Monday, September 19, 2011

मारुति सुजुकी के मज़दूर नेताओं की गिरफ्तारी

पीयूडीआर,पीयूसीआर,नागरिक मोर्चा ने की निंदा
  दिनांक: 19 सितंबर, 2011 को जारी प्रेस विज्ञप्ति 
नई दिल्‍ली, 19 सितंबर। ‘पीपुल्‍स यूनियन फ़ॉर डेमोक्रेटिक राइट्स’ (पीयूडीआर), दिल्‍ली,  पीपुल्‍स यूनियन फ़ॉर सिविल राइट्स, हरियाणा और ‘मारुति सुज़ुकी के मज़दूर आन्‍दोलन के समर्थन में नागरिक मोर्चा’ ने बीती रात मारुति सुज़ुकी कामगार यूनियन के नेताओं की गिरफ्तारी की कठोर शब्‍दों में निंदा की है। कल रात यूनियन के नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, वो भी तब जबकि प्रबंधन, श्रम विभाग और यूनियन के बीच बातचीत जारी थी। पीयूडीआर, पीयूसीआर, नागरिक मोर्चा ने इसे प्रबंधन और सरकार के दोहरे आचरण की संज्ञा दी।

मारुति सुज़ुकी कामगार यूनियन के अध्‍यक्ष सोनू कुमार, महासचिव शिव कुमार और रविंदर 18 सितंबर की रात तकरीबन10:30 बजे मारुति सुज़ुकी प्रबंधन से मीटिंग करके बाहर निकले ही थे कि पुलिस ने उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया। ज्ञात हो कि 29 अगस्‍त से कंपनी द्वारा की गई  जबरन तालाबंदी को खत्‍म करने के  लिए 16 सितंबर से ही यूनियन, मारुति सुज़ुकी प्रबंधन और श्रम विभाग के बीच वार्ता चल रही थी। बर्खास्‍त किए गए और निलंबित मजदूरों को बीती रात प्रबंधन द्वारा वापस लेने से इंकार करने पर वार्ता टूट गयी। ऐसा लगता है कि पुलिस इसके लिए पहले से ही तैयार थी और उसने बातचीत खत्‍म करके बाहर निकले यूनियन नेताओं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने कथित तौर पर कुछ सुपरवाइज़रों से मारपीट करने के मामले में रविंदर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, लेकिन सोनू कुमार और शिव कुमार के खिलाफ कोई मामला नहीं है। ये मजदूर नेता ही प्रबंधन के साथ समझौता-वार्ता की अगुवाई कर रहे थे। यह साफ है कि न्‍यायोचित मांग के लिए संघर्षरत मारुति मज़दूरों के आंदोलन को कुचलने के लिए गुड़गांव पुलिस और हरियाणा सरकार, कंपनी के इशारे पर काम कर रही है।

हम मांग करते हैं कि गिरफ्तार नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए और वार्ता दोबारा शुरू कराई जाए। साथ ही, राज्‍य सरकार कंपनी के एजेंट के तौर पर काम करना बंद करे और इस मामले में हस्‍तक्षेप करके मजदूरों को न्‍याय दिलाए।

पीपुल्‍स यूनियन फ़ॉर डेमोक्रेटिक राइट्स’ (पीयूडीआर), दिल्‍ली
पीपुल्‍स यूनियन फ़ॉर सिविल राइट्स, हरियाणा
मारुति सुज़ुकी के मज़दूर आन्‍दोलन के समर्थन में नागरिक मोर्चा

चित्र वर्कर्स रसिस्ट से साभार 

No comments: