Tuesday, February 07, 2012

मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज

राष्‍ट्रीय नीति जारी: वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी का उद्बोधन
नई दिल्ली में 6 फरवरी 2012 को मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज पर राष्‍ट्रीय नीति जारी करने के मौके पर वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी. उनके साथ हैं वित्त सचिक आर.एस.गुजराल और समाजिक न्याय के सचिव के.एम्.आचार्य (फोटो:पी.आई.बी
नई दिल्‍ली में आज मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज पर राष्‍ट्रीय नीति जारी करने के मौके पर वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी उद्बोधन का हिस्‍सा निम्‍नानुसार है। 

वर्ष 2011-12 के लिए केन्‍द्रीय बजट पेश करते हुए मैंने कहा था कि मादक पदार्थों की तस्‍करी का भी भारत में काले धन के निर्माण में योगदान होता है और उसी के अनुरूप सरकार के इरादे की घोषणा करते हुए मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज की तस्‍करी रोकने पर नियंत्रण मजबूत करने और इनके प्रबंधन में सुधार के लिए एक समग्र राष्‍ट्रीय नीति लाने की बात कही थी। इसलिए मैं राजस्‍व विभाग के अधिकारियों को इस इरादे को वास्‍तविकता में बदलने के लिए बधाई देता हूं। इसके साथ ही इस नीति में अहम योगदान और जानकारी उपलब्‍ध कराने के लिए भारत सरकार के अन्‍य मंत्रालयों और विभागों सहित विभिन्‍न प्रदेश सरकारों के अधिकारियों को भी मैं बधाई देता हूं। जैसा कि नाम से ही जाहिर है इस राष्‍ट्रीय नीति में केन्‍द्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के साथ ही मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज के क्षेत्र में काम कर रहे राज्‍य सरकारों के संबंधित मंत्रालयों के ही विचार निहित हैं और बिना आपकी भागीदारी के यह संभव नहीं था। 

आज पूरा मानव समाज किसी न किसी रूप में मादक पदार्थों की समस्‍या से जूझ रहा है। मादक पदार्थएवं अपराध पर संयुक्‍त राष्‍ट्र कार्यालय ने 2011 की विश्‍व ड्रग रिपोर्ट में अनुमान लगाया कि 15-64 वर्ष के बीच 149 से 272 मिलियन लोग या दुनिया की आबादी की 3.3 से 6.1 प्रतिशत लोग ऐसे गैर कानूनी पदार्थों का इस्‍तेमाल करते हैं। ऐसे लोगों की संख्‍या 1990 से लगातार खतरनाक तरीके से बढ़ रही है। इस दिशा में मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज पर राष्‍ट्रीय नीति भारत सरकार की एक अच्‍छी पहल है। 

मादक पदार्थों पर आज जारी राष्‍ट्रीय नीति ऐसे पदार्थों से उपजी चुनौतियों का कड़ाई से सामना करने की भारतीय प्रतिबद्धता का सबूत है। इससे भारत की उत्‍तरदायित्‍व निर्वहन करने की इच्‍छा भी जाहिर होती है। 

मुझे उम्‍मीद है कि इस नीति से न सिर्फ नियामक प्राधिकरणों को एक उपयोगी मानदंड मिला है बल्कि मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज के विरूद्ध गतिविधियों में शामिल उन सिविल सोसायटियों सहित अन्‍य संबंधित पक्षों को भी मजबूत आधार मिल गया है जिनकी सक्रिय भागीदारी के बिना नशीले पदार्थो के खिलाफ जंग में अपेक्षित नतीजे नहीं मिलते। 

मैं एक बार फिर इस राष्‍ट्रीय नीति के निर्धारण में शामिल भारत सरकार के सभी अधिकारियों को बधाई देता हूं। 

मादक पदार्थों एवं साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज पर राष्‍ट्रीय नीति के मुख्‍य अंश 

1. इस नीति में देश में कॉन्‍सेन्‍ट्रेट पॉपी स्‍ट्रॉ (सीपीएस) का उत्‍पादन किसी कंपनी या कारॅपोरेट निकाय के जरिये कराने की सिफारिश की गई है। इससे भारत ओपिएट रॉ मटीरियल के पारंपरिक आपूर्तिकर्ता का स्‍थान पुन: पा सकेगा। 

2. मादक पदार्थों का इस्‍तेमाल करने वालों में पॉपी स्‍ट्रा का इस्‍तेमाल धीरे धीरे कम होता जाएगा और आखिर में समाप्‍त हो जाएगा जैसा की राज्‍य सरकारों ने सोचा है। 

3. इस नीति के तहत गैर कानूनी तरीके से पॉपी और भाँग की खेती पर रोक लगाई जा सकेगी, क्‍योंकि इसका पता लगाने के लिए सेटेलाइट के इस्‍तेमाल पर जोर दिया गया है। साथ ही इसकी खेती करने वालों के लिए आजीविका के दूसरे साधन की व्‍यवस्था का भी प्रावधान है। 

4. निजी क्षेत्रों को अफीम से अल्‍कल्‍वायड बनाने की इजाजत दी जा सकती है। अभी सिर्फ सरकारी फैक्‍टरी में ही अल्‍कल्‍वायड बनाने की इजाजत है। 

5. साइकोट्रॉपिक सब्‍सटांसेज के निर्माण, व्‍यापार और इस्‍तेमाल को लेकर गैर जरूरी हस्‍तक्षेप की विधि हटायी जाएगी। 

6. प्रशामक उपचार के लिए मॉर्फिन के इस्‍तेमाल पर जोर दिया जाएगा। मादक प‍दार्थो का इस्‍तेमाल करने वाले लोगों का समय समय पर सर्वेक्षण कराया जाएगा और नशा मुक्ति केन्‍द्रों की पहचान भी की जाएगी। 

7. अंतर्राष्‍ट्रीय नारकोटिक्‍स नियंत्रण बोर्ड की सिफारिशों को ध्‍यान में रखते हुए विभिन्‍न मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों की कार्रवाई को नियत समय में पूरा करने पर जोर दिया जाएगा। {पत्र सूचना कार्यालय} 07-फरवरी-2012....12:42 IST       ***

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