Wednesday, February 29, 2012

मेरिट-व-साधन छात्रवृत्ति योजना

अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय ने जारी की 35,000 से अधिक छात्रवृत्तियां 
अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय की मेरिट-व-साधन छात्रवृत्ति योजना के तहत चालू वित्‍त वर्ष के दौरान 31 जनवरी 2012 तक 35,181 छात्रवृत्तियां जारी कर दी गई हैं। अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्‍ध नवीनतम आकंड़ों के अनुसार 31 जनवरी 2012 तक 19,487 नई छात्रवृत्तियां ( 20 हजार नई छात्रवृत्तियों का लक्ष्‍य) तथा चालू वित्‍त वर्ष 2011-12 के दौरान 15,694 नवीकृत छात्रवृत्तियां जारी की गई थीं। उक्‍त 35181 छात्रवृत्तियां दिये जाने के लिए अल्‍पसंख्‍यक मामलों के मंत्रालय द्वारा 96.27 करोड़ रूपयों से अधिक राशि जारी कर दी गई है। योजना में अब सभी राज्‍य तथा केन्‍द्र शासित प्रदेश शामिल किये गये हैं। 

मेरिट-व-साधन छात्रवृत्ति योजना का लक्ष्‍य अल्‍पसंख्‍यक समुदायों के गरीब एवं गुणवान छात्रों को वित्‍तीय सहायता मुहैया कराना है जिससे कि वे पेशेवर तथा तकनीकी पाठयक्रम पूरा कर सकें। उक्‍त छात्रवृत्तियां केवल भारत में अध्‍ययन करने के लिए ही और इन्‍हें राज्‍य सरकार/केन्‍द्र शासित प्रशासन द्वारा इस प्रयोजन के नामित एजेंसी के माध्‍यम से दी जाती हैं। इस योजना की शुरूआत वर्ष 2007-08 में की गई थी। इस योजना के सामान्‍य मार्गनिर्देशों के अंतर्गत 30 प्रतिशत छात्रवृत्तियां छात्राओें के लिए आरक्षित की गई हैं। {पीआईबी{29-फरवरी-2012 20:06 IST}

11 से 20 फरवरी, 2012 की अवधि के दौरान

रेलवे की राजस्‍व आय 5.97 प्रतिशत बढ गई
भारतीय रेलवे की 11 से 20 फरवरी, 2012 की अवधि के दौरान मूल आधार पर कुल आय करीब 2991.83 करोड़ रूपये हुई। पिछले वर्ष उक्‍त अवधि के दौरान 2823.23 करोड़ रूपये की आय हुई थी। इसमें 5.97 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछले वर्ष 11 से 20 फरवरी, 2011 की अवधि के दौरान माल भाड़े से कुल आय 1922.14 करोड़ रूपये हुई थी। ये 11 से 20 फरवरी 2012 के दौरान बढ़कर 2033.22 करोड़ रूपये हो गई। इसमें 5.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 11 से 20 फरवरी, 2012 की अवधि के दौरान यात्रियों से कुल राजस्‍व आय 857.25 करोड़ रूपये हुई। जबकि पिछले वर्ष उक्‍त अवधि के दौरान 799.72 करोड़ रूपये की आय हुई थी। इसमें 7.19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। अन्‍य कोचों से इस अवधि के दौरान 74.86 करोड़ रूपये की राजस्‍व आय हुई। जबकि पिछले वर्ष उक्‍त अवधि के दौरान 68.57 करोड़ रूपये की आय हुई थी। इसमें 9.17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई।
11 से 20 फरवरी, 2012 की अवधि के दौरान बुकिंग किये गये यात्रियों की कुल संख्‍या करीब 231.93 मिलियन थी, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 217.30 मिलियन यात्रियों की बुकिंग की गई थी। इसमें 6.73 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 11 से 20 फरवरी, 2012 के दौरान उपनगरीय और गैर-उपनगरीय क्षेत्रों में बुक किये गये यात्रियों की संख्‍या क्रमश: 125.89 मिलियन तथा 106.04 मिलियन थी। जबकि पिछले वर्ष उक्‍त अवधि के दौरान ये संख्‍या क्रमश: 116.23 मिलियन तथा 101.07 मिलियन थी। इनमें क्रमश: 8.31 प्रतिशत एवं 4.92 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।{पीआईबी(29-फरवरी-2012 21:09 IST)

कोयल की कूक में वह मिठास नहीं

पंजाब स्क्रीन:कविता सप्ताह:अलका सैनी का छठा दिन:नई रचना:सुबह
                                                                                                                                          तस्वीर साभार: थीम बिन 
सुबह
                                         तस्वीर साभार : लावण्यम  शाह 
आज की सुबह पता नहीं क्यों
लग रही अलग -अलग
पवन में वह तरंग नहीं
कोयल की कूक में वह मिठास नहीं
धूप में वह गुलाबीपन नहीं
ऐसा लग रहा है मानो
अपना कोई अंग कट गया हो

कल भंयकर बारिश हुई
बिजली कड़की, बादल गरजे
मैंने अपने को समेटा बिस्तर के भीतर
कहीं कानों में उसकी आवाज न पड़े

मेरे शब्दों के आकाश के अंतिम छोर पर
कल खूनी अंधेरा उतरा
और उसमें मेरी बची खुची नाम मात्र स्मृति
भी हमेशा के लिए विलीन हो गई

आज की यह सुबह कहती है
दे दो तुम्हारी चेतना हमेशा के लिए
उसकी यह भाषा मुझे समझ में नहीं आई
मगर अब दिखने लगा आकाश में कुछ नयापन
नदी, नदी के पार के वन
कब तक न बदलेगा भला
मेरे जीवन का कालापन ?

कभी उसके आगे मेरे सीने की
धड़कनें बढ़ती थी
मुझे क्या पता मेरे जीवन काल के
पथरीले मोड पर
अपदस्त होने का योग है
या सारे सम्बन्धों से ऊपर उठकर
हँसते हुए मृत्यु को गले लगाने का

Tuesday, February 28, 2012

अमृतसर में तीन दिवसीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता शुरू

नेहरू युवा केंद्र ने किया सांस्कृतिक क्षेत्र में एक और सार्थक प्रयास 
अमृतसर//गजिंद्र सिंह किंग//28  फरवरी 2012 
अमृतसर में प्रदेश भर से आए विभिन्न संगठनों व नेहरू युवा केंद्र की शाखाओं के सदस्यों ने विरसे का मनमोहक नजारा पेश करने के लिए तीन रोजा  सांस्कृतिक प्रतियोगिता शुरू की जिसमे शबद गायन, लोक गीत, गिद्दा और भंगड़ा प्रतियोगिता होगी, विरसा विहार में नेहरू युवा केंद्र से संबंधित पंजाब भर में स्वयं सहायता ग्रुपों की ओर से हाथों से बनाई गई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई, जो देखने लायक थी. 
अमृतसर नेहरू युवा केंद्र संगठन द्वारा विरसा विहार में सांस्कृतिक धरोहर को मजबूती से कायम रखने के लिए तीन रोजा सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन शुर्रू किया.प्रदेश भर से आए विभिन्न संगठनों व नेहरू युवा केंद्र की शाखाओं के सदस्यों ने विरसे का मनमोहक नजारा पेश किया, तीन रोजा  सांस्कृतिक प्रतियोगिता में लोक गीत, गिद्दा और भंगड़ा प्रतियोगिता होगी. सब से पहले शबद गायन कर सांस्कृतिक प्रतियोगिता का शुभ-आरभ्भ किया गया, इसके साथ ही इस मौके पर शबद गायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, इस दौरान विरसा विहार में नेहरू युवा केंद्र से संबंधित पंजाब भर में स्वयं सहायता ग्रुपों की ओर से हाथों से बनाई गई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई, वस्तुओं की छटा देखते लायक थी, जिसमे छज्ज, गानी, पक्खी, कढ़ाई वाले सूट, परांदा, टैडी बियर, शहद, बेड़ी, तितली, धार्मिक चित्र सहित कई हस्तकृति आकर्षण का केंद्र थी, नेहरू युवा केंद्र द्वारा राज्य सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन विरसा विहार में शुरू हो गया है, तीन दिन चलने वाले इस प्रतियोगिता नेहरू युवा केंद्र अमृतसर के जिला को आर्डिनेटर तजिंदर सिंह राजा ने सांस्कृतिक प्रतियोगिता बारे जानकारी देते हुए बताया, कि तीन रोजा  सांस्कृतिक प्रतियोगिता में लोक गीत, गिद्दा और भंगड़ा प्रतियोगिता होगी, विजेताओं को पुरस्कार भी दिए जाए गे 

Bite - तजिंदर सिंह राजा, आर्डिनेटर, अमृतसर 

प्रेम के मायाजाल में, कई बार कसम खाई

पंजाब स्क्रीन:कविता सप्ताह:अलका सैनी की पांचवीं रचना:मायाजाल
"मायाजाल"
मेरे भीतर भी शब्दों के 
कई महासागर उफन रहे ,
आत्म- मंथन के वास्ते 
सुबक रहे ,
शिकायतों , नाराजगी के 
द्वंद्व पनप रहे ,
दिल के भरे बादल 
कोने में दुबक रहे ,
तुम्हारे शब्द बाण, सीने 
के लहुलुहान घाव रिसने लगे ,
कभी सोचूं , कैसे छूटूं ? 
इस जी के जंजाल से,

बुरी फंस गई 
प्रेम के मायाजाल में,
कई बार कसम खाई 
मन ही मन रुकने की ,
मोबाइल बंद करने की ,
फेसबुक डी. एक्टीवेट करने  की ,
प्रोफाइल फोटो उड़ाने  की ,
आई. डी.  ब्लोक करने की ,
खुद  को ही पोक करने की ,
अगले ही पल 
सांस रुकने लगी ,

कैसा अनोखा ये मायाजाल  !

हर पीड़ा , दुःख को भांप ,
शब्दों के पुलिंदों को ढांप ,
प्यार हर शब्द पर हावी ,
हर आत्म -मंथन में भारी ,
प्यार का सागर और गहरा जाता है ,
विष पीकर भी अमृत नजर आता  है 
ये मायाजाल !!!

Monday, February 27, 2012

इंडिया रेफरेंस एनुअल-2012 का विमोचन

56वां संस्‍करण:प्रथम स्‍तर में अंग्रेजी और हिन्‍दी में 67000 प्रतिलिपियां मुद्रित
सूचना और प्रसारण राज्‍यमंत्री श्री चौधरी मोहन जटुआ ने आज ‘’इंडिया रेफरेंस एनुअल 2012’’ और ‘’भारत 2012’’ का विमोचन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री जटुआ ने कहा कि यह राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों, संवैधानिक संशोधनों और विभिन्‍न क्षेत्रों में की गई उपलब्धियों की सूचनाओं का एक व्‍यापक संग्रह है। मंत्री महोदय ने उच्‍चस्‍तरीय रेफरेंस एनुअल को तैयार करने और इस तरह के एक उच्‍चस्‍तरीय प्रकाशन को सामने लाकर सुधार की एक समृद्ध परंपरा बनाने के लिए प्रकाशन विभाग और अनुसंधान संदर्भ एवं प्रशिक्षण विभाग को बधाइयां दीं। श्री जटुआ ने यह महसूस किया कि इस प्रकाशन के वार्षिक मुद्रण में पिछले वर्षों के मुकाबले तेजी से वृद्धि हुई है। इस वर्ष के प्रथम स्‍तर में अंग्रेजी और हिन्‍दी में 67000 प्रतिलिपियां मुद्रित की गईं हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि भारत और विदेशों में लोगों को इस प्रतिष्ठित प्रकाशन के विपणन के लिए प्रकाशन विभाग को अधिक प्रयास करने चाहिए। 

इस अवसर पर अपने संबोधन में, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री उदय कुमार वर्मा ने कहा कि प्रकाशन विभाग को प्रकाशन की पहुंच को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रयास करने चाहिए। उन्‍होंने सुझाव दिया कि अगले वर्ष के लिए मीडिया इकाई को पुस्‍तक को तीन प्रारूपों जैसे मुद्रित प्रारूप, सीडी और इलेक्‍ट्रॉनिक संस्‍करण के तौर पर सामने लाने का प्रयास करना चाहिए। सचिव महोदय ने कहा कि प्रभाग को मुद्रित प्रतिलिपियों की संख्‍या बढा़ने और उत्‍पाद के बेहतर विपणन को सुनिश्चित करने के प्रयास भी करने चाहिए। 

इंडिया-2012 प्रकाशन विभाग द्वारा संपादित, प्रकाशित और विपणन किया गया रेफरेंस एनुअल का एक नवीनतम और व्‍यापक संस्‍करण है। मंत्रालय का अनुसंधान, संदर्भ और प्रशिक्षण विभाग (आरआरएंडटीडी) वार्षिक पुस्‍तकों के लिए मूल सामग्री का संग्रह करता है। इस सामग्री को केन्‍द्रीय मंत्रालयों, विभागों, राज्‍य सरकारों, संघ शासित प्रदेशों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों और स्‍वायत्‍त निकायों से एकत्रित किया जाता है। 

इस वार्षिक प्रकाशन में ग्रामीण, शहरी विकास, उ़द्योग और बुनियादी ढांचे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कला और संस्‍कृति, अर्थव्‍यवस्‍था, स्‍वास्‍थ्‍य, रक्षा, शिक्षा और जन-संचार के क्षेत्रों में देश की प्रगति का एक व्‍यापक दृष्टिकोण प्रस्‍तुत किया जाता है। यह प्रकाशन 56वां संस्‍करण है। {पीआईबी}
  [27-फरवरी-2012 19:59 IST]

सादा पोस्‍ट कार्ड : आम आदमी का संदेश वाहक

भारतीय पोस्‍ट कार्ड का इति‍हास
वि‍शेष लेख                                     डॉ. के परमेश्‍वरन*
साभार तस्वीर 
     मल‍यालम के एक प्रमुख हास्‍य लेखक श्री एन गोपालाकृष्‍णन ने एक हृदय रोग वि‍शेषज्ञ यानी कार्डि‍योलॉजि‍स्‍ट की परि‍भाषा इस तरह बताई है कि‍जो सि‍र्फ कार्डों के यानी पत्रों के उपरांत ही पत्र लि‍खता है। वे अपने शहर में अपने आपको बहुत बड़ा कार्डि‍योलॉजि‍स्‍ट बताते हैं।
      मलयालम में एक छोटी सी पत्रि‍का है  इन्‍नू (यानी आज), जो केवल एक पत्रनुमा कार्ड पर छपती है। यह पत्रि‍का अपने प्रकाशन के 30वें वर्ष में प्रवेश कर गयी है और इस पत्र कार्ड को दुनि‍याभर में 10 हजार से भी ज्‍यादा ग्राहकों को डाक के जरि‍ए भेजा जाता है। पोस्‍ट कार्ड, पत्र कार्ड तथा डाक पत्र वि‍द्या (Deiltolog) की कला और वि‍ज्ञान से संबंधि‍त तथ्‍य इस प्रकार हैं :पोस्‍ट कार्ड
      सरकारी तौर पर पोस्‍ट कार्ड एक नि‍श्‍चि‍त आकार के कार्ड पर लि‍खा खुला संदेश है। इस कार्ड का आकार आमतौर पर 14 सेमी. X9 सेमी. होता है।  पोस्‍ट कार्ड आमतौर पर दो कि‍स्‍मों में उपलब्‍ध हैं- अकेला एक कार्ड, केवल संदेश भेजने के लि‍ए या दोहरा संलग्‍न कार्ड- एक संदेश भेजने के लि‍ए और दूसरा संदेश प्राप्‍तकर्ता द्वारा तुरंत जवाब के लि‍ए। उत्‍तर देने वाला जवाब देने में देरी नहीं कर सकता, क्‍योंकि‍संदेश भेजने वाले ने कार्ड की कीमत पहले ही चुका दी होती है।
      पोस्‍ट कार्ड के बारे में एक बात की जानकारी शायद बहुत कम लोगों को होगी कि‍इसका इस्‍तेमाल सि‍र्फ भारत के अंदर ही कि‍या जा सकता है। कोई व्‍यक्‍ति‍या संस्‍था भी अपने कर्मचारि‍यों या उपभोक्‍ताओं को संदेश भेजने के लि‍ए कार्ड छपवा सकती हैं। इस प्रकार के पोस्‍ट कार्डों का आकार भी सरकारी पोस्‍ट कार्ड जैसा ही होना चाहि‍ए। यह पतला भी नहीं होना चाहि‍ए और इनका आकार और मोटाई भी छपे हुए पोस्‍ट कार्ड जैसी होनी चाहि‍ए।

भारतीय पोस्‍ट कार्ड का इति‍हास
      भारतीय डाक घर ने पहली बार जुलाई 1879 में चौथाई आना (यानी एक पैसा) का पोस्‍ट कार्ड शुरू कि‍या था। इसका उद्देश्‍य ब्रि‍टि‍श भारत की सीमा में एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक डाक भेजना था। भारत के लोगों के लि‍ए अब तक का यह सबसे सस्‍ता डाक पत्र था और जो बहुत सफल सि‍द्ध हुआ।
पूरे भारत के लि‍ए वृहद डाक प्रणाली शुरू हो जाने पर डाक बहुत दूर-दूर तक जाने लगी। पोस्‍ट कार्ड पर लि‍खा संदेश बि‍ना कि‍सी अति‍रि‍क्‍त डाक टि‍कट के देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचने लगा, जहां नजदीक में कोई डाकखाना भी नहीं होता था। इसके बाद अप्रैल 1880 में ऐसे पोस्‍ट कार्ड शुरू हुए, जो केवल सरकारी इस्‍तेमाल के लि‍ए थे और 1890 में जवाबी पोस्‍ट कार्ड शुरू हुए। पोस्‍ट कार्ड की यह सुवि‍धा आज भी स्‍वतंत्र भारत में जारी है।

अन्‍य स्‍थानों के पोस्‍ट कार्ड
      1861 में फि‍लेडलफि‍या में जॉन पी चार्लटन ने एक गैर-सरकारी पोस्‍ट कार्ड की शुरूआत की, जि‍सके लि‍ए उसने कॉपीराइट हासि‍ल कि‍या, जि‍से बाद में एचएल लि‍पमैन को स्‍थानांतरि‍त कर दि‍या गया। कार्ड के चारों ओर छोटी सी पट्टी की सजावट थी और कार्ड पर लि‍खा था  लि‍पमैन्‍ज़ पोस्‍टल कार्ड, इसके पेटेंट अधि‍कार के लि‍ए आवेदन कि‍या हुआ था। ये बाजार में 1873 तक चले, जब पहला सरकारी पोस्‍ट कार्ड शुरू हुआ।      अमरीका ने 1873 में पहले से मुहर लगे पोस्‍ट कार्ड जारी कि‍ए। केवल अमरीका की डाक सेवा को ही इस तरह के कार्ड छापने की अनुमति‍थी, जो 19 मई, 1898 तक रही, जब अमरीकी संसद ने प्राइवेट मेलिंग कार्ड एक्‍ट पास कि‍या, जि‍समें प्राइवेट फर्मों को कार्ड बनाने की अनुमति‍दी गयी। प्राइवेट मेलिंग कार्डों की डाक लागत एक सेंट थी, जबकि‍पत्र कार्ड की दो सेंट थी। जो कार्ड अमरीकी डाक सेवा द्वारा छपे हुए नहीं होते थे, उन पर प्राइवेट मेलिंग कार्ड छापना जरूरी था। पोस्‍ट कार्ड की उल्‍टी तरफ सि‍र्फ सरकार को पोस्‍टकार्ड शब्‍द छापने की अनुमति‍थी। गैर-सरकारी कार्डों पर सॉवेनेर कार्ड, कॉरेस्‍पांडेंस कार्ड और मेल कार्ड छपा होता था।
   
अंतर्देशीय पत्र कार्ड
      अंतर्देशीय पत्र कार्ड पोस्‍ट कार्ड से अलग होता है। इसमें संदेश खुले में नहीं लि‍खा जाता। संदेश को पढ्ने के लि‍ए इसके फ्लैप को खोलना पड्ता है, जबकि‍पोस्‍ट कार्ड के मामले में, जि‍सके हाथ से भी पोस्‍ट कार्ड गुजरे, वह संदेश पढ् सकता है।
      तकनीकी तौर पर अंतर्देशीय पत्र कार्ड एक नि‍श्‍चि‍त आकार के कागज पर लि‍खा संदेश होता है, जि‍से मोडकर बंद कि‍या जाता है। अंतर्देशीय पत्र कार्ड भारत के अंदर ही प्रेषण के लि‍ए होता है। वि‍देशों में संदेश भेजने के लि‍ए अधि‍क लागत का वि‍शेष अंतर्देशीय पत्र कार्ड, जि‍से एरोग्राम कहा जाता है, इस्‍तेमाल कि‍या जाता है।
      मलयालम पत्रि‍का इन्‍नू पूरी तरह से इस तरह के अंतर्दशीय पत्र कार्ड पर छपती है। इसमें कवि‍ताएं, संपादकीय, कार्टूंन, संपादक को पत्र सभी कुछ होता है, जो पूरे आकार की पत्रि‍का में होते हैं, लेकि‍न बहुत ही छोटे आकार में छपते हैं।

डाक पत्र वि‍द्या (Deiltology)
      डील्‍टोलॉजी पोस्‍ट कार्डों के अध्‍ययन और संग्रहण की वि‍द्या है। ऐशलैंड, ओहि‍यो के प्रोफेसर रैंडल रोडेस ने 1945 में इस शब्‍द की रचना की, जि‍से बाद में चि‍त्र पोस्‍ट कार्डों के अध्‍ययन की वि‍द्या के रूप में स्‍वीकार कर लि‍या गया।
      दुनि‍याभर में डील्‍टोलॉजी को डाक टि‍कट संग्रहण और सि‍क्‍का/बैंक नोट संग्रहण के बाद तीसरी सबसे बड़ी हाबी माना जाता है। पोस्‍ट कार्ड इसलि‍ए लोकप्रि‍य हैं, क्‍योंकि‍लगभग हर समय के चि‍त्र पोस्‍ट कार्ड पर छपते रहते हैं। पोस्‍ट कार्डों के जरि‍ए इति‍हास की जानकारी हासि‍ल की जा सकती है, जि‍समें प्रसि‍द्ध इमारतों, महत्‍वपूर्ण व्‍यक्‍ति‍यों, वि‍भि‍न्‍न कला रूपों और इस तरह के कई वि‍षय मि‍ल जाते हैं।
      लेकि‍न डाक टि‍कट संग्रह के मुकाबले कि‍सी पोस्‍ट कार्ड के प्रकाशन और स्‍थान का समय पता करना लगभग असंभव कार्य है, क्‍योंकि‍पोस्‍ट कार्ड आमतौर पर बहुत अनि‍यमि‍त तरीके से छापे जाते हैं।
      इसलि‍ए कई संग्रहकर्ता केवल ऐसे कार्डों का ही संग्रह करते हैं जो कि‍सी वि‍शि‍ष्‍ट कलाकार और प्रकाशन या समय और स्‍थान से संबंधि‍त हों।
      इस डाक पत्र वि‍द्या का सबसे अधि‍क लोकप्रि‍य पक्ष शहरों के दृश्‍यों से संबंधि‍त है इनमें कि‍सी शहर या क्षेत्र के वास्‍तवि‍क चि‍त्र होते हैं। अधि‍कतर संग्रहकर्ता केवल ऐसे शहर के पोस्‍ट कार्ड इकट्ठे करते हैं, जहां वे रहते हैं या जहां वे पले-बढ़े हैं।

पोस्‍ट कार्ड संग्रह का संरक्षण- कुछ जरूरी बातें
·         पोस्‍ट कार्डों के सबसे बड़े शत्रु हैं आग, नमी, धूल मि‍ट्टी, धूप और कीड़े। सबसे अच्‍छा यही होगा है कि‍आप अपने संग्रह को कि‍सी बॉक्‍स में रखें, जो ठंडा और सूखा हो।
·         प्‍लास्‍टि‍क वाले एलबम का प्रयोग न करें। पीवीसी से पुराने कागज को कुछ समय बाद रासायनि‍क क्रि‍या से नुकसान पहुंचता है।
·         यदि‍प्रदर्शनी के उद्देश्‍य से अलग-अलग पोस्‍ट कार्डों का वि‍वरण दर्ज करना है, तो ध्‍यान रखें कि‍ इसके लि‍ए पेंसि‍ल का इस्‍तेमाल करें। प्रदर्शनी के बोर्ड पर पोस्‍ट कार्ड को चि‍पकाने के लि‍ए टेप या इस तरह की कोई चीज इस्‍तेमाल न करें।
·         जब पुराने पोस्‍ट कार्डों का प्रदर्शन कि‍या जाए तो इस बात का वि‍शेष ध्‍यान रखा जाए कि‍वे सीधे धूप के सामने न हों। [पीआईबी]  27-फरवरी-2012 15:44 IST 
(पत्र सूचना कार्यालय वि‍शेष लेख)सहायक नि‍देशक, पत्र सूचना कार्यालय, मदुरई

कविता सप्ताह में अलका सैनी की नई कविता

पंजाब स्क्रीन:कविता सप्ताह:चौथा दिन:आज अलका सैनी की कविता सज़ा 
सज़ा   
 फोटो साभार: बी ई 
कल रात एक झटके में 
तिनका तिनका बिखर गया 
आंधी आई और सब 
गुजर गया 

तूफ़ान उसके देस में चला 
आशियाँ मेरा उजड़ गया 

हर बार की तरह खुद 
को कटघरे में खड़ा पाया 
मुजरिम कोई और था 
मुकद्दमा मुझ पर चला 
फिर एक बार सजा मेरे 
हिस्से में आई 

बादल उसके शहर पे बरसे 
सैलाब में घर मेरा बहा 
किसने सोचा था इतना 
बेदर्द होगा ये आलम !

इक बार तकदीर के 
आगे वफ़ा हार गई 
गल्ती हमारी थी 
भूल हमसे हुई 
दीये को हम सूरज 
और एक रात की ख़ुशी को 
जिन्दगी का सफ़र समझ बैठे !!

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Sunday, February 26, 2012

पोलियो-भारत तथ्‍य फलक

पिछले 12 महीनों के दौरान पोलियो का कोई भी नया मामला दर्ज नहीं      
विशेष लेख    पोलियो उन्‍मूलन के इतिहास में भारत ने 13 जनवरी 2012 को एक बड़ी सफलता हासिल की, जब पिछले 12 महीनों के दौरान पोलियो का कोई भी नया मामला दर्ज नहीं किया गया। भारत में यह दिन बेमिसाल प्रगति और पोलियो उन्‍मूलन की रणनीतियों एवं उन्‍हें प्रभावी तरीके से लागू करने के अनुमोदन की पहचान बन गया है।
·         2011 में पोलियो के मामले                   1 (13 जनवरी,  2011 को अंतिम मामला)
·         2010 में पोलियो के मामले                           42
·         2009 में पोलियो के मामले                          741
·         1995 में पोलियो के मामले                            50,000
·         1985 में पोलियो के मामले                            150,000
·      13  जनवरी,  2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में वाइल्‍ड पोलियो वायरस (डब्‍ल्‍यूपीवी-1) का अंतिम मामला उजागर हुआ था।  
·     22 अक्‍तूबर  2010 को झारखंड के पाकुड़ में वाइल्‍ड पोलियो वायरस (डब्‍ल्‍यूपीवी-3) का अंतिम मामला उजागर हुआ था।
·     अक्‍टूबर 1999  को उत्‍तर प्रदेश के अलीगढ़ में वाइल्‍ड पोलियो वायरस (डब्‍ल्‍यूपीवी-2)  का अंतिम मामला सामने आया था।
·      नवम्‍बर 2010, को मुंबई में मासिक इनवायरमेंटल सीवेज सैम्‍पलिंग में पोलियो का अंतिम मामला उजागर हुआ था (दिल्‍ली ,मुंबई और पटना से सैम्‍पल लिये गये थे) 
·    2011 में पोलियो की 900  मिलियन खुराक दी गई थी।
·    1988 में वैश्विक पोलियो उन्‍मूलन कार्यक्रम की शुरूआत से अब तक पोलियो के मामले में 99 फीसदी की कमी आई है।  1988 में 125 देशों में जहां साढ़े तीन लाख बच्‍चों के सालाना पोलियो से ग्रस्‍त होने या मारे जाने के आंकड़े होते थे, वहीं 2011 में 17 देशों में पोलियो के महज 649 मामले (14 फरवरी, 2012 तक के आंकड़े) उजागर हुए थे। 2006 में वैसे देश जहां पोलियो वायरस का संक्रमण खत्‍म नहीं हुआ की संख्‍या घटकर चार हो गई जिसमें भारत, नाइजीरिया, पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान शामिल हैं।
·    तीन प्रकार के पोलियो में डब्‍ल्‍यूपीवी-2 प्रकार वाले पोलियो का दुनिया से खात्‍मा हो चुका है। अक्‍टूबर 1999 में भारत के अलीगढ़ में डब्‍ल्‍यूपीवी-2 पोलियो का अंतिम मामला सामने आया था। 
·    पोलियोग्रस्‍त दो राज्‍यों उत्‍तर प्रदेश और बिहार में क्रमश: अप्रैल 2010 और सितम्‍बर 2010 से अब तक पोलियो का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है।
·    सबसे खतरनाक डब्‍ल्‍यूपीवी-1 के संक्रमण से भारत में 2006 तक पोलियो के 95फीसदी मामले सामने आते थे, जो 2010 में निचले रिकॉर्ड स्‍तर पर आ गया। देश में पोलियो का केन्‍द्र रहे उत्‍तर प्रदेश में नवम्‍बर 2009 से डब्‍ल्‍यूपीवी-1 पोलियो का कोई मामला उजागर नहीं हुआ है।
·    पोलियो उन्‍मूलन में यह प्रगति सघन टीकाकरण अभियान से संभव हो पायी, जिसमें पोलियोग्रस्‍त इलाकों और नवजात शिशुओं (यूपी और बिहार में प्रति माह पाँच लाख से अधिक बच्‍चे पैदा होते हैं) एवं प्रवासियों पर खास जोर दिया गया है। इसमें मोनोवैलेंट ओरल पोलियो की खुराक और 2010 से बाइवैलेंट ओरल पोलियो की खुराक दी जाने लगी, जो पी-1 और पी-3 दोनों से बचाव करती है। 
·    भारत में पोलियो उन्‍मूलन कार्यक्रम की अगुवाई स्‍वास्‍थ्‍य एंव परिवार कल्‍याण मंत्रालय कर रहा है, जिसमें बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के अलावा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की राष्‍ट्रीय पोलियो निगरानी परियोजना, रोटरी इंटरनेशनल, रोग नियंत्रण एवं बचाव के अमेरीकी केन्‍द्रों और यूनिसेफ का लगातार समर्थन मिल रहा है। 
2011 में पूरक टीकाकरण गतिविधियों की संख्‍या
·         2 राष्‍ट्रीय टीकाकरण दिवसों पर पाँच साल से कम उम्र के 172 मिलियन बच्‍चों को पाँच दिनों में टीका दिया गया।
·         7 उप राष्‍ट्रीय टीकाकरण दिवसों पर 50 से 70 मिलियन बच्‍चों को टीका दिया गया। 
·         1 आपातकालीन सफाया कार्यक्रम के तहत 2.6 मिलियन बच्‍चों को टीका दिया गया।
पोलियो कार्यक्रम
·         प्रत्‍येक राष्‍ट्रीय टीकाकरण दिवस पर देशभर में 1,55,000 पर्यवेक्षकों की निगरानी में लगभग 2.3 मिलियन टीका देने वाले कार्यकर्ता 209 मिलियन घरों में जाकर पाँच साल से कम उम्र के लगभग 172 मिलियन बच्‍चों को पोलियो की खुराक पिलाते हैं। रेलवे स्‍टेशनों, चलती रेलगाडि़यों, बस स्‍टैंडों, बाजारों और निर्माण स्‍थलों पर भी बच्‍चों को टीका दिया जाता है। प्रत्‍येक दौर में यूपी, बिहार और मुंबई के ही लगभग पाँच मिलियन बच्‍चों को पोलियो की खुराक पिलायी जाती है। उपराष्‍ट्रीय टीकाकरण दिवसों के दौरान पोलियो ग्रस्‍त राज्‍यों यूपी और बिहार, पश्चिम बंगाल एवं झारखंड जैसे पुन: पोलियो की चपेट में आने वाले राज्‍यों, दिल्‍ली और मुंबई के हाई रिस्‍क पोलियोग्रस्‍त इलाकों के लगभग 50 से 70 मिलियन बच्‍चों को पोलियो की खुराक पिलायी गई। पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और गुजरात के प्रवासी और घूमन्‍तु परिवारों के भी बच्‍चों को उप राष्‍ट्रीय टीकाकरण के दौरान पोलियो की खुराक पिलायी गई। 
चुनौतियां और कार्यक्रम
·    देश में पोलियो के किसी छिपे या आयातित मामलों की शीघ्र पहचान और उनका निवारण अभी मुख्‍य चुनौती है। इसके लिए उच्‍चस्‍तरीय सतर्कता और आपातकालीन तैयारी की आवश्‍यकता है। 2011 में चीन में बाहर से गये पोलियो की घटना से भारत को पोलियो की वापसी की आशंका में सतर्क रहने की जरूरत है। 
·    भारत सरकार और सभी राज्‍य पोलियो के किसी मामले के उजागर होने की स्थिति में उससे निपटने के लिए आपातकालीन तैयारी पर मिलकर काम कर रहे हैं।
·    सभी राज्‍यों में 5 साल तक के सभी बच्‍चों को पोलियो अभियानों और तय टीकाकरण कार्यक्रमों के दौरान पोलियो की खुराक तब तक पिलाना सुनिश्चित करना होगा जब तक दुनियाभर से पोलियो का उन्मूलन न हो जाए।
·    घर से बाहर निकले बच्‍चों-प्रवासी, बंजारे और पड़ोसी देश पाकिस्‍तान और नेपाल से भारत आ रहे बच्‍चों को पोलियो की खुराक पिलाकर सुरक्षा प्रदान करना भी एक बड़ी चुनौती है।
·    भारत में पोलियो उन्‍मूलन को तब तक प्राथमिकता देना होगा,  जब तक विश्‍व भर से उसका खात्‍मा न हो जाए।
एक मिलियन = 10 लाख 
*स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय से मिली जानकारी।    24-फरवरी-2012 20:57 IST

पंजाब स्क्रीन कविता सप्ताह में अलका सैनी की दुआ

पंजाब स्क्रीन:कविता सप्ताह:तीसरा दिन:अलका सैनी की तीसरी कविता
                                                   दुआ के पल:साभार तस्वीर
दुआ
दुआ के पल:साभार तस्वीर
वो हर पल खुदा से
अपने प्यार की सलामती की
दुआ करता है
हर लम्हा उसकी ख़ुशी
की फ़रियाद करता है
दिन - रात उसकी इक हँसी
के लिए
आंसू बहाता है
खुदा कहता है,
"ए बन्दे , मैंने तेरी झोली में
तेरा प्यार दिया जो
तूने मुझसे माँगा,
अब मै क्या कर सकता हूँ ?
जो करना है तूँ कर
प्यार की ताकत के आगे तो
मै भी बेबस और लाचार हूँ
हिम्मत है तो
कर हिफाजत अब अपने
प्यार की
निभाने का हौंसला रख
फूल के साथ कांटे भी चुन
अमृत के साथ विष भी पी
फिर देख मै तेरे साथ हूँ
उसकी ख़ुशी भी तूं गम भी तूँ
हँसी भी तूँ आंसूं भी तूँ
सलामती भी तूं ,
तकदीर भी तूँ ,
वफ़ा भी तूँ ,जफा भी तूँ "
                                 --अलका सैनी 
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Saturday, February 25, 2012

पत्रकारि‍ता में उत्‍कृष्‍ट योगदान

अंबि‍का सोनी ने प्रदान कि‍ए तरूण तेजपाल और कुमारी गुंजन शर्मा को पुरस्‍कार
सूचना तथा प्रसारण मंत्री श्रीमति‍अंबि‍का सोनी ने आज पत्रकारि‍ता में उत्‍कृष्‍ट योगदान के लि‍ए पुरस्‍कार प्रदान कि‍ए। यह पुरस्‍कार खोजी पत्रकारि‍ता के लि‍ए तहलका के श्री तरूण तेजपाल और अंग्रेजी पत्रि‍का 'द वीक' की कुमारी गुंजन शर्मा को प्रदान कि‍ए गए।

इस अवसर पर अपने भाषण में श्रीमति‍सोनी ने कहा कि‍वैसे तो वि‍षय नि‍यमन पर लंबे समय से चर्चा की जाती रही है, लेकि‍न इस प्रक्रि‍या की वि‍श्‍वसनीयता और स्‍वीकार्यता की स्‍थापना के लि‍ए उचि‍त समय दि‍या जाना आवश्‍यक है। इस प्रकार के सम्‍मान के संदर्भ में अपने वि‍चार प्रकट करते हुए श्रीमति‍सोनी ने समाचार माध्‍यमों द्वारा समाचारों के प्रकाशन और प्रसारण के तरीकों पर मीडि‍या और सार्वजनि‍क क्षेत्रों में जारी चर्चा की ओर ध्‍यान आकर्षि‍त करते हुए कहा कि‍मीडि‍या द्वारा वि‍भि‍न्‍न आयोजनों के प्रकाशन तथा प्रसारण के तरीकों पर भी चर्चा की जानी चाहि‍ए, उन्‍होंने कहा कि‍प्रसारण पूर्व सतर्कता और नि‍यमन से जुड़े अहम मुद्दों पर भी वि‍चार-वि‍मर्श आवश्‍यक है। उन्‍होंने वि‍श्‍वास जताया कि‍इस तरह की चर्चाओं से कुछ ठोस परि‍णाम सामने आएंगे।
 {पीआईबी}24-फरवरी-2012 21:13 IST

कविता सप्ताह में अलका सैनी का दूसरा दिन

पंजाब स्क्रीन:कविता सप्ताह:दूसरा दिन:अलका सैनी
खंडहर
खंडहर हुआ महल अपने
बोझिल अक्स को
मूक आँखों से रहा निहार
जहाँ थी कभी यौवन
भरे उपवन की बहार,


आज खोखली दीवारों से
झरती रेत की तरह
मनुहार
कीट पतंगों , गले सड़े कीड़ों
का भरा अम्बार
सुगन्धित सीलन भरी मिट्टी

भी देने लगी दुर्गन्ध
ठहरे पानी में जमी काई की
छटपटाहट से तन बीमार,


पाप - पुण्य , आस्था - अनास्था
की सीमा में उलझ
मंदिर की मूर्तियाँ धूल भरे
जालों में झुलस
देवता भी जहाँ करते
थे कभी वास
वहीँ खंडहर हुई सुन्दरता की
कुरूपता में बुझे स्वास,


जहाँ तक थी कभी
सड़क चमकदार
वहाँ अब है संकरी पगडण्डी
खतरें अपार
कौन मुसाफिर जाने का
करेगा दुसाहस ? 

                          -अलका सैनी        ###