Wednesday, June 01, 2011

पहले दौर की वार्ता नाकाम:योग ही भगाएगा भ्रष्टाचार का रोग

बाबा रामदेव अड़े 100 फीसदी सहमति पर: सरकार ने किया गंभीरता का वादा 
सरकार और बाबा रामदेव के दरम्यान पहले दौर की बातचीत नालाम हो गयी है इसलिए अनशन और सत्याग्रह पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक हो होगा. बाबा ने साफ़ कहा है की पहला मुद्दा भ्रष्टाचार और दूसरा मुद्दा काला धन है.देश और जनता को बचाने के लिए चार जून का एक्शन होगा ही होगा. दोसरी और केंद्र सरकार की और से केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा की बाबा ने बहत से मुद्दे सरकार के सामने रखें हैं और सरकार सभी मुद्दों को गंभीरता से लेगी. बाबा ने भी साफ़ किया है कुछ मुदों पर सहमती बनी भी है लेकिन १०० फीसदी शीमती बने बिना बात नहीं बनेगी. यह अनशन और सत्याग्रह अवश्य होगा. गौर तलब है की इस आन्दोलन के पहले दिन से ही कम से कम एक करोड़ लोग इसमें भाग लेंगें और आने वाले दिनों में यह संख्या लगातार बढ़ेगी. लगत हैऊ की बाबा राम देव की योग की आंधी भ्रष्टाचार के रोग को उडा लेजायेगी इस धरती से कहीं दूर. उल्लेखनीय है कि कालाधन के मुद्दे पर चार जून से शुरू होने वाले अनशन पर नहीं जाने का आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री ने योग गुरु बाबा रामदेव को इस आशय का आश्वासन भी दिया था कि  भ्रष्टाचार के समाधान के लिए ‘व्यावहारिक उपाय’ खोजा जाएगा. हाल ही में राष्ट्रपति भवन में हुए एक कार्यक्रम के बाद  मीडिया के सवालों के जवाब में सिंह ने कहा था कि यह कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है. हम सभी रामदेव की इस बात से सहमत हैं कि भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है और अपने पूरे संसाधनों से हम इससे निपटने को प्रतिबद्ध हैं.   
इससे पहले प्रधानमंत्री ने रामदेव को एक पत्र भी लिखा था. इस पत्र में शासन में सुधार लाने के उनके सुझावों का स्वागत किया था. अपने इस पत्र में भीउन्होंने बाबा को आश्वासन दिया था कि समाज के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर सरकार एक खुशहाल भारत निर्मित करने को पूरी तरह तत्पर है. प्रधानमंत्री सिंह ने उन्हें बताया था कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और उनके वरिष्ठ अधिकारी उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर उनसे विचार विमर्श जारी रखेंगे.  जब हवाई सद्दी पर बाबा का स्वागत करने के लिए केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, प्रणव मुखर्जी और संसदीय मामलों के पवन बंसल पहुंचे तो इस बात का अहसास भी होने लगा था कि सरकार पूरी तरह से गंभीर है. वहां जिस तरह का स्वागत और जिस तरह कि व्यवस्था कि गयी उसे देख र यह बात तो साफ़ थी कि सरकार बाबा रामदेव को पूरा महत्व दे रही है. जब दो ढाई घंटे तक चली आपसी वार्ता नाकाम हो गयी तो भी दोनों तरफ से बहुत ही संयम और सलीके से बात की गयी. पहले दौर की वार्ता के इस  नाज़ुक पक्ष का ध्यान भी दोनों तरफ से रखा गया..

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