Friday, May 25, 2012

चर्चा गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात की

गरीबी के आकलन के लिए सरकार ने नए विशेषज्ञ पैनल की घोषणा की 
तेंदुलकर समिति की विधियों का अनुसरण कर वर्ष 2009-10 के लिए राज्‍यवार गरीबी रेखा और गरीबी अनुपात परिकलित कर ली गयी है। इसी विधि के आधार पर, योजना आयोग ने प्रेस नोट के जरिए 19 मार्च, 2012 को गरीबी का आकलन जारी किया है। इसके अनुसार देश में गरीबी का अनुपात, वर्ष 2004-05 में 37.2 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2009.10 में 29.8 प्रतिशत हो गया। नतीजतन, देश में गरीबों की संख्‍या वर्ष 2004-05 में 40.7 करोड़ से घटकर वर्ष 2009.10 में 35.5 करोड़ रह गयी। तेंदुलकर समिति ने 2009 में सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में खर्च की उपयुक्‍तता को मानकस्‍तर से हटाकर पोषण संबंधी करार दिया था। इसमें कहा गया कि कैलोरी मानक से हटकर प्रस्‍तावित गरीबी रेखा को पोषण, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रति व्‍यक्ति वास्‍तविक निजी खर्च की उपयुक्‍तता की जांच करके ही मान्‍य किया गया है। देश में गरीबी के पुनर्आकलन और सम्‍बन्धित विधियों की आवश्‍यकता के संदर्भ में आए विभिन्‍न्‍विचारों, और गरीबों की पहचान के लिए उपयुक्‍त विधि का पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ तकनीक समूह गठित करने का फैसला लिया है।

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्‍यक्ष डॉ्. सी. रंगराजन की अध्‍यक्षता में तकनीक समूह में जानेमाने अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया है।

1- डॉ. सी. रंगराजन, अध्‍यक्ष अध्‍यक्ष प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद

2- डॉ. महेन्‍द्र देव, निदेशक सदस्‍य इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्‍थान

3- डॉ. के सुन्‍दरम, सदस्‍य दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकॉनोमिक्‍स के पूर्व प्राध्‍यापक

4- डॉ. महेश व्‍यास, भारती सदस्‍य अर्थव्‍यवस्‍था निगरानी केन्‍द्र

5- डॉ. के.एल. दत्‍ता, पूर्व सलाहकार सदस्‍य, संयोजक

योजना आयोग विशेषज्ञ तकनीक समूह की संदर्भ शर्तें इस प्रकार हैं -

1- गरीबी रेखा का आकलन करने की मौजूदा विधि का समग्ररूप से समीक्षा करना और ये जांच करना कि क्‍या गरीबी रेखा को उपभोग के संदर्भ में तय कर देना चाहिए या अन्‍य विधियां भी प्रासंगिक हैं और यदि ऐसा है तो शहरी और देहाती इलाकों में गरीबी का अनुमान लगाने वाला एक आधार तय करने के लिए क्‍या दोनों को प्रभावी तरीके से जोडा जा सकता है।

2- एनएसएसओ पर आधारित उपभोग अनुमान और नेशनल अकाउंटस एग्रिगेटस से निकली विधि पर असहमति के मुददों की जांच करना और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लिए सीएसओ द्वारा जारी राज्‍यवार नई उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक का इस्‍तेमाल करते हुए उपभोग गरीबी रेखा के नवीकरण के लिए उपयुक्‍त तरीके का सुझाव देना।

3- गरीबी रेखा का आकलन करने के‍लिए वैकल्पिक विधियों की समीक्षा जो अन्‍य देशों में प्रचलित है, और यह संकेत देना कि क्‍या इस आधार पर भारत में गरीबी का आकलन करने के लिए एक खास विधि ईजाद की जा सकती है, जिसमें समय-समय पर इसके नवीकरण के लिए भी विधियां शामिल हैं।

4- यह सिफारिश करना कि भारत सरकार के तहत चल रही योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए योग्‍यता तय करने में उपर्युक्त‍तरीके से ईजाद की गई गरीबी के आकलन का कैसे इस्‍तेमाल हो।

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24-मई-2012 20:53

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