -रेक्टर कथूरिया (फोटो: (पीआईबी)  19-March-2012 

आरएपीडीआरपी: ऊर्जा क्षेत्र की नई ऊंचाईयां

विशेष लेख:ऊर्जा में है विकासशील देश को विकसित देश में बदलने की क्षमता
          ऊर्जा क्षेत्र न केवल आबादी के बहुत बड़े हिस्से के जीवन पर अपने प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण हैं बल्कि यह उद्योग,कृषि,परिवहन,स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव डालता है। ऊर्जा विकास की एक अभिव्यक्ति है और परिवर्तन का एक माध्यम भी है। यह एक विकासशील देश को विकसित देश में बदलने की दिशा में मदद करता है।

          वैश्वीकरण की शुरूआत के बाद कार्यक्षमता और उपभोक्ता संतुष्टी पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है। सेवाओं की अदायगी में पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता पर जोर दिये जाने के साथ ही गुणवत्ता पूर्ण सेवाओं की मांग भी बड़ी है। ऊर्जा क्षेत्र सुधार का लक्ष्य अच्छी गुणवत्ता वाली विद्युत सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति के साथ उच्च उपभोक्ता संतुष्टि हासिल करना है। हालांकि इस क्षेत्र के सामने तमाम चुनौतियां हैं। इनमें से कुछ समस्याएं है पुराना, जर्जर और खराब वितरण नेटवर्क । विद्युत दर भी आड़े आती है चोरी और बिना मीटर की आपू्र्ति के कारण बड़ी मात्रा में आपूर्ति तथा वितरण हानि दर्ज की जाती है।

          इन समस्याओं को पार पाने के लिए और बेहतर कार्यक्षमता तथा ऊर्जा क्षेत्र की व्यावसायिक व्यवाहार्यता स्थापित करने के लिए पुनर्संगठित- त्वरित ऊर्जा विकास और सुधार कार्यक्रम (आर-एपीडीआरपी) को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश में शहरी ऊर्जा वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए केन्द्रीय क्षेत्र योजना के रूप में शुरू किया गया और इसके संचालन तथा कार्यान्वयन के लिए ऊर्जा वित्त निगम को नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी दी गयी इस कार्यक्रम का लक्ष्य घाटा कम करने, आधारभूत आंकड़े के वास्तविक संकलन के लिए विश्वसनीय तथा स्वतः स्फूर्त प्रणाली की स्थापना और ऊर्जा उत्तरदायित्व के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के अनुपालन के संदर्भों में वास्तविक तथा प्रदर्शन योग्य परिणामों पर केन्द्रित है। यह कार्यक्रम 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उपवितरण तथा वितरण नेटवर्क को समुन्नत तथा मजबूत करने और सूचना तकनीक के अनुप्रयोग के माध्यम से  घाटों को 15 प्रतिशत कम करने पर केन्द्रित है। 



       इस योजना की शुरूआत 2000-01 में सरकार द्वारा लाये गये त्वरित विद्युत आपूर्ति कार्यक्रम (एपीडीपी) से मानी जा सकती है। उस समय राज्य विद्युत बोर्डों की खराब माली हालत के कारण बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा था। एपीडीपी का लक्ष्य (1) पुराने ताप और जल विद्युत संयत्रों के नवीकरण तथा आधुनिकीकरण, जीवन विस्तार, समुन्नयन और (2) वितरण परिक्षेत्रों में मीटरिंग तथा ऊर्जा दायित्व निर्धारण के साथ ही उप वितरण और वितरण नेटवर्कों (33 किलोवोल्ट या 66 किलोवोल्ट) को समुन्नत और मजबूत करना था। 2002-03 में एपीडीपी का नाम बदलकर त्वरित ऊर्जा विकास एवं सुधार कार्यक्रम एपीडीआरपी रखा गया। एपीडीआरपी का दायरा एपीडीपी से बड़ा है। इसका लक्ष्य राजस्व संग्रह बढ़ाना, कुल तकनीकी और व्यवसायिक घाटे को कम करना, ग्राहक संतुष्टि में सुधार और विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार लाना है।    2008 में आरएपीडीआरपी को केन्द्रीय क्षेत्र योजना के तौर पर 51,577 करोड़ रुपये के योजना आकार के साथ शुरू किया गया इसका मुख्य लक्ष्य कुल व्यावसायिक और तकनीकी घाटे में कमी के वास्तविक प्रदर्शन योग्य परिणाम लाना था। इस योजना के तहत परियोजनाओं को दो हिस्सों में संचालित किया गया।

          भाग-अ : यह परियोजना क्षेत्र में उपभोक्ता सूचकांक, भौगोलिक सूचना प्रणाली मानचित्रण, वितरण ट्रांसफार्मरों और फीडरों की मीटरिंग तथा सभी वितरण ट्रांसफार्मरों और फीडरों के स्वचालित आंकड़े संग्रह समेत आधारभूत आंकड़ा संकलन के लिए काम करता है।

          स्वीकृत परियोजनाओं को शत-प्रतिशत निधियां सरकार से ऋण के तौर पर उपलब्ध कराई गयी हैं। प्रणाली की स्थापना निधि स्वीकृति के तीन वर्ष के भीतर पूरी हो जाने और स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा इसके सत्यापन के बाद इस ऋण को अनुदान में बदल दिया जाता है।

          भाग-ब: इसका मुख्य लक्ष्य घाटे मे सतत कमी लाना है। इसमें 11 हजार वोल्ट के उप केन्द्रों तथा ट्रांसफार्मरों और ट्रांसफार्मर केन्द्रों के नवीकरण, आधुनिकीकरण  और सुदृढीकरण, 11 हजार वोल्ट और इससे कम स्तर की लाइनों के पुनर्संचालन, भार-विभाजन, फीडर विभाजन, फार नियंत्रण, हाई वोल्टेज वितरण प्रणाली, सघन क्षेत्रों में हवाई तार बिछाने, पुराने इलेक्ट्रोमेग्नेटिक मीटरों के नये सुरक्षित मीटरों से परिवर्तन, केपिसीटर बैंक और सचल सेवा केन्द्रों की स्थापना जैसे लक्ष्य शामिल हैं।


          आरएपीडीआरपी के सफल कार्यान्वयन से ऊर्जा क्षेत्र आधुनिकीकरण का मार्ग प्रशस्त्र होगा। ऊर्जा क्षेत्र में वि‍त्‍तीय सुदृढ़ता के लि‍ए मीटरिंग प्रणाली के अच्छे प्रबंधन और करीब निगरानी, ससमहय और सही-सही बिलिंग, समय पर संग्रह, बेहतर ग्राहक सेवा और वि‍श्‍वसनीय वि‍द्युत आपूर्ति‍की आवश्‍यकता है। कुल व्‍यावसायि‍क और तकनीकी घाटों को कम करने तथा स्‍मार्ट ग्रि‍ड के कार्यान्‍वयन के लि‍ए आरएपीजीडीआरपी के दोनों ही भागों का सही कार्यान्‍वयन बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। (पीआईबी फीचर) 15-मार्च-2012 20:57 IST

राष्‍ट्रीय जनजातीय पुरस्‍कारों 2011-12 की घोषणा

श्री गुरू रियुबेन मशहंगवा को जनजातीय कला तथा संस्‍कृति के क्षेत्र में पुरस्कार  

मणिपुर से श्रीमती एम.सी.मेरी कॉम को खेल के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट उपलब्धि तथा मणिपुर के श्री गुरू रियुबेन मशहंगवा को जनजातीय कला तथा संस्‍कृति के क्षेत्र में योगदान के लिए वर्ग- ए में सर्वश्रेष्‍ठ जनजातीय विजेता का राष्‍ट्रीय जनजातीय पुरस्‍कार 2011-12 प्रदान किया जाएगा। श्रीमती बिन्‍नी यांगा (माया) को अनुसूचित जनजातियों में अनुकरणीय समुदाय सेवा के लिए वर्ग ‘बी’ में यह पुरस्‍कार दिया जाएगा

जनजातीय मामलों तथा पंचायती राज मंत्री श्री वी. किशोर चंद्र देव के नेतृत्‍व में राष्‍ट्रीय चयन समिति ने इस महीने हुई एक बैठक में विजेताओं का चयन किया। वर्ग ‘ए’- में सर्वश्रेष्‍ठ जनजातीय विजेता को 2 लाख रूपए का नकद इनाम, प्रशस्ति पत्र तथा एक ट्रोफी और वर्ग’बी ’में 5 लाख रूपए का नकद इनाम, प्रशस्ति पत्र तथा एक ट्रोफी दी जाएगी। 

यह पुरस्‍कार राष्‍ट्रीय जनजातीय त्‍यौहार- प्रकृति के दौरान दिए जाएंगे। इस त्‍यौहार का उद्घाटन 20 मार्च, 2012 को शाम 7 बजे सिरी फोर्ट सभागार में किया जाएगा। (पीआईबी)19-मार्च-2012 18:12 IST

लोकसभा बहस में

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री का जवाब 
अध्यक्ष महोदया, सदन के सम्मानित सांसदों के साथ मैं माननीय राष्ट्रपति को उनके अभिभाषण पर हार्दिक धन्यवाद देता हूं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस काफी व्यापक रही और श्री जसवंत सिंहजी ने भी इसमें अपना योगदान दिया। मैं सभी पक्षों के सभी माननीय सदस्यों का शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने इस बहस में योगदान दिया। राष्ट्रपति का अभिभाषण उन उद्देश्यों और रोडमैप को तय करता है जिसे हमारी सरकार क्रियान्वित कर रही है और राष्ट्रपति के अभिभाषण में उल्लिखित चुनौतियों से निपटने के लिए प्रयासों में और अधिक तेजी लाई जाएगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण के अनुच्छेद 10 में पांच महत्वपूर्ण चुनौतियों का जिक्र है जिसका सामना आज हमारा देश कर रहा है। ये इस प्रकार हैं- 

1. हमारी आबादी की बडी संख्या के लिए आजीविका सुरक्षा हेतु प्रयत्न और हमारे देश से गरीबी, भूख और निरक्षरता को दूर करने के प्रयासों में योगदान; 

2. त्वरित और व्यापक आधारित विकास तथा हमारे नागरिकों के लिए लाभकारी रोजगार सृजन के जरिए आर्थिक सुरक्षा को प्राप्त करना; 

3. हमारे त्वरित विकास के लिए ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना; 

4. हमारे पारिस्थितिक और पर्यावरणीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाए बगैर विकासात्मक लक्ष्यों को पूरा करना और 

5. न्यायसंगत, बहुल, धर्मनिरपेक्ष तथा समावेशी विकास के ढांचे के भीतर आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की गारंटी। 

महोदया, यह पांच चुनौतियां उन सभी कार्यों को एकीकृत करती है जो बचे हुए आगामी ढाई वर्षों में हमारी सरकार के समक्ष है।

जहां तक अर्थव्यवस्था का संबंध है मेरे सहयोगी, माननीय वित्त मंत्री ने सदन पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया है और आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की स्थिति का विस्तृत लेखा प्रस्तुत करता है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में हमारे समक्ष चुनौतियों का भी जिक्र किया। महोदया इन सभी मुद्दों पर अगले सप्ताह बजट पर आम बहस के दौरान विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसलिए देश की अर्थव्यवस्था के बारे में बोलते हुए मैं संक्षेप में इसके बारे में कहूंगा। 

मुझे विश्वास है कि माननीय सांसद इस बात से अवगत हैं कि हम उस माहौल में अपना मार्ग तैयार कर रहे हैं जो आज के समय में सभी देशों के लिए कठिन समय है। वर्ष 2011-12 सभी देशों के लिए मुश्किल वर्ष रहा। सभी जगह वैश्विक विकास में गिरावट आई। औद्योगिक देशों ने 2011 में मात्र 1.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि की जो कि पिछले वर्ष की तुलना में आधी है। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक माहौल जिसका हम सामना कर रहे हैं वह काफी अस्थिर है। 

उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया में हाइड्रोकार्बनों की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि का प्रभाव ऊर्वरकों, खाद्यान्नों पर पड़ा है और इससे हमारे भुगतान के संतुलन पर भी दबाव बना है। 

महोदया, आर्थिक प्रदर्शन हालांकि उससे कम है जितनी हमने आशा की थी किंतु इस पृष्ठभूमि में लगभग सात प्रतिशत वृद्धि दर का हमारा आर्थिक प्रदर्शन सराहनीय है। यह सही है कि हम इसे स्वीकार्य नहीं मान सकते। अगले वर्ष में हमें इसमें सुधार लाने के लिए काम करना होगा और जल्द से जल्द उच्चतर विकास पथ पर लौटना होगा और ऐसा करते हुए हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम समावेशी विकास के साथ उपयुक्त कीमत स्थिरता को प्राप्त करने की ओर भी प्रगति करे। महोदया इन सबके लिए हमें सदन में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनैतिक मत की व्यापक आधारित राष्ट्रीय सर्वसम्मति की आवश्यकता होगी। यह ऐसा अवसर है जब हमें एक राष्ट्र के रुप में संगठित होकर खड़ा होना होगा। 

महोदया, 2008 से पहले पांच वर्षों तक हमने 9 प्रतिशत की दर से विकास किया और मुझे विश्वास है कि हम उस प्रकार की विकास दर को दोबारा हासिल कर सकते हैं और इसके लिए हमें मुश्किल निर्णयों पर एकमत होना होगा। यदि हम उस उद्देश्य में सफल होते हैं तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि एक आर्थिक शक्ति के रुप में भारत अपनी तरक्की को बरकरार रखे और उस अनवरत गरीबी को कम करने के लिए आर्थिक क्षमता को हासिल कर सके जिसका सामना हम करते रहे हैं और महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास तथा स्वच्छ पेयजल तथा स्वच्छता में खाईयों को भर सके। श्री जसवंत सिंह जी ने पेयजल आपूर्ति की समस्या का उल्लेख किया। मैं उन्हें आश्वस्त करता हूं कि हमारी सरकार इस बात को उच्च वरीयता देती है कि हमारे सभी नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके। 

महोदया, कुछ सदस्यों ने हमारे समाज के कमजोर वर्ग द्वारा झेली जा रही समस्याओं का जिक्र किया और मैं उनसे सहमत हूं कि हमें खासतौर पर हमारी जनसंख्या के कमजोर वर्ग जैसे कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और अन्य सुविधाहीन समूहों को प्रभावित करने वाली विकास की खाइयों पर ध्यान देना होगा। मैं माननीय सांसदों को आश्वस्त करना चाहूंगा कि हम इस महत्वपूर्ण कार्य पर पूरा ध्यान देंगे। महोदया, बारहवीं पंचवर्षीय योजना में तीव्र, सतत और अधिक समावेशी विकास के लिए विश्वसनीय कार्य योजना का खाका होगा। इसे वर्ष के मध्य में राष्ट्रीय विकास परिषद को प्रस्तुत किया जाएगा। मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता लेकिन माननीय सांसदों को स्मरण कराना चाहूंगा कि हमारा मार्ग आसान नहीं है। 

मुझे विश्‍वास है कि माननीय सदस्‍य यह मानेंगे कि गठबंधन सरकार होने के नाते कठिन निर्णय लेने का फैसला भी बेहद मुश्किल होता है और हमें आम सहमति को बनाए रखने की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए नीति बनाने का फैसला लेना होता है। रेल बजट की प्रस्‍तुति के मामले में ऐसी ही चुनौतियां सामने आ चुकी हैं। मैं वर्तमान जानकारी के बारे में सम्‍मा‍नित सदस्‍यों को सूचित करना चाहूंगा कि पिछली देर रात मुझे श्री दिनेश त्रिवेदी का एक औपचारिक पत्र ई-मेल संदेश के माध्‍यम से प्राप्‍त हुआ है, जिसमें उन्‍होंने रेल मंत्री के पद से अपने इस्‍तीफे का प्रस्‍ताव भेजा है। 

मैं श्री त्रिवेदी के इस इस्‍तीफे को स्‍वीकार करने की सिफारिश के साथ इसे राष्‍ट्रपति को भेजने का प्रस्‍ताव करता हूं। मुझे श्री त्रिवेदी के पद से जाने का खेद है। उन्‍होंने रेल बजट प्रस्‍तुत किया, जिसमें परिकल्‍पना 2020 को पूरा करने का वायदा किया गया है और इसकी रूपरेखा उनके उत्‍तराधिकारी द्वारा तैयार की गई। एक नए रेल मंत्री जल्‍द ही शपथ ले लेंगे। उन्‍हें हमारे रेलवे तंत्र के आधुनिकीकरण के चुनौतीपूर्ण कार्य को आगे ले जाने का कर्तव्‍य निभाना होगा। 

सभापति महोदया, हमारे जैसे विशाल देश में जहां कुल श्रम शक्ति का 65 प्रतिशत हमारे देश के किसानों द्वारा संगठित किया जाता है, यह अनिवार्य है कि संसद और सरकार को भारत की कृषि स्थिति के बारे में चिंतित होना चाहिए। मैं सम्‍मानित सदस्‍यों की पीड़ा को बांटने में पूरी तरह से उनके साथ हूं, जब वे हमारे किसानों की आत्‍महत्‍याओं का उल्‍लेख करते हैं। 

सदन ने आश्‍वासन दिया है कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए नए सिरे और उत्‍साह के साथ काम करेंगे कि हमारे देश में कोई भी किसान आत्‍महत्‍या के चरम स्‍तर तक जाने के लिए मजबूर न हो। 

हमारी सरकार ने कृषि में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने के लिए, कृषि के विकास को उच्‍च प्राथमिकता पर रखा है, ताकि कृषि के विकास में तकनीकी रूप से और ज्‍यादा ध्‍यान दिए जाने को सुनिश्चित किया जा सके। इसके परिणामस्‍वरूप पिछले 5 वर्षों में कृषि उत्‍पादन की विकास दर 3.5 प्रतिशत वार्षिक के उच्‍च स्‍तर पर रही है। इस वर्ष हमें 250 मिलियन टन का रिकॉर्ड खाद्यान उत्‍पादन प्राप्‍त करने की उम्‍मीद है। 

पिछले वर्ष राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्‍ट्रीय बागवानी अभियान और खाद्य सुरक्षा अभियान सभी ने कृषि के विकास में अधिक अनुकूल वातावरण बनाने में सहयोग किया है, लेकिन मैं अब भी यह कहना चाहूंगा कि इस दिशा में और अधिक किया जा सकता है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में हम कृषि के विकास पर ज्‍यादा गहराई से ध्‍यान देंगे, क्‍योंकि हमारी सरकार की सोच में किसानों का हित सर्वोपरि है। यह प्राथमिकता का क्षेत्र होगा और हम पूर्ण परिश्रम के साथ इसका पालन करेंगे। 

महोदया, देश में कीमतों की स्थिति के बारे में भी जिक्र किया गया। मैं ये मानता हूं कि पिछले दो वर्षों में कीमतें एक समस्‍या बन गई हैं। सौभाग्‍य से कुछ संकेत मिल रहे हैं कि कीमतें अब नियंत्रण में आ रही हैं, लेकिन हमें इसके लिए सतर्क रहना होगा। इस संदर्भ में, वित्‍त मंत्री के राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने हेतु किए गए प्रयास बहुत प्रासंगिक हैं। हमारे राजकोषीय घाटे में वर्ष 2008-09 में अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक परिदृश्‍यों में हुए बदलावों के कारण बढ़ोत्‍तरी हुई। हमें उम्‍मीद है कि वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटे को एक उचित स्‍तर तक वापस लाने में सक्षम होंगे। वित्‍त मंत्री ने इस वर्ष 4.8 फीसदी राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया है। हालांकि ये अनुमान है कि राजकोषीय घाटा 5.9 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। वित्‍त मंत्री ने अगले वर्ष में राजकोषीय घाटे को 5.1 प्रतिशत तक कम करने की दिशा में कार्य करने के प्रति सरकार की वचनबद्धता जताई है। 

मैं कुछ अन्‍य महत्‍वपूर्ण मामलों जैसे नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर की स्‍थापना से संबंधित मुद्दे का भी उल्‍लेख करना चाहूंगा। नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर से संबंधित मुद्दे पर विचार-विमर्श करते समय श्री राजनाथ सिंह जी ने आतंकवाद की समस्‍या से निपटने में हमारी सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया है। 

महोदया, आतंकवाद के साथ-साथ वाम चरमपंथ से प्रभावी तरीके से निपटना हमारे देश के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां हैं। इसके अलावा सभी विकास संबंधी उद्देश्‍य, खासतौर पर मध्‍य भारत के क्षेत्रों का विकास भी प्रमुख है। छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश‍, बिहार और झारखण्‍ड जैसे राज्‍य वाम चरमपंथ उग्रवाद से पीड़ि‍त हैं। यदि हमें अपने विकास उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने में सफल होना है तो वाम चरमपंथियों और आतंकवाद पर पूरी तरह से नियंत्रण आवश्‍यक है। 

महोदया, मैं सदन को विश्‍वास दिलाता हूं कि हमारी सरकार अपने नागरिकों की पूर्ण सुरक्षा के प्रति वचनबद्ध है और वह आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। वास्‍तव में एनसीटीसी की स्‍थापना इस दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है। इस मामले में चिंताएं जाहिर की गई हैं कि केंद्र सरकार, राज्‍य सरकारों के अधिकार क्षेत्रों का अतिक्रमण करने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह सुझाव दिया गया है कि नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर के संचालन से पूर्व सभी को विश्‍वास में लिया जाना चाहिए। नेशनल काउंटर टेरेरिज्‍म सेंटर के गठन के प्रश्‍न पर पूर्व सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह की रिपोर्ट और द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों को सौंपने के बाद से विभिन्‍न मंचों पर चर्चा की गई है। 2001 में स्‍थापित बहु-एजेंसी केंद्र एनसीटीसी का एक अग्रगामी केन्‍द्र था और आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग हेतु एकल और प्रभावी केंद्र की आवश्‍यकता को देखते हुए आंतरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों की बैठकों के दौरान विचार-विमर्श किया जा चुका है। जैसा कि हमारे कुछ सदस्‍यों ने इंगित किया है कि बहुत से मुख्‍यमंत्री इस मामले में आदेश जारी होने के बाद अपनी चिंताएं व्‍यक्‍त कर चुके हैं और मैं उनको फिर से आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि अगले कदम उठाए जाने से पूर्व उनके साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। इस संदर्भ में 12 मार्च 2012 को राज्‍य सरकारों के प्रमुख सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ विचार-विमर्श किया जा चुका है। 

आंतरिक सुरक्षा पर मुख्‍यमंत्रियों की बैठक बुलाई गई है। यह बैठक पहले 15 फरवरी, 2012 को आयोजित होनी थी पर चुनावों के कारण इसे स्‍थगित कर दिया गया। अब यह 16 अप्रैल, 2012 को आयोजित होगी। अत: अगले कदम उठाने से पहले पर्याप्‍त और सभी परामर्शों पर विचार किया जाएगा। 

महोदया, मुझे लगता है कि एनसीटीसी का विचार तथा जिस ढंग से एनसीटीसी कार्य करेगा, यह दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं। आप सभी मानते हैं कि एनसीटीसी का उद्देश्‍य साधारण है तथा। और जिस ढंग से एनसीटीसी कार्य करेगा, उसपर मतभेद हो सकते हैं पर मुझे यकीन है कि बातचीत और विचार-विमर्श से इन मतभेदों को सुलझा लिया जाएगा तथा इस पर आम सहमति बन जाएगी। 

महोदया, बहस के दौरान एक अन्‍य मुद्दा जो सामने आया वह श्रीलंका के तमिलों की स्थिति से संबंधित था। केंद्र सरकार सदस्‍यों द्वारा जताई गई चिंताओं और भावनाओं को पूरी तरह समझती है। श्रीलंका में संघर्ष के बाद हमारा ध्‍यान वहां के तमिल नागरिकों के कल्‍याण और उत्‍थान पर केंद्रित रहा है। उनका पुनर्वास हमारी सरकार की उच्‍च प्रथमिकता रही है। इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्‍यौरा विदेश मंत्री के 14 मार्च, 2012 को दिए स्‍व संज्ञान बयान में उल्लिखित है। श्रीलंका सरकार के साथ हमारे रचनात्‍मक संबंध तथा महत्‍वपूर्ण सहायता कार्यक्रमों के परिणामस्‍वरूप श्रीलंका के तमिल क्षेत्रों में जीवन सामान्‍य होना शुरू हुआ गया है। श्रीलंका सरकार द्वारा आपातकालीन नियमों को वापस लेने तथा श्रीलंका के उत्‍तरी क्षेत्र में स्‍थानीय निकायों में चुनाव आयोजित करने से भी वहां प्रगति हुई है। 

सदस्‍यों ने श्रीलंका में लंबे समय तक चले संघर्ष में मानव अधिकारों के उल्‍लंघन तथा जेनेवा में संयुक्‍त राष्‍ट्र मानव अधिकार परिषद के चल रहे 19वें अधिवेशन में अमरीका द्वारा श्रीलंका में फिर से सामंजस्‍य बैठाने तथा जवाबदेही पर प्रस्‍ताव के मुद्दे को भी उठाया। भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार को सामंजस्‍य की महत्‍ता के बारे में बताते हुए ज़ोर दिया है कि वह तमिल समुदायों की शिकायतों को गंभीरता से ले। इस संबंध में हमने श्रीलंका सरकार द्वारा नियुक्‍त किए गए आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर ज़ोर दिया है। इन सिफारिशों में संघर्ष के ज़ख्‍मों पर मरहम लगाने तथा श्रीलंका में शांति और फिर से सामंजस्‍य कायम रखने के लिए विभिन्‍न उपाय सम्मिलित हैं। 

हमने श्रीलं‍का सरकार से तमिल नेशनल अलाएंस सहित सभी दलों के साथ राजनीतिक प्रक्रिया के जरिए श्रलंका के संविधान में 13वें संशोधन को लागू करने की प्रतिबद्धता पर कायम रहने के लिए कहा है ताकि शक्तियों के हस्‍तातंरण और राष्‍ट्रीय सामंजस्‍य को वास्‍तविक रूप से हासिल किया जा सके। हमें आशा है कि श्रीलंका सरकार इस मुद्दे की महत्‍ता को समझेगी तथा इस पर गंभीरता से कार्य करेगी। इस प्रक्रिया के जरिए हम उसके साथ संपर्क बनाए रखेंगे तथा उन्‍हें श्रीलंकाई तमिलों के मनोनीत प्रतिनिधियों के साथ इस पर चर्चा करने के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे। 

हमें जेनेवा में संयुक्‍त राष्‍ट्र मानव अधिकार परिषद के चल रहे 19वें अधिवेश्‍न में अमरीका द्वारा पेश किए जाने वाले प्रस्‍ताव का अंतिम मसौदा प्राप्‍त नहीं हुआ है। मैं सदन को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम इस प्रस्‍ताव के पक्ष में वोट देना चाहते हैं। 

श्री जसवंत सिंहजी ने गोरखालैंड दार्जिलिंग पर्वतीय परिषद का मुद्दा उठाया है। मैं इस सदन को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि हमने इस समस्‍या का हल निकालने के लिए गंभीरता से कार्य किया है। इस संबंध में पश्चिम सरकार द्वारा किए गए योगदान को भी हम स्‍वीकारते हैं। 

मैं इस सदन का और अधिक समय नहीं लेना चाहता। मैं सभी सदस्‍यों के साथ माननीय राष्‍ट्रपति को उनके अभिभाषण के लिए धन्‍यवाद देता हूं।{पीआईबी} 19-मार्च-2012 20:29 IST 

Monday, March 19, 2012

प्रशिक्षुओं को वेतन

विभिन्न प्रशिक्षण अकादमियों में कमीशन-पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कैडेटों को कमीशन प्राप्त करने से पहले प्रशिक्षण के आखिरी वर्ष में प्रति माह 21,000/- रुपए का निर्धारित वजीफा प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने पर इस वजीफे को सभी उद्देश्य हेतु वेतन में बदल दिया जाता है और सभी स्वीकार्य भत्तों के बकाया का भुगतान किया जाता है। छठा केन्द्रीय वेतन आयोग सेनाओं की इस मांग से सहमत नहीं था कि प्रशिक्षण के आखिरी वर्ष में पूर्ण वेतन एवं भत्तों सहित अनंतिम कमीशन प्रदान किया जाए और एक कमीशन्ड रैंक के सभी सम्बद्ध लाभ भी दिए जाएं क्योंकि रक्षा बलों में कमीशन प्रदान करने के लिए कमीशन-पूर्व प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पास करना एक पूर्वापेक्षा होती है। 
रक्षा मंत्री श्री ए. के. एंटोनी ने आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में श्री सिवासामी सी. को यह जानकारी दी।
 (पीआईबी) (19-मार्च-2012 18:14 IST)

Thursday, March 15, 2012

औषधियों के लिए मूल्‍य नीति

ब्रांड और बिना ब्रांड वाली औषधियों में कोई अंतर नहीं किया जाता
राष्‍ट्रीय औषधि मूल्‍य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा औषधि (मूल्‍य नियंत्रण) आदेश, 1995 (डीपीसीओ 1995) के प्रावधानों के अनुसार खुदरा विक्रेता के 16 प्रतिशत लाभ को ध्‍यान में रखते हुए अनु‍सूचित औषधियों के मूल्‍यों का निर्धारण किया जाता है। इनके अंतर्गत 74 बल्‍क औषधियां है। कोई भी व्‍यक्ति किसी भी अनुसूचित औषधि को अधिसूचित/अनुमोदित मूल्‍य से अधिक दाम पर उपभोक्‍ता को नहीं बेच सकता है। 

जो औषधियां औषधि (मूल्‍य नियंत्रण) आदेश, 1995 के अधीन नहीं आती हैं, यानि गैर- अनुसूचित औषधियां हैं, उनके मामले में विनिर्माता एनपीपीए/सरकार से अनुमोदन लिये बिना ही स्‍वयं मूल्‍य निर्धारित करते है। ऐसे मूल्‍य आमतौर पर विभिन्‍न कारकों यानि फार्ममूलेशन में प्रयुक्‍त बल्‍क औषधियों की लागत, एक्‍सीपिएंटों की लागत, अनुसंधान तथा विकास की लागत, उपयोगिताओं/पैकिंग साम्रगी की लागत, व्‍यापार लाभांश, गुणवत्‍ता आश्‍वासन लागत, आयाति‍त सामग्री की पहुंच लागत आदि के आधार पर निर्धारित किये जाते है। 

डीपीसीओ 1995 के अंतर्गत ब्रांड और बिना ब्रांड वाली औषधियों में कोई अंतर नहीं किया जाता है। 

यह जानकारी आज लोकसभा में रसायन और उर्वरक राज्‍य मंत्री श्री श्रीकांत कुमार जेना ने दी।  (पीआईबी)    
15-मार्च-2012 15:50 IST

Saturday, March 10, 2012

सीएमसी की क्न्वोकेशन में पहुंचे डाक्टर एस एस गिल

चार कालेजों के छात्र छात्रायों को मिलीं डिग्रीयां
लुधियाना:10 मार्च:2012:: लुधियाना में दीक्षांत समारोहों का जोर रहा. मेडिकल कालेज और अस्पताल अकेले सीएमसी शिक्षा संस्थान में ही चार  कालेजों की कन्वोकेशन हुई. कैलिवारी चर्च के ऐन सामने चिल्ड्रन पार्क  में हुए मुख्य समारोह में सी एम सी मेडिकल कालेज, कालेज आफ नर्सिंग, और कालेज आफ फिजियोथ्रेपी के छात्र छात्रायों के चेहरों पर आज एक नई रौनक थी. होठों पर मुस्कान और आँखों में चमक. आज मिल रही थी उनकी शिक्षा को वह मान्यता जिसके लिए उन्हों ने रात रात भर जाग कर पढाई की थी. 

इस मौके पर सी एम सी अस्पताल के डायरेक्टर डाक्टर अब्राहम जी थोमस  ने मेहमानों का स्वागत किया, प्रिंसिपल डाक्टर एस एम भटटी ने ग्रेजूएट और पोस्ट ग्रेजूएटस को शपथ दिलाई. इस दिन को मेडिकल शिक्षा में ऐतिहासिक बनाते हुए 5 ग्रेजूएट्स और 25 पोस्ट ग्रेजूएट्स को डिग्रियां दे कर सम्मानित किया गया. गीतिका गेरा,सबस्तियाँ मारकर मार्कर, आशा थोमस, डेविड वर्मा,सिंथिया सारह मैथ्यू,शरुतिका गुप्ता, जेन्नी मरियम  जोर्ज, जीबी जॉन, जिनकी मारिया पाल उन प्रमुख सौभाग्य शाली विजेतायों में से थे  जिन्हें आवर्ड व मैडल दे कर सम्मानित किया गया. डाक्टर शुबिधा गर्ग को डाक्टर जसवंत गिल अवर्स से सम्मानित किया गया.  डाक्टर सुप्रिया सेन को डाक्टर अब्राहिम जी थोमस आवर्ड से नवाज़ा गया.  
 इस दीक्षांत समारोह में उन्हें उनकी डिग्री का समान देने के लिए बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डाक्टर एस एस गिल मुख्य मेहमान बन कर ए हुए थे. उनहोंने छात्र छात्रयों को उनकी इस उप्लाब्दी पर मुबारक बाद दी उन्होंने कहा की सी एम् सी में आकर मुझे हमेशां प्रसन्नता का हसास हुआ क्यूंकि मेडिकल शक्षा के क्षेत्र में गुणवता को लगातार बढ़ाने वाले सी एम सी ने मानवता की सेवा के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नया इतिहास रचा है. इस तरह कुल मिलकर यह समारोह पूरी तरह यादगारी बन गया. --रेक्टर कथूरिया 

डी डी जैन कालेज में भी दीक्षांत समारोह आयोजित

388 छात्रों को मिलीं डिग्रियां: डा. सी.एस.मीना थे मुख्य मेहमान


साधना जब सफल होती है और उसे मान्यता मिलती है तो साधना मार्ग में आये हुए सभी कष्ट भूल जाते हैं और दिलो दिमाग में रह जाती है एक ख़ुशी जिसकी बराबरी दुनिया के किसी भी सुख सुविधा में सम्भव ही नहीं होती. यह ख़ुशी व्यक्ति के अंग अंग से बोलती है. इस ख़ुशी की चमक आज फिर दिखाई दी लुधियाना में उन चात्रयों के चेहरों पर जिन्हें आज उच्च शिक्षा की डिग्री मिली. 
शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग स्थान रखने वाले देवकी देवी जैन मैमोरियल कालेज फार विमेन की कन्वोकेशन आज बहुत ही उत्साह, हर्षो उल्लास और पारंपरिक जोशो खरोश से सम्पन्न हुयी. छात्रायों के चेहरे पर एक चमक थी, उपलब्धी की, एक अलौकिक सी दिखने वाली ख़ुशी थी जो बता रही थी उनकी मेहनत और शिक्षा साधना की पूरी कहानी. विश्व विधालय अनुदान  आयोग के संयुक्त सचिव  डाक्टर सी .एस.मीना इस यादगारी अवसर पर मुख्य मेहमान थे. 
कालेज के चेयरमैन हीरा लाल जैन, अध्यक्ष केदार नाथ जैन, वरिशाथ उपाध्यक्ष राज कुमार जैन और शांति सरूप जैन, प्रबन्धक कमेरी के सचिव बिपिन जैन, मैनेजर सुरिन्दर कुमार जैन और अफिशिएटिंग प्रिंसिपल सुरिन्दर दूया भी इस अवसर मर मौजूद रहे. 
प्रिंसिपल मैडम ने जहाँ कालेज की खूबियों और उपलब्धियों की चर्चा की वहां चात्रयों और उनके माता पिता की प्रेरणा और मेहनत  को भी सराहा. उनहोंने इस अवसर पर अपने उन सहयोगियों को भी बहुत ही स्नेह और समान से याद किया जो किसी समय उनके साथ इसी कालेज में अध्यापन करते थे पर अचानक ही ज़िन्दगी की राहें जुदा होने के बाद भी उनका विकास जारी रहा और साथ ही बना रहा कालेज के साथ उनका स्नेह सम्बन्ध. आज वे बहुत उच्च पदों पर या फिर सफलता के शिखरों पर कार्य कर रहे हैं पर इतने ऊंचे मुकाम पर जाकर भी वे लोग अपने इस कालेज को नहीं भूले.. इस तरह के लोगों में से एक डाक्टर परम सैनी भी आज कन्वोकेशन के सुअवसर पर यहाँ मौजूद थे जिन्हें प्रिंसिपल मैडम ने उसी पुराने स्नेह के साथ पम्मी मैडम कह कर पुकारा. 
पौने चार सो से अधिक छात्रायों ने अपनी मेहनत और साधना को  डिग्री के रूप में मिली मान्यता का सम्मान लेकर इस दिन को अपनी ज़िन्दगी का एक यादगारी दिन बनाया. इन छात्रायों ने मीडिया  से बात करते हुए भी कहा की उन्हें आज अपनी साधना पर गर्व है और ऐसे लगता है कि जैसे उनकी ग्रैजूएशन की शिक्षा आज मुकम्मल हुयी है. इस शुभ अवसर पर किसी के चेहरे पर हंसी थी तो किसी  की आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे. यह यादगारी आयोजन बाद दोपहर तक जारी रहा. कन्वोकेशन रिपोर्ट:: रेक्टर कथूरिया // तस्वीरें:: संजय सूद  

Tuesday, March 06, 2012

कपास के निर्यात पर प्रतिबंध

प्रतिबंध तत्‍काल प्रभाव से आगामी आदेशों तक अधिसूचित
 तस्वीर साभार कोटन मार्किट न्यूज़ 
डीजीएफटी ने 5 मार्च 2012 से कपास के निर्यात पर तत्‍काल प्रभाव से आगामी आदेशों तक प्रतिबंध को अधिसूचित कर दिया है। 4 मार्च 2012 तक कपास के 94.75 लाख गट्ठरों का निर्यात किया जा चुका है। 

फरवरी 2012 में भारत का कपास निर्यात 91 लाख गट्ठर तक पहुंचा जबकि निर्यात के लिए कपास के 120 लाख गट्ठरों का पंजीकरण किया गया है। छह मार्च 2012 तक बाजार में कपास आवक 245 लाख गट्ठर तक पहुंच चुकी है। बाजार में कपास आगमन के करीब 50 प्रतिशत का कपास निर्यात के लिए पंजीकरण हो चुका है।

बाजारों में कपास की मात्र 25 प्रतिशत आवक और कपास सीजन से करीब सात माह पहले का परिदृश्‍य घरेलू उद्योगों के लिए कपास की कमी, कपास के घरेलू मूल्‍यों में अत्‍यधिक वृद्धि और वर्ष 2012 में कपास भंडारों को पूर्ण करने में टैक्‍सटाइल मिलों की असमर्थता जैसी कमियों की ओर संकेत करता है।

टैक्‍सटाइल नीति के अंतर्गत मूल्‍य श्रृंखला के प्रतिस्‍पर्द्धी हितों को संतुलित करने का प्रयास किया गया है। अप्रैल 2010 में अनौप‍चारिक मंत्री समूह ने ये तय किया कि 50 लाख गट्ठरों को बनाये रखना चाहिए और इससे ज्‍यादा के कपास भंडार का निर्यात करना चाहिए।

भारतीय कपास निगम यह सलाह दे चुका है कि किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कम दामों के होने पर भारत की सभी मंडियों में खरीद की जाएगी। टैक्‍सटाइल मिलों ने देश भर में खरीद अभियानों की शुरूआत भी कर दी है। 06-मार्च-2012 20:27 IST

Monday, March 05, 2012

छ: फर्मों पर 10 वर्षों के लिए व्‍यावसायिक कारोबार पर रोक

रोक लगाई रक्षा मंत्रालय ने
रक्षा मंत्रालय ने आज छ: फर्मों-मेसर्स सिंगापुर टैक्‍नोलॉजीज कायनेटिक्‍स लिमिटेड (एसटीके), मेसर्स इस्राइल मिलिट्री इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड (आईएमआई), मेसर्स रिइनमेटॉल एयर डिफेंस (आरएडी), ज्‍यूरिख, मेसर्स कारपोरेशन डिफेंस, रूस (सीडीआर), मेसर्स टीएस किसान एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्‍ली और मेसर्स आरके मशीन टूल्‍स लिमिटेड, लुधियाना पर अगले 10 वर्ष की अवधि के लिए रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा उत्‍पादन विभाग के आयुध निर्माणी बोर्ड के साथ अगले व्‍यावसायिक कारोबार पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। 

इन फर्मों के विरुद्ध प्राप्‍त किए गए साक्ष्‍य के आधार पर केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) ने इन्‍हें काली सूची में डालने का सुझाव दिया था। इन फर्मों को कारण बताओ नोटिस जारी करके यह पूछा गया था कि आयुध निर्माणी के पूर्व महानिदेशक श्री सुदिप्‍तो घोष और अन्‍य के विरुद्ध रिश्‍वतखोरी के मामले में आरोप-पत्र दाखिल किए जाने के संबंध में क्‍यों नहीं उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। इन कंपनियों पर रोक लगाने का निर्णय उनके द्वारा दाखिल किए गए जवाबों पर विचार करने के बाद लिया गया। 05-मार्च-2012 20:04 IST

महिला एवं बाल विकास कार्यक्रमों पर विचार–विमर्श

पिछड़े वर्ग के धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों सहित 
महिला एवं बाल विकास के मुद्दों और चुनौतियों पर सम्‍मेलन का समापन
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्‍वतंत्र परिवार) सुश्री कृष्ण तीर्थ पांच मार्च 2012 को  दीप प्रज्वलित करके सम्मेलन का शुभारम्भ करते हुए (पीआईबी फोटो) 
समापन संबोधन करते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्‍वतंत्र परिवार) सुश्री कृष्ण तीर्थ (पीआईबी फोटो)
बच्चों को सज़ा जैसी बुराईयाँ हटाने के मामले में दिशानिर्देश जरी करते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्‍वतंत्र परिवार) सुश्री कृष्ण तीर्थ (पीआईबी फोटो)
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा नई दिल्‍ली में आयोजित पिछड़े वर्ग के धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों सहित पिछड़े वर्ग की महिलाओं और बच्‍चों के विकास से संबंधित दो दिवसीय सम्‍मेलन समाप्‍त हो गया। इस सम्‍मेलन में पूरे देश से लगभग 250 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। विभिन्‍न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्‍य सरकारों के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों एवं सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हुए। सम्‍मेलन में स्‍वास्‍थ्‍य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों और गैर-कृषि क्षेत्रों में जीविका से संबंधित नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों पर विचार–विमर्श किया गया और विस्‍तृत सिफारिशें की गई। इस सम्‍मेलन में मछुवारों, दस्‍तकारों और सेवा उपलब्‍ध करवाने वाली जातियों और पिछड़े वर्ग के धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों के विशिष्‍ट मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया। 

अपने समापन संबोधन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्‍वतंत्र परिवार) सुश्री कृष्ण तीर्थ  ने विस्‍तृत विचार-विमर्श और व्‍यापक सिफारिशों के लिए सभी प्रतिनिधियों को धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने विकास प्रयासों की योजना की आवश्‍यकता पर जोर दिया ताकि विकास और सकारात्‍मक कार्यों का फल अति पिछड़ों सहित पिछड़े वर्गों की सभी महिलाओं और बच्‍चों को प्राप्‍त हो सके। उन्‍होंने विभिन्‍न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से लाभान्वित होने वाले पिछड़े वर्गों की संख्‍या के असंचित लिंग-आंकड़ों को एकत्र करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और सभी संबंधित मंत्रालयों, राज्‍य सरकारों और सिविल सोसायटी संगठनों से अनुरोध किया कि सरकार की वर्तमान योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इनकी महिलाओं तक पहुंच बनाने के लिए कदम उठाएं। उन्‍होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन महिला सशक्‍तिकरण के लिए राष्‍ट्रीय मिशन, महिला केंद्रित योजनाओं और विभिन्‍न मंत्रालय और वि‍भागों के सभी स्‍तरीय कार्यक्रमों को अभिमुख करने के लिए कार्य कर रहा है। इस मिशन में पाली, राजस्‍थान और कामरूप, असम में पायलेट अभिमुख परियोजनाएं शुरू की थी। 


उन्‍होंने ने इस सम्‍मेलन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि इस सम्‍मेलन में उन्‍होंने जो सिफारिशें की है उन्‍हें विचार-विमर्श हेतु संबंधित मंत्रालयों को भेज दिया जायेगा। (पीआईबी)    05-मार्च-2012 14:12 IST