Tuesday, January 31, 2012

भारतीय इस्पात- विकास की कहानी

विशेष लेख-इस्पात                                      नागिन्दर सिंह किशोर *
भारत में इस्पात एक ऐसा उद्योग है जिसने भारतीय गणतंत्र की स्थापना की शुरुआत से ही राष्ट्रीय विकास में अपना योगदान दिया है।  राष्ट्र की बुनियादी ज़रुरतों के विकास में सहयोग देने से लेकर अर्थव्यवस्था का उत्प्रेरक बनकर विकास को दिशा देने तक में, इसकी भूमिका एक मिश्र धातु से कहीं अधिक बढ़कर रही है।
इस्पात की वजह से संभव हो सके बहुआयामी विकास के बावजूद इसके इस्तेमाल को ठीक प्रकार से पहचान नहीं मिल सकी है। इस क्षेत्र में जो भी विकास हुआ है वह बुनियादी ढ़ांचों की प्रमुख परियोजनाओं और योजनाओं की पृष्ठभूमि में हुआ है। आनेवाले दस वर्षों में, भारत में इस्पात की मांग में दस प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की गति से वृद्धि होने का अनुमान है। इस अवधि में भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता में इसी दर से बढ़ोतरी होने का भी अनुमान है।
आकलनों से यह संकेत प्राप्त होता है कि, वर्ष 2020 तक भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता 120 मिलियन टन तक पहुंच जाएगी जबकि वर्तमान क्षमता 78 मिलियन टन है। यदि ग्रामीण भारत में इस्पात की मांग में वृद्धि होती है तो इसमें और अधिक बढ़ोतरी हो सकती है। इसके लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्यमों द्वारा बड़े पैमाने पर क्षमता वृद्धि की आवश्यकता है। इस्पात मंत्रालय द्वारा समय पर किए गए रणनीतिक प्रयासों के कारण इसकी शुरुआत हो चुकी है।
अब देश में इस्पात उत्पाद में क्षमता वृद्धि पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है ताकि राष्ट्र इस्पात की घरेलू मांग के स्वयं पूरा कर सके। विस्तारण की प्रक्रिया में बहुत सी निजी कंपनियों के अलावा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों ने भी परियोजना प्रारंभ कर दी है ताकि भविष्य में इस्पात की मांग की पूर्ति की जा सके।
 इस्पात मंत्रालय के विशाल सार्वजनिक उद्यमों में से एक सेल की योजना अपनी हॉट मेटल क्षमता को वर्तमान की 13.82 मिट्रिक टन से बढ़ाकर 2012-13 तक 23.4 मिट्रिक टन करने की है। लगभग 72,000 करोड़ रुपए के साथ सेल के आधुनिकीकरण और विस्तारण की योजना अपने उन्नत चरण में है। इससे विक्रय योग्य इस्पात क्षमता में 11.07 एमटीपीए से 20.23 एमपीटीए का इजाफा होगा। यह क्षमता में 83 प्रतिशत की वृद्धि है। पिछले वर्ष दिसंबर तक लगभग 56,000 करोड़ रुपए के ऑर्डर को पूरा कर लिया गया और लगभग 32,000 करोड़ रुपए का व्यय किया गया। सालेम इस्पात संयंत्र में 0.18 एमटीपीए स्टेनलेस स्टील का निर्माण करने वाले नवीन केन्द्र का संचालन पहले ही शुरु किया जा चुका है।
इस्पात क्षेत्र में निम्नलिखित प्रमुख सुविधाओं की योजना है:-
1.       राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) और इस्को इस्पात संयंत्र (आईएसपी) में ड्राई कोक को ठंडा करने वाले उपकरण के साथ नवीन 7 मीटर लंबी कोक ओवन बैटरियां।
2.       आरएसपी और आईएसपी में सिंटर संयंत्र।
3.       आरएसपी में नवीन 4060 एम3 ब्लास्ट फरनेंस।
4.       बोकारो इस्पात संयंत्र में 1.2 एमपीटीए कोल्ड रोलिंग मिल।
विस्तारण परियोजनाओं के पूरा होने से इस्को (IISCO) इस्पात संयंत्र की क्षमता में 2.7 एमटी की वृद्धि होगी। सेल के बोकारो, भिलाई, राउरकेला और दुर्गापुर इस्पात संयंत्रो के नवीनीकरण का कार्य वर्ष 2012-13 तक पूरा हो जाने की संभावना है। 
इससे होने वाली क्षमता वृद्धि का अनुमान इस प्रकार है:-

संयंत्र
वर्तमान क्षमता (मिट्रिक टन)
विस्तारण के बाद क्षमता (मिट्रिक टन)
बोकारो
4.59
5.77
भिलk
4.08
7.50
राउरकेला
2.00
4.50
दुर्गापुर
2.09
2.45

* मीडिया और संचार अधिकारी, पसूका  ***     
30-जनवरी-2012 12:27 IST

Monday, January 30, 2012

राष्ट्रीय विकास मंच ने फिर लिया बापू के मार्ग पर चलने का संकल्प

लुधियाना में अधिकतर नेता भूले राष्ट्रपिता का बलिदान दिवस
लुधियाना// 30 जनवरी// ब्यूरो रिपोर्ट: एक तरफ चुनावी शोर, एक दुसरे से आगे निकलने की होड़, वोट पक्के करने के लिए तरह तरह के हथकंडे और न जाने कितना कुछ. नियमों कानूनों और सख्तीयों के बावजूद गली गली में बही शराब की नदियों और न जाने इस तरह के कितने कुछ में बहुत से लोग, बहुत से दल भूल गए कि आज 30 जनवरी को महात्मा गाँधी जी की पुन्य तिथि भी है. कम से कम आज तो उन्हें याद कर लिया जाये. गौरतलब है कि महात्मा गाँधी जी को आज ही के दिन 1948 में गोली मार कर शहीद कर दिया गया था. हमसे उस महान व्यक्ति को छीन लिया गया था जिसने शांति की ताकत से ही ज़ुल्म और जबर की झुका दिया था.दुनिया की जानी मानी शक्ति के मालिक अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. अभी कुछ ही सप्ताह पूर्व अन्ना हजारे ने एक बार फिर साबित भी किया की अभी भी बापू की फिलासफी और अहिंसा के हथियार में दम है पर फिर भी 

लोग बापू को भूल गए. न तो कोई दल आगे आया और न ही कोई संगठन या नेता.
उस महान पिता के बलिदान दिवस को याद रखने में एक बार फिर पहल दिखाई राष्ट्रीय विकास मंच ने. उल्लेखनीय है कि मंच के राष्ट्रॉय प्रधान गुरिंदर सिंह सूद पुराने गांधीवादी नेता हैं. इस बार भी श्री सूद मंच के पदाधिकारियों, सदस्यों और अपने मित्रों को लेकर माता रानी चोंक स्थित गाँधी धाम पहुंचे और वहां मौजूद राष्ट्रपिता के बुत को बहुत ही स्नेह व सम्मान के साथ दूध से नहलाया. उस पर बहुत ही श्रद्धा से विशेष तौर पर मंगवाए गए फूल अर्पित किये और एक बार फिर संकल्प किया कि देश और समाज में शांति व बराबरी के लिए वे हर सम्भव कदम उठायेंगे लेकिन राष्ट्रपिता की ओर से दिखाए मार्ग पर अडिग रहते हुए. 
इस अवसर पर मंच के राष्ट्रीय महांमंत्री निर्दोष भारद्वाज, भी मौजूद थे और मुस्लिम समुदाय की प्रतिनिधिता करने आये मोहमद नदीम अंसारी भी. राम राज, सिमरजीत सिंह शैरी, हरजीत सिंह नंदा, कर्मजीत सिंह पप्पू, डाक्टर लाल सिंह, शिव राम सरोये, पप्पू सिंह, गुरप्रीत सिंह लवली, गुरमीत सिंह,  राजेश गाँधी, और कई अन्य सक्रिय सदस्य भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
 इस अवसर पर गाँधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें शहीद करने वाले नाथू राम गोडसे की सखत शब्दों में निंदा भी की गयी. महात्मा जी के मिशन को याद करते हुए वहां मौजूद गरीबों को चाये और बिस्कुट भी वितरित किये गए.          ### 

Sunday, January 29, 2012

लड़ाई और तेज करने की घोषणा

आज सरकार सबसे बड़ी जमीदार हो गयी है 
यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है 
विस्थापन और गैरबराबरी के खिलाफ अभियान हुआ और तेज़
*बिहार और झारखण्ड का लोकशक्ति अभियान का तीसरा चरण पूरा
*पहले पुराना हिसाब साफ़ करो! फिर नए की बात करो!
बोकारो, जनवरी २९ : उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आँध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार होते हुए लोक शक्ति अभियान की टीम कल रांची पहुंची और उसके बाद आज सुबह मैथन पहुंची और शाम को बोकारो में दुन्गिबाग बाज़ार में हॉकर्स लोगों के बीच आम सभा की | रांची से १८ किलो. मीटर दूर काके रोड नगली में IIM रांची के लिए आदिवासी किसानो की ली जा रही ज़मीन के खिलाफ और देर शाम रांची में जगन्नाथपुर चौक पर HEC की ज़मीन पर अतिक्रमण के नाम पर तोड़े गए घरों के खिलाफ बड़ी आम सभा की गयी | किसी अध्यादेश के बिना किसानों की जमीन गैर तरीके से शासन की कब्जेदारी के खिलाफ़ एक बड़ी सभा आयोजित की गयी है

मेधा पाटकर ने नांगली में होने वाले विस्थापितों और डी वी सी के ५५ साल से विस्थापित आदिवासियों से कहा कि, आदिवासीयों के लिए बिहार से विभाजित होकर नवगठित राज्य झारखण्ड में अगर आदिवासियों को एक आदिवासी मुख्यमंत्री इस तरह से उजाड़ने में लगा हो तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है | आई. आई. एम् के लिए जबरन २२७ एकड जमीन पर सेकडों अर्द्सेनिक बलों को तैनात कर जमीन के मालिक किसानों को बेदखल करना और प्रताड़ित करना धिक्कार योग्य है | गोबर बीनने पर प्रतिबन्ध शर्मनाक है | जिस तरह से आदिवासियों के हितार्थ पेशा कानून अनुपालन समिति के संगठनकर्ताओं को १०७ की नोटिस देकर न्यायलय में जबाब तलन करना और उसी दिन उनके धान कटे खेतों पर अर्द्सैनिक बलों को तैनात करना गैरबराबरी एवम आदिवासी द्रोही कदम है |

अर्जुन मुंडा जी आदिवासियों मुख्यमंत्री है तो आपसे आदिवासियों के उद्धार की अपेक्षा थी लेकिन बंदूक और अर्द्सैनिक बलों की ताकत पर आदिवासीयों को खेत से खदेड़ने बाले मुख्यमंत्री को हम सेनापति कहेंगे मुख्यमंत्री नहीं | आज सरकार सबसे बड़ी जमीदार हो गयी है | विश्वविद्यालय, फैक्ट्री, खदान, हर चीज़ के लिए जमीन ली जा रही है | ये सब अंग्रेजों ने भी नहीं किया था | उस समय के राज्यों ने नहीं किया | भूमिअधिग्रहण में उस समय जबरदस्ती नहीं थी | एक तरफ़ा दंगा हो रहा है | अर्जुन मुंडा आदिवासी नहीं रहे राज नेता हो गये है | आज झारखण्ड में करीब तीस लाख से ज्यादा विस्थापित लोग हैं तो अगर उनको सरकार नहीं बसा सकती तो लोगों को उजाड़ने का हक़ और चेहरा कैसे रखती है | किस मुँह से यहाँ के नेता और केंद्र की सरकार लोगों की ज़मीन पर बुलडोजर चलाती है | उन्हें पहले पुराना हिसाब चुकता करना होगा तब जाकर कोई और बात होगी | डी वी सी के विस्थापितों को पहले न्याय देना होगा तब जाकर आगे कोई और बात होगी |

पेसा कानून अनुपालन समिति में शामिल झारखण्ड की सामाजिक कार्यकर्त्ता दयामणि बरला ने कहा की नगड़ी में बंदूक की ताकत से जमीन अधिग्रहण की पूरी तैयारी गैर क़ानूनी है | नगड़ी में जमीन बचाने की लड़ाई पूरे झारखण्ड की लड़ाई हो गयी है और इसे पूरे देश की समर्थन चाहिये | एक किसान को कुछ पैसा देकर १० किसानों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रही है | बोकारो इलेक्ट्रो कम्पनी कर रही है यही जिंदल कंपनी कर रही है माफिया ठेकेदरों को देने के लिए जमीन है गरीबों को देने के लिए नहीं है | दयामनी ने कहा कि यह नगड़ी की ही नहीं, झारखण्ड की ही नहीं पूरे भारत की लड़ाई नहीं है | हम अपने पूर्वजों की एक इंच जमीन नहीं देंगे |

नगड़ी की शांतिदेवी ने कहा, इस जमीन से हमने दो बच्चे पैदा किया है, उनका पालन – पोषण किया और आज सरकार कहती है की १९५७ में इसका अधिग्रहण हो गया, हम गैरकानूनी हैं तो मैं पूछती हूँ की फिर किस मुहँ से सरकार ने अहुमको आज तक मालगुजारी वसूल किया | बताये हमको सरकार | नगड़ी की जमीन १९५७ से १९५८ में ९०० रूपये प्रति एकड के हिसाब से ली जानी थी २२ आदमीयों ने मुआवजा लिया था बाकी किसी ने नहीं लिया | आज सरकार उसी पैसे को १०% ब्याय की दर जोड़ कर मुआवजा देने की बात की जा रही है | यह सरासर गलत और गैरकानूनी है | अगर धारा ४, ६, ९, ११, कुछ भी नहीं लगी तो सरकार को कैसे यह हक़ बनता है कि वोह कोई भी काम शुरू करे इन ज़मीनों पर |

मैथन बाँध के विस्थापितों की लड़ाई, दिल्ली में अक्टूबर माह में ८ दिन के धरने के बाद, जिसमे मेधा पाटकर, स्वामी अग्निवेश, राजिंदर सच्चर, कुलदीप नय्यर और अन्य गणमान्य लोगों ने हस्तक्षेप किया था, ने एक बार फिर से जोर पकड़ा है. उर्जा मंत्री शुशील कुमार शिंदे से मुलाकात के बाद २८ दिसम्बर को डी वी सी के चेयरमन के साथ स्वामी अग्निवेश की मध्यस्थता में वार्ता हुई | मामले को एक धक्का तो मिला है लेकिन न्याय नहीं मिला है, घटवार आदिवासी महासभा के सलाहकार रामश्रय सिंह ने बी एस के कॉलेज के मैदान में आयोजित मीटिंग में कहा |

स्वामी अग्निवेश ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की देश में आज भीषण समस्या है, विकास के नाम पर चरों ओर लूट मची है | इस पूरी विकास प्रक्रिया में आदिवासी, दलित, शोषित और वंचित समाज के लोगों के साथ और भी अन्याय हो रहा है | आज़ादी के बाद की विकास की प्रक्रिया में आदिवासियों ने सबसे बड़ा बलिदान दिया है | डी वी सी परियोजना उनमे से एक है | आज भी ९,००० परिवारों को वायदे के मुताबिक नौकरी और मुआवजा नहीं मिला है | लेकिन प्रबंधन यह दावा करता है की उन्होंने दे दिया | यह तो वक्त ही बताएगा जब आदिवासी महासभा के लोगों के दावे सरकारी आंकड़ों को झूठा करके दिखा देंगे | सरकार को चहिये की इनके साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ है और न्याय करे | इन्हें हर सुख सुविधा मुहया कराये |
पिछले साल २०११ के अप्रैल महीने में रांची उच्च न्यालय के आदेश के मुताबिक पूरे झारखण्ड के शहरों में एक जबरदस्त विस्थापन का दौर चला जिसमे हजारों घर तोड़े गए | रांची में इस्लामनगर और अन्य कई बस्तियों में घर तोड़े गए | सदमे से करीब आठ लोगों के मौत हो गयी, क्योंकि उनके जीवन के कमाई धूमें मिला डी गयी थी | कारण : ये सभी बस्तियां सरकारी ज़मीन या पब्लिक सेक्टर कंपनी जैसे एच ई सी की ज़मीन पर काबिज थे |

सिद्धेश्वर सिंह, बस्ती बचाओ संघर्ष समिति, रांची के अध्यक्ष ने कहा जब एच ई सी ने लोगो को जगह जगह से लाकर मजदूरी के तौर पर काम दिया और इन ज़मीनों पर बसाया था तब सरकार कहाँ थी | आज वही लोग कैसे अतिक्रमणकारी हो गए | इन बस्तियों में रहने वाले ८० % लोग आदिवासी हैं, मजदूर हैं, झारखंडी हैं, उनका हक़ है इस धरती पर वे अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी जीविका और घर नहीं टूटने देंगे |

निजाम अंसारी, राष्ट्रीय हौकर्स फेडरेशन, बोकारो के समन्वयक ने कहा की उस दौरान रांची के साथ साथ बोकारो में बस्तियां तोड़ी गयी, लोगों की जीविका खतम की गयी | मेहनतकश मजदूर वर्ग पूरे शहर को सेवाएं देते हैं और अपने खून पसीने की कमाई से अपना परिवार चलते हैं, क्या इस नयी आर्थिक व्यवस्था में उनके लिए कोई जगह नहीं है | उनका इस आर्थिक व्यवस्था में स्थान तय करना होगा |

पूरे दो दिन के झारखण्ड दौरे के बाद लोकशक्ति अभियान ने यह एलान किया की विस्थापन और बढती गैरबराबरी के खिलाफ आगामी बजट सत्र के दौरान एक विशाल जन संसद का आयोजन १९ से २३ मार्च को किया जाएगा जिसमे देश के विभिन्न जन संगठन अपने अपने झंडे और बन्नेर के नीचे सरकार को एक कड़ी चुनौती देंगे | लोकशक्ति अभियान का यह तीसरा चरण आज समाप्त हुआ |

अभियान का चौथा चरण ६ मार्च को मुंबई में लोक मंच के कार्यक्रम के साथ होगा | ७ मार्च

को बेलगांव, ८ और ९ मार्च को गोवा, १० मार्च को पुणे, ११ मार्च को औरंगाबाद, १२ मार्च को नागपुर में कार्यक्रम होंगे | १३ मार्च को देश के विभिन्न जन संगठनों एक तैयारी बैठक नागपुर में आयोजित की जायेगी जिसमे बजट सत्र के दौरान होने वाले कार्यक्रम की वृहद योजना तैयार की जायेगी |

लोकशक्ति अभियान के लिए
राजेंद्र रवि, नागेश त्रिपाठी, अमिताव मित्र, मधुरेश कुमार

मामला श्री अकाल तख्त साहिब हुक्मनामे से भगौड़े नेताओं का

खालसा पंचायत ने की ऐसे नेतायों को अकाल तख्त पर तलब करने की मांग
लुधियाना// 28 जनवरी//गुलशन कुमार
लुधियाना 28 जनवरी (गुलशन कुमार) शिरोमणी खालसा पंचायत के नेतृत्व में पंथक संगठनों ने श्री अकाल तख्त से मांग की है कि वोटें प्राप्त करने के लिये जिन जिन सिख नेताओं नें डेरा सिरसा के प्रमुख बाबा की हाजिरी भरी है उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब किया जाये। इस सबंधी कन्वीनर शिरोमणी खालसा पंचायत भुपिंदर सिंह निमाणा ने कहा कि डेरा सिरसा प्रमुख के खिलाफ 17 मई 2007 को पांच तख्तों के जथेदार साहिबान द्वारा समूची सिख कौम की भावनाओं की तर्जमानी करता बायकाट का हुक्मनामा जारी किया गया था जिसमें डेरा प्रमुख के साथ धार्मिक , सभ्यिाचारक ,भाईचारक ,राजनीतिक सांझ न रखने क ा हुक्म जारी किया गया था। परन्तु गत दिनों जिन राजनीतिक पार्टीयों के नेताओं द्वारा हुक्मनामे की उलंघना की गई है। जिस में प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल प्रमुख है उनको तुरन्त आकल तख्त साहिब पर किया जाये। उन्होंने गत दिनों जो डेरा सिरसा प्रमुख को प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल दोनों बाप-बेटे नें डेरे प्रमुख से लिखती रूप में पिछली गलतियों की माफी मांगी गई है और कहा कि पंजाब में अकाली सरकार के सता में आने पर डेरे के प्रोग्रामों को खुली छूट दी जायेगी। स: निमाणा ने कहा कि अगर यह झूठ है तो बादल श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर इसका खंडऩ करें अगर यह सही है तो जथेदार साहिब श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे से भगौड़े हुऐ इन नेताओं को अकाल तख्त पर तलब करके सख्त सजा दिलाये । खालसा पंचायत समूचे सिख जगत को भी बादल की दोगली नीति और लूम्बड़ चालों से बचनें की अपील करता है। स: निमाणा ने कहा कि फखरे-ऐ-कौम का खिताब हासिल करने वाले बादल नें डेरे पर जाकर सिखों के दिलों को ठेस पहुंचाई है और बाबा द्वारा किये गये ऐलान के पश्चात जथेदार साहिबान को बादल से स्पष्टीकरन लेने चाहिये। 

Saturday, January 28, 2012

कडवी हकीकतों के रूबरू कराते सादगी भरे शब्द

गाँधी के गुजरात से मेहुल मकवाना की एक कविता 
जैसे मेरे पास भी एक योनि है…सोनी सोरी
जज साहब,
मेरे साल तेंतीस होने को आये लेकिन,
मैंने कभी कारतूस नहीं देखी है !
सिर्फ बचपन में फोड़े दीपावली के पटाखों की कसम,
आज तक कभी छुआ भी नहीं है बन्दुक को !
हा, घर में मटन-चिकन काटने इस्तेमाल होता,
थोडा सा बड़ा चाकू चलाने का महावरा है मुझे !
लेकिन मैंने कभी तलवार नहीं उठाई है हाथ में !
में तो कब्बडी भी मुश्किल से खेल पानेवाला बंदा हूँ,
मल्ल युद्द्द या फिर कलैरीपट्टू की तो बात कहा ?
प्राचीन या आधुनिक कोई मार्शल आर्ट नहीं आती है मुझे !
में तो शष्त्र और शाष्त्र दोनों के ज्ञान से विमुख हूं !
यह तक की लकड़ी काटने की कुल्हाड़ी भी पड़ोसी से मांगता हूँ !

लेकिन मेरे पास दो हाथ है जज साहब,
महनत से खुरदुरे बने ये दोनों हाथ मेरे अपने है !
पता नहीं क्यों लेकिन जब से मैंने यह सुना है,
मेरे दोनों हाथो में आ रही है बहुत खुजली !
खुजला खुजला के लाल कर दिए है मेने हाथ अपने !

और मेरे पास दो पैर है जज साहब !
बिना चप्पल के काँटों पे चल जाये और आंच भी न आये
एसे ये दोनों पैर, मेरे अपने है जज साहब !
और जब से मेंने सुना है
की दंतेवाडा कि आदिवासी शिक्षक सोनी सोरी की योनि में
पुलिसियों ने पत्थर भरे थे,
पता नहीं क्यों में बार बार उछाल रहा हु अपने पैर हवा में !
और खींच रहा हूं सर के बाल अपने !
जैसे मेरे पास भी एक योनि है और कुछ पैदा ही रहा हो उस से !

हा, मेरा एक सर भी है जज साहब,
हर १५ अगस्त और २६ जनवरी के दिन,
बड़े गर्व और प्यार दुलार से तिरंगे को झुकनेवाला
यह सर मेरा अपना है जज साहब !
गाँधी के गुजरात से हूं इसलिए
बचपन से ही शांति प्रिय सर है मेरा !
और सच कहू तो में चाहता भी हूं कि वो शांति प्रिय रहे !
लेकिन सिर्फ चाहने से क्या होता है ?

क्या छत्तीसगढ़ का हर आदिवासी,
पैदा होते हर बच्चे को नक्सली बनाना चाहता है ?
नहीं ना ? पर उसके चाहने से क्या होता है ?
में तो यह कहता हु की उसके ना चाहने से भी क्या होता है ?
जैसे की आज में नहीं चाहता हु फिर भी ...
मेरा सर पृथ्वी की गति से भी ज्यादा जोर से घूम रहा है !
सर हो रहा है सरफिरा जज साहब,
इससे पहले की सर मेरा फट जाये बारूद बनकर,
इससे पहले की मेरा खुद का सर निगल ले हाथ पैर मेरे ,
इससे पहले की सोनी की योनि से निकले पत्थर लोहा बन जाए,
और ठोक दे लोकतंत्र के पिछवाड़े में कोई ओर कील बड़ी,
आप इस चक्रव्यूह को तोड़ दो जज साहब !
रोक लो आप इसे !
इस बिखरते आदिवासी मोती को पिरो लो अपनी सभ्यता के धागे में !
वेसे मेरे साल तेंतीस होने को आये लेकिन,
मैंने कभी कारतूस नहीं देखी !
कभी नहीं छुआ है बन्दुक को ,
नहीं चलाई है तलवार कभी !
और ना ही खुद में पाया है
कोई जुनून सरफरोशी का कभी !
– मेहुल मकवाना, अहमदाबाद, गुजरात
94276 32132 and 84012 93496



Friday, January 27, 2012

मामला भारत और पकिस्तान देशों के कैदियों की रिहाई का

दोनों देशों के न्यायधीश खुल कर आए सामने 
          गजिंदर सिंह किंग, अमृतसर
भारत और पकिस्तान की जेलों में बंद कैदियों की रिहाई के लिए अब दोनों देशों के न्यायधीश सामने आए है, जिस के तहत दोनों देशों के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों की एक विशेष कमेटी बनाई गई है, जो कि उन कैदियों की रिहाई करवाए गी, जिन की सजा पूरी हो चुकी है 
          अमृतसर की जेल में आज भारत - पकिस्तान ज्यूडिसीयल कमेटी ने पकिस्तान बंद कैदियों की रिहाई के लिए दौरा किया, दरअसल दोनों देशों की सरकारों की ओर से कैदियों की रिहाई के लिए इस कमेटी को बनाया गया है, जिस में दोनों देशों से चार-चार जजों की न्युक्ति की है, जिस में यह कमेटी के लोग देश की अलग-अलग जेलों में जाए गे और उन कैदियों से मिलेंगे, जिन की सजा पूरी हो चुकी है, एक रिपोर्ट तैयार कर के अपनी आपनी सरकारों को दें कर उन कैदियों को रिहा करवाया जाएगा, वहीँ इस के चलते आज इस टीम ने अमृतसर जेल का दौरा किया और वहां जेल में बंद पकिस्तान के कैदियों से मुलाक़ात की और जो मानसिक तौर पर पाकिस्तानी कैदी पीड़ित है, उन के बारे में जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की  
          वहीँ इस मौके पर पकिस्तान के रिटार्ड जस्टिस नासिर असलम जाहिद, रिटार्ड जस्टिस एम, ऐ खान जजों का कहना है, कि भारतीय जेल में कुछ कैदी ऐसे है, जो कि मानसिक तौर पर बीमार है और साथ ही अमृतसर में 7 से 8  पाकिस्तानी कैदी ऐसे है, जो मानसिक तौर पर पीड़ित है और उन को बाहर निकाला जाए, वहीँ साथ ही इस मौके पर 1971 की जंग में के सैनिक कैदी पकिस्तान की जेल में नहीं है, साथ ही उन्होंने ने कहा, कि उन्होंने भारत में तीन शहरों की जेलों का दौरा किया है, जिस में की जयपुर, दिल्ली और अब वह आज अमृतसर की जेल में आए है, उन्होंने ने कहा, वह यहाँ पर पकिस्तान के कैदियों से मिले है और उन की समस्याओं को सुना है, कुछ लोग ऐसे है, जिन को अपना नाम तक याद नहीं है और कुछ ऐसे है जो कि पिछले चार साल से आपनी सजा पूरी कर चुके है, लेकिन वह आज भी जेल में बंद है और आज उन की टीम उनकी परेशानियों को पूरा करने के लिए आए है, ताकि उन को रिहा करवाया जा सके, वहीँ सरबजीत की रिहाई पर उन का कहना है, कि सरबजीत वह ही है, जिस ने पकिस्तान में धमाका किया था और इस मामले को भारत ने गहराई से नहीं लिया  
       वहीँ इस मौके पर भारतीय रिटार्ड जस्टिस ऐ,एस गिल जज जो कि इस कमेटी के सदस्य है, उन का कहना है, कि 2008 से इस कमेटी का गठन हुआ था, लेकिन मुंबई ब्लास्ट के बाद इस कमेटी ने दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब होने के कारण आपना काम बंद कर दिया था, लेकिन अब यह एक बार फिर आपना काम शुरू कर दिया है, साथ ही उन्होंने कहा, कि 1965 और 1971 के जेल में कोई सैनिक जेलों में नज़र नहीं आया, वहीँ सरबजीत के केस पर उन का कहना है, कि उस का केस राजनीतिक मोड़ ले गया है, जिस कारण उस के ऊपर काम में मुश्किल आ रही है और वह कोशिश कर रहे है, कि इस बार जब वह अप्रैल में पकिस्तान जाए गे, तब वह उस की रिहाई करवाने का प्रयास करेंगे

Thursday, January 26, 2012

एक यादगारी भेंट


इस बार भारत के 63वें गणतन्त्र दिवस के शुभ अवसर पर थाईलैंड की प्रधानमंत्री कुमारी यिंगलुक्क  शिनावत्रा मुख्य मेहमान थी. उनके सम्मान में राष्ट्रपति भवन नै दिल्ली २६ जनवरी, 2012 को किये गए एक विशेष आयोजन में प्रधान मंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर भी उपस्थित रहे. इस ख़ास मेहमान की उपस्थिति से यह दिन और भी यादगारी बन गया. इन पलों को हमेशां के लिए संजोये रखने के मकसद से पी आई बी के कैमरामैन ने इन की एक शानदार और जानदार तस्वीर भी खींच ली. एक यादगारी भेंट   

सीएमसी अस्पताल लुधियाना में भी मनाया गया गणतन्त्र दिवस

बेटियों की हत्या के खिलाफ दिया गया एक ज़ोरदार संदेश
सी एम सी छात्र-छात्रायों ने किया दिल को झंक्झौर देने वाला मंचन
लुधियाना//26 जनवरी, 2012// शालू अरोड़ा और रेक्टर कथूरिया:
गणतन्त्र दिवस के शुभ अवसर पर जगह जगह पर रंगारंग कार्यक्रम हुए. कार्यक्रमों की इस भीड़ में एक अलग सा आयोजन था लुधियाना के सी एम् सी अस्पताल और कालेज प्रबन्धन की ओर से,  झंडे की रस्म थी, गीत संगीत था, और मिल; बैठने का एक ऐसा खूबसूरत बहाना जिसमें जग रहा था देश का प्रेम, देश के लोगों का फ़िक्र और दुनिया के विकास की रफ़्तार में भारत को सबसे आगे देखने का जनून.
इस यादगारी अवसर पर जानेमाने उद्योगपति जोगिन्दर कुमार भी विशेष तौर पर उपस्थित हुए. उन्होंने मीडिया  से एक संक्षिप्त भेंट के दौरान भारत की प्रगति, आर्थिक मजबूती और अनेकता में एकता का उल्लेख करते हुए कहा की आज गणतन्त्र दिवस के मौके पर इन सब बातों को याद करके एक बार फिर हमारा सर फखर से ऊंचा हो जाता है. उन्होंने याद दिलाया की आज भारत आर्थिकता केमामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है.
कालेज के छात्र छात्रायों की ओर से बहुत सी रंगारंग आईटमें प्रस्तुत की गयीं. मंच से दिल में उतर जाने वाला मनमोहक गीत संगीत भी था, पंजाब की पहचान, पंजाबियों की जान भांगड़ा भी, अनेकता में एकता का संदेश देता राजस्थानी लोक नाच भी और आज के समाज में लगातार सर उठा रही बुराई भ्रूण हत्या का मर्मस्पर्शी मंचन भी.
ह्रदय को बार बार छू कर दिल और दिमाग को झंक्चौर देने वाली इस प्रस्तुती को तैयार किया था सी एम् सी के ही कालेज आफ फिजियोथरेपी के छात्र-छात्रायों ने. इस टीम में अगर एक आशिमा लुधियाना की थी तो दूसरी आशिमा मनाली से आई थी.कनिका सिंह चंडीगढ़ से थी तो पुबली दास कोलकाता से. बनीत शर्मा की कला से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर की झलक मिल रही थी तो नवां शहर से रमण दीप की कला भी कम नहीं थी. बेगिवल दोराहा से दपिन्द्र ने भी इसी टीम अपनी आवाज़ बुलंद की थी की मर मरो बेटियों को. इन्होने ही हमें जन्म दिया है. इनकी हत्या करके हम कहाँ जायेंगे.  किसे मूंह दिखायेंगे. लुधियाना की सुखं प्रीत ने इस सम्बन्ध में बात करते हुए इस शानदार प्रस्तुती का सेहरा अपनी पूरी टीम को दिया. करीब ढाई घंटे तक चले इस आयोजन ने दर्शकों पर एक गहरी चाप छोड़ी और साबित किया कि इस बार इन टीमों ने पहले से कहीं अधिक मेहनत की है. इस दिन को और भी यादगारी बनाने के लिए हुए इस आयोजन में सीएमसी अस्पताल और कालेज पर्बंधन की और से डाक्टर ए जी थोमस और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी, डाक्टर अ प्रोफेसर शामिल हुए.

Wednesday, January 25, 2012

लुधियाना में भी चुनावी प्रचार ज़ोरों पर

स्वपन सुंदरी हेमा मालिनी नें भी की सतपाल गोंसाई के लिये वोट की अपील
लुधियाना 25 जनवरी (गुलशन) 30 जनवरी को होंने जा रहे पंजाब विधान सभा चुनावों के चलते लुधियाना के विधान सभा क्षेत्र सेंट्रल के भाजपा-अकाली गठबंधन के प्रत्याशी सतपाल गोंसाई की चुनाव मुहिंम को गति देने के लिये किदवाई नगर स्थित मैंबर पार्लीयामैंट व  लुधियाना की बहु और प्रख्यात बालीवुड़ अभिनेत्री स्वपन सुन्दरी हेमा मालिनी ने एक प्रभावशाली चुनाव रैली में पहुंच कर बोले सो निहाल के जैकारे के साथ शुरूआत करते हुऐ लोगों को संबोधित करते कहा  कि पंजाब में दूसरी बार आई है और इस से पहले भी वह गोंसाई जी के चुनाव प्रचार के लिये लुधियाना आई थी।  उन्होंने कहा कि पंजाब से मुझे प्यार है क्योंकि यहां का खाना, पानी और पंजाब के लोगों की (बल्ले बल्ले). उन्होंने कहा कि  अब में एक बार फिर सतपाल जी के लिये आप लोगों से वोट देकर जीत दिलाने की अपील करने आई हूँ उन्होंने सतपाल गोंसाई को शेरे पंजाब सतपाल कहते हुऐ कहा कि इन्होंने पंजाब के अस्पतालों में ऐम्बोलैंस बस सेवा चालु करवाई है और रोज गार्डन, चिल्डऱ्न पार्क, गन्दा नाला को कवर करने का काम, गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी में शगुन देने और न्रून हत्या पर रोक लगाने आदि अच्छे कार्य करवाये हैं जो जनता के हित में हैं। उन्होंने जोदार अपील में कहा कि पंजाब में सरदार बादल को फिर मुख्यमन्त्री बनाने के लिये, विकास के बल पर एक बार फिर अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार कों सत्ता में लाने के लिए अपना वोट अकाली भाजपा को दें। इस अवसर पर जिला भाजपा प्रधान राजीव कतना, ओम प्रकाश रतड़ा, संजय कपूर, नरेश धीगान, पार्षद गुरदीप सिंह नीटू,बजुर्ग अकाली नेता कुलवंत सिंह दुखिया, ज्ञान चंद गुप्ता, सुभाष वर्मा, प्राण नाथ भाटिया आदि सैकड़े अकाली व भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित हुए। 

बहादुरी दिखाने पर किया देश और दुनिया ने फखर

राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार से सम्‍मानित बच्‍चों ने की उप राष्‍ट्रपति से मुलाकात
वीरता पुरस्‍कार-2011 से सम्‍मानित बच्‍चों ने आज यहां एक समारोह में भारत के उपराष्‍ट्रपति श्री हामिद अंसारी से मुलाकात की। उपराष्‍ट्रपति ने बहादुर बच्‍चों तथा उनके परिवार के सदस्‍यों से बातचीत की। बहादुर बच्‍चों के कार्यों की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि इन बच्‍चों में अपार क्षमता और सामर्थ्य है तथा वह निश्‍चित रूप से अपने जीवन में उच्‍च लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करेंगे। बच्‍चों ने अपने साहस और बहादुरी के कारनामें उपराष्‍ट्रपति से बांटे। 

इस वर्ष 24 बच्‍चों को राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार प्राप्‍त हुए हैं। इनमें से पाँच बच्‍चों को यह पुरस्‍कार मरणोपरांत दिया गया है। विजेता बच्‍चों को एक पदक, प्रमाणपत्र और नकद राशि ईनाम के रूप में दी गई। प्रतिष्ठित भारत पुरस्‍कार रूद्रप्रयाग (उत्‍तराखंड) के स्‍वर्गीय मास्‍टर कपिल सिंह (15 वर्ष) को दिया गया जिसने अदम्‍य साहस का प्रदर्शन करते हुए अपने स्‍कूल के बच्‍चों की जान बचाई। गीता चोपड़ा पुरस्‍कार अहमदाबाद की कुमारी मित्‍तल महेंद्रभाई (12 वर्ष 2 महीने) को दिया गया। संजय चोपड़ा पुरस्‍कार आज़मगढ़ (उत्‍तर प्रदेश) के मास्‍टर ओम प्रकाश यादव (11 वर्ष 5 महीने) को दिया गया।

इस योजना की शुरूआत के बाद से भारतीय बाल कल्‍याण परिषद द्वारा 584 लड़कों तथा 240 लड़कियों सहित 824 बच्‍चों को पुरस्‍कार दिए गए हैं। विजेताओं को परिषद की छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत उनकी स्‍कूली शिक्षा पूरी होने तक वित्‍तीय सहायता प्रदान की जाएगी। 

Tuesday, January 24, 2012

धूमधाम से हुआ पूर्वोत्‍तर संस्‍कृति केंद्र का उद्घाटन

संस्‍कृति मंत्रालय कला संस्‍कृति को बढ़ावा संरक्षण देने को प्रतिबद्ध
कुमारी सैलजा ने किया पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के साथ वायदा
केंद्रीय संस्‍कृति मंत्री ने यह बताया कि उनका मंत्रालय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की सम्‍पन्‍न, विविध तथा अनोखी कला एवं संस्‍कृति को बढ़ावा तथा संरक्षण देने को अत्‍यंत महत्‍व देता है। उन्‍होंने यह बात पूर्वोत्‍तर संस्‍कृति केंद्र के उद्घाटन अवसर के दौरान कही। क्षेत्र की सांस्‍कृतिक परंपराओं की सुरक्षा के भाग के रूप में संगीत नाटक अकादमी ने पूर्वोत्‍तर केंद्र शिलांग में गठित किया है। इसने गुवाहाटी में सत्रिया केंद्र गठित किया है, जो असम की सत्रिया परंपरा के बारे में देखभाल करता है। 

उन्‍होंने यह भी बताया कि दीमापुर में पूर्वोत्‍तर आंचलिक सांस्‍कृतिक केंद्र थियेटर रूपांतरित योजना को लागू कर रहा है। इसके अंतर्गत पूर्वोत्‍तर क्षेत्रों में थियेटरों की सुरक्षा और इनके लिए सहायता दी जाती है। मंत्री महोदया ने यह भी बताया कि नेशनल स्‍कूल ऑफ ड्रामा पूर्वोत्‍तर नाट्य समारोह अलग से आयोजित करता है, जिसमें प्रतिष्ठित निर्देशकों के नाटक तथा पूर्वोत्‍तर की प्रमुख परंपराओं को दर्शाया जाता है। (तस्वीर व विवरण: पत्र सूचना कार्यालय) 

Monday, January 23, 2012

भारत निर्माण स्‍वयंसेवी-ग्रामीण जागरूकता के संवाहक

परिवारों तथा विभिन्‍न विभागों के बीच सहज कड़ी
पत्र सूचना कार्यालय अगरतला की ओर से कराई गई.एक संगोष्ठी में बेबाक होकरसवाल पूछती एक महिला. इस संगोष्ठी का आयोजन भारत निर्माण जन सूचना अभियान के अंतर्गत २० जनवरी को राज नगर दक्षिणी त्रिपुरा में किया गया था. (फोटो: पी.आई.बी.
भारत निर्माण स्‍वयंसेवी एक ऐसा व्‍यक्‍ति है जो ग्रामीण परिवेश से जुड़ा है वह अपनी मर्जी से परिवारों तथा विभिन्‍न विभागों के मेजबानों के बीच सहज कड़ी के रूप में कार्य करता है। वह सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्‍न कार्यक्रमों के लाभ बिना पहुंच वाले ग्रामीणों को दिलवाना सुनिश्‍चित करता है। दूसरे शब्‍दों में, वे कार्यक्रमों तथा इन कार्यक्रमों की पहंच से दूर बिना के लोगों के बीच मील का आखिरी मानवीय संपर्क है। अब तक देश में 31,000 स्‍वयंसेवी को भारत निर्माण स्‍वयंसेवी के रूप में नामांकित कर लिया गया है। इस वर्ष मार्च तक 1,60,000 को नामांकित करने का लक्ष्‍य है।
भारत निर्माण स्‍वयंसेवी क्‍यों?
     सरकार तथा संबंधित राज्‍य सरकारें कई दशकों से विभिन्‍न कल्‍याणकारी तथा विकास कार्यक्रमों को संचालित कर रही हैं। तथापि, कई मूल्‍यांकन अध्‍ययनों में यह दर्शाया गया है कि कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में कमी रह गई और गरीबी से नीचे रहने वाले कई संबद्ध परिवारों को वांछित लाभ नहीं मिल पाया। विभिन्‍न स्‍तरों पर इन सुविधाओं का लाभ देने वालों का आकार सीमित रहने तथा पर्याप्‍त समय न देने पर लक्षित ग्रामीण घर परिवारों को इनका लाभ भी समय पर नहीं मिल पाया तथा कहीं पर ऐसे लोगों को भी लाभ मिल गया जिन्‍हें इसकी जरूरत नहीं थी।

     ग्रामीण घर परिवारों के साथ आखिरी जुड़ाव के रूप में मानवीय चेहरा प्रस्‍तुत करने के लिए यह सोचा गया कि क्षमतावान युवकों का उपयोग भारत निर्माण स्‍वयंसेवी के नाम से किया जाए जो ग्रामीण घर परिवारों के बीच कल्‍याणकारी तथा विकास कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता फैलाएंगे जिससे बेहतर योजना तथा कार्यक्रमों का सुचारू कार्यान्‍वयन हो और पारदर्शिता तथा जवाबदेही लाई जा सके।
वे क्‍यों स्‍वयंसेवी बने?
पिछले काफी समय से देखा जा रहा था कि ग्रामीण परिवेश में स्‍थानीय शक्‍ति के समूह बढ़ने, विभिन्‍न समुदायों के बीच एकता का अभाव, उनसे संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता का अभाव, कार्यक्रम की कार्यान्‍वयन प्रक्रिया के पहलुओं के बारे में जागरूकता का अभाव जैसे मुद्दे सामने आ रहे थे इससे विभिन्‍न सरकारी कार्यक्रमों का लाभ गरीब परिवारों को नहीं पहुंच पा रहा था। इसके साथ ही, विभिन्‍न कल्‍याणकारी तथा विकास कार्यक्रमों की योजना की प्रक्रिया में ग्रामीण परिवारों की सहभागिता पर्याप्‍त नहीं थी। इसलिए, ग्रामीणों की विशेष तौर पर युवाओं की स्‍वयंसेवी भागीदारी तथा ग्राम विकास के लिए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में भाग लेने का अवसर प्रदान करना आवश्‍यक समझा गया। भारत निर्माण स्‍वयंसेवकों ने अपने कार्यों से अपने व्‍यक्‍तित्‍व, व्‍यवहार में काफी परिवर्तन महसूस किया। उन्‍होंने सम्‍मान और पहचान प्राप्‍त की तथा जहां उन्‍होंने कोई विशिष्‍ट कार्य किया तो उनमें यह भाव पैदा हुआ कि ‘यह हमने किया’।

     प्रशिक्षण में मूल्‍यों तथा नैतिकता के साथ-साथ सरकार की सभी विकास योजनाओं के उद्देश्‍यों पर बल दिया गया है। इससे उनका ध्‍यान उनके समुदाय में व्‍याप्‍त विभिन्‍न बुराइयों जैसे कि शराबखोरी, जल्‍दी स्‍कूल छोड् देने के साथ ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था, सुशासन और योजना की ओर गया। ग्राम सभा, ग्राम पंचायत तथा समितियों के अंतर्गत मुद्दों का निपटान, अनुशासन, सहजता तथा निर्धारित ढंग के होने से वे स्‍वयं अचंभित थे और ऐसा उन्‍होंने पहले सोचा भी नहीं था। वे शक्‍तिशाली स्‍तंभों से भी सामना करने लगे और उन्‍हें अपने विकास कार्यक्रम के अनुरूप ढालने में समर्थ रहे।

     अनेक गांवों में गलियों की सफाई की, कूड़े का निपटान किया, टैंकों को साफ किया, श्रमदान करके सड़क तैयार की, सूचना प्रदान की। कई बार उन्‍होंने अपनी कमाई भी लगाई। उनमें से कुछ ने बेसहारा परिवारों, जिनमें केवल महिलाएं घर चलाती थीं जिनके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्राप्‍त चावल पूरा नहीं पड़ता था, ऐसे परिवारों की पहचान की और कार्यकर्ताओं ने ऐसे परिवारों की मदद की और यह सुनिश्‍चित किया कि वे हर रोज अपने तीन समय का भोजन प्राप्‍त कर सकें। कई स्‍वयंसेवी अपने गांव में रोशनी लाने के लिए ऊर्जा के वैकल्‍पिक स्रोतों की योजना सरकार से धनराशि प्राप्‍त करने के लिए बना रहे हैं। कुछ अपनी गलियों में सौर ऊजा से रोशनी तथा कुछ सौर कुकर और बिजली के लिए योजना बना रहे हैं। गांव में विभिन्‍न समुदायों के बीच काफी समय से चल रहे झगड़ों का निपटारा कर लिया गया है और भाईचारा पनपा है। भारत निर्माण स्‍वयंसेवी ने मंडल स्‍तर पर सभी विभागों से संपर्क कर समुदायों के पूरे नहीं किए गए अनुरोधों के संबंध में उत्‍तर प्राप्‍त किए हैं। इनमें से अनेक ने दफनाने के लिए स्‍थान, खेल के मैदान तथा कुछ ने अपने गांव में बस चलाने के लिए प्रशासन से पहचान तथा अधिसूचना प्राप्‍त कर ली है। प्राय: सभी गांव वालों ने यह सूचित किया है कि उन्‍होंने ऐसी दुकानें (शराब की दुकान) बंद कराने के प्रयास किए और उनमें से कई ऐसी दुकाने बंद कराने में सफल रहे। कुछ ने गांव की दुकानों में पान और गुटकों की बिक्री बंद करा दी। कइयों ने सौ प्रतिशत आईएसएल कवरेज के बारे में अनेक लोगों को सूचित किया है।

     कइयों ने प्रशासन से नालियों की लाइन के निर्माण के लिए संपर्क किया है। एक गांव में प्रत्‍येक घर परिवार के लिए गड्ढ़ा भरना निश्‍चित किया गया है, यह उनका लक्ष्‍य है और उन्‍हें यह विश्‍वास कि वे इस कार्य को शीघ्र ही पूरा कर लेंगे। कुछ गांवों में खुली हवादार लाइब्रेरी शुरू की गयी हैं। अख़बार और पत्रिकाएं शाम तक छोटे कमरे में रख दी जाती हैं और शाम को इन्‍हें पेड़ के पास चौपाल में पढ़ने के लिए पहुंचा दिया जाता है। बाद में इन्‍हें फिर से स्‍वयंसेवी  प्रभारीद्वारा कमरे में वापस पहुंचा दिया जाता है।

     आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास अकादमी (अपार्ड) के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी भारत निर्माण स्‍वयंसेवियों को स्‍वयं सेवा की भावना का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रबुद्ध व्‍यक्‍तियों, उस्‍मालिया विश्‍वविद्यालय के साइक्‍लोजिस्‍ट, ब्रह्म कुमारियां, भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल कलाम द्वारा शुरू किया गया लीड इंडिया फाउंडेशन, अनुभवी पत्रकार तथा प्रोग्रेसिव सरपंच तथा अपार्ड से लोगों को शामिल किया गया।

इस प्रयोग की सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह रही कि यह सभी स्‍वयंसेवी किसी भी स्रोत से कोई वित्‍तीय सहायता या मानदेय प्राप्‍त नहीं करते। इसके विपरीत कई मामलों में वे जहां आवश्‍यकता पड़ती है अपनी खुद की धनराशि खर्च करते हैं। उन्‍होंने यह सिद्ध कर दिया है कि ग्रामीण समुदाय निष्‍क्रिय नहीं हैं और वे अपनी समस्‍याओं का समाधान करने में सक्षम हैं। उन्‍होंने यह भी सिद्ध कर दिया है कि वे अपने समुदाय के अधूरे सपनों को पूरा कर सकते हैं तथा वे ग्रामीण आंध्र प्रदेश के स्‍तर में गुणवत्‍ता परक सुधार लाएंगे। एक खास बात जो अपार्ड ने देखी कि भारत निर्माण स्‍वयंसेवियों तथा चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच कार्य का बेहतर माहौल बना जबकि यह लगता था कि इनके बीच टकराव तथा तकरार न हो जाए। यात्रा जारी है और भारत निर्माण स्‍वयंसेवियों से लम्‍बी सूची प्राप्‍त करने की अपेक्षा है।        {
पी.आई.बी.}        ***

*ग्रामीण विकास मंत्रालय से प्राप्‍त सामग्री के आधार पर

बाल श्रम पर नवगठित केन्‍द्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक

बच्‍चों के भविष्‍य को सुरक्षित बनाने का आह्वान:खड़गे ने की अध्यक्षता
केन्‍द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में बच्‍चों के भविष्‍य को सुरक्षित बनाने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया है। श्री खड़गे आज बाल श्रम पर नवगठित केन्‍द्रीय सलाहकार बोर्ड की पहली बैठक की अध्‍यक्षता कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि उनके मंत्रालय को बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून 1986 के कार्यान्‍वयन का महत्‍वपूर्ण अधिकार मिला हुआ है, जिसके तहत 14 वर्ष की आयु से कम के बच्‍चों को 16 व्यवसायों एवं 65 प्रक्रियाओं में लगाए जाने की मनाही है। ये व्‍यवसाय हैं कसाई घर/पशु वध स्‍थल, मोटर व्यवसाय, हानिकारक अथवा ज्‍वलनशील सामग्री को संभालना, कपड़ा उद्योग, खान उद्योग, घरेलू नौकरों के तौर पर, ढाबों में, तैराकी, सर्कस और हाथियों की देख-रेख। अपने मंत्रालय की उपलब्धियों का ब्‍यौरा देते हुए श्री खड़गे ने कहा कि राष्‍ट्रीय बाल श्रम नीति के अनुपालन में वर्ष 1988 में बाल श्रमिकों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत 271 जिलों की पहचान की गई और वर्तमान में यह योजना 20 राज्‍यों के 266 जिलों में लागू है, जिसमें लगभग 3.39 लाख बच्‍चों को 7300 विशेष विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। इस योजना के अंतर्गत बच्‍चों को काम से हटाकर विशेष स्‍कूल में भर्ती कराया जाता है और उन्‍हें ब्रिज शिक्षा, व्‍यावसायिक शिक्षा, 150 रुपये का मानदेय, मध्‍यान भोजन तथा स्‍वास्‍थ्‍य देख-रेख की जाती है। इसके अलावा मंत्रालय बाल श्रम के लिए अनुदान सहायता योजना भी चला रहा है, जिसमें परियोजना लागत की 75 प्रतिशत धनराशि स्वयंसेवी संगठनों को सीधे दी जाती है, जो उन जिलों में बाल श्रम उन्‍मूलन के काम कर रहे है, जहां एनसीएलपी विद्यालय बनाना संभव नहीं है। 

श्री खड़गे ने कहा कि सरकार बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून 1986 में संशोधन करने का विचार भी कर रही है, जिसके तहत 14 वर्ष तक की आयु के बच्‍चों को काम पर लगाने की मनाही का प्रस्‍ताव है। ऐसा शिक्षा के अधिकार कानून-2009 के लागू होने के कारण किया जा रहा है, जिसमें 06 से 14 वर्ष के बच्‍चों को नि:शुल्‍क एवं अनिवार्य शिक्षा दिये जाने का प्रावधान है। यह विषय हाल में ही आयोजित एक बैठक में उठाया गया, जिसमे सभी राज्‍यों के सचिव और केन्‍द्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे, जो लगभग 14 वर्ष तक की आयु के बच्‍चों को रोजगार में लगाने पर प्रतिबंध के लिए एकमत थे। आज की बैठक इस कानून में संशोधन पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। इस अवसर पर श्रम मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव श्री अनुप पांडेय द्वारा बाल श्रम कानून के विभिन्‍न पहलूओं तथा अंतर्राष्‍ट्रीय राय से सम्‍बद्ध एक प्रस्‍तुती भी दी गई। (
20-जनवरी, 2012 20:45) {पत्र सूचना कार्यालय} 

Sunday, January 22, 2012

266 जिलों मेंलागू की गई राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना

निगरानी,देखरेख और मूल्यांकन के लिए बनी एक केन्द्रीय निगरानी समिति 
    विशेष लेख (श्रम मंत्रालयबाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार ने देश के 266 जिलों में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना लागू की है। इस परियोजना के अंतर्गत ऐसे बच्चों को विशेष स्कूलों में दाखिल किया जाता है, जहां उन्हें औपचारिक शिक्षा प्रणाली में डालने से पहले शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि प्रदान की जाती हैं। वर्ष 2010-11 में इस योजना पर 92.71 करोड़ रूपये खर्च हुए, जबकि संशोधित अनुमान 92.80 करोड़ रूपये का था। वर्ष 2011-12 में 373 करोड़ रूपये की बजट राशि में से 21 नवंबर, 2011 तक 70 करोड़ रूपये खर्च किए जा चुके हैं।
     राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना की निगरानी, देखरेख और मूल्यांकन के लिए एक केन्द्रीय निगरानी समिति बनाई गई है। इसके अध्यक्ष श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव हैं और राज्य सरकारों तथा संबद्ध मंत्रालयों /विभागों के प्रतिनिधि इसके सदस्य हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार इस योजना के अंतर्गत 2010-11 में 94657 बच्चों को और 2011-12 (जून, 2011 तक) में 51641 बच्चों को मुख्यधारा में लाया गया है।
     बाल श्रमिकों के पुनर्वास की यह एक प्रमुख योजना है। इस योजना के अंतर्गत जिला स्तर पर गठित परियोजना समितियों को बाल मजदूरों के पुनर्वास के लिए विशेष स्कूल पुनर्वास केन्द्र खोलने के लिए पूरी आर्थिक सहायता दी जाती है। यह विशेष स्कूल /पुनर्वास केन्द्र ऐसे बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, पूरक पौष्टिक आहार, छात्रवृत्तियां आदि देते हैं।
     सर्वेक्षण के दौरान जिन बाल मजदूरों की पहचान की जाती हैं उन्हें विशेष स्कूलों में डाला जाता है और निम्न सुविधाएं दी जाती हैं– अनौपचारिक/औपचारिक शिक्षा, हुनर/शिल्प प्रशिक्षण, पाँच रूपये प्रति बच्चा प्रति दिन के हिसाब से पूरक पौष्टिक आहार, सौ रूपये मासिक प्रति बच्चा छात्रवृत्ति और स्वास्थ्य सुविधाएं, जिसके लिए 20 स्कूलों के समूह पर एक डाक्टर नियुक्त किया जाता है।
जिन जिलों में बाल श्रमिकों के लिए विशेष स्कूल चलाए जा रहे हैं, उनका विवरण इस प्रकार हैं-

क्रम संख्या
राज्य का नाम
जिलों की संख्या
जिलों के नाम
1
आंध्र प्रदेश
20
अनंतपुर, चित्तूर, कोडप्पा, गुंटूर, हैदराबाद, करीमनगर, कुरनूल, खम्मम, नेल्लौर, निजामाबाद, प्रकाशम, रंगारेड्डी, श्रीकाकुलम, विजयानगरम, विशाखापटनम, वारंगाल, पश्चिमी गोदावरी, महबूबनगर, अदिलाबाद और कृष्णा
2
असम
03
नागांव, कामरूप और लखीमपुर
3
बिहार
24
नालंदा, सहरसा, जमुई, कटिहार, अररिया, गया, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, मधेपुरा, पटना, सुपौल, समस्तीपुर, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, नवादा, खगड़िया, सीतामढ़ी, किसनगंज, बेगुसराय, बांका, सारन, पुर्णिया और भागलपुर
4
छत्तीसगढ़
07
दुर्ग, बिलासपुर, राजनंदगांव, सरगुजा, राजगढ़, रायपुर और कोरबा
5
गुजरात
09
सूरत, पंचमहल, भुज, बनासकांठा, दाहोद, वडोदरा, भावनगर, अहमदाबाद और राजकोट
6
हरियाणा
03
गुड़गांव, फरीदाबाद और पानीपत
7
जम्मू-कश्मीर
02
श्रीनगर और उधमपुर
8
झारखंड
08
गड़वा, साहिबगंज, दुमका, पाकुड़, पश्चिम सिंघभूम (चाईबासा), गुमला, पलामू और हजारीबाग
9
कर्नाटक
15
बीजापुर, रायचूर, धारवाड़, बंगलौर ग्रामीण, बंगलौर शहरी, बेलगाम, कोप्पल, देवनगिरि, मैसूर, बगलकोट, चित्रदुर्ग, गुलबर्गा, बेल्लारी, कोलार और मांड्या
10
मध्य प्रदेश
21
मंदसौर, ग्वालियर, उज्जैन, बरवानी, रीवा, धार, पूर्व निमार (खंडवा), राजगढ़, छिन्दवाड़ा, शिवपुर, सिद्दि, गुना, शाजापुर, रतलाम, पश्चिम निमार (खड़गांव), झाबुआ, दमोह, सागर, जबलपुर, सतना और कटनी
11
महाराष्ट्र
15
सोलापुर, थाणे, सांगली, जलगांव, नानदूरबार, नान्देड़, नासिक, यवतमाल, धुले, बीड, अमरावती, जालना, औरंगाबाद, गोंडिया और मुंबई उपनगर
12
नगालैंड
01
दीमापुर
13
ओड़ीशा
24
अंगुल, बालासौर, बारगढ़, बोलनगीर, कटक, देवगढ़, गजपति (उदयगिरि), गंजम, झारसुगुड़ा, कालाहांडी, कोरापुट, मलकानगिरि, मयूरभंज, नवरंगपुर, नुआपदा, रायगढ़, संबलपुर, सोनपुर, जार्जपुर, क्योंझर, केन्द्रपाड़ा, खुर्दा, नयागढ़ और सुंदरगढ़
14
पंजाब
03
जालंधर, लुधियाना और अमृतसर
15
राजस्थान
27
जयपुर, उदयपुर, टोंक, जोधपुर, अजमेर, अलवर, जालोर, चुरू, नागौर, चित्तौड़गढ़ बांसवाड़ा, धौलपुर, सीकर, डुंगरपुर, भरतपुर, बीकानेर, झुंझुनू, बूंदी, झालावाड़, पाली, भीलवाड़ा, गंगानगर, बाड़मेर, दौसा, हनुमानगढ़, कोटा, बारन
16
तमिलनाडु
17
चिदंबरनार (तुतीकोरिन), कोयंबटूर, धर्मपुरी, वेल्लोर, स्लेम, तिरूचिरापल्ली, तिरूनेलवेरी, कृष्णागिरि, चेन्नई, इरोड, डिंडीगुल, थेनी, कांचीपुरम, तिरूवन्नामल्लई, तिरूवल्लूर, नमक्कल और विरूधुनगर
17
उत्तर प्रदेश
47
वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही, बुलंदशहर, सहारनपुर, आजमगढ़, बिजनौर, गोंडा, खेरी, बहराइच, बलरामपुर, हरदोई, बाराबंकी, सीतापुर, फैजाबाद, बदायूं, गोरखपुर, कुशीनगर, कन्नौज, शाहजहांपुर, रायबरेली, उन्नाव, सुल्तानपुर, फतेहपुर, श्रावस्ती, प्रतापगढ़, बस्ती, सोनभद्र, मऊ, कौशाम्बी, बांदा, गाजियाबाद, जौनपुर, रामपुर, बरेली, लखनऊ, मेरठ, इटावा, आगरा, गाजीपुर, मथुरा, एटा, मुरादाबाद, इलाहाबाद, कानपुर नगर, अलीगढ़ और फिरोजाबाद
18
उत्तराखंड
01
देहरादून
19
पश्चिम बंगाल
18
बर्दवान, उत्तर दीनाजपुर, दक्षिण दीनाजपुर, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, कोलकाता, मुर्शिदाबाद, मिदनापुर, मालदा, बांकुरा, पुरूलिया, बीरभूम, नाडिया, हुगली, हावड़ा, जलवाईगुड़ी, कूच बिहार और पूर्व मिदनापुर
20
दिल्ली
01
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली

कुल
266

(पत्र सूचना कार्यालय विशेष लेख)
*विवरण श्रम और रोजगार मंत्रालय से प्राप्त