Monday, June 11, 2012

दो-दिवसीय आयोजन की संक्षिप्त रिपोर्ट

राज्यों के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 11वीं पंचवर्षीय योजना की उपलब्धियों की समीक्षा के लिए और राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के साथ परामर्श के आधार पर 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के लिए रणनीति और योजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए यहां विज्ञान भवन में 7-8 जून, 2012 को राज्यों के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रियों का एक दो-दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री सलमान खुर्शीद ने इस सम्मेलन का उदघाटन किया। इस अवसर पर अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री विंसेंट एच पाला और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में सचिव डा. सुरजीत मित्रा भी उपस्थित थे।

सम्मेलन के संबोधित करते हुए श्री खुर्शीद ने बताया कि अपेक्षाकृत एक नया मंत्रालय होने के बावजूद 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। श्री खुर्शीद ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 7000 करोड़ रूपये आंवटित किये गये थे, जबकि मंत्रालय का कुल व्यय 6826.24 करोड़ रूपये था। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान मंत्रालय ने छात्रवृत्ति कार्यक्रमों का सफल संचालन करते हुए 1.42 करोड़ छात्रवृत्तियां वितरित की, जबकि इसके लिए 93.37 लाख छात्रवृत्तियों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नए 15-सूत्री कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया गया और क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अधीन अल्पसंख्यकों की बहुलता वाले (एमसीडी) 90 जिलों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए 2,942 करोड़ रूपये का व्यय किया गया।

अपने भाषण में अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री विंसेंट एच पाला ने राज्यों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें अल्पसंख्यकों के लिए सेवाओं के बेहतर वितरण हेतु स्थानीय तंत्रों को मजबूत बनाना चाहिए।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में सचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न इस सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श के बाद जिन मुद्दों पर सहमति कायम हुई, उनमें से कुछ प्रमुख निम्नानुसार हैं :

• क्षेत्र विकास कार्यक्रम पर अधिक जोर देना,

• जिन शहरों और गांवों को एमसीडी कार्यक्रमों में शामिल नहीं किया जा सका, वहां अलग से विकासोन्मुखी योजनाएं चलाना।

• विभिन्न कार्यक्रमों तक पहुंच बढ़ाने के लिए गैर-सरकारी संगठनों, स्व-सहायता समूहों, निजी संस्थाओं आदि को कार्यान्वयन की प्रक्रिया में शामिल करना।

• सामाजिक लेखा प्रणाली शुरू करना।

• छात्रवृत्ति योजनाओं को शत-प्रतिशत मांग आधारित बनाना, आदि।

(पीआईबी)
08-जून-2012 20:40 IST

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