Wednesday, January 18, 2012

सीमा व्‍यापार को सुगम बनाना

 विशेष लेख                                                                        -शमीमा सिद्दिकी*
सीमा व्‍यापार को सुगम बनाने से बंदरगाहों, हवाई अड्डों, अंतर्देशीय कंटेनर डिपो/ कंटेनर ढुलाई केंद्र, सीमा शुल्‍क केंद्रों और भंडारण केंद्रों सहित अंतर्राष्‍ट्रीय सीमा पर ठहरने के समय (ड्वेलटाईन), हस्‍तांतरण लागतों, प्रक्रियागत जरूरतों और सीमा शुल्‍क की प्रक्रिया से जुड़े दस्‍तावेजों में कमी आई है।
इस दिशा में सीमा शुल्‍क विभाग सीमा व्‍यापार को सार्थक और प्रभावी बनाने के लिए बंदरगाह प्राधिकरणों, जहाज कंपनियों, क्लियरिंग एजेंटों, डीजीएफटी, बैंकों और पर्यावरण, स्‍वास्‍थ्‍य प्राधिकरणों जैसी अन्‍य सरकारी विभागों के साथ लगातार काम करता है ताकि हस्‍तांतरण लागत में कमी आए।
व्‍यापार सुगम बनाने का लक्ष्‍य विभिन्‍न नीतियों और प्रक्रियाओं के साथ विभिन्‍न पक्षों को सूचनाओं के स्‍वचालन एवं प्रसारण से हासिल किया जाता है।
स्‍व-निर्धारण व्‍यापार सुगम बनाने का एक कदम है जिससे सीमा शुल्‍क विभाग के जरिए निर्यातित/आयातित वस्‍तुओं का काम पूरा करने में लगने वाले समय में और संबंधित हस्‍तांतरण लागत में काफी कमी आई है। निर्यातकों और आयातवों द्वारा सीमा शुल्‍क का स्‍वनिर्धारण वित्‍तीय कानून, 2011 के अनुसार होता है। इसका उद्देश्‍य आयातित और निर्यातित वस्‍तुओं को शीघ्र निपटाना है।
ऑन साइट पोस्‍ट क्लिअरेंस ऑडिट (ओएसपीसीए) योजना :-
वित्‍तीय कानून 2011 के कानूनी प्रावधानों के तहत, ऑन-साइट पोस्‍ट क्लिअरेंस ऑडिट (ओएसपीसीए) योजना मान्‍यता प्राप्‍त ग्राहक कार्यक्रम (एसीपी) के तहत पंजीकृत आयातकों के लिए 1-10-2011 से लागू है। इस योजना का उद्देश्‍य वस्‍तुओं से संबंधित सीमा शुल्‍क विभाग की प्रक्रियाओं को आसान बनाना और ठहराव समय (ड्वेल टाइम) को कम करना है।

एक अधिकृत आर्थिक संचालक (एईओ) कार्यक्रम
     अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में शामिल कारोबारों को समर्थ बनाने के लिए एक अधिकृत आर्थिक संचालक (एईओ) कार्यक्रम विकसित किया गया है ताकि निर्यात से आयात के मद्देनजर आपूर्ति श्रृंखला को सुनिश्चित करने और समय एवं लागतों में कमी लाने जैसे लाभों को प्राप्त किया जा सके। एईओ कार्यक्रमों को सीमा शुल्क प्रशासन के द्वारा कार्यान्वित किया गया है जो जांच में कमी, त्वरित स्वीकृति और अन्य लाभों के मामले में एईओ दर्जा धारकों को तरजीह देता है।
अधिकृत ग्राहक कार्यक्रम (एसीपी)
     एक एसीपी (अधिकृत ग्राहक कार्यक्रम) की शुरूआत जोखिम प्रबंधन प्रणाली (आरएमएस) के साथ 2005 में की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन आयातकों को सुनिश्चित सुविधाएं उपलब्ध कराना है जिनका रिकार्ड और अनुपालन बेहतर है। एसीपी ग्राहकों द्वारा किए जाने वाले आयात को आमतौर पर शुल्क और मालों की जांच के मूल्यांकन से मुक्त रखा जाता है।
स्वचालन और व्यापार सुविधा
    (1) सीमा शुल्क अनुप्रयोग आईसीईएस 1.5 :
           आईसीईएस 1.5 नवीनतम प्रौद्योगिकी पर काम करता है और सभी सीमा शुल्क स्थलों को एक एकल समान अनुप्रयोग प्रदान करता है। आईसीईएस 1.5 को एक प्रमुख व्यापार सुविधा प्रदाता के रूप में प्रमाणित माना गया है।
    (2) जोखिम प्रबंधन प्रणाली (आरएमएस) :
    आरएमएस, एक इलेक्ट्रोनिक प्रणाली पूर्व निर्धारित जोखिम मानकों के आधार पर उन आयात घोषणाओं (माल) पर रोक लगाती है जिनका मूल्यांकन और जांच होनी है। अन्य घोषणाओं (माल) को बिना जांच और मूल्यांकन के स्वीकृति दे दी जाती है। आईसीईएस 1.5 से युक्त आरएमएस (आरएमएस 3.1) के वर्तमान संस्करण का शुभारंभ 4.6.2010 को किया गया था।
    (3) भारतीय सीमा शुल्क ईडीआई गेटवे:
     आईसीई गेट पोर्टल बेहतर स्वीकृति के संदर्भ में करीब सौ संदेशों के आदान प्रदान के लिए आईसीईएस 1.5 के साथ करीब 15 बाहरी हितधारकों – बंदरगाह प्राधिकरणों, समुद्री संरक्षकों, वायु और आईसीडी मालवाहकों को जोड़ता है। सीबीईसी पहला सरकारी विभाग है जिसने जुलाई 2011 में भारत सरकार के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मानकीकरण जांच और गुणवत्ता प्रमाणीकरण (एसटीक्यूसी) निदेशालय से आईएसओ 27001 गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त किया है।
निर्यातकों द्वारा एक आम बांड का निष्पादन
     अग्रिम प्राधिकरण, शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (डीएफआईए) और निर्यात संवर्धन पूंजी माल (ईपीसीजी) योजनाओं के अंतर्गत काम कर रहे निर्यातकों को प्रत्येक आयात के समय निर्यात दायित्वों के लिए बांड निष्पादन की जरूरत होती थी। इसके बाद विभिन्न बंदरगाहों से आयात किए जा रहे मालों के मामले में विभिन्न बंदरगाहों पर प्रत्येक प्राधिकरण के लिए इस बांड को पृथक रूप से निष्पादित किये जाने की आवश्यकता थी। निर्यातों में लेनदेन लागत पर कार्यबल ने सिफारिश की कि अधिकृत धारकों को भारत के किसी भी बंदरगाह से किसी भी निर्यात संवर्धन (ईपी) योजना के अंतर्गत अपने सभी आयातों के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ एक एकल चल बांड को निष्पादित करने की स्वीकृति दी जा सकती है।
सीमा शुल्क अधिकारियों की 24x7 तैनाती
     24x7 सीमा शुल्क अभियानों को जेएनपीटी, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, एन्नोर, ओखा, मंगलौर, पारादीप, गोपालपुर, मुंद्रा, विशाखापट्टनम जैसे कुछ चुनिंदा बंदरगाहों पर फैक्ट्री से निकले कंटेनरों की 24 घंटे निकासी के लिए शुरू किया गया।
एकल फैक्ट्री भराई अनुमति
     निर्यातक कुछ निश्चित प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के बाद सभी सीमा शुल्क केन्द्रों से एक एकल फैक्ट्री भराई की अनुमति ले सकते हैं। इसका अभिप्राय है कि निर्यातक को प्रत्येक मामले के आधार पर अलग-अलग क्षेत्र अधिकारी से फैक्ट्री भराई अनुमति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है। ऐसी फैक्ट्री भराई अनुमति को ईमेल के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।
विदेशी मुद्रा की रसीद के बिना भी निर्यातकों को ड्रॉबैक की सुविधा
    अब यह फैसला किया गया है कि यदि ईसीजीसी के माध्यम से माल के लिए भुगतान प्राप्त हो जाता है तो ड्रॉबैक की सुविधा जारी रहेगी। इसके लिए खरीदार से बिक्री आय की गैर वसूली के बारे में भारत के विदेशी अभियान से संबंधित प्रमाण पत्र लेना होगा।
यात्री सुविधा
     अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा आदि की घोषणा के संदर्भ में महत्वपूर्ण निर्देशों को सम्प्रेषित करने के लिए यात्री सुविधाओं हेतु अवरोहण कार्ड के वर्तमान फार्म में संशोधन किया गया है।
सीएचए लाइसेंस
    सीमा शुल्क हाऊस एजेंट्स लाइसेंसिंग विनियमन, 2004 के अंतर्गत आवश्यक परीक्षा को उत्तीर्ण कर चुके सभी वैध आवेदकों को अब स्वचालित रूप से लाइसेंस दिए जा रहे हैं। सीमा शुल्क निकासी में व्यापारिक समुदाय और परिणामी दक्षता के लिए महत्वपूर्ण परिणाम सीएचए का चयन है।
4 प्रतिशत एसएडी की वापसी    4 प्रतिशत एसएडी की धन वापसी और शीघ्र मंजूरी के लिए प्रक्रियाओं को सामान्य रूप से लागू किया गया है और खासतौर पर एसीपी आयातकों के लिए 30 दिनों की एक तय समय सीमा के भीतर बिना पूर्व लेखा परीक्षा के धन वापसी की अनुमति को सरल बना दिया गया है। 
परियोजना आयात विनियमन, 1986 के अंतर्गत परियोजनाओं को अंतिम रूप देना
    अब परियोजना आयात अनुबंधों को आयातक द्वारा आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने की तिथि से 60 दिनों के भीतर अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
व्यापार के साथ बेहतर संचार
    व्यापार में सहायता प्रदान करने के लिए आईसीई गेट पर 24 घंटे के लिए एक सहायता केन्द्र की शुरूआत की गई है। तैयार संदर्भों के लिए प्रत्येक मुद्दे पर वर्तमान दिशा निर्देशों और परिपत्रों को हितधारकों को प्रदान करने के लिए सीमा शुल्क मैनुअल को अद्यतन भी किया जा चुका है।

*निदेशक (मीडिया और संचार), पत्र सूचना कार्यालय, वित्त मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर

No comments: