Monday, July 02, 2012

यादें: वो भी क्या दिन थे

एशियन क्लब की सफलता के पीछे छुपा सुखमिंदर 
पंजाब केसरी से साभार
मुझे याद है उन दिनों हालात अछे नहीं थे। गोली का माहौल था। सुबह घर से निकलते वक्त पता नहीं होता था की रात को लौटना होगा या नहीं। उन दिनों मेरी मुलाकात एक ऐसे युवा से हुयी जो उन दिनों भी मस्त था. सारे हालात की पूरी पूरी खबर रखते हुए भी एक तरह हालात से बेखबर वह अपनी ही धुन में मस्त रहता। कभी गीत संगीत, कभी कोई समाज सेवा और कभी इसी तरह का कुछ एनी कार्यक्रम। यह युवक था सुखमिंदर सिंह। पुलिस विभाग की सभी खबरें मीडीया को यही युवक प्रदान करता। डी आई जी  के पी आर ओ की ज़िम्मेदारी वह बाखूबी निभाता रहा। एक दिन उसने एशियन क्लब की स्थापना का एलान किया। हमें कुछ अजीब सा लगा। इतने बड़े बैनर का क्लब चलाना कोई बच्चों का खेल थोड़े था। पर अपनी धुन में मस्त वह मुश्किल को पार करता रहा। संकट या रूकावट की बात को वह हंस कर ताल देता जैसे कुछ सुना ही न हो। बाद में दैनिक जागरण पंजाब में आया तो हम लोगों ने दैनिक जागरण के  स्टाफर के तौर पर भी कार्य किया। हम एक तरह से दैनिक जागरण पंजाब स्न्स्कर्ण के फाऊँडर स्टाफर थे। अब तो यह अख़बार पंजाब में सफलता से निकल रहा है लेकिन वे दिन बहुत मुश्किलों से भरे थे। हम जहाँ भी कहीं जाते तो अफसर और नेता लोग हमें मुस्कराते हुए पूछते जी जगराता करा रहे हो क्या ? अब तो इसी अख़बार में बहुत से नए लोग आ चुके हैं और उन्हें शायद उन लोगों की कोई याद नहीं होगी जो एक तरह से नींव का पत्थर बन कर काम करते रहे। बाद में यही युवक इलेक्ट्रानिक मीडीया की तरफ मुड गया। आज भी वह सहारा समय के लिए सफलता से काम कर रहा है। इसके साथ साथ ज्योतिष पर भी उसकी पकड़ लगातार बढ़ रही है। अब उसका ज्यादा समय गीत संगीत की बजाये मेडिटेशन, साधना और लोगों को उपाय बताने में गुजरता है। ज्योतिष की लगन और टीवी चैनल के लिए काम करते वक्र बहुत कुछ छूट गया पर एशियन क्लब के लिए वह अब भी समय निकालता है। साथसाथ समाज सेवा के अवसर को भी वह हाथ से जाने नहीं देता। आज के युग में जब सारा सारा दिन व्यर्थ की गप्पें हांकने वाले यह कहते नहीं थकते कि बस जी समय ही नहीं मिला।भने बाज़ी के इस युग में भी सुखमिंदर सचमुच व्यस्त होने के बावजूद समय निकाल लेता है केवल अपने दोस्तों के लिए नहीं बल्कि उन आम लोगों के लिए भी जो उसके लिए अक्सर अन्जान होते हैं। मैं नहीं कर रहा दिल से अपने आप दुया निकल रही है ऐसे मित्र की सफलता के लिए। -- -रेक्टर कथूरिया  

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