विशेष लेख:रेड क्रॉस {पीआईबी} *एस.शिवाकुमार
चित्र आई एम ओ ब्लाग से साभार |
रेड
क्रॉस दिवस 8 मई को मनाया जाता है। अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो सन् 1963
में अमेरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने इस स्वार्थहीन आंदोलन की दुनिया
को याद दिलाई और पुरुषों और महिलाओं से इसका हिस्सा बनने का आह्वान किया।
सन् 1963 में रेड क्रॉस की सालगिरह के मौके पर राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा था कि ‘’आज रेड क्रॉस अपनी सेवाओं की दूसरी शताब्दी में प्रवेश कर रहा है। अत: हम सभी के पास एक मौका है इस मानवतावादी परंपरा का हिस्सा बनने का। हमारी मदद के द्वारा ही यह महत्वपूर्ण कार्य सम्भव हुआ है।‘’
पोलियो एवं मलेरिया-संयुक्त अभ्यास
भारत में वैश्विक पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में भारतीय रेड क्रॉस की महत्वपूर्ण भूमिका को हम याद करते हैं। 13 जनवरी, 2012 को पोलियो उन्मूलन के इतिहास में देश एक बड़े मील के पत्थर के पास पहुंचा है जहां 12 महीनों की अवधि के दौरान एक भी पोलियो का मामला नहीं पाया गया है। भारतीय रेड क्रॉस के स्वयं सेवकों एवं कर्मचारियों ने आम जनता तक बचाव के महत्व और बच्चों में स्थायी विकृति तथा लकवा का कारण बनने वाले पोलियो के वायरस के नियंत्रण एवं निर्मूलन से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाई। भारतीय रेड क्रॉस ने बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में पोलियो कार्यक्रम भी चलाये जहां पोलियो उच्च स्तर पर था।
25 अप्रैल विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम रही ‘’स्थायी लाभ, जीवन रक्षा : मलेरिया में निवेश’’। भारतीय रेड क्रॉस ने वर्ष 2010-11 में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित दो राज्यों - आंध्र प्रदेश और ओडिशा में मलेरिया रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जिसे रेड क्रॉस और रेड क्रेसेन्ट सोसाइटीज के अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा सहयोग मिला। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है- इन दोनों राज्यों में कीटनाशकों से बचाव वाली 40 हजार टिकाऊ मच्छरदानियों (एलएलआईएन) का वितरण करना, सरकारी प्रयासों को सहयोग देना और मलेरिया से जुड़ी जानकारियों का प्रसार करना और विशेषकर सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना। अन्य गतिविधियों के साथ-साथ स्वयंसेवकों ने घर-घर का दौरा किया, सामुदायिक सदस्यों के साथ परस्पर बातचीत वाले स्वास्थ्य एवं साफ-सफाई से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए, बीमारी के शीघ्र पता लगाने और लक्षणों पर जोर दिया तथा समुदाय को इस प्राणघातक बीमारी से जुड़ी जानकारी दी ताकि बचाव के उपाय किये जा सके। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के राज्यपालों ने भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की उपलब्धि और प्रयासों के लिए बधाई दी और सराहना की।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद की मान्यता
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद ने एक पूर्व आयोजित विश्व रेड क्रास स्मृति दिवस पर बोलते हुए कहा था कि स्वयं-सेवक रेडक्रास आंदोलन की रीढ़ की हड्डी और भावना की अभिव्यक्ति हैं। वह स्वयं स्वैच्छिक रक्तदान के बड़े अनुयायी थे और उन्हें अगस्त 2010 में लेह में बादल फटने की दुर्घटना के बाद स्वयं-सेवकों द्वारा की गई समर्पित सेवाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर मिला है। लेह की जनता आज भी रेडक्रास स्वयंसेवकों द्वारा स्थापित दो सफाई इकाइयों द्वारा की गई सेवा की दिल से सराहना करती है।
रक्त भंडारण इकाइयों का विकास
उन्नत भारतीय रेडक्रास माडल रक्त बैंक के बारे में जानकारी देते हुए महासचिव डा. एस पी अग्रवाल ने कहा कि सोसायटी 85 प्रतिशत रक्त स्वैच्छिक दानदाताओं से प्राप्त करती है और इसका शीघ्र ही शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने की योजना है। उन्होंने बताया कि ऑटोमेटिक एलिसा, सिरोलाजी प्रोसेसर, संपूर्ण रक्त की 2000 यूनिटों का 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारण करने के लिए कोल्ड रूम, -40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रोजन प्लाज्मा की 5000 यूनिटों का भंडारण, घटक विलगन के लिए उपकरण, ट्रांसफ्यूजन जन्य संक्रामक मार्कर जैसे नवीनतम उपकरणों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सोसायटी मोबाइल रक्त एकत्र करने वाली वैन की खरीदारी से शत-प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
भारतीय राज्यों की कार्य विधि
भारतीय रेडक्रास सोसायटी की नेल्लौर जिला शाखा (आंध्र प्रदेश) स्वास्थ्य गतिविधियों और चिकित्सा केन्द्र के माध्यम से समाज की सेवा करती है। इसके पास गतिशील टीकाकरण केन्द्र, रक्त बैंक है और स्पास्टिक सेंटर केन्द्र की मदद से इसने कैंसर परियोजना शुरू कर रखी है। यह एड्सक्लीनिक चलाती है और आपदा सहायता के बारे में लोगों को शिक्षित करती है तथा युवाओं को जूनियर रेडक्रास/युवा रेडक्रास में शामिल होने के अवसर भी उपलब्ध कराती है। इसने पिनाकिनी गांधी आश्रम भी स्थापित कर रखा है जो राष्ट्रीय स्तर पर गांधी जी के साबरमती आश्रम के बाद ऐसा दूसरा आश्रम है।
कोट्टायम (केरल) स्थित रेडक्रास शाखा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में विविध कल्याण गतिविधियां चला रही है। रेडक्रास नर्सिंग एवं रोजगार योजना (आरसीएनईएस) आधुनिक समय में एकल परिवारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य वाली परियोजना है। चुने गए पुरूषों और महिलाओं को प्रति माह रेडक्रास नर्सिंग पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिया जाता है। पूरे जिले के गरीब रोगियों को डाक्टर के नुस्खे के अनुसार मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं। मेडिकल कालेज कोट्टायम में सुसज्जित सेवा पटल कार्य कर रहा है। कोट्टायम रेडक्रास शाखा के पास इच्छुक रक्तदाताओं की डाइरेक्टरी मौजूद है। पूरे जिले में अनेक नेत्रदान जागरूकता कैम्प भी आयोजित किए गए हैं।
जूनियर रेडक्रास (जेआरसी) तमिलनाडु में क्रियाशील है। एक दो दिवसीय जेआरसी प्रशिक्षण कैम्प मेलेकोट्टायूर में आयोजित किया गया था जिसमें 54 स्कूलों के 172 जूनियर और 32 काउंसलरों ने भाग लिया। कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, नेत्रदान, व्यक्तित्व विकास के बारे में सत्र आयोजित किए गए तथा इसका समापन जूनियर द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ किया गया है। शैक्षिक जिलों के अधिकारियों- मुख्य शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी जैसे पदाधिकारियों ने भी दो दिवसीय कैम्प में भाग लिया। जेआरसी छात्रों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कैम्प उसीलामपट्टी में 1.3.2012 से 3.3.2012 तक आयोजित किया गया जिसमें 23 स्कूलों से 205 जूनियर और 20 काउंसलर शामिल हुए। इस कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, वैश्विक गर्मी, एड्स जागरूकता, प्राथमिक चिकित्सा और सड़क सुरक्षा के बारे में सत्र आयोजित किए गए।
रेडक्रास और रेड क्रेसेंट आंदोलन का इतिहास
स्विटजरलैंड का युवा व्यवसायी हैनरी डुनांड ‘रेडक्रास’ गतिविधि का जनक था। फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया युद्ध के दौरान इटली में वर्ष 1859 में सौलफिरेनो की युद्ध भूमि में घायल सैनिकों की दुर्दशा देखकर वह बड़े भयभीत हो गए थे। उन्होंने तुरंत स्थानीय समुदाय की सहायता से मदद कार्य शुरू किए। युद्ध की विभीषिका के बाद उनके विचारों पर जो प्रभाव पडा उसका वृतांत फ्रेंच भाषा में लिखी 1962 में प्रकाशित पुस्तक ‘ए सूवेनिअर ऑफ सौलफिरेनो’ में परिलक्षित होता है जो युद्ध की अमानवीयता के विरूद्ध भावुक अपील बन गई। यह आज भी अब तक लिखी गई युद्ध की सर्वाधिक सजीव और मर्मस्पर्शी पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक के जारी होने के एक वर्ष के बाद हैनरी डुनांड के सुझावों पर विचार करने के लिए जिनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस प्रकार रेडक्रास आंदोलन का जन्म हुआ। अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास आंदोलन जिनेवा सम्मेलन अधिनियम 1864 के द्वारा स्थापित किया गया था। रेडक्रास की स्थापना करने वाले देश को सम्मान देने के लिए इस आंदोलन के नाम और प्रतीक को स्विटजरलैंड के राष्ट्रीय ध्वज के उत्क्रमण से लिया गया है।
भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी
सन् 1963 में रेड क्रॉस की सालगिरह के मौके पर राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा था कि ‘’आज रेड क्रॉस अपनी सेवाओं की दूसरी शताब्दी में प्रवेश कर रहा है। अत: हम सभी के पास एक मौका है इस मानवतावादी परंपरा का हिस्सा बनने का। हमारी मदद के द्वारा ही यह महत्वपूर्ण कार्य सम्भव हुआ है।‘’
पोलियो एवं मलेरिया-संयुक्त अभ्यास
भारत में वैश्विक पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में भारतीय रेड क्रॉस की महत्वपूर्ण भूमिका को हम याद करते हैं। 13 जनवरी, 2012 को पोलियो उन्मूलन के इतिहास में देश एक बड़े मील के पत्थर के पास पहुंचा है जहां 12 महीनों की अवधि के दौरान एक भी पोलियो का मामला नहीं पाया गया है। भारतीय रेड क्रॉस के स्वयं सेवकों एवं कर्मचारियों ने आम जनता तक बचाव के महत्व और बच्चों में स्थायी विकृति तथा लकवा का कारण बनने वाले पोलियो के वायरस के नियंत्रण एवं निर्मूलन से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाई। भारतीय रेड क्रॉस ने बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में पोलियो कार्यक्रम भी चलाये जहां पोलियो उच्च स्तर पर था।
25 अप्रैल विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम रही ‘’स्थायी लाभ, जीवन रक्षा : मलेरिया में निवेश’’। भारतीय रेड क्रॉस ने वर्ष 2010-11 में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित दो राज्यों - आंध्र प्रदेश और ओडिशा में मलेरिया रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जिसे रेड क्रॉस और रेड क्रेसेन्ट सोसाइटीज के अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा सहयोग मिला। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है- इन दोनों राज्यों में कीटनाशकों से बचाव वाली 40 हजार टिकाऊ मच्छरदानियों (एलएलआईएन) का वितरण करना, सरकारी प्रयासों को सहयोग देना और मलेरिया से जुड़ी जानकारियों का प्रसार करना और विशेषकर सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना। अन्य गतिविधियों के साथ-साथ स्वयंसेवकों ने घर-घर का दौरा किया, सामुदायिक सदस्यों के साथ परस्पर बातचीत वाले स्वास्थ्य एवं साफ-सफाई से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए, बीमारी के शीघ्र पता लगाने और लक्षणों पर जोर दिया तथा समुदाय को इस प्राणघातक बीमारी से जुड़ी जानकारी दी ताकि बचाव के उपाय किये जा सके। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के राज्यपालों ने भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की उपलब्धि और प्रयासों के लिए बधाई दी और सराहना की।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद की मान्यता
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद ने एक पूर्व आयोजित विश्व रेड क्रास स्मृति दिवस पर बोलते हुए कहा था कि स्वयं-सेवक रेडक्रास आंदोलन की रीढ़ की हड्डी और भावना की अभिव्यक्ति हैं। वह स्वयं स्वैच्छिक रक्तदान के बड़े अनुयायी थे और उन्हें अगस्त 2010 में लेह में बादल फटने की दुर्घटना के बाद स्वयं-सेवकों द्वारा की गई समर्पित सेवाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर मिला है। लेह की जनता आज भी रेडक्रास स्वयंसेवकों द्वारा स्थापित दो सफाई इकाइयों द्वारा की गई सेवा की दिल से सराहना करती है।
रक्त भंडारण इकाइयों का विकास
उन्नत भारतीय रेडक्रास माडल रक्त बैंक के बारे में जानकारी देते हुए महासचिव डा. एस पी अग्रवाल ने कहा कि सोसायटी 85 प्रतिशत रक्त स्वैच्छिक दानदाताओं से प्राप्त करती है और इसका शीघ्र ही शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने की योजना है। उन्होंने बताया कि ऑटोमेटिक एलिसा, सिरोलाजी प्रोसेसर, संपूर्ण रक्त की 2000 यूनिटों का 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारण करने के लिए कोल्ड रूम, -40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रोजन प्लाज्मा की 5000 यूनिटों का भंडारण, घटक विलगन के लिए उपकरण, ट्रांसफ्यूजन जन्य संक्रामक मार्कर जैसे नवीनतम उपकरणों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सोसायटी मोबाइल रक्त एकत्र करने वाली वैन की खरीदारी से शत-प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
भारतीय राज्यों की कार्य विधि
भारतीय रेडक्रास सोसायटी की नेल्लौर जिला शाखा (आंध्र प्रदेश) स्वास्थ्य गतिविधियों और चिकित्सा केन्द्र के माध्यम से समाज की सेवा करती है। इसके पास गतिशील टीकाकरण केन्द्र, रक्त बैंक है और स्पास्टिक सेंटर केन्द्र की मदद से इसने कैंसर परियोजना शुरू कर रखी है। यह एड्सक्लीनिक चलाती है और आपदा सहायता के बारे में लोगों को शिक्षित करती है तथा युवाओं को जूनियर रेडक्रास/युवा रेडक्रास में शामिल होने के अवसर भी उपलब्ध कराती है। इसने पिनाकिनी गांधी आश्रम भी स्थापित कर रखा है जो राष्ट्रीय स्तर पर गांधी जी के साबरमती आश्रम के बाद ऐसा दूसरा आश्रम है।
कोट्टायम (केरल) स्थित रेडक्रास शाखा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में विविध कल्याण गतिविधियां चला रही है। रेडक्रास नर्सिंग एवं रोजगार योजना (आरसीएनईएस) आधुनिक समय में एकल परिवारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य वाली परियोजना है। चुने गए पुरूषों और महिलाओं को प्रति माह रेडक्रास नर्सिंग पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिया जाता है। पूरे जिले के गरीब रोगियों को डाक्टर के नुस्खे के अनुसार मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं। मेडिकल कालेज कोट्टायम में सुसज्जित सेवा पटल कार्य कर रहा है। कोट्टायम रेडक्रास शाखा के पास इच्छुक रक्तदाताओं की डाइरेक्टरी मौजूद है। पूरे जिले में अनेक नेत्रदान जागरूकता कैम्प भी आयोजित किए गए हैं।
जूनियर रेडक्रास (जेआरसी) तमिलनाडु में क्रियाशील है। एक दो दिवसीय जेआरसी प्रशिक्षण कैम्प मेलेकोट्टायूर में आयोजित किया गया था जिसमें 54 स्कूलों के 172 जूनियर और 32 काउंसलरों ने भाग लिया। कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, नेत्रदान, व्यक्तित्व विकास के बारे में सत्र आयोजित किए गए तथा इसका समापन जूनियर द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ किया गया है। शैक्षिक जिलों के अधिकारियों- मुख्य शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी जैसे पदाधिकारियों ने भी दो दिवसीय कैम्प में भाग लिया। जेआरसी छात्रों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कैम्प उसीलामपट्टी में 1.3.2012 से 3.3.2012 तक आयोजित किया गया जिसमें 23 स्कूलों से 205 जूनियर और 20 काउंसलर शामिल हुए। इस कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, वैश्विक गर्मी, एड्स जागरूकता, प्राथमिक चिकित्सा और सड़क सुरक्षा के बारे में सत्र आयोजित किए गए।
रेडक्रास और रेड क्रेसेंट आंदोलन का इतिहास
स्विटजरलैंड का युवा व्यवसायी हैनरी डुनांड ‘रेडक्रास’ गतिविधि का जनक था। फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया युद्ध के दौरान इटली में वर्ष 1859 में सौलफिरेनो की युद्ध भूमि में घायल सैनिकों की दुर्दशा देखकर वह बड़े भयभीत हो गए थे। उन्होंने तुरंत स्थानीय समुदाय की सहायता से मदद कार्य शुरू किए। युद्ध की विभीषिका के बाद उनके विचारों पर जो प्रभाव पडा उसका वृतांत फ्रेंच भाषा में लिखी 1962 में प्रकाशित पुस्तक ‘ए सूवेनिअर ऑफ सौलफिरेनो’ में परिलक्षित होता है जो युद्ध की अमानवीयता के विरूद्ध भावुक अपील बन गई। यह आज भी अब तक लिखी गई युद्ध की सर्वाधिक सजीव और मर्मस्पर्शी पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक के जारी होने के एक वर्ष के बाद हैनरी डुनांड के सुझावों पर विचार करने के लिए जिनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस प्रकार रेडक्रास आंदोलन का जन्म हुआ। अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास आंदोलन जिनेवा सम्मेलन अधिनियम 1864 के द्वारा स्थापित किया गया था। रेडक्रास की स्थापना करने वाले देश को सम्मान देने के लिए इस आंदोलन के नाम और प्रतीक को स्विटजरलैंड के राष्ट्रीय ध्वज के उत्क्रमण से लिया गया है।
भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी
प्रथम विश्व
युद्ध 1914 के दौरान प्रभावित सैनिकों की देखभाल के लिए सेंट जॉन्स
एम्बुलेंस एसोसिएशन और ब्रिटिश रेड क्रॉस की एक संयुक्त समिति के अलावा और
कोई संस्था नहीं थी। ब्रिटिश रेड क्रॉस सोसाइटी से स्वतंत्र भारतीय रेड
क्रॉस सोसाइटी की स्थापना के लिए 17 मार्च, 1920 को एक विधेयक लाया गया और
यह 1920 में कानून बना। 7 जून, 1920 को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के गठन
के लिए औपचारिक रूप से 50 सदस्यों को मनोनीत किया गया और इन्हीं में से
पहली प्रबंध निकाय चुनी गई। तमिलनाडु शाखा की राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड
क्रेसेन्ट सोसायटी, रेड क्रॉस एवं रेड क्रेसेन्ट मूवमेंट संघ,
अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस एवं रेड क्रेसेन्ट समिति से राष्ट्रीय
मुख्यालय और व्यक्तिगत स्तर पर अपनी गतिविधियों के सहयोग के लिए
साझेदारी है।
आगे की तैयारी
एक शब्द पर्याप्त होगा ‘सहभागिता’। वास्तव में गुरु गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय नई दिल्ली, रेड क्रॉस सोसाइटी की देखरेख में आपदा तैयारी एवं पुनर्वास के लिए एक व्यापक पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम चलाता है जिसका उद्देश्य विशेषीकृत अभियोग्यता प्राप्त करने का अवसर उपलब्ध कराना है और जिसे वैश्विक परिदृश्य में मान्यता प्राप्त है। साथ ही साथ इसका उद्देश्य ट्रेनिंग के लिए प्रोफेशनल्स में क्षमता निर्माण का मंच उपलब्ध कराना है। इस सोसाइटी का सदस्य बनने के लिए कोई भी इस लिंक पर संपर्क कर सकता है - http://www.indianredcross.org/membership.htm.। जॉन एफ कैनेडी के शब्द आज भी हमारे कानों में गूँजते हैं।
रेड क्रॉस सोसाइटी जब कोई
और मदद के लिए आगे नहीं आता वहां आगे बढ़ती है, और अपने अंतर्राष्ट्रीय
मानकों के अनुसार महती भूमिका निभाता है और अद्वितीय कार्य करता है। इसी
कारण यह सम्पूर्ण मानवता के लिए आशा की एक किरण जगाती है। {पीआईबी} 08-मई-2012 15:42 ISTआगे की तैयारी
एक शब्द पर्याप्त होगा ‘सहभागिता’। वास्तव में गुरु गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय नई दिल्ली, रेड क्रॉस सोसाइटी की देखरेख में आपदा तैयारी एवं पुनर्वास के लिए एक व्यापक पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम चलाता है जिसका उद्देश्य विशेषीकृत अभियोग्यता प्राप्त करने का अवसर उपलब्ध कराना है और जिसे वैश्विक परिदृश्य में मान्यता प्राप्त है। साथ ही साथ इसका उद्देश्य ट्रेनिंग के लिए प्रोफेशनल्स में क्षमता निर्माण का मंच उपलब्ध कराना है। इस सोसाइटी का सदस्य बनने के लिए कोई भी इस लिंक पर संपर्क कर सकता है - http://www.indianredcross.org/membership.htm.। जॉन एफ कैनेडी के शब्द आज भी हमारे कानों में गूँजते हैं।
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8 मई, को रेड क्रॉस दिवस मनाया जाता है
*लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।
इस लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के अपने है और आवश्यक नहीं कि ये विचार पीआईबी के विचारों से मेल खाते हो।
8 मई, को रेड क्रॉस दिवस मनाया जाता है
*लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।
इस लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के अपने है और आवश्यक नहीं कि ये विचार पीआईबी के विचारों से मेल खाते हो।
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