Saturday, July 31, 2010

कहीं फिर न ऐसा हो.....!

हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही को याद करके आज 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर और ठीक तीन दिन बाद 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर भी एटम बम गिराया गया. उसके कारण और आवश्यकताएं चाहे कुछ भी रहीं हों पर मानवता आज भी उसकी बात सुन कर शर्मसार महसूस करती है. आज भी उसे एक कलंक की तरह याद किया जाता है. उन दिनों की याद में एक विशेष आयोजन हो रहा है 6 अगस्त 2010  को लाहौर पाकिस्तान  में. आई.पी.एस.एस अर्थात की Institute for Peace and Secular Studies [IPSS] ओर से किये जा रहे इस आयोजन की सूचना देते हुए वहां की एक संघर्षशील जनवादी महिला नेता दीपा सईद ने बताया कि लाहौर की चेयरिंग क्रास, माल रोड पर इस आयोजन की शुरूयात शाम को 06 :30 बजे हो जाएगी और रात के अथ बजे तक चलेगी. इस मौके पर मोमबत्तियां जला कर इस चेतना को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा की अब फिर कभी भी उन हथियारों का इस्तेमाल कहीं पर भी दुबारा न होने पाए. इन हथियारों को कम करने के लिए सभी धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट किया जा सके. इस मकसद के लिए वहां मोमबत्तियां जलाई जायेंगी.आप चाहें तो अपनी मोम बत्तियां भी वहां ले जा सकते हैं.अगर आप इसमें शामिल होते हैं तो आपको वहां कई हमख्याल लोग मिलेंगे.--रेक्टर कथूरिया 

मुंशी प्रेमचंद जी को याद करते हुए

मुंशी प्रेमचंद को शरीरक तौर पर हमसे बिछड़े हुए एक लम्बा अरसा हो गया है पर उनके विचारों में इतनी जान है कि वे आज भी हम पर छाये हैं. हम अपने अचेतन को भी कभी उनसे अलग करके नहीं देख पाते. उनका साहित्य आज भी उसी प्रेम से पढ़ा जाता है. उनकी जीवन शैली की चर्चा आज भी की जाती है. उनके सिद्दांतों की बात आज भी की जाती है. उनकी मिसालें आज भी दी जाती हैं.  उनके जन्मदिन के अवसर पर मुंबई में रह कर साहित्य साधना कर रहे नवीन चतुर्वेदी जी ने एक कविता लिखी है . वह कविता आपके लिए भी हाज़िर है.
कलम के सिपाही - श्री मुंशी प्रेमचंद
क़लम के जादूगर!
अच्छा है,
आज आप नहीं हो|

अगर होते,
तो, बहुत दुखी होते|

आप ने तो कहा था -
कि, खलनायक तभी मरना चाहिए,
जब,
पाठक चीख चीख कर बोले,
- मार - मार - मार इस कमीने को|

पर,
आज कल तो,
खलनायक क्या?
नायक-नायिकाओं को भी,
जब चाहे ,
तब,
मार दिया जाता है|

फिर जिंदा कर दिया जाता है|

और फिर मार दिया जाता है|

और फिर,
जनता से पूछने का नाटक होता है-
कि अब,
इसे मरा रखा जाए?
या जिंदा किया जाए?

सच,
आप की कमी,
सदा खलेगी -
हर उस इंसान को,
जिसे -
मुहब्बत है,
साहित्य से,
सपनों से,
स्वप्नद्रष्टाओं,
समाज से,
पर समाज के तथाकथित सुधारकों से नहीं|

हे कलम के सिपाही,
आज के दिन -
आपका सब से छोटा बालक,
आप के चरणों में -
अपने श्रद्धा सुमन,
सादर समर्पित करता है|
        --नवीन चतुर्वेदी 

Thursday, July 29, 2010

सेनिकों के साथ साथ


जंग के मैदान में जाते वक्त हर सैनिक सर पर कफ़न बांध कर निकलता है. उसे वापिस लौटने का यकीन नहीं होता.सामने होता है बस करो या मरो का जनून. कुछ मालुम नहीं होता किस तरफ से अति गोली उसके खून को पी जायेगी. किस बम धमाके में उसके चीथड़े उड़ जायेंगे. पर फिर भी वे बहुत ही  जोश के साथ जाते हैं.निशाना होता है या विजय श्री या फिर मौत.ऐसे में जब कभी लौटना हो जाता है घर की तरफ तो उनकी ख़ुशी चरम सीमा पर पहुंच जाती है.वे नाचते हैं गाते हैं. यह उनका एक तरह से पुनर्जन्म ही होता है. अमेरिका की 10वीं माऊंनटेन डवीयन के दूसरी ब्रिगेड क्म्बाट टीम के जवान जब इराक में 9 महीने लगातार जंग के मैदान में रह कर लौट तो न्यू यार्क के फोर्ट ड्रम में एक शानदार आयोजन हुआ. इस रंगारंग प्रोग्राम में उप राष्ट्रपति  की पत्नी भी विशेष तौर पर पहुंची.उन्होंने सेनिकों के साथ तस्वीरें भी खिंचवायीं. गौरतलब है की 11 सितम्बर 2001 के हमले के बाद इराक में इन सेनिकों की यह सातवीं नियुक्ति थी. जब 28 जुलाई 2010 को डाक्टर जिल सेनिकों का होंसला बढ़ने के लिए पोज़ दे रहीं थीं तो इन यादगारी पलों को अमेरिकी रक्षा विभाग के  John D. Banusiewicz ने झट से अपने कैमरे में कैद कर लिया. आपको यह तस्वीर कैसी लगी अवश्य बताएं.--रेक्टर कथूरिया.

Wednesday, July 28, 2010

काश भारत भी ऐसा सीख पाता

20 अप्रैल 2010 को हुए धमाके के बाद राहत कार्यों में तूफानी तेज़ी लायी गयी. इस मकसद के लिए बनायीं गयीं रेस्पोंस बोटस की इस तस्वीर को कैमरे में उतारा अमेरिकी रक्षा विभाग के तट रक्षकों ने 22 अप्रैल 2010 के दिन. गौरतलब है कि इसमें 11 वर्कर लापता हो गए थे जिनके बारे में बाद में पता चला कि वे मारे गए हैं.
भारत में गैस या तेल रिसाव के मामलों पर बेशक हजारों लोग मारे जाएँ फिर भी यहां बरसों तक लकीर पीटने और फिर उन मुद्दों को केवल बहस तक सीमित रखने की बातें चलती रहती हैं लेकिन अमेरिका ने मेक्सिको की खाड़ी में तेल रिसाव के मामले को बहुत ही गंभीरता से लिया है. वहां के राष्ट्रपति ओबामा खुद उस मामले को बारीकी से देखने लगे.यह रिसाव अमेरिकी तट  से 65 किलोमीटर दूर हुआ था और उसमें 11 लोग मरे गए थे.फिर भी वहां इसे जिस तरीके से लिया गया वह एक मार्गदर्शन है, एक मिसाल होना चाहिए भारत के लिए भी.अमेरिकी दबाव के चलते ही ब्रिटिश पेट्रोलियम के मुख्य कार्य कारी अधिकारी टोनी हेवर्ड ने प्रथम अक्टूबर से अपना पद छोड़ देने का ऐलान कर दिया है.यहां अभी तक बहस होती है, राज्नेती की जाती है.....भोपाल गैस मामले का मूल दोषी एंडरसन कैसे भागा, किसने भगाया, ऐसा हुआ, वेसा हुआ.....! बस इसी तरह की बहसों के चक्र में चुनाव आते हैं कुछ लोग जीत जाते हैं और कुछ हार जाते हैं लेकिन मुद्दे हर बार पीछे छूट जाते हैं. आम जनता हर बार हार जाती है. क्या इसे ही कहते हैं लोक तन्त्र...?                                        --रेक्टर कथूरिया 

रवि बासवानी का निधन

रवि बासवानी का एक यादगारी अंदाज़ 
जाने भी दो यारो, बंटी और बबली, लव-86 , मैं बलवान, घर संसार जैसी बहुत सी फिल्मों के ज़रिये अपनी जगह बनाने वाले जानदार अभिनेता रवि बासवानी का निधन हो गया, मंगलवार को देर रात शिमला में हुए एक हार्ट अटैक ने उन्हें हमसे हमेशां के लिए छीन लिया. सन 1981 में फिल्म चश्में बद्दूर से अपनी कला की पहचान सिनेमा के ज़रिये करवाने वाले रवि ने चल मेरे भाई, लाडला, कभी हां कभी न, छोटा चेतन और एंथनी कौन है में भी अपनी कला का लोहा मनवाया.उन्होंने छोटे पर्दे पर भी नाम कमाया और 1984 में फिल्म-फेयर अवार्ड भी लिया. हालानिकी उनकी पहली फिल्म 1981 में ही आई थी पर उनके संघर्ष की कहानी इससे काफी पुरानी है. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के बहुत से क्षेत्रों में हाथ आजमाया.हमेशां दूसरों के काम आने वाले रवि आज हमारे दरम्यान नहीं हैं.उनके जाने का उनके प्रशंसकों में भी है और फिल्म इंडस्ट्री के  साथी सहयोगियों में भी.

Monday, July 26, 2010

सुस्वागतम

टीवी चैनलों और बड़े अखबारों के बाद अगर मीडिया का कोई नया क्षेत्र तेज़ी से आसमान छूने की तैयारी में है तो वह है ब्लॉग जगत या फिर अगर वेब मीडिया कहें तो अधिक अच्छा होगा. बहुत से कहते कहलाते दमदार पत्रकारों के इस क्षेत्र में पूरी तरह से सरगर्म हो जाने के बाद एक नयी स्वस्थ परम्परा मजबूत होने लगी है.
मोहल्ला लाइवविस्फोटजनोक्ति,हिंदी कुञ्ज, रविवार और बहुत से दूसरे नामों की सफलता के जादू ने जहां इस क्षेत्र में नयी संभावनाएं पैदा की हैं वहीँ अमिताभ बच्चन के ब्लॉग और अमर सिंह जैसे महांरथियों के झुकाव ने सोने पे सुहागे का काम किया. 
अब इस रास्ते पर चलने वाले जांबाज़ बहादुरों का काफिला और बढ़ने लगा है. नयी दिल्ली के पत्रकार भाई ब्लेंदु शर्मा दधीची का वाह मीडिया नए अंदाज़ पैदा कर रहा है वहीँ अब नॉएडा से एक नाम आया है शैलेन्द्र सिंह का. पेशे से पत्रकार  शैलेन्द्र अपने बारे में कहते हैं.....सालों से ब्लॉग पढ़ते और देखते रहने से भी मुझे भी ऐसा लगने लगा कि कुछ लिखना चाहिए. लेकिन लिखने के लिए कोई प्लानिंग नहीं की है. जो समझ में आएगा. उसे लिखता जाऊंगा और आगे भगवान की जैसी मर्जी. क्योंकि मैं भगवान में विश्वास करता हूं और इस राय का हूं कि उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है. भला और बुरा तो चलता रहता है. लेकिन ये आपको तय करना है कि आप किसके साथ है.इनके ब्लॉग न्यूज़ रूम से लाइव को आप देख सकते हैं केवल यहां क्लिक करके
हिंदी ब्लागों में आ रही तेज़ी को हर रोज़ ब्लॉगर साथियों तक पहुंचाने वाले समीर लाल  जी बेशक कनाडा में हैं बहुत ही व्यस्त ज़िन्दगी जे रहे हैं पर इसके बावजूद ब्लॉग और हिंदी के लिए समय निकालना नहीं भूलते. उड़नतश्तरी से भी ज्यादा स्पीड से इन सारी सरगर्मियों को देख लेते हैं और फिर उनका रिकार्ड भी तैयार करते हैं चिटठाजगत के रूप में. चिटठाजगत की सूचना के मुताबिक़ एक और नया ब्लॉग आया है बातचीत. मुम्बई के महेंद्र आर्य पेशे से तो परिवहन से जुड़े हुए हैं लेकिन साहित्य और संगीत के साथ उनका संबंध बहुत ही गहरा लगता है. आप उनके ब्लाग में जा कर कविता का आनंद भी ले सकते हैं और संगीत का भी बस केवल यहां क्लिक करके.
गौरतलब है कि इन संभावनायों को पैदा करने और उन्हें एक नयी दिशा दिखाने में तहलका का उल्लेखनीय योगदान है. वही सफ़र आज एक काफिला बन गया है.आज इसमें शामिल होने के लिए लोग धडल्ले से आ रहे हैं. वे कैसा लिखते हैं. कितना गहरा लिखते हैं यह सब तो उनकी रचना ही बताएगी पर फिलहाल उनका स्वागत करना तो बनता ही है न.नए ब्लागों में एक हैं ज़रा सोचो भाई,इसी तरह एक और नाम सामने आया है मौलश्री जिसकी ब्लॉगर हैं अहमदाबाद गुजरात की अपर्णा मनोज भटनागर.कई और नाम भी हैं जिन पर चर्चा होती रहेगी. अगर आपकी जानकारी में भी कोई ऐसी सूचना हो तो अवश्य बताएं.--रेक्टर कथूरिया 

जंगल की जंग सिखाने के लिए छत्तीसगढ़ में खोले गए तीन विशेष ट्रेनिंग स्कूल

अब कोई अरुंधति राये को कुछ भी कहे, उसे जितनी जी चाहे गालियाँ  दे, उसके पुतले फूंके, उसे देश द्रोही बताये या माओवादियों की हमदर्द बताये पर उसका मुकाम अब और ऊँचाई पर पहुंच चुका है. अब उसका नाम मदर टेरेसा, मिशेल ओबामा, हिलेरी क्लिंटन और कोंडोलिजा राईस जैसे नामों के साथ जुड़ गया है. अरुंधति को विश्व की उन तीस महिलायों में शुमार किया गया है जिन्हें दुनिया के लिए सब से अधिक प्रेरणादायी महिलायों के तौर पर जाना जा रहा है. अरुंधति का नाम इस सूची में तीसरे स्थान पर है जबकि पेप्सिको की मुखिया इन्द्र नूयी हैरी पोत्तेर्र की लेखिका जे के रोलिंग भी इस सूची में शामिल है.इस सूची को तैयार किया है अमरीकी पत्रिका फ़ोर्ब्स ने.
अब बात अरुंधति  की चले और नक्सलवादियों या फिर माओवादियों का कोई ज़िक्र न छिड़े....कम से कम आज के दौर में तो यह बात कुछ बनती भी नहीं और अगर बन जाए तो फिर वह जचेगी नहीं. सो आज ही एक और खबर भी दिखी है. नक्सलवादियों से निपटने के लिए बैल्जियन शेफार्ड कुत्तों को मंगवाया गया है इन ट्रेंड कुत्तों को झारखंड और छत्तीसगढ़ के उन जंगलों में तायनात किया जाएगा जहां चार महीने में ही सुरक्षा बलों के 120 जवान अपनी जानें गंवा चुके हैं.मालीनोयीज़ प्रजाति के इन कुत्तों को कहां तक सफलता मिलती है इसका पता तो अब आने वाले दिनों में ही चल सकेगा.लेकिन एक बात माननी पड़ेगी कि इन्सान ने चाहे कितनी ही बेईमानियाँ और बे-वफाईयां सीख ली हों पर कुत्तों ने अपनी शान पर कभी आंच नहीं आने दी.
अब कुत्तों को वह तायनात किये जाने कि खबर सुन कर आप यह मत समझ लेना कि वहां इंसानी प्रयासों में कोई कमी आयी है. ऐसा कुछ नहीं है जनाब.छत्तीसगढ़ में नक्सलवादी आतंक से निपटने के लिए तीन विशेष स्कूल खोले गए हैं जहां सुरक्षा बलों के जवानों को जंगल कि लडाई और गुरीला युद्ध के दांव पेंच सिखाये जाते हैं. गौरतलब है इस स्कूल ने वर्ष 2005 तक अलग अलग प्रदेशों के सात हजार जवानों को इस तरह कि जंगी तकनीकों में ट्रेंड किया था.आप इस का पूरा विवरण पढ़ सकते हैं केवल यहां क्लिक करके.इसी बीच पंजाब में आतंकवाद के मामले में गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी है.असला भी बरामद हो रहा है और डेरों के मुखियों को उड़ाने की साज़िश का भी खुलासा हुआ है.आपको आज की यह प्रस्तुती कैसी लगी अवश्य बताएं.अगर आपके पास कोई खास बात हो तो वह भी ज़रूर भेजें.--रेक्टर कथूरिया 

Sunday, July 25, 2010

लव परेड में भगदड़ की वजह से मातम

वर्ष 1989 में शुरू हुई लव परेड आज एक हादसे का शिकार हो गयी. लव परेड की भगदड़ में कम से कम  19 व्यक्ति मारे गए और कम से कम 342 घायल हो गए हैं. इस खबर के बाद दुनिया भर में दुःख की लहर दौड़ गयी. जिन जिन लोगों के रिश्तेदार और मित्र जर्मनी में हैं उनके लिए तो यह खबर चिंता और तनाव का सैलाब लेकर आई.लोग बार बार जर्मनी फोन करते लेकिन हर बार तकरीबन यही जवाब मिलता सभी चैनल व्यस्त हैं....थोड़ी देर बाद प्रयास कीजिये. इस जवाब से उनकी चिंता और बढ़ जाती. वे फिर प्रयास करते...फिर वही जवाब मिलता. इस हालत में लोग उन लोगों से भी सम्पर्क करते जिनके कुछ सम्पर्क जर्मनी में हैं. टीवी के साथ लोग आन लाइन समाचार स्रोतों को भी देखते. कभी एक वैबसाईट तो कभी दूसरी.
प्रेम, संगीत और नाच गाने का एक शानदार और जानदार प्रतीक बन चुकी इस गरिमामय परेड का आयोजन जब पहली बार 1989 में हुआ तो उस समय इसमें केवल 150 लोग शामिल हुए थे लेकिन धीरे धीरे इसका जादू लगातार बढ़ता गया. दूसरे साल इसमें दो हजार लोग शामिल हुए, तीसरे साल तीन हजार लोग, चौथे वर्ष छह हजार लोग पांचवें बरस 15 हजार और छठी बार अर्थात 1994 में एक लाख दस हजार लोग शामिल हुए. उस बरस इसका मोटो था लव टू लव. हादसे का शिकार हुई इस बार कि इस परेड का मोटो था आर्ट ऑफ़ लव. हर बार लोगों की संख्या तेज़ी से इस परेड में शामिल होने लगी. इस बार इसका आलम यह था कि इसमें 14 लाख से भी अधिक लोग शामिल हुए. इस परेड के मार्ग में एक सुरंग भी आती थी पर इसका स्थान बहुत तंग था.प्रशासन को भी इतनी उम्मीद नहीं थी कि लोग इस बार इतनी अधिक संख्या में आयेंगे.
इनके नियंत्रण के लिए तैनात 1200 पुलिस कर्मी बहुत ही कम पड़ गए.जिस स्थान से परेड गुज़र रही थी वह स्थान ज्यादा से ज्यादा पांच लाख लोगों कि भीड़ ही सहन कर सकता था लेकिन परेड में शामिल थे 14 लाख लोग. गौरतलब है पहले पहल इसका आयोजन होता था केवल बर्लिन में. प्रथम लव परेड बर्लिन की दीवार टूटने से बस कुछ थोडा आ पहले ही आयोजित हुई थी.वहां के लोग खुश थे कि आपसी प्रेम, सौहार्द और मिलन के दरम्यान रूकावट बनी हुई इस दीवार को तोड़ने की खबर आई है. 
उस ख़ुशी और जनून की दीवानगी इस परेड के रूप में आज भी जिंदा है.इस जोशीली और रंगीली परेड के आयोजन में रूस, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, ब्राजील और स्पेन भी पूरी तरह सहयोग करते हैं. दुनिया के कोने कोने से संगीत और डांस के प्रेमी इस परेड में पहुंचते हैं. आज भी इस दीवानगी की हालत यह थी कि मुख्य द्वार पर भगदड़ के करण इतना बड़ा हादसा हो चुका था लेकिन परेड के दूसरे कोने पर इसकी कोई खबर नहीं थी. लोग हादसे के बाद भी संगीत और नाच-गाने में मस्त थे. अब देखना यह होगा कि इस हादसे का असर अगली बार की परेड पर कुछ नकारात्मक पड़ेगा या फिर या जर्मनी के लोग अपने जोश और जनून को कायम रखते हुए इस परेड में और भी बढ़ चढ़ कर शामिल होंगें...रेक्टर कथूरिया.

अष्टभुजा शुक्ल और इंद्रजीत नन्दन हुए सम्मानित

वर्ष 2009 के लिए कविता के क्षेत्र में दिए जाने वाले प्रतिष्ठित "केदार सम्मान" की  घोषणा 23 जुलाई शुक्रवार को कर दी गयी. वर्ष 2009 के लिए यह सम्मान कवि अष्टभुजा शुक्ल को उनकी कृति "दु:स्वप्न भी आते हैं" के लिए प्रदान किया जाएगा। मुझे इसकी जानकारी जब डाक्टर कविता की ओर से मिली तब तक तारीख बदल चुकी थी और रात का तीसरा पहर शुरू होने को था. भूमंडलीकरण और बाजारवाद के इस दौर में भी गांवों की बात अपनी सीधी साधी जुबान में करने के माहिर अष्टभुजा शुक्ल को मिले इस सम्मान की पूरी जानकारी आप पढ़ सकते हैं केवल यहां क्लिक करके.
इसी बीच एक और पोस्ट सामने आई अश्कारा फारूकी की.. ज़रा आप भी देखिये:मैं एक House -Wife हूँ जिसका आसान हिन्दुस्तानी में तर्जुमा ''घर की बीवी'' ही हो सकता है.. इसलिए इस ब्लॉग का नाम मुझको यही उपयुक्त लगता है. मैं लेखिका नहीं हूँ रोज़मर्रा के वाक़ियात पर अपनी प्रतिक्रियाएं इस ब्लॉग के द्वारा आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हूँ. अगर पसंद आयें तो बराए मेहरबानी अपने निष्पक्ष विचार ज़रूर पोस्ट करें. धन्यवाद!!!दिल्ली के रोहिणी इलाके में रह रही अश्कारा फारूकी के इस  ब्लाग को आप पढ़ सकते हैं केवल यहां क्लिक करकेइसी तरह एक और अच्छी सी पोस्ट सामने आयी तो क्लिक किये बिना रहा नहीं गया. 
 हिंदी से प्रेम का संदेश देती इस पोस्ट को लिखा है मनीषा ने. हिंदी ब्लॉग के नाम से मनीषा की पोस्टों का यह सिलसिला शायद 2006 से जारी है पर मुझे इसका पता आज ही चला.इस ब्लॉग में बहुत सी सामग्री है जो विवधिता लिए हुए है.इसे एक बार अवश्य देखिये.आपको बहुत कुछ मिलेगा. कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाएँ तो वहां के नज़ारों को देख कर दिल चाहता है बस वहीँ रह जाए. वहां अष्टपद के जल की अहमियत भी एक बार फिर ताज़ा हो जाती है और पौराणिक कथाएँ भी. बस यहां क्लिक करिए और लगा आइये वहां का एक मानसिक चक्र. आपको वहां से मिलेगी तन मन की ऐसी शान्ति जो वहां से लौट कर भी बनी रहेगी और ज़िन्दगी की इस गर्दिश में भी आप उसी तरह संतुलन रखने के काबिल हो सकेंगे जैसे भगवान शिव तमाम कठिनाईयों और विरोधों के बावजूद मुस्कराते हुए मगन रहते हैं. 
पंजाब के होशियारपुर इलाके में जाएँ तो वहां अब भी उसी शांत और मीठे काव्यपूर्ण पंजाब का अहसास होने लगता है जो अब अतीत की बात महसूस होने लगा है.तेज़ी से बढ़ रही इंडस्ट्री और शहरीकरण में वह खुला खुला शांत माहौल अब कहीं गुम हो गया है. प्रदूषित हवा और घुटन में उसकी याद आती भी है तो बस सपने की तरह.वह भी कभी कभी. हरयाली भरे उसी शांत माहौल के शहर में रहती हैं इंद्रजीत नन्दन. साहित्य के क्षेत्र में बहुत नाम कमा चुकी लेखिका इंद्रजीत नन्दन को अब दैनिक भास्कर ने भी सम्मानित. इस सम्मान में बहुत से प्रमुख लोग शामिल हुए जिनमें पंजाब की आवाज़ को बहुत ही तर्कपूर्ण दलेरी के साथ बुलंद करने वाली हरसिमरत कौर बादल भी शामिल थीं.
इस पोस्ट में अब हम बात करते हैं एक ऐसी शुरुयात के आमंत्रण की जिसमें आपको मिलेगी ब्लॉग जगत की हर नयी और ताज़ा जानकारी. अगर आप के पास कुछ है तो आप भी अवश्य भेजिए. इसमें लिखा है:हिंदी ब्लोगिंग आज चौथे खम्भे का एक मजबूत हिस्सा है और एक मात्र ऐसा हिस्सा जो सीधे तौर पर सरोकारों से जुडा हुआ है | दिशाहीनता वाले कुछ लोगों की मौजूदगी के बाद भी सरोकारों की गूंज ब्लॉगजगत की दहलीज से सुनाई देती है जिसके परिणाम भी सामने आते हैं | और इसका कारण यह है कि ब्लॉगजगत की पहुँच उन लोगों तक है जो देश की आर्थिक और राजनीतिक नीति और नियति निर्धारक हैं | और यही वो वजह भी है कि ब्लॉगजगत की जिम्मेदारी कहीं और बढ़ गयी है | इस स्तम्भ में ऐसे ही सार्थक ब्लोगों की खबर प्रकाशित की जाएगी |आपको आज की पोस्ट कैसी लगी अवश्य बताएं.अगर आपके पास भी कोई ख़ास बात है तो हम सभी के साथ अवश्य बांटिये.--रेक्टर कथूरिया.

Friday, July 23, 2010

लुधियाना के गुरुद्वारा राड़ा साहिब के पास नहर से मिलीं ए.के-47 की 21 से अधिक मैगजीने एंव खुले जिंदा कारतूस.....

लुधियाना से लगभग चालीस किलोमीटर दूर गुरुद्वारा राड़ा साहिब के पास पड़ती नहर से ए. के.-47 की लगभग 21 से अधिक मैगजीने एंव भारी संख्या  में जिंदा कारतूस बरामद हुए है...... इतनी बड़ी मात्र में ए. के.-47 की ये मैगजीने एंव जिंदा कारतूस दो प्लास्टिक की थैलियों में पाए गए हैं.इनका पता उस समय चला जब गरीब परिवार के कुछ बच्चे पानी में नहा रहे थे. नहाते समय उन्हें पानी में यह दोनों थैले दिखे तो उन्हें लगा के यह लोहे का कोई सामान है मगर जब वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने इतनी भारी मात्रा में गोलिया देखी तो उसने मीडिया को फ़ोन किया  जिसके बाद मीडिया ने पुलिस को इस घटना की जानकारी दी. बच्चों ने जब देखा की जिसे वह खेलने वाला सामान  समझ रहे हैं वह कोई आम लोहा नहीं बल्कि वे गोलियां हैं जिन्होंने कभी पंजाब के इतिहास में दहशत की रक्त रंजित कहानियां अंकित की थीं.
जब खन्ना पुलिस को इस घटना की जानकारी मिली तो वह भी मौके पर पहुँच गयी और उन मैगज़ीनो और जिंदा कारतूसों को अपने कब्ज़े में लिया और उसी जगह पर घनता से तलाशी शुरू कर दी........हालांकि  पुलिस ने अभी कोई सही आंकड़ा तो नहीं दिया है मगर उनका कहना है के उनकी अब तक की पूरी छान-बीन में ए. के.-47 की लगभग 21 से अधिक मैगजीने और 1000 से भी ज्यादा जिंदा कारतूस बरामद हो चुके थे......
इतनी भारी मात्र में ए. के.-47 की लगभग 20 से अधिक मैगजीने और 1000 से भी ज्यादा जिंदा कारतूस बरामद होना इस बात की और भी इशारा कर रहें है के अभी हाल ही बब्बर खालसा का मोस्ट वांटेड अपराधी को पंजाब की खन्ना पुलिस ने गिरफ्तार किया है कहीं इन कारतूसों की बरामदगी का सम्बन्ध भी किसी आतंकवादी संगठन के साथ तो नहीं जुड़ा हुआ है.....??? (दोनो तस्वीरें पुरानी हैं).

दोस्तों ने ही दी हैं खुशियाँ सारी. वरना प्यार कर के तो हर आँख रोई है

भारत की खूबियों में एक बात यह भी है यहां के लोग विपरीत परिस्थितियों में भी न तो हौंसला  छोड़ते हैं और और न ही संघर्ष.बाज़ की तरह हवायों की उल्ट दिशा में उड़ कर यह उन्हीं हवायों पर सवार हो जाते हैं और उन्हें अपनी ताकत बना लेते हैं. एक बार पंजाब के किसी विज्ञानी ने कोई ऐसी खोज की जिसे देख सुन कर सभी हैरान थे.पर जब तक उसे मान्यता न मिल जाए तब तक उसका फायदा कम से कम उस विज्ञानी को तो होने वाला नहीं था. हम सभी लोग इस मुद्दे पर विचार कर रहे थे क्यूंकि वह विज्ञानी हम सभी के मित्र भी हैं. आखिर पत्र सूचना कार्यालय में कार्यरत्त एक उच्च अधिकारी और गहरी बातें करने वाले लेखक मित्र ने सुझाया कि केन्द्रीय मन्त्री कपिल सिब्बल से बात की  जाए. उसने कपिल सिब्बल की वैज्ञानिक सोच और प्रतिभा प्रेम की चर्चा भी बहुत ही ज़ोरदार ढंग से की. उस वैज्ञानिक मित्र को इस मामले में कहां तक सहायता मिली यह तो मैं नहीं जानता क्यूंकि विदेशों से उस वैज्ञानिक मित्र  को अच्छे संदेश आने शुरू हो गये थे. आज  केन्द्रीय मन्त्री कपिल सिब्बल की वैज्ञानिक सोच और प्रतिभा प्रेम की बात मेरे ज़हन में उस समय ताज़ा हो गयी जब सुबह एक खबर देखी.इस खबर के मुताबिक़ केवल 1600 रुपये का कम्प्यूटर तैयार कर दिया गया है. इस में हार्ड डिस्क तो नहीं होगी पर रोज़ मर्रा के काम फिर भी हो सकेंगे. लगता है गांव गांव के बच्चों तक कम्प्यूटर पहुंचने का सपना अब ज़रूर साकार हो जाएगा.
वम्बर-84 कभी भी न भूलने वाले उन काले दिनों की दास्तान है जिसमें अमानवीय अत्याचारों की सभी हद्दें पार कर दीं गयीं थीं. उन दिनों में भी मुझे बहुत से मित्रों ने बताया कि उनके हिन्दू मित्रों ने उन्हें पनाह दी, उनकी रक्षा की, उन्हें सहयोग दिया. इसी तरह की कई कहानियाँ आतंकवाद के उन दिनों की भी हैं जब पंजाब में एक ही सम्प्रदाय के लोगों को निशाना बनाया जाने लगा था. उन दिनों सिख परिवारों ने अपने हिन्दू पड़ोसियों की रक्षा की थी.शायद यही वजह है कि हिन्दू सिख दंगों कि सत्ता लोलुप राजनीती की साजिशें कभी कामयाब नहीं हो सकीं.   आज उन भयावह दिनों की याद फिर ताज़ा हुई एक लेख को पढ़ कर. इसे लिखा है एम.पी त्रिलोचन सिंह ने और प्रकाशित किया है पंजाब केसरी ने. लेखक ने याद दिलाया है कि कश्मीर के पूछ क्षेत्र में तकरीबन सारी आबादी उन सिखों कि है जो ब्राह्मणों से सिख सजे थे. सभी ग्रन्थी पहले इन्हीं क्षेत्रों से आते थे. इस तरह के बहुत से हवाले देते हुए लेखक ने अंत में सवाल भी किया है कि हाकी, फूटबाल और कबड्डी खेलने वाले सिख बहुत ही कम नज़र आते हैं क्या यह हिन्दुओं ने किया है? 
आजादी आने के बरसों बाद भारतीय करंसी रूपये को जब एक मौलिक और नयी पहचान मिली तो लोग बहुत खुश हुए. खुश होना स्वभाविक भी था. अब डालर हो, यूरो हो या कोई और मुद्रा उनके बराबर हमारे रूपये का निशान भी एक दम पहचाना जा सकेगा. पर यह ख़ुशी अभी सभी तक पहुच भी नहीं पायी थी कि इसमें भी भ्रष्टाचार होने की खबरें आ गयीं. लेकिन इस सब के बावजूद भी कुछ ख़ास लोग हैं जिन्हों ने अपनी रचनात्मिकता को खोने नहीं दिया. इसी तरह के हमारे एक ब्लागर साथी है शेखर कुमावत जी. बहुत गहरी बात करते हैं और बहुत ही खूबसूरती से करते हैं.उन्हों ने कहा...भारतीय मुद्रा रुपए को नई पहचान मिल गई तो सोच कुछ अपने नजरिये से भी समझा जाये कि मैं और इसे कितना अच्छा बना सकता हूँ ,अपनी और से किसी सिम्बोल के साथ की गई ये मेरी पहली निजी गुस्ताखी है | इसे बनाने के लिए मैने 3Ds Max का उप्तोग किया है.मैं आशा करता हूँ ये नया रूप आपको अच्छा लगेगा , आप के विचारों की प्रतीक्षा मे  मुझे उनके विचार और मुद्रा की  3Ds तस्वीर जीमेल के बज़ में मिली.आपको उनकी यह खूबसूरत गुस्ताखी कैसी लगी अवश्य बताएं|
मृतसर में जन्में सहादत हसन मंटो पर अश्लीलता के आरोपों का सिलसिला शायद उतना ही पुराना है जितना उसकी रचनाएँ. पर इसके बावजूद उसे पढने वालों ने कभी भी उसे पढना नहीं छोड़ा. अश्लील महसूस होता मंटो कब आपको अश्ललीलता से दूर किसी गहरी सोच में ले जाता है...इसका पता ही नहीं चलता. उसकी इन खूबियों और रचनायों की चर्चा मुझे एक बार फिर पढने को मिली आरम्भ में. अम्रित्य्सर से मुंबई और पत्र प्त्त्रिकयों से लेकर फिल लेखन तक उनके लम्बे संघर्ष को संजीव तिवारी ने अपनी दमदार कलम से बहुत ही खूबसूरती से पेश किया है. अगर आप ने अभी तक मंटो को नहीं पढ़ा तो यह रचना आपको बताएगी कि मंटो को पढना क्यूं ज़रूरी है और उसकी प्रमुख रचनाएँ कौन सी हैं इस लिए इसे अवश्य पढ़िए. आपको इसके साथ साथ बहुत कुछ और भी पढने को मिलेगा.आप को आज की यह प्रस्तुती कैसी लगी अवश्य बताएं.--रेक्टर कथूरिया


पोस्ट स्क्रिप्ट: 

एक रात धड़कन  ने आँख से पुछा 

तू दोस्ती में इतनी क्यूँ खोयी है?

तब दिल से आवाज़ आई

दोस्तों ने ही दी हैं खुशियाँ सारी.

वरना प्यार कर के तो हर आँख रोई है. 


(लखनयू से बहुत ही  गहरी और सुंदर  बातें करने वाली मित्र सताक्शी ने भेजा.) 

Thursday, July 22, 2010

कहानी सात गमलों की और अन्य मुद्दे

क के बाद एक सात गमलों का काम तमाम कर दिया ..ऐसी हुंकारे भर रही थी मानो साक्षात देवी काली प्रलय मचाने विधान मंडल में उतर गई हों । अचानक एक गमला श्वेत वस्त्र मे खडी महिला मार्शल को भी दे मारा । तीन महिला मार्शलों ने इसके बाद मिलकर जोर लगाया और पार्षद कुमारी ज्योति चारो खाने चित !........

धर खबर आयी कि कांग्रेश की महिला पार्षद कुमारी ज्योति को पटना मेडिकल कांलेज अस्पताल मे भर्ती करवाया गया । खबर ये भी आयी कि उनकी हालत चिंता से बाहर है । भगवान का लाख लाख शुक्र है, तो चिंता अब उन लोगों को करनी है जिन्होने उन्हे घसीटने का प्रयास किया था । लेकिन अब सवाल तो ये भी है एक महिला पार्षद का इस तरह से पूरे मीडिया की उपस्थिति मे गमला चला चला कर आस पास खडे लोगों को मारना क्या जायज था ? कहते है कि कोई भी कठिनाई क्यों न हो, अगर हम सचमुच शान्त रहें तो समाधान मिल जाएगा। तो फिर ये सब क्यूं ???????? स सारे घटना कर्म को अपने शब्दों में संजोया है बहुत ही खूबसूरती से अनिकेत प्रियदर्शी ने. अपने बारे में बहुत ही नपे तुले शब्दों में अनिकेत कहते हैं...."लेखन के शुरूआती दौर में हूँ | 2009 में जनसंचार एवं पत्रकारिता(MJMC) में स्नातकोत्तर किया है | कुछ विचार जो मन में आते हैं उन्हें शब्दों में सही तरह से ढाल सकूँ इसी का प्रयास है | कमियाँ बहुत होगी मुझमे फिर भी आप अपना स्नेह बनाये रखे इसकी आशा करता हूँ | मुझे कर्म करने पर अधिकार है , फल में नहीं | पर एक बात मैं मानता हूँ की विश्वास से आश्चर्यजनक प्रोत्साहन मिलता है | priyadarshianiket@gmail.com aniketpriyadarshi@yahoo.co.in और महत्वपूर्ण ढंग से प्रकाशित किया है तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे जनोक्ति ने. इसे पूरा पढने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.
सी तरह एक और नया चिटठा सामने आया है आईना.इसमें प्रमोद कुमार परवीन ने भी कहा है कि पिछले पन्द्रह सालों के जिस कुशासन के लिए लालू-राबड़ी सरकार बदनाम रही,,,और जनता ने जिसके खिलाफ जनादेश देकर नीतीश को सत्ता के शीर्ष शिखर तक पहुंचाया... नीतीश सरकार भी कमोबेश, उसी जमात में अब शामिल होती नजर आ रही है।
कुल मिलाकर बिहार विधानसभा दो दिनों से बेशर्मी की सभा बनी हुई है, जहां हमारे नुमाइंदे अपने मूल कर्तव्य से हटकर वो सबकुछ कर रहे हैं...जिससे सियासी सिक्का चमकता है..या यूं कहें कि चमकाया जाता है। दरअसल, ये नौटंकी नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों की पटकथा मात्र है...जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष,,दोनों... एक ही तमाशे के मदारी भी हैं और खिलाड़ी भी...
 हिंदी ब्लागजगत को अंग्रेजी के सामान सम्मान दिलाने के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है.इस चिंता की बात की जाये तो तक्नालोजी के क्षेत्र को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. हालांकि इस मामले में काफी कुछ हो भी रहा है पर फिर भी अभी मंजिलें दूर हैं. अब एक नया प्रयास मेरी नज़र से गुज़रा कम्प्यूटर लाइफ का. क्या आप अपने ब्लॉग का लोगिन पासवर्ड भूल गए हैं.ऐसी दिक्कत कई बार सामने आ जाती है.इसका सीधा सा समाधान बताया है संजीव न्योल ने.उनका सुझाव है...."जब लोगिन स्क्रीन आती है तब ctrl+alt+del को दो बार दबाओं.........फिर एक नई स्क्रीन आयगी इसमें टाइप करो

user name adminstrator
pass word नहीं डालना है आपका काम हो जायेगा
ओके आप इस ब्लॉग पर जा कर बहुत कुछ और भी सीख सकते हैं केवल यहां क्लिक करके. मुझे इस की जानकारी मिली चिट्ठाजगत से जहां हर रोज़ बहुत ही मेहनत और प्रेम से इस तरह कि नयी जानकारियाँ सभी को प्रेषित की जाती हैं.

इसी  से एक और जानकारी मिली एक और नए चिट्ठे की जिसमें बिलकुल ही नयी बात लिखी थी....." दया एक बड़ा पाप है l न दया करनी चाहिए और न दया की प्राप्ति की आशा करनी चाहिए l दया से प्रयत्न दूर हो जाता है और प्रयत्न ही सत्य का स्वरूप है l ईश्वर के यहाँ न्याय होता और हमारे यहाँ की ही तरह वहाँ भी एक न्यायालय है l किसी पर दया नहीं की जाती. न्याय का मतलब दया नहीं है l किसी व्यक्ति के प्रति दया करना, न्याय से डिगना ईश्वर के प्रति बड़ा अपराध करना है...." इस ब्लॉग के सभी संदेश पढने के लिए केवल यहां क्लिक करें.वहां आपको बहिउट कुछ ऐसा मिलेगा जिसमें नए अर्थ हैं.
लोग किसी के भी पोस्ट पर आते हैं पढ़े अच्छा है , अति सुंदर रचना , बधाई हो , कभी इधर भी आयें , मेरा ब्लॉग पता आदि लिख कर अपना पता दे जाते हैं । इस बात की चर्चा जनोक्ति ने करीब एक बरस पूर्व 29 जुलाई 2009 को की थी पर इस का सिलसिला आज भी जारी है. अगर यह भी कह दिया जाए की पहले से बढ़ गया है तो भी शायद बात गलत न हो.   यह पोस्ट कुछ यूं शुरू होती है...."ब्लॉगर साथियों को नमस्कार ! पिछले कई दिनों से अंतरजाल पर यत्र-तत्र भटकते हुए कई सज्जनों की हरकतों से आजिज हो कर आज शिकायत कर रहा हूँ । कुछ लोग ब्लॉग जैसे समाजोन्मुखी मंच की महत्ता को नही समझ पा रहे हैं । एक ओर ब्लॉग्गिंग को लोकतंत्र के भावी स्तंभों की कड़ी में गिना जाने लगा है वहीँ दूसरी तरफ़ हम बेहद लापरवाह होते जा रहे हैं । हिन्दी चिठ्ठों की भरमार हो गई है । गली -गली खुल रहे ट्यूशन सेंटर की भांति हर दिन १०० के करीब चिठ्ठों का पदार्पण होना खुशी की बात है । पर कई लोग ब्लॉग्गिंग को महज निजी स्वार्थों की पूर्ति के रूप में देख रहे हैं । पोस्ट और कमेन्ट की कहानी पर अब तक कई लोग ऐतराज जता चुके हैं ।" इसे पूरा पढने के लिए केवल यहां क्लिक करें.आपको इस बार की यह ब्लॉग चर्चा कैसी लगी..अवश्य बताएं.--रेक्टर कथूरिया