Saturday, August 06, 2011

देश में लुप्त हो रहे भरत-नाट्यम डांस कला को जीवित रखने का प्रयास

अमृतसर से गजिंदर सिंह किंग 
 देश में लुप्त हो रहे भरत-नाट्यम डांस कला को जीवित रखने का प्रयास भारत में बचे हुए कुछ भरत-नाट्यम कलाकार कर रहे हैं, इसी के चलते आज देश की मशहुर भरत-नाट्यम डांसर दकशना वैद्यनाथन और रमा वैद्यनाथन आज अमृतसर पहुँची और यहाँ पर उन्होंने अमृतसर के एक स्कूल में भारत नाट्यम का प्रदर्शन किया, इस मौके पर उन्होंने बच्चों को भी भारत के इस सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने और इस डांस के प्रति आगे आने के लिए प्रेरित किया ताकि इस विरासती नृत्य को बचाया जा सके. 

इस मंच पर संगीत की धुन पर भारत नाट्यम डांस की  कला का प्रदर्शन कर रही यह है, भारत की प्रसिद्ध भरत-नाट्यम डांसर दकशना वैद्यनाथन, बच्चों में इस डांस के प्रति जागरूक करने और इस डांस की महत्वता बताने के लिए वह आज यहाँ पहुँची, जहाँ उन्होंने अपने डांस की कला के जौहर दिखाए, वहीँ उन्होंने कत्थक डांस करके सब का मन मोह लिया, उन्होंने शम्भू-नतनम नृत्य किया और इतिहास में पहले नृत्य यही किया गया था और यह नृत्य का आरम्भ भी कहा जाता है, उन्होंने कई डांस कर बच्चों को अपनी कला से प्रभावित किया और सबका मन मोह लिया. इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, कि आज देश में शास्त्रीय संगीत कम हो रहा है और इसके लिए वेस्टर्न संगीत और बॉलीवुड जिम्मेदार है, उनका कहना है कि आज भारतीय संस्कृति को लोग भूल रहे है और पंजाब में इस नृत्य की पहचान बहुत कम है, लेकिन हमे इसको जिंदा रखना है, लेकिन इसकी महत्वता बहुत जयादा है, इस लिए लोगों को इसकी महत्वता को बताना और बनाना चाहिये, वह यहाँ पंजाब में बच्चों को यह सन्देश देने के लिए आयी है, कि हमे अपनी संस्कृति को बचाना है और वह इस सन्देश को देने के लिए यहाँ पर आयी है और अपने मकसद में कामयाब भी होंगी.




     
वहीँ इस मौके पर रमा वैद्यनाथन का कहना है, कि आज हर भारतीय को इस देश का नागरिक होने के नाते देश की संस्कृति को बचाना चाहिए और आज बॉलीवुड की चमक में यह देश का विरासती संगीत अपनी चमक गवा रहा है और हम सबको एक-जुट होकर इसको आगे लाना चाहिए, ताकि हम लोग अपनी संस्कृति को पूरी दुनिया में दिखा सके, उनका कहना है, कि आज युवा पीडी को इसकी महत्वता बताने के लिए यह पर्यास किये जा रहे है और आज इसी के चलते वह यहाँ पर आई हैं, उनका कहना है, कि बॉलीवुड आज हमारी सोसाइटी के साथ जुड़ गया है, लेकिन बॉलीवुड को अपनी जगह पर रख कर इसकी और भी लगाव बढाना चाहिये और अपने अस्तित्व को बचाना चाहिए, उनका कहना है, कि इस तरह के आयोजन से बच्चों को इसकी महत्वता के बारे में पता चलता है और बच्चों का रुझान और झुकाव इस और बढता है.
      देश का सबसे पुराना नृत्य आज बॉलीवुड की चमक में अपनी पहचान भूलता जा रहा है, वहीँ इस संस्कृति को बचाने के लिए दक्ष्ण और रमा वैधनाथन जैसी कलाकार इस विरासती और सांस्कृतिक नृत्य को बचने के प्रयास में लगी हुई हैं. उनके इस प्रयास का हिस्सा बनकर हम सब लोगों को भी कुछ कदम उनके साथ आगे बदने चाहिए ताकि इस विरासती और सांस्कृतिक धरोहर को बचाया जा सके, कहीं ऐसा न हो, कि एक दिन यह नृत्य इतिहास बन कर न रह जा     

No comments: