Wednesday, June 27, 2012

आम आदमी के मनोभावों ब्यान करती कविता

हालाँकि महंगाई के लिए एक सिस्टम भी ज़िम्मेदार होता है और सत्ता वर्ग की नीतियां भी परजब जब भी महंगाई बढती है तो आम आदमी के गुस्से और आलोचना का  का शिकार बनना पड़ता है अक्सर प्रधान मंत्री या वित्त मंत्री को। इस बार भी आम आदमी की नाराज़गी का निशाना बने हैं वित्त मंत्री। आम आदमी को लग रहा है की महंगाई की नीतियां बनाने और लागू करने का पुरस्कार मिल रहा है वित्त मंत्री को राष्ट्रपति बना कर। आम आदमी की इस नारजगी को शब्द दिए हैं शायर बोधी स्तव कस्तूरिया ने।उनकी काव्य रचना को हम पंजाब स्क्रीन में प्रकाशित कर रहे हैं। यह र्च्घ्ना अभी हाल ही में प्राप्त हुयी है। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं अवश्य बताएं।--रेक्टर कथूरिया 
दुहाई है दुहाई //बोधीस्तव कस्तूरिया
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
प्रणव जी को राष्ट्र्पति-भवन का दिया तोह्फ़ा
क्योंकि उनके बजट से ही तो आई ये मँहगाई!
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
भारत का सालाना बजट-घाटा बढता जा रहा है,
फ़िर मुद्रा कोष को१०००० डालर की थैली थमाई!
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
गरीबी बढाने के अजब तरीके तूने कैसे सुझाये,
तभी डालर के मुकाबले रुपये ने मुँह की खाई !
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
पैट्रोल और डीज़ल अब इत्र की शीशी मे आयेगा
कभी सब्सीडी का हवाला कभी डालर की बेहयाई!
वाह रे काँग्रेसी सरकार तुझे दुहाई है दुहाई !!
बोधिसत्वकस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दर आगर २८२००७

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