Tuesday, April 03, 2012

सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्‍ठान - निष्‍पादन समीक्षा

  विशेष लेख               भारी उद्योग
सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्‍ठान उच्‍चतर आर्थिक विकासवस्‍तु और सेवाओं के उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भरताअदायगी संतुलन में दीर्घकालिक समानता और निम्‍न एवं स्‍थायीमूल्‍यों के बृहत आर्थिक लक्ष्‍यों को पूरा करने के लिए गठित किये गये है। जहां पहली पंचवर्षीय योजना के समय कुल 29 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश के साथ मात्र पाँच केंद्रीय सार्वजनिकप्रतिष्‍ठान (सीपीएसईथेवहां 31 मार्च, 2011 को कुल 6,66,848 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 248 सीपीएसई हो गए। इनमें सात बीमा कम्‍पनियां शामिल नहीं है।     पंचवर्षीय योजनाओं केदौरान की गई पहल के परिणामस्‍वरूप हरित क्षेत्र परियोजनाओं के रूप में बड़ी संख्‍या में सीपीएसई गठित की गई है। जहां एक और राष्‍ट्रीय कपड़ा निगमकोल इंडिया लिमिटेड (और उसकीसहायक कम्‍पनियांजैसी सीपीएसई के राष्‍ट्रीकरण के परिणामस्‍वरूप निजी क्षेत्र से सरकारी अधिकार में ले ली गई हैवहां इंडियन पेट्रोकेमिकल्‍स कार्पोरेशन लिमिटेडमॉडर्न फूड इंडस्‍ट्रीज लिमिटेडहिंदुस्तान जिंक लिमिटेडभारत एल्ूमिनियम कम्‍पनी और मारुति उद्योग लिमिटेडजो पहले सीपीएसई थीने निजी करण के बाद सीपीएसई के रूप में काम करना बंद दिया।
       सार्वजनिक क्षेत्र की अन्‍य प्रमुख कम्‍पनियों जैसे बैंकिंग क्षेत्र में भारतीय स्‍टेट बैंकबीमा क्षेत्र में भारतीय जीवन बीमा निगम और परिवहन क्षेत्र में भारतीय रेल केसा-साथ्सीपीएसई भारत की अग्रणी कम्‍पनियां है। इनका अनेक क्षेत्रों जैसे पेट्रोलियम (उदाहरण के तौर पर कोल इंडिया लिमिटेड और एनएमडीसी), विद्युत उत्‍पादन (एनटीपीसी औरएनएचपीसीविद्युत ट्रांसमिशन (पावर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड), भारी इंजीनियरी (भेल), विमानन उद्योग (हिंदुस्‍तान  एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड और एयर इंडिया लिमिटेड),भंडारण और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (भारतीय खाद्य निगम और केंद्रीय भंडार निगम), जहाजरानी और व्‍यापार (भारतीय जहाजरानी निगम लिमिटेड और राज्‍य व्‍यापार निगमलिमिटेडऔर दूरसंचार (बीएसएनएल और एमटीएनएलमें उल्‍लेखनीय बाजार शेयर है।
       1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद ऐसे क्षेत्र जो पहले सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्‍ठानों के ही अधिकार क्षेत्र में थे, वे निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए गए। इस प्रकार सीपीएसई को निजी क्षेत्र की घरेलू कम्‍पनियों (इनमें से ने कुछ बहुत तेजी से विकास किया) और बहुराष्‍ट्रीय बड़े निगमों (एमएनसी) से प्रतिस्‍पर्धा का सामना करना पडा। सीपीएसई जैसे भारतीय कपास निगम, आईटी आई लिमि‍टेड, मझगांव बंदरगाह लिमिटेड, एमएसटीसी लिमिटेड, एसटीसी लिमिटेड, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और भारत संचार निगम लिमिटेड के कारोबार में 2010-11 के दौरान अत्‍यधिक गिरावट आई। सीपीएसई जैसे एयर इंडिया लिमिटेड, भारत संचार निगम लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड, हिंदुस्‍तान फोटो फिल्‍मस एण्‍ड मेन्‍यूफेक्‍चरिंग कम्‍पनी लिमिटेड और ड्रग एण्‍ड फॉमेस्‍यूटिक्‍लस लिमिटेड को 2010-11 के दौरान घाटा उठाना पडा। 
भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था (2010-11) और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्‍ठान (सीपीएसई)
      सीपीएसई भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते है। वे अर्थव्‍यवस्‍था  में विकास को प्रभावित करते है और अर्थव्‍यवस्‍था में कुल विकास से प्रभावित होते है। 2010-11 में (वर्तमान बाजार मूल्‍य पर) 18.80 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्‍पाद की मामूली वृद्धि की तुलना में (पुन:प्राप्तियों को छोड़कर) सभी सीपीएसई का सकल मूल्‍यवर्धन में आलोच्‍य वर्ष के दौरान 10.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई। (तथापि, यदि पुन:प्राप्तियों को जोड़ दिया जाए तो आलोच्‍य वर्ष के दौरान सभी सीपीएसई के सकल मूल्‍यवर्धन 13.40 प्रतिशत बढ़ जायेगा)। वर्ष के दौरान पेट्रोलियम (शोधन एवं विपणन), सेवाएं (कारोबार और विपणन), विद्युत (उत्‍पादन), भारी इंजीनियरी, खनिज एवं धातु और कोयला एवं लिग्‍नाइट के कारोबार में उल्‍लेखनीय वृद्धि का पता चलता है। यह जरूरी नहीं कि विभिन्‍न सीपीएसई के लाभ/घाटे कारोबार में वृद्धि अथवा कमी के हिसाब से बढ़े। इसमें विभिन्‍न कारकों का भी जैसे उच्‍चतर निवेश लागत, कम लागत, वेतन और मजदू‍री में वृद्धि, ब्‍याज का भारी बोझ और विनिमय दर में उतार-चढ़ाव का प्रभाव पड़ता है।
       सीपीएसई के सभी कार्यरत 220 कम्‍पनियों का कारोबार पिछले वर्ष के 12,44,805 करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष 14,73,319 करोड़ रुपये रहा। वर्ष 2010-11 के दौरान सीपीएसई ने पिछले वर्ष के 84,224 करोड़ रुपये की तुलना में 97,004 करोड़ रुपये के समकक्ष विदेशी मुद्रा अर्जित की। इसके विपरीत आयात और रॉयल्‍टी, जानकारी, परामर्शदात्री सेवाओं और अन्‍य व्‍यय पर विदेशी मुद्रा का निर्गम जहां वर्ष 2009-10 में 4,24,207 करोड़ रुपये था वहां 2010-11 में बढ़कर 5,22,577 करोड़ रुपये हो गया। इससे इस मद में 23.19 प्रतिशत की वृद्धि का पता चलता है।
       सीपीएसई में कर्मचारियों की कुल संख्‍या (आकस्मिक श्रमिकों को छोड़कर) 2010-11 में 14.44 लाख रह गई जबकि 2009-10 में यह 14.90 लाख थी। सीपीएसई कर्मचारियों की कुल संख्‍या में 45,981 व्‍यक्तियों की कमी आई। इसका कारण कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति आदि था। सभी सीपीएसई में वेतन और मजदूरी की अदायगी जहां 2009-10 में 87,792 करोड़ रुपये की हुई थी, वहां 2010-11 में 96,210 करोड़ रुपये की अदायगी करनी पड़ी, इस प्रकार इस मद में 9.58 प्रतिशत की वृद्धि का पता चलता है। 
सीपीएसई में कारोबार
       सीपीएसई की सकल बिक्री/कारोबार में 2010-11 के दौरान उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई। सीपीएसई के कारोबार में 2009-10 की तुलना में 2010-11 में (योगफल स्‍तर पर) 18.36 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2008-09 की तुलना में 2009-10 में 2.10 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
       कृषि क्षेत्र में 2010-11 के दौरान कारोबार में सर्वाधिक वृद्धि (23.03 प्रतिशत) दर्ज की। इसके बाद उत्‍पादन क्षेत्र में 20.64 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2009-10 में नकारात्‍मक वृद्धि (-7.76 प्रतिशत) हुई थी। खनन क्षेत्र के कारोबार में आलोच्‍य वर्ष के दौरान 15.66 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2009-10 में 0.68 प्रतिशत की नकारात्‍मक वृद्धि हुई थी। विद्युत और सेवा क्षेत्र के कारोबार में 2010-11 में क्रमश: 17.96 प्रतिशत और 12.85 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जिससे पिछले वर्ष की तुलना में मामूली सुधार का पता चलता है।
       तथापि, विभिन्‍न उद्योगों के कारोबार में काफी अंतर रहा। विभिन्‍न उद्योगों जैसे मझौले और हल्‍की इंजीनियरी, परिवहन उपकरण और दूरसंचार सेवाओं से संबंधित सीपीएसई के कारोबार में उल्‍लेखनीय गिरावट आई। 
सीपीएसई के लाभ और हानि (योगफल)      सीपीएसई के मुनाफा कमाने वाली कम्‍पनियों का लाभ 2009-10 के 1,08,434 करोड़ रुपये की तुलना में 2010-11 में 1,13,770 करोड़ रुपये रहा। जबकि सीपीएसई की घाटे में चलने वाली कम्‍पनियों का घाटा 2009-10 के 16,231 करोड़ रुपये की तुलना में 2010-11 में 21,693 करोड़ रुपये रहा। योगफल स्‍तर पर सभी सीपीएसई का शुद्ध लाभ (योगफल शुद्ध  लाभ-योगफल शुद्ध हानि) 2009-10 के 92,203 करोड़ रुपये की तुलना में 2010-11 में 92,077 करोड़ रुपये रहा।
       सजातीय (कोगनेट) समूह-वार सर्वोत्‍तम परिणाम खनन क्षेत्र द्वारा प्राप्‍त किये गये। उसके लाभ में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 22.32 प्रतिशत की वृद्धि रही। इसके बाद विद्युत क्षेत्र के लाभ्‍में 12.97 प्रतिशत की वृद्धि रही। सेवा क्षेत्र ने 2010-11 के दौरान 7,639 करोड़ रुपये का घाटा उठाया जो 2009-10 के 3,279 करोड़ रुपये के घाटे से कहीं अधिक है। इसका मुख्‍य कारण इन दोनों वर्षों एयर इंडिया लिमिटेड द्वारा दिखाया गया घाटा रहा है। उद्योग के अन्‍य समूहों में, परिवहन सेवाओं, दूरसंचार सेवाओं और उपभोक्‍ता  वस्‍तुओं से संबंधित सीपीएसई के उद्योग 2010-11 के दौरान बराबर बोझ में दबे रहे और उनके घाटों में वृद्धि हुई। उत्‍पादन क्षेत्र के अधीन इस्‍पात, पेट्रोलियम और वस्‍त्र उद्योग के लाभ में गिरावट का पता चला। मझौले और लाइट इंजीनियरी के सीपीएसई के उद्योगों ने भी आलोच्‍य वर्ष के दौरान घाटे दिखाए जबकि पिछले वर्ष में वे लाभ में रहे थे। इसके मुकाबले रसायन और भेषज क्षेत्रों के सीपीएसई उद्योगों के घाटे में 2010-11 के दौरान कमी आई।
सीपीएसई के मुनाफा कमाने वाली 10 शीर्ष सीपीएसई
       केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्‍ठान की मुनाफा कमाने वाली 10 शीर्ष कम्‍पनियों में तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी), एनटीपीसी लिमिटेड और भारतीय तेल निगम लिमिटेड क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरे स्‍थान की कम्‍पनियां रही है।

       इनके बाद एनएमडीसी लिमिटेड, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (एसएआईएल), कोल इंडिया लिमिटेड, जीएआईएल (इंडिया) लिमिटेड़, ऑयल इंडिया लिमिटेड एवं पावर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड। लाभ कमाने वाली सभी शीर्ष 10 कंपनियों में पावर ग्रिड कार्पोरेशन को छोड़कर अन्य कंपनियों की स्थिति 2009-10 (स्थान में थोड़ा बहुत परिवर्तन) की तुलना में वर्ष 2010-11 में लगभग समान रही और पावर ग्रिड कार्पोरेशन का स्थान पावर फाईनांस कार्पोरेशन ने ले लिया। 
घाटे में रहने वाली शीर्ष 10 सीपीएसई (केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान)
घाटे में रहने वाली कंपनियों में वर्ष 2010-11 के दौरान एयर इंडिया लिमिटेड, भारत संचार निगम लिमिटेड एवं महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड में घाटा दिखाने वाली शीर्ष तीन उपक्रम थीं। इनके बाद हिन्दुस्तान फोटो फिल्मस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड, इंडियन ड्रग्स एवं फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, हिन्दुस्तान केबल्स लिमिटेड़, फर्टिलाइजर कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड, एयर इंडिया चार्टर्स लिमिटेड, हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर कार्पोरेशन लिमिटेड तथा आईटीआई लिमिटेड शामिल हैं। दिए गए अवधि के दौरान घाटा दिखाने वाली सभी 62 सीपीएसई में शीर्ष 10 कंपनियों के घाटे का हिस्सा 92.55 प्रतिशत है। वर्ष    2010-11 में शीर्ष तीन सीपीएसई में अकेले एयर इंडिया लिमिटेड, बीएसएनएल तथा एमटीएनएल का घाटा सभी सीपीएसई के घाटे के 74 प्रतिशत के बराबर है। कीमतों की लड़ाई और नये कंपनियों के आने से बढ़ती प्रतिस्पर्धाएं, वेतन एवं पारिश्रमिक में वृद्धि तथा संचालन लागत वृद्धि के साथ-साथ ब्याज लागत में हुई वृद्धि इस अवधि के दौरान घाटे के कारण रहे। वर्ष 2009-10 की तुलना में वर्ष 2010-11 के दौरान जहां एयर इंडिया एवं एमटीएनएल का घाटा बढ़कर क्रमश: 24 प्रतिशत एवं 54 प्रतिशत रहा, वहीं बीएसएनएल का घाटा बढ़कर 145 प्रतिशत हो गया।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान
सीपीएसई का सकल मूल्यवर्धन
       सकल घरेलू उत्पाद (मौजूदा बाजार मूल्य पर) में सीपीएसई का सकल मूल्यवर्धन (निवल मूल्यवर्धन + अवमूल्यन) हिस्सेदारी वर्ष 2009-10 के 6.44 प्रतिशत की तुलना में 2010-11 के दौरान 5.96 प्रतिशत रहा। हालांकि तेल विपणन कंपनियों का घाटा          (जिसमें 2010-11 का घाटा 37,190 करोड़ रूपया तथा 2009-10 में 29,951 करोड़ रुपये का घाटा शामिल है) को जोड़ते हुए जीडीपी में सभी सीपीएसई की हिस्सेदारी वर्ष 2009-10 के 6.75 प्रतिशत की तुलना में यह 6.45 प्रतिशत रहा।

निवल मूल्यवर्धन घटक
       वर्ष 2010-11 में सीपीएसई द्वारा अर्जित निवल मूल्यवर्धन (अवमूल्यन को छोड़कर लाभ का हिस्सा (पीबीटीईपी) सबसे ज्यादा 31.75 प्रतिशत रहा जबकि अप्रत्यक्ष कर एवं शुल्क 30.84 प्रतिशत, वेतन एवं पारिश्रमिक 23.20 प्रतिशत तथा ब्याज भुगतान 9.41 प्रतिशत रहा। वर्ष 2009-10 तथा 2010-11 की अवधि के दौरान इन घटकों में प्रत्येक की हिस्सेदारी में बहुत मामूली परिवर्तन देखे गए।
 केन्द्रीय राजकोष में योगदान
       सीपीएसई लाभांश अदायगी, सरकारी ऋण पर ब्याज और कर तथा शुल्क की अदायगी के जरिए केन्द्रीय राजस्व में अपना योगदान देते हैं। हालांकि 2010-11 की अवधि के दौरान केन्द्रीय राजस्व में सीपीएसई के कुल योगदान में अच्छी वृद्धि देखी गई। इस दौरान सीपीएसई का कुल योगदान 2009-10 के 1,39,918 करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2010-11 में 1,56,124 करोड़ रुपये रहा। यह वृद्धि मुख्य रूप से कस्टम शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में दिए गए योगदान में हुई वृद्धि के कारण देखी गई, जो वर्ष2009-10 में क्रमश: 6,896 करोड़ रुपये तथा 52,627 करोड़ रुपये से बढ़कर क्रमश: 2010-11 में 14,151 करोड़ रुपये तथा 62,713 करोड़ रुपये हो गया। इस दौरान कार्पोरेट टैक्स के योगदान में भी अच्छी वृद्धि देखी गई जो 2009-10 के 38,134 करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2010-11 में 43,369 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि दिए गए अवधि के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में अन्य शुल्क एवं कर तथा बिक्री कर एवं लाभांश कर में गिरावट आई। (पसूका विशेष लेख  (पीआईबी)  03-अप्रैल-2012 14:43 IST     )*** 
*साभार  भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय

1 comment:

corepr said...

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