Tuesday, March 29, 2011

कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये

भारतीय शास्त्रों में  बार बार यह बात याद दिलाई जाती है कि इंसान को अपने धर्म में हर पल कायम  रहना चाहिए. धर्म और स्वभाव का गहरा मेल है. जैसे आग जलाती है, हवा सुखाती है ये सब उनका स्वभाव है. सूर्य हमें रौशनी भी देता है और गर्मी भी, चाँद हमें चांदनी देता है जो आँखों को ठंडक देती हुयी महसूस होती हैं. इनमें से कभी भी कोई अपने धर्म से नहीं हटा. लेकिन इंसान बार बार किसी न किसी बहाने से अपने मानवीय धर्म और प्रेम प्यार के धर्म से हट जाता है. कभी जाति के नाम पर, कभी भाषा के नाम पर, कभी मज़हब के नाम पर और कभी क्षेत्र के नाम पर. लेकिन जो लोग धर्म पर कायम रहते हैं उनके सामने दुनिया झुकती है. इसमें देर चाहे हो जाये लेकिन अंधेर कभी नहीं होता. कभी वक्त था कि रूस और अमेरिका एक दूसरे के सामने खड़े थे. एक दूसरे को मिटाने के लिएआतुर. मास्को और वाशिंगटन कभी इस नफरत को भूल पायेंगे कभी किसी ने नहीं सोचा था. पर इस तस्वीर ने मुझे बहुत कुछ सोचने को मजबूर किया. तस्वीर में अमेरिकी रक्षा विभाग के सचिव रोबर्ट एम गेटस एक मकबरे पर फूल माला अर्पित करके अपने श्रद्दा सुमन अर्पित कर रहे हैं. मकबरा किसी सैनिक का है. सैनिक का नाम मैं नहीं जानता लेकिन जो बात पता चल सकी वह यह कि तस्वीर में दिखाया गया मकबरा मास्को में है. इस तस्वीर को अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए कैमरे में क्लिक किया  Cherie Cullen/ ने 22 मार्च 2011 को. इस तस्वीर को देख कर जहन में लता जी का गाया हुआ  वह अमर गीत भीआने लगता है...कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये....अगर आपके मन में भी कुछ आ रहा है तो उसे तुरंत लिख भेजिए. चाहे डाक से चाहे इमेल से. आपके विचारों का स्वागत होगा. आपको यह तस्वीर कैसी लगी ? इस पर अपने विचार भी भेजें और अगर आपके पास भी कोई अच्छी तस्वीर हो तो उसे अवश्य भेजें उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित किया जायेगा. --रेक्टर कथूरिया. 

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