Monday, June 25, 2012

लगातार गहराती समस्या

नशीली दवाओं का दुरुपयोग-विशेष लेख            लेखक: प्रदीप सुरीन* 
साभार तस्वीर 
     हाल ही में मुंबई और दिल्ली में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमे युवाओं की गिरफ्तारी और ढेर सारे नशीली दवाओं का जखीरा पकड़ा गया। आज जब पूरे विश्व में नशीली दवाओं के दुरुपयोग का दिवस मनाया जा रहा है, एक बात जो बिलकुल साफ नजर आ रही है, वो यह है कि भारत के युवाओं में इसकी जड़ें काफी गहरी होने लगी है। यह समस्या पूरे विश्व के साथ ही भारत के लिए भी एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है।            जरा इन आंकड़ों पर गौर फरमाएं, विश्व स्वास्थय संगठन (डब्लूएचओ) के ताजा रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग 2.5 मिलियन लोगों की मौत सिर्फ शराब पीने के कारण हो रही है। सबसे बुरी तरह से युवा इसकी चपेट में है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 15-29 की उम्र वाले युवाओं में से प्रतिवर्ष 3,20,000 की मौत हो रही है। यह संख्या दुनिया में हो रही कुल मोतौं का लगभग नौ फीसदी है। पूरी दुनिया में 15.3 प्रतिशत लोग नशीले दवाओं के कारण प्रभावित हैं। 
           भारत सरकार द्वारा इक्टठा किए गए आंकड़े भी कुछ अच्छे नहीं हैं। 2000-01 में नैशनल सर्वे और यूनाइटेड नेशन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) के साझा सर्वे से पता चला है कि देश में 732 लाख लोग अल्कोहल और ड्रग की चपेट में हैं। इनमें से 87 प्रतिशत भाँग खाते हैं, जबकि 20 लाख लोग अफीम का सेवन करते हैं। यही नहीं इस एकमात्र सर्वे में यह भी सामने आया है कि 625 लाख लोग शराब के खतरनाक स्तर तक पीने से ग्रसित पाए गए हैं। हालांकि रिपोर्ट में साफ किया गया है कि यह बहुत छोटे सैंपल में किया गया था।

           केंद्रीय सामाजिक व अधिकारिता मंत्रालय ने इस छोटे सैंपल सर्वे में भी इतने चौंकाने वाले साक्ष्यों को गंभीरता से लेते हुए पूरे देश में नशीले व मादक दवाओं पर ब़डा सर्वे कराने का फैसला किया है। इस सर्वे के लिए नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाजेशन (एनएसएसओ) को जिम्मेदारी दी गई है। इसके एनएसएसओ महाराष्ट्र, पंजाब और मणिपुर में एक बड़ा सैंपल सर्वे भी करेगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए देश में कराए जा रहे राष्ट्रीय स्तर के सर्वे में केंद्रीय सामाजिक व अधिकारिता मंत्रालय के अलावा नेश्नल एड्रस कंट्रोल ऑर्गनाजेशन (नाको), नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और सभी राज्यों के संबंधित घटकों को भी शामिल किया जाएगा।

           इसके अलावा केंद्रीय सामाजिक व अधिकारिता मंत्रालय देश में नशीले दवाओं और शराब की गिरफ्त में आ चुके आम लोगों को इनसे छुटकारा दिलाने के लिए देश व्यापी नशा-उन्मूलन कार्यक्रमों में भी खासी दिलचस्पी दिखा रहा है। मसलन, इसके लिए केंद्र सरकार ने दो खास रणनीतियों पर चलने का निर्णय किय है। पहला, नशा रोकथाम कार्यक्रम है। इसके तहत केंद्रीय सामाजिक व अधिकारिता मंत्रालय नशे की गिरफ्त में फंसे मरीजों को मानसिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधि सेवाएं उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी के साथ ही युवाओं और बच्चों को नशीले दवाओं के सेवन से दूर रखने और इसके खतरे से आगाह करने के लिए देश के हर जिले, कस्बे और गांवों में जनचेतना अभियान चलाया जा रहा है। इसमें नुक्कड-नाटकों और सामुदायिक हस्तक्षेप को प्राथिमकता दी जा रही है। केंद्र सरकार ने स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों को भी लगातार मदद देने की योजना बनाई है।

           दूसरा सबसे अहम कदम नशा मुक्ति और पुनर्वास पर राष्ट्रीय सलाहकार समिति का गठन है। केंद्रीय सामाजिक व अधिकारिता मंत्री की अध्यक्षता में गठित इस समिति में नशा-मुक्ति पर समय समय पर नए नीतियों को लागू करने का प्रावधान है। हाल ही में इस समिति ने अल्कोहल और ड्रग से छुटकारे के लिए नई योजना लागू की है। पूरे देश में नशीली दवाओं के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार बहुत जल्द एक राष्ट्रीय नीति लागू करने की योजना बना रही है। सभी घटकों से बातचीत कर इसका मसौदा तैयार किया गया है। जिसे अंतिम मंजूरी के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। एक बार मंजूरी मिलने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द इसे संसद में कानून बनने के लिए रखा जाएगा।

           स्वंयसेवी संगठनों को आर्थिक मदद    ऐसी नहीं है कि केंद्रीय सामाजिक व अधिकारिता मंत्रालय देश में नशा मुक्ति के लिए सिर्फ नीतियां ही बनाने का काम कर रही हो। इस बड़े मिशन में सभी तरह से हस्तक्षेप करने के लिए स्वंयसेवी संगठनों की भी पूरी मदद ली जा रही है। राज्य के हर जिले और  गांवों में नशा मुक्ति अभियान के तहत 20 और 40 बिस्तरों के पुनर्वास केंद्र खोलने के लिए 95 प्रतिशत तक आर्थिक मदद मुहैया कराई जा रही है। इन केंद्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले और नशे की बीमारी से ग्रसित लोगों के मुफ्त इलाज के अलावा 900 रूपए प्रतिमाह की आर्थिक सहायता भी देने का प्रावधान रखा गया है। 2009-10 के वित्तीय वर्ष में इस मद में लगभग 96,675 करोड़ रुपए आवंटित किया गया था। जबकि 2010-11 वर्ष के दौरान इसके लिए केंद्रीय सामाजिक व अधिकारिता मंत्रालय ने लगभग 1,10,700 करोड़ रुपए दिए। साल 2011-12 में केंद्र सरकार की और से स्वंयसेवी संगठनों को लगभग 1,20,000 करोड़ रुपए सिर्फ नशा-मुक्ति अभियान के लिए आवंटित किया गया।

           भले नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर केंद्र सरकार की प्रभावी योजनाएं और नीतियां काफी व्यापक जनता को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हो। लेकिन असल चुनौती तब सामने आएगी जब पूरे देश में नशीले उत्पादों पर होने वाले सर्वे के आंकड़े सामने आ जाएंगे। संभावना है कि नए रिर्पोटों के आने के बाद सरकार को मौजूदा नीतियों को बड़े बदलाव के साथ लागू करना पड़े। (पीआईबी)  
25-जून-2012 15:50 IST

*प्रधान संवाददाता, दैनिक भास्कर

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