Tuesday, May 03, 2011

कार्टूनिस्ट्स ही ऐसे हैं जिन पर भृष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा

कार्यक्रम की शुरुआत ठीक 6 बजे तू ही गुर गोबिंद...तू परब्रह्म तू ही भगवंत ... शब्द से हुयी और शब्द के बाद पहुच रहे अतिथिओं और पहुँच चुके अतिथियों को चाए पानी दिया जा रहा था.जब मैं उस कायर्क्रम पर पहुंचा तो वहां लोगों ने मुझे अजीत अखबार की टीम से समझा, फिर श्याम जगोता जी ने यह कह कर उनका भ्रम दूर किया क अजीत में मेरे कार्टून छापते हैं ये उनको देख कर आये हैं यहाँ पर | |
स्टेज को कार्यक्रम के मुख्य आयोजक त्रियम्बक शर्मा ने संभाला और मंच सँचालन किया और अपने इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी और अपने दिल की बातें साझी करीं..
उन्होंने कहा की यह कार्टून वाच भारत की एक ही मासिक पत्रिका है जो पिछले 15  वर्षों से लगतार चलती आ रही है| उन्होंने कहा की जब मैंने ये काम शुरू किया था तो लोगों ने मेरी खिल्ली उड़ाई थी फिर भी मैंने ये कैसे काम शुरू कर लिया लेकिन आज ये जिस मुकाम पर पहुच चूका है वो आप सब की आँखों के सामने है | उन्होंने ने हँसते हुए और मजाकिया लहजे में कहा के मेरे कार्टूनिस्ट बन्ने में मेरे पिता जी श्रीमान प. मृत्युंजय शर्मा जी का बहुत बड़ा हाथ है क्यों की वो मुझे बचपन में बहुत मारते थे और मैं गुस्से में उनका कार्टून बना देता था | अगर मेरे पिता जी मुझे न पिटते तो शायद मैं आज कार्टूनिस्ट न होता | साथ ही साथ उन्होंने ने देश भर के कार्टूनिस्ट्स की पीड़ा को उजागर करते हुए बताया के हम कार्टूनिस्ट्स को कोई नहीं पूछता, हमारे कार्टून भी अखबार वाले बड़ी मुश्किल से छापते हैं और वो भी पिछले पन्नों पर पहले पन्ने की तो बात ही छोडो और अगर कोई विज्ञापन आ जाये तो वो पिछले पन्ने वाला कार्टून भी गायब हो जाता है | उन्होंने बताया कि कार्टून तो समाज में चल रही गलत बातों पर व्यंग्य तो कसता ही है लेकिन उसमे एक सामाजिक सन्देश भी होता है | उन्होंने बताया कि हमें कोई नेता अच्छा नहीं समझता क्यों की हम उनकी की हुयी करतूतों पर से पर्दा उठा देते हैं और कई बार तो हमारे उस प्रकार के कार्टून अखबार वाले छपने से मना कर देते हैं | बताते हुए उन्होंने ये कहा की जब भी कोई नेता या कारोबारी आपस में नात कर रहे हों और वहां पर कोई कार्टूनिस्ट पहुच जाये तो सबसे पहले उसे भगा देते हैं ता की कल को कोई उनका कार्टून ही न बना दे | उन्होंने बातों बातों में ये भी बताया कि वह  अपने संघर्ष के दिनों में अख़बारों के लिए फ्री में कार्टून बनाते थे |
अपने कार्यक्रम के बारे मैं और जानकारी  देते हुए उन्होंने ने कहा उन्होंने यह सन्मानित करने का काम इस लिए  किया है ता की भारत के कोने कोने में बस रहे कार्टूनिस्ट्स को उनका बनता सम्मान  मिल सके क्यों कि एक कार्टूनिस्ट अपनी उपजीविका चलने के लिए पैसे बाद में मांगता है पहले वह अपना सम्मान चाहता है | भारत में 80-85 वर्षों के कार्टूनिस्ट्स बैठे हैं जिनको कोई जनता भी नहीं और उन्हें कोई मान भी नहीं दिया गया है हम उनको आदर देंगे ता की इस पेशे को नयी पीढ़ी एक गौरवशाली पेशे की सोच से अपना सके | एक बात उन्होंने ने बड़े गर्व से छाती ठोक कर कही की दुनिया के सभी पेशों में से एक कार्टूनिस्ट्स ही ऐसे हैं जिन पर भृष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा है और किसी ने आज तक ये नहीं सुना होगा की उस या इस कार्टूनिस्ट ने सिफारिश पर किसी का कार्टून बनाया हो |
     इसी दौरान ठीक 6:45 पर कलाम साहब आये और सारा हाल उनके स्वागत के लिए खड़ा होकर तलिआन मरने लगा | कलाम साहब ने अपने हाथ से कैनवस पर कार्टून बना कर कार्यक्रम की रस्मी शुरुआत की | इसके बाद त्रियंबक , प. मृत्युंजय और हिमांशु दिवेदी (हरी भूमि अखबार के संपादक) जी ने मंच पर खड़े होकर कलम साहब के पधारने के सन्दर्भ में भाषण दिया | फिर कलम साहब ने उम्र भर की पर्प्तियों के लिए परुस्कार दिया | सन्मान लेने वाले ये नाम हैं 1.  अजीत निनान, (दिल्ली), 2. जानेमाने कार्टूनिस्ट काक, (दिल्ली) 3. हुसैन  जामिन जैदी, (दिल्ली),4.  पांडुरंगा राव, (बंगलौर). 5. जगजीत रना, (दिल्ली),और सुधीरनाथ  को कार्टून और कार्टूनिज्म को बढ़ावा देने के लिए खास पुरूस्कार से सन्मानित किया गया |
उस के पशचात अजित नैनं ने दर्शकों को संबोधित किया और दिल की बाते साझी करी. सबसे पहले त्रियम्बक जी और कलाम साहब का धन्यवाद किया | उन्होंने अपने बारे में बताते हुए कहा की मैं बचपन में पढता कम और कार्टून ज्यादा बनाता था | मैं अपने पेपरों में भी कार्टून ही बनाता रहता था इसी लिए मेरे नंबर कम आते थे | मैं कलाकारी करता रहता था और मेरे पेपर क्लास ऊपर कर के दिखाए जाते थे | मैं अम्बा का 3D चित्र बनाता था | उन्होंने अपनी पसंद बताते हुए कहा के मुझे कार्टून ज्यादा पसंद है बजाये क वो रंगीन हों | आज की तकनालोजी के नुक्सान बताते हुए उन्होंने कहा क आज कल कार्टून बनाने का काम भी कंप्यूटर पर ही होता है और अगर आपसे अगर कोई असल मांग ले तो आपको अपना कंप्यूटर देना पड़ेगा बजाये कागज़ के | साथ ही उन्होंने सोनिया गाँधी जी पर अपना गिला ज़ाहिर ये कह कर किया की उन्होंने मनमोहन जी को भारत का प्रधान मंत्री बना कर हमारा काम कम कर दिया है वो ऐसे के एक तो उनका धार्मिक चेहरा है; मैं कार्टून बनाते समय उनकी दाह्ड़ी से छेड़छाड़ नहीं कर सकता, उनकी पगड़ी से छेड़ छाड़ नहीं कर सकता और उनकी शख्सियत बेदाग़ है और बहुत पढ़े लिखे इंसान हैं | अगर येही प्रधान मंत्री जी क पद पर सोनिया जी आप होती तो पता ही नहीं की उनकी कितनी तरहों के कार्टून बन गए होते |
इसके बाद कलाम साहब ने कार्टून वाच पत्रिक का अगला संस्करण जरी किया और मंच पर खड़े होकर सभी को संबोधित किया जिसकी विडियो दो हिस्सों मैं है  एक भाग तो आप  यहां  क्लिक करके देख सकते हैं और दूसरा भाग यहां क्लिक करके.देख सकते हैं.  उनके  संबोधन के कुछ ही देर बाद कार्यक्रम रात के खाने के बाद समाप्त हो गया और लोग अपने अपने घर को चले गए. शाम जगोता ने  मुझे और कोमल सोहल को कहा कि आप लोग ही हमारी असली कमाई हो क्यों की इस पेशे से जुड़े लोग तो आ ही जाते हैं और आते रहेंगे लेकिन हम लोगों को इसके बारे में जागरूक करना चाहते हैं | उन्होंने हम दोनों का भरी आँखों से धन्यवाद किया. 
--नोयडा से सतिन्द्र शाह सिंह 

1 comment:

Anonymous said...

bharat me kaarton ki kai patrikae nikalti hai kartoon watch akeli nahi hai.