Monday, September 12, 2011

नहीं भूख बच्चों की अब देखी जाती;मैं अपना लहू बेचना चाहता हूँ !

शक्ति पास हो तो बहुत से लोग हिम्मत दिखाने की बातें कर लेते हैं पर असली इम्तिहान तो तभी होता है जब पास कुछ नहीं होता. न ताकत न पैसा, न रिश्तेदार और न नही मित्र. ऐसे में भी जो व्यक्ति अपने विचारों पर दता रहता है उस को फिर जमाना सलाम करता है. मैंने लाला जगत नारायण जी को ज्यादा तो नहीं पर कई बार नज़दीक से देखा. हिंदसमाचार पत्र समूह जालंधर दफ्तर में एडिटोरियल लिखते हुए, कार्यालय में घूमघूम कर काम की निगरानी करते और दिशा निर्देश देते हुआ...सुन कर आज भी आँखों में आंसू आ जाते हैं.इतना दर्द, इतनी सम्वेदना..! लाला जी धुन के भी बहुत पक्के थे. सरकार उनकी कलम से घबरा कर अख़बार को बंद कराने के इरादे से हिंद समाचार पत्र समूह की बिजली काट देती है तो लाला जी अपने विचार नहीं बदलते. अपना मार्ग नहीं छोड़ते. सरकार्र की मिन्नतें नहीं करते, ट्रैक्टर से प्रेस चला कर अखबार छाप कर दिखा देते हैं और और अपनी हिम्मत से दमन की धज्जियां उड़ा देते हैं. पंजाब में बन्दूकों की दस्तक होती है तो लाला जी सर पे कफ़न बांध कर कहते हैं...देखना है जोर कितना बाजू--ऐ-कातिल में है. उनके विचारों से किसी को भी मतभेद हो सकते हैं पर उनकी लगन, मेहनत, ईमान और निष्ठां...इन सब को नमन करना ही पड़ता है. जल्द ही न समझाने वाले भी इसे समझ जायेंगे.
वह कैसे अपने वर्करों का ख्याल रखते थे, उनके दुःख सुख में काम आते थे इसकी सची कहानियां वे  बहुत से लोग जानते हैं जो उनके नज़दीक रहने का गौरव प्राप्त कर सके. यूं तो आज भी विजय जी और अविनाश जी अपने स्टाफ का पूरा ध्यान रखते हैं पर लाला जी की कमी तो खलती रहेगी....कभी सोचा नहीं था कि लाला जी को इस तरह इतनी जल्द हमसे छें लिया जायेगा. पर यह सब हुआ. पंजाब और दिल्ली में खून खराबे का एक भयावह दौर सब ने देखा.हम में से बहुतों ने तो इसे झेला भी, भुगता भी. लाला जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए ही रमेश जी ने भी शहादत का जाम पिया बहुत से स्टाफ मेम्बरों, पत्रकारों और हाकरों ने भी. हुआ वही जो होना था.गोली के जनून पर कलम का जनून भारी पड़ा.हिंद समाचार पत्र समूह की पंजाब केसरी अख़बार अगर आज हिंदी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है तो जग बानी पंजाबी में पत्रकारिता का आधुनिक रंग दिखा रही है. जिस आवाज़ को मिटाने का प्रयास किया गया था वह आज भी बुलंद है. लोग लाला जी को पत्रकारिता के भीष्म पितामह कहते हैं. उन्हें आज भी लगातार याद करते हैं. पंजाब केसरी ग्रुप के संस्थापक अमर शहीद लाला जगत नारायण जी के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य मे देश के अलग अलग  भागों में बहुत से कार्यक्रम हुए.पटियाला में भी विशेष आयोजन हुआ और अम्बाला में भी. ऑल इंडिया एंटी टैरारिस्ट फ्रंट की ओर से प्रदेश कार्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन अम्बाला में किय गया.इस कार्यक्रम में फ्रंट के प्रदेश उपाध्यक्ष नितीन उप्पल व फ्रंट के अन्य सदस्यों ने अमर शहीद लाल जगत नारायण जी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की.इस श्रद्धांजलि समारोह के दौरान फ्रंट के हर्षवर्धन उप्पल, परमिंद्र सिंह रोमी, अजीत पाल सिंह, मुनीष बत्तरा, पंकज कुमार, अमनप्रीत पूनिया, गुरदीप सिंह, राकेश कुमार, हर्षवर्धन सिंह, हरदीप सिंह, जतिंद्र शर्मा आदि फ्रंट के सैंकड़ों सदस्य मौजूद थे. इसी तरह जालंधर में एक विशेष मुशायरा भी आयोजित कराया गया. इस बार का मुशायरा अपने आप में ऐसा 14वां आयोजन था. आने वाले वक्त में इन आयोजनों का सिलसिला और तेज़ होगा.--रेक्टर कथूरिया 

1 comment:

SAMVEDNA said...

saahityik soochanaao aur sammelan kaa aakarShan hai punjab screen