Wednesday, February 08, 2012

भारत की वन स्थिति रिपोर्ट-2011 जारी

उपग्रह चित्रों के आधार पर तैयार किए गए आंकलन
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में सचिव श्री टी. चटर्जी 07 फरवरी 2012 को नई दिल्ली में भारत की वन स्थिति रिपोर्ट-2011 जारी करते हुए जिसे भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की ओर से प्रकाशित किया गया है (पी.आई.बी. फोटो}
भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा वर्ष 1987 से देश में वन क्षेत्र के बारे में हर दूसरे वर्ष आंकलन रिपोर्ट श्रृंखला का प्रकाशन किया जाता है। भारत की वन स्थिति रिपोर्ट को देश के वन संसाधन का आधिकारिक आंकलन माना जाता है।

  इस श्रृंखला में बारहवीं रिपोर्ट है। यह अक्तूबर 2008-मार्च 2009 के दौरान दर्ज किए गए उपग्रह के आंकड़ों पर आधारित है। 23.5 मीटर के रिजॉल्यूशन और एक हेक्टेयर के न्यूनतम मापक क्षेत्र के साथ देश में निर्मित आईआरएस-पी6-एलआईएसएस III सेंसर के जरिए आंकड़े एकत्र किए गए हैं। उपग्रह चित्रों के आधार पर तैयार किए गए आंकलनों को एफएसआई कर्मचारियों द्वारा कार्यान्वित श्रमसाध्य जमीनी सच्चाईयों का समर्थन प्राप्त है। मौजूदा रिपोर्ट में दर्ज बदलाव, दो वर्ष पूर्व भारत की वन स्थिति रिपोर्ट के तहत दर्ज उपग्रह आंकड़ों के संदर्भ में है। पहाडी जिलों, जनजातीय जिलों और पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में वन और समुदायों के विशेष रिश्तों को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों में वन दायरे पर विशेष ध्यान दिया गया है।

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में सचिव श्री टी. चटर्जी ने आज राष्ट्रीय राजधानी में भारत की वन स्थिति रिपोर्ट-2011 जारी की। मौजूदा आंकलनों के अनुसार देश में वन और वृक्ष क्षेत्र 78.29 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भैगोलिक क्षेत्र का 23.81 प्रतिशत है। 2009 के आंकलनों की तुलना में, व्याख्यात्मक बदलावों को ध्यान में रखने के पश्चात देश के वन क्षेत्र में 367 वर्ग कि.मी. की कमी हुई है। 15 राज्यों ने सकल 500 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र की वृद्धि दर्ज की है जिसमें 100 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र वृद्धि के साथ पंजाब शीर्ष पर है। 12 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों (खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्य) ने 867 वर्ग कि.मी तक की कमी दर्ज की है। आंध्रप्रदेश में 281 वर्ग कि.मी. के वन क्षेत्र की कमी यूकेलिप्टस और अन्य मसालों के परिपक्व रोपण वाली खेती के कारण हुई। पूर्वोत्तर के वन क्षेत्र में कमी खास तौर यहां पर खेती के बदलावों के कारण हुई है। 77,700 वर्ग कि.मी. के साथ मध्यप्रदेश में वन क्षेत्र सर्वाधिक है इसके पश्चात 67,410 वर्ग कि.मी. के साथ अरुणाचल प्रदेश का स्थान है। कुल भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार वन क्षेत्र प्रतिशत के संदर्भ में 90.68 प्रतिशत के साथ मिजोरम शीर्ष पर है इसके पश्चात 84.56 प्रतिशत के साथ लक्षद्वीप का स्थान है। वन से बाहर भारत के वन और पेडों की कुल वृद्धिरत मात्रा का आंकलन 6047.15 मिलियन क्यूबिक मीटर किया गया है यानि रिकॉर्ड किए गए वन क्षेत्र के भीतर 4498.73 और इसके बाहर 1548.42 मिलियन क्यूबिक मीटर का क्षेत्र है।

भारत की वन स्थिति रिपोर्ट-2011 में वन क्षेत्र, वृक्ष-क्षेत्र, मैनग्रोव तथा वनों के भीतर और बाहर वृद्धिरत स्टॉक जैसी नियमित विशिष्टताएं हैं। हालांकि इसमें तीन नवीन अध्यायों को जोड़ा गया है जो वनों के बारे में मौजूदा राष्ट्रीय और वैश्विक दृष्टिकोण के संदर्भ में विशेष तौर पर महत्वपूर्ण है। इसमें बांस संसाधनों का विस्तृत आंकलन, एनएटीसीओएम परियोजना के तहत भारत के जंगलों के आंकड़ों के स्टॉक पर आधारित लकड़ी के उत्पादन-उपभोग का आंकलन शामिल है। ग्रामीण/जनजातीय अर्थव्यवस्था और उनकी आजीविका पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इस वजह से आशा है कि उत्पादन और उपभोग अध्य्यन इस क्षेत्र में सूचना के अभाव को पूरा कर देगा। यह अध्य्यन औद्योगिक लकडी, इमारती लकडी और ईंधन की लकडी के संदर्भ में वन के बाहर वृक्षों के महत्व को रेखांकित करता है। इन तीनों अध्यायों को शामिल करना भारत की वन स्थिति रिपोर्ट-2011 को पिछले संस्करणों की तुलना में और अधिक उन्नत बनाता है। {
पी.आई.बी.}07 फरवरी 2012....20:52    ***

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