Saturday, February 05, 2011

भारतीय डाक विभाग में नयी क्रांति

कभी केवल डाक का ही ज़माना था. डाक और डाकिये की इंतज़ार हर घर में रहती थी. फिल्मों में इस पर गीत लिखे और फिल्माए गए. डाक विभाग अपने आप में एक बहुत बड़ी रियासत की तरह ही था. रेलवे स्टेशन पर आर एम एस (रेलवे मेल सर्विस) का काम दिन रात 24 घंटों चला करता था.  रेल गाड़ियों में डाक के अलग डिब्बे तो खैर आज भी हैं. देश और दुनिया  का एक एक कोना  इस डाक प्रणाली ने जोड़ा हुआ था.  हालांकि यह सारा काम बहुत ही ज़िम्मेदारी से निपटाया जाता था पर फिर भी कुछ लोग इसमें कोताही कर ही जाते थे.  मुझे याद है लुधियाना में करीब 25 -30  बरस पूर्व डाक का एक बोरा एक डाकिये ने गंदे नाले पर फेंक दिया था. वास्तव में यह कई दिन की जमा हुई अनबंटी डाक थी. घर की बहुत सी परेशानियों और हालात से घबराया हुआ डाकिया शराब की लत का शिकार हो गया और उसने इक्कठी हुई डाक को इस तरह फेंक कर उस बोझ से छुटकारा हासिल कर लिया. यह इतिफाक ही था कि इसका पता चल गया और लोगों की शिकायत पर विभाग के अधिकारियों ने खुद मौके पर पहुंच कर इस डाक को बेहद खराब हालत में बरामद किया. यहां डाकिये का नाम जानबूझ कर नहीं दिया जा रहा. यह सारा मामला उन दिनों अखबारों में भी छपा था. पंजाब केसरी पत्र समूह ने इस पर सम्पादकीय भी लिखे.  इसी तरह की कई और गड़बड़ियाँ  भी इस विभाग में घर करतीं रहीं. कुछ पैसों के बदले में किसी के पत्र किसी को सौंप देना. बहुत ही आम बात हो गयी थी.  डाक अपने गन्तव्य तक नहीं पहुंची या कई दिन देरी से पहुंची तो इस पर कुछ कारगर नहीं हो पाता था. डाक गुम हो गयी तो उसका कुछ पता न चलता. देश विदेश से आने वाले महंगे तोहफे अक्सर खुर्द बुर्द होने की बातें सुनने में आतीं पर सरकार के कानों पर कभी जूं न सरकती. शिकायतों और औपचारिक जांच पड़तालों में ही बात आई गयी हो जाती. हालांकि डाक विभाग ने बहुत से करिश्मे भी दिखाए पर इन सब पर पानी फेरने का काम किया कुछ काली भेड़ों ने. चुपके से शुरू हुई प्राईवेट  कोरिअर सर्विस धीरे धीरे इतने बड़े डाक विभाग के लिए एक चुनौती बन गयी. इस समय लोग इन कोरियर सेवायों पर अधिक विशवास करते हैं. अब जबकि डाक विभाग समाप्त होने के किनारे पर है उस समय सरकार को फिर जाग आई है.  अवश्यक सेवायों में आते इस महकमे को बचाने के लिए सरकार ने कुछ ऐसा किया है जो बहुत पहले होना चाहिए था.  खबर ऐजंसी भाषा की ओर से नयी दिल्ली डेट लाईन से 4 फरवरी को जारी एक खबर के मुताबिक सरकार ने डाक विभाग को विशिष्ट पहचान संख्या से जोड़ दिया है ताकि लोगों को उनकी चिट्ठियां समय पर मिल सकें और उन्हें अपने खतों की स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके. इंटरनेट के युग में उठाया गया यह कदम निशचय ही एक खुशखबरी वाली बात है. ग्रामीण भारत में पोस्ट आफिस और डाकिए के महत्व और प्रासंगिकता को देखते हुए इस का स्वागत करना बनता है. आज भी बहुत बड़ी संख्या में लोग डाक विभाग पर निर्भर करते हैं. डाक विभाग और भारतीय विशिष्ठ पहचान संख्या (यूआईडीएआई) ने इस आशय के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. 
लोग अब यह पता कर सकते हैं कि उनकी चिट्ठी पते पर पहुंची है या नहीं.केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने इस अवसर पर कहा कि भारत गांवों का देश है.ग्रामीण भारत में आज भी डाकिया सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है.हम चाहते हैं कि सूचना के प्रवाह के इस माध्यम को प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाए ताकि गांवों में रहने वाले लोगों को फायदा हो.डाक विभागयूआईडीएआई के बीच यह सहयोग इसी दिशा में एक प्रयास है जो देश में समावेशी विकास सुनिश्चित करेगा.यूआईडीएआई के अध्यक्ष नंदन नीलेकणि ने कहा, ‘ डाक विभाग को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में यह गठजोड़ एक महत्वपूर्ण पहल लग रहा है जिससे आम आदमी कुछ और मज़बूत होगा.उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से अब लोगों को इस बात का पता चल सकेगा कि उनकी चिट्ठी कहां है.अब इस नयी व्यवस्था से कोई भी व्यक्ति आनलाइन माध्यम से इस बात का आग्रह कर सकता है कि उनकी चिट्ठी उनके लिखे पते पर पहुंची है या नहीं. मोबाईल फोन और इंटरनेट के इस अति आधुनिक युग में डाक विभाग का फिर से शक्तिशाली होना एक नया इतिहास रचने के समान होगा. आइये डाक विभाग में इस नयी क्रांति को खुशआमदीद  कहते हुए  इसके जल्द सफल होने की कामना करें. इस सब पर आपके विचारों की इंतज़ार भी बनी हुई है.-रेक्टर कथूरिया   

1 comment:

G.N.SHAW said...

realy postal department , still doing a good work,it is unique in the entire world. bahut achchha laga padh ke.