Tuesday, June 26, 2012

:एक समग्र दृष्टिकोण

-स्‍वास्‍थ्‍य पर  विशेष लेख                                                   एस. सिवकुमार * 
नशीली दवाओं का उपयोग ऐसा विकार है जिसमें हानिकारक तरीके से वस्‍तु का उपयोग होता है जिससे कि अलग तरह की समस्याएँ और परेशानियां उत्‍पन्‍न होती हैं।  किशोर तेजी से नशीली दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, विशेषकर ऐसे नशीले पदार्थ (जो तेज दर्द में राहत देने के लिए निर्धारित होते हैं) और ऐसी उत्‍तेजक दवाईयां जो किसी खास देखरेख के अभाव से आए मानसिक अवसाद से जुड़ी समस्‍याओं के इलाज में काम आती है।
पुराने समय में .......
    प्रारंभ में नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं को ऐसे व्‍यक्तियों के तौर पर देखा जाता था जिनमें नैतिक मूल्‍यों की कमी होती है आमतौर पर यह माना जाता था कि इस लत को वे स्‍वयं नहीं छोड़ सकते। इसे पहली बार अन्‍य रोगों की तरह एक रोग के रूप में एल्‍कोहोलिक्‍स एनोनिमस द्वारा पहचाना गया। एल्‍कोहोलिक्‍स एनोनिमस संगठन ने इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई। इन कारणों का पता लगाया कि एक व्‍यक्ति बेहद कम समय मे इस तरह की दवाइयों के उपयोग से खुद पर क्‍यों नियंत्रण खो देता है। डॉक्‍टर जेली नेक के गहन अध्‍ययन ने शराब/नशीली दवाओं का उपयोग करने वालों के प्रति अब तक की धारणा को बदलने में मदद की। इसके बाद तंत्रिका शारीरिक विज्ञान की प्रगति के बाद, विशेषकर 1956 के बाद ये निष्‍कर्ष निकाला गया कि नशीली दवाओं का उपभोग एक दीर्घकालिक बीमारी है जो व्‍यक्ति को पूरे जीवन भर परेशान करती रहती है और अंतत: उचित उपचार द्वारा इसका इलाज हो सकता है।  नशे की लत के रोग को पुराने समय की तुलना में बेहतर ढंग से समझा जाने लगा है। ऐसे मामलों में उचित उपचार के लिए सहानुभू‍ति की तुलना में रोग की पहचान और नियमित उपचार की जरूरत है। इस रोग का इलाज उन रोगियों के उपचार के समान करना पड़ता है जो मधुमेह पर नियंत्रण या उच्‍च रक्‍तचाप जैसी स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं से जूझ रहे हैं।
दवाओं के प्रकार
    गलत रूप से इस्‍तेमाल की जाने वाली दवाओं में ब्राउन शूगर, (इसका निम्‍न रूप हीरोइन है), कैनाविस  (गांजा, भांग और ऐसी अन्‍य श्रेणियां)शामिल हैं। शराब भी नशीली दवाओं की श्रेणी में आती है क्‍योंकि ये एक तरल उत्‍तेजना देने वाला रसायन है। पेंट और अन्‍य सामग्री में प्रयोग किया जाने वाला थिनर को भी नशीला पदार्थ कहा जा सकता है। ऐसे मामले भी नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हो सकते है, जहां पर चिकित्‍सक द्वारा निर्धारित की गई दवाओं का अधिक मात्रा अथवा नियत मात्रा से अधिक रूप में सेवन हो। नशे के आदी व्‍यक्ति ये मानते है कि उन्‍हें इससे एक विशेष अनुभूति होती है और इसलिए वे इसका निरंतर इस्‍तेमाल करने लगते हैं, जबकि वास्‍तव में दवा के रूप में जबकि इसकी जरूरत नहीं होती है।
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यू एच ओ) की रिपोर्ट
    विश्‍व स्वास्‍थ्‍य संगठन जैसे निकायों द्वारा जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट सामान्‍यतौर पर प्रयोग की जाने वाली नशीली दवाओं के स्‍वरूप में बढोत्‍तरी/कमी को दर्शाती है, कभी हेरोइन समोकिंग का प्रयोग ज्‍यादा देखने को मिलता है तो कभी भांग का सेवन ज्‍यादा पाया जाता है। इन सभी स्‍वरूपों को किसी और चीज की तुलना में नशीली दवाओं के दुरूपयोग में उतार-चढाव के रूप में ज्‍यादा देखा जाना चाहिए। कोई व्‍यक्ति नशीली दवाओं का आदी है या नहीं, यह तय करने के लिए अनेक मापदंड हैं। ये शारीरिक चेतावनी संकेतों, भावनात्‍मक संकेतों से लेकर पारिवारिक गतिविधियों में अचानक या धीरे-धीरे आए बदलाव हो सकते हैं, जो सामाजिक व्‍यवहार में स्‍पष्‍ट बदलाव लाते हैं। नशीली दवाओं का सेवन करने वाले व्‍यक्ति का भोजन कम हो जाता है और उनको नींद कम आती है, जिससे उनकी आंखें लाल और चमकती हुई दिखती हैं। ऐसा व्‍यक्ति अपनी आम रूचि भी खो सकता है और मनोदशा में अचानक बदलाव का पीडित हो सकता है। वह छुपकर अकेला रहना चाहता है और परिवार से दूर रहने की कोशिश करता है। सामाजिक पक्ष पर वह कुल मिलाकर नकारात्‍मक रवैये के साथ कामचोर बनने की कोशिश करता है। लेकिन अंगूठे के नियम के रूप में यह बेहतर होगा यदि ऐसा व्‍यक्ति एक चिन्‍ह के रूप में एक ही नशीली दवा के प्रयोग से जुडा रहता है, जहां प्रयोग करने वाले को परिणामों की पूरी जानकारी होती है, लेकिन मात्रा और अंतराल के आधार पर मादक द्रव्‍य के उपभोग को खत्‍म करने की विचित्र अक्षमता को रोका जाता है और नशीली दवाओं के दुरूपयोग को छोडने के प्रति एक दुर्गम प्रेरणा के प्रति मोडा जाता है।
दुर्बलता
    नशीली दवाओं का आदी होने के कारणों पर नजर डालने के बदले इसे आदी होने के प्रति दुर्बलता के रूप में समझना बेहतर है। इस आदत के बनने में अनुवांशिक संरचना एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। पीडि़त व्‍यक्ति के परिवार के सदस्‍य और मित्र एक अवरोधक के रूप में काम कर सकते हैं या नशीली दवाओं के सेवन की आदत को और बढा सकते हैं ताकि इससे प्राप्‍त होने वाली सकारात्‍मक उम्‍मीद बढ़ सके। अगर उसके आसपास के लोगों की मौन स्‍वीकृति है तो इसे एक सामान्‍य आदत के रूप में लिया जाता है। यह अब नशीली दवाओं का दुरूपयोग नहीं है बल्कि यह सिर्फ यथोचित प्रयोग माना जाएगा। उपरोक्‍त दुर्बलता के लिए मनोवैज्ञानिक-सामाजिक घटक, बचने की क्षमता का अभाव, अत्‍यधिक भावनात्‍मक पीडा के दौरान मित्रों के सहयोग की प्रक्रिया में से कोई एक या सभी जिम्‍मेदार कारण हो सकते हैं।
वापसी के संकेत
     वापसी के संकेत 
एक असहज भावना उत्‍पन्‍न करते हैं और उस मादक द्रव्‍य पर निर्भर करते हैं जिसका सेवन किया गया है। शरीर और मस्तिष्‍क अशांत हो जाता है, काफी चिड़चिड़ा हो जाता है, शरीर के सभी अंग प्रभावित हो सकते हैं और नींद में बाधा आती है। यह शारीरिक संतुलनों के उस जोड़े के समान है, जिसमें एक मापदंड अपनी चरम सीमा पर है और जो भी नियम पूर्वक हो रहा है, वह पुनर्संतुलन की एक प्रक्रिया है। अगर रोगी कम मात्रा में मादक द्रव्‍य का सेवन करना चाहता है तो उसका मस्तिष्‍क उसके पिछले अनुभवों को फिर से याद कर लेता है और पूर्ण संतुष्टि पाने तक उसे ज्‍यादा से ज्‍यादा मादक द्रव्‍य का सेवन करने के लिए उसे बाध्‍य करता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिससे पूरी तरह बचना चाहिए। यह याद रखना जरूरी है कि एक नशीली दवा के विकल्‍प के रूप में दूसरी नशीली दवा लेना न तो कोई समाधान है और न ही उपचार।
उपचार
    नशीली दवाओं का सेवन शारीरिक और मानसिक बीमारी है। हालांकि इसका इलाज चिकित्‍सा के तौर पर शुरू किया जा सकता है लेकिन यह पर्याप्‍त नही है इसके लिए रोगी को अत्‍यधिक मनोवैज्ञानिक मदद की आवश्‍यकता होती है। यदि कोई व्‍यक्ति अवसाद की स्थिति में तीन वैलियम गोलियां लेता है तो उसे इनके बिना भी अपना समय गुजारने के लिए समझाने की जरूरत है। इसके लिए लंबे समय के इलाज की जरूरत होती है जिसमें जीवन स्‍तर में बदलाव, परिवार का शामिल होना और कई तरह के उपचार होते हैं।
रोकथाम
    रोकथाम एक सामुदायिक प्रक्रिया है और यह एक समय अथवा एक दिन का मामला नहीं है बल्कि एक लंबी प्रक्रिया है। इस बारे में सिर्फ यह जानकारी देने से काम नहीं चलेगा कि नशीली दवाएं स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खराब होती हैं, इसके लिए उनसे बचने की क्षमता का विकास करना, नशीली दवाओं के सेवन के न कहना सीखना, एक अच्‍छा सहयोग तंत्र और समय-समय पर नशीली दवाओं की लत के खिलाफ संदेशों का लगातार प्रचार करना और एक समग्र प्रयास की जरूरत है।
सरकारी पहल
    केन्द्रीय सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय वर्ष 1985-86 से नशीली दवाओं के उपयोग पर रोक और निषेध के लिए योजना का कार्यान्‍वयन कर चुका है जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य देश में नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने से जुडे कार्यक्रम चलाना है। नशीली दवाओं की लत को छुड़ाना और इसके आदी लोगों के पुनर्वास के लिए कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन के लिए ऐसे दीर्घकालिक और समर्पित स्‍तर के समन्वित प्रयासों की जरूरत है जिन्‍हें स्थिति के अनुरूप ढाला जा सके और यह प्रेरक भी हों। इस मामले में सेवा प्रदान करने के लिए एक मजबूत तंत्र के तौर पर राज्‍य-समुदाय (स्‍वैच्छिक) साझेदारी खासतौर पर सामने आई है। इसके अनुसार, योजना के तहत सेवाओं की लागत का मुख्‍य हिस्‍सा सरकार द्वारा वहन किया जाता है जबकि स्‍वैच्छिक संगठन परामर्श, जागरूकता कार्यक्रम केन्‍द्र, नशामुक्ति और पुनर्वास केन्‍द्र, नशा छुड़ाने से संबंधित शिविर और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्‍यम से मूल सेवाएं प्रदान करते हैं। मंत्रालय देश भर में 376 नशामुक्ति और पुनर्वास केन्‍द्रों तथा 68 परामर्श और जागरूकता केन्‍द्रों को चलाने के लिए 361 स्‍वैच्छिक संगठनों की मदद कर रहा है। स्‍वैच्छिक संगठनों के माध्‍यम से चलाये जा रहे इन केन्‍द्रों में इलाज की सुविधा को प्रदान करने का मूल उद्देश्‍य परिवार और समुदाय की मदद को सुनिश्चित करना और इसे अधिकतम स्‍तर तक ले जाना है। लंबे समय तक गहन चिकित्‍सा की जरूरत वाले नशीली दवाओं के आदी रोगियों के चिकित्‍सा उपचार की सुविधा प्रदान करने के लिए सरकारी अस्‍पतालों, प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र आदि में 100 नशामुक्ति केन्‍द्र संचालित किए जा रहे हैं। सरकार की इन पहलों में सेवाओं के न्‍यूनतम मानकों को विकसित करते हुए गुणवत्‍ता आश्‍वासन और न्‍यूनतम मानकों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ पेशेवर मानव श्रम विकास शामिल हैं। एक शीर्ष संस्‍थान के तौर पर नशीली दवाओं की रोकथाम के लिए राष्‍ट्रीय केन्‍द्र ने औषधि क्षेत्र में प्रशिक्षण, अनुसंधान और विकास को अनिवार्य कर दिया है जहां अतिसंवेदनशील लक्ष्‍यों के लिए केन्द्रित हस्‍तक्षेप, कार्यस्‍थल रोकथाम कार्यक्रम, सरकार, आई.एल.ओ. गैर सरकारी संगठन तथा कॉरपोरेट क्षेत्र के समन्वित प्रयास परिणाम के रूप में सामने आए हैं। इस सहयोग में विभिन्‍न हितधारकों और ए.आर.एम.ए.डी.ए. के नाम से जाने जाने वाली एल्‍कोहल एवं नशीली दवाओं के दुरूपयोग के खिलाफ संसाधन प्रबंधकों की एसोसिएशन के एक प्रभावी समूह का गठन शामिल है।

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