Wednesday, June 30, 2010

ब्लागोँ की साहित्य के विकास मे भूमिका




 प्रज्ञा जी का लेखन साहित्यिक निकष पर मूल्यांकन योग्य है । अन्तरजालीय पत्रकारिता मे इनके महत्वपूर्ण योगदान की प्रशंसा करना आवश्यक है । जब कभी भी ब्लागोँ की साहित्य के विकास मे भूमिका पर चर्चा होगी , याद तब याद आएगी. ये शब्द हैं अरुणेश मिश्रा जी के जो उन्होंने ऑरकुट पर  प्रज्ञा पांडे जी की कविता के बारे में कहे. लखनयू में रह रहीं प्रज्ञा एक लम्बे अरसे से चुपचाप अपने लेखन में लगीं हैं. पर प्रज्ञा जी की कविता की बात करने से पहले चर्चा करते हैं एक और नयी कलम रीना और उसकी एक कविता का. आजकल जयपुर में रह रही रीना का कहना है," दिल की चीखे जब बढ जाती हैं और जज्बातो की आंधी रोके नही रुकती.. तो लिख लेती हू."  इसी तरह लखनयू में ही रेडियो ब्राडकास्टर और निर्मात्री के तौर पर नाम कमा रही मीनू खरे भी बहुत ही अच्छा लिख रही हैं. लखनयू में ही एक और नाम है सुशीला पूरी का.
''लिख सकूँ तो - प्यार लिखना चाहती हूँ ठीक आदमजात - सी बेखौफ दिखना चाहती हूँ"
 कानपुर हल्द्वानी की शेफाली पांडे का रंग भी कुछ कम नहीं है. मैं अंग्रेज़ी, अर्थशास्त्र एवं शिक्षा-शास्त्र (एम. एड.) विषयों से स्नातकोत्तर हूँ, लेकिन मेरे प्राण हिंदी में बसते हैं| उत्तराखंड के ग्रामीण अंचल के एक सरकारी विद्यालय में कार्यरत, मैं अंग्रेजी की अध्यापिका हूँ| मेरा निवास-स्थान हल्द्वानी, ज़िला नैनीताल, उत्तराखंड है| अपने आस-पास घटित होने वाली घटनाओं से मुझे लिखने की प्रेरणा मिलती है| बचपन में कविताओं से शुरू हुई मेरी लेखन-यात्रा कहानियों, लघुकथाओं इत्यादि से गुज़रते हुए 'व्यंग्य' नामक पड़ाव पर पहुँच चुकी है| मेरे व्यंग्य-लेखन से यदि किसी को कोई कष्ट या दुःख पहुंचे तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ पहले देखिये रीना की कविता का रंग. आज सुबह अखबार मे फिर छोटी सी बच्ची के साथ बलात्कार की खबर आई है.दो चार रोज पहले भी अखबार मे बाप और उसके रिश्तेदारो ने बेटी के साथ सालो बलात्कार किया ये खबर आई.रोज छोटी छोटी बच्चियो के साथ ऐसा हो रहा है... आखिर क्युं? मन बडा भारी हो जाता है.सन्दर्भ मे ......


दरिंदो ने फिर शिकार कर डाला
डेढ दो साल कि बच्ची से फिर
घोर अनाचार कर डाला.

जाने कैसा हो गया है जमाना
बाप-भाई के रिश्तो को भी
ना-पाक कर डाला.
रोज अखबार मे सुर्खिया होती है
मासुमो के साथ बलात्कार होता है
जो जानते भी नही इसका मतलब
उन्के साथ घोर अत्याचार होता है

मै और मेरा समाज फिर भी
आंख बंद कर सोता है
अपनी कानून व्यवस्था और लोकतंत्र पर
बगैर आंसुओ के रोता है.

और हम क्या कर सकते है
क्युंकि हम आंख बंद कर सोये है
उन दरिंदो मे से कुछ के चेहरे
हमने अपनी आंखो मे छुपोये है.

हम मजबूर है अपने हालात आद्तो से
कुछ कर नही सकते
जमाना हम से बदलता है
मगर हम बदल नही सकते.

चलो जो हुई तबाह, बर्बाद
जिसने भोगी नरकीय वेदना, दर्द,
उन मासुम उन्की मासुमियत के नाम
अपनी आंखो को थोडा सा नम कर ले
चलो उन्के लिये.
दो मिनट का मौन ही धारण कर ले...








Friday, June 25, 2010

कोरिया की जंग का दिन मनाया

कोरिया की जंग एक ऐसी जंग है  जिसका ऐतिहासिक महत्त्व हमेशां कायम रहेगा.  इस जंग के दिन  को जब  पेंटागन  Arlington में ६० वीं वर्षगाँठ के तौर पर  मनाया गया तो इसमें शामिल होने के लिए के लिए  इस जंग के योद्धा बड़े ही जोशो खरोश से वहां पहुंचे. सेना के  undersecretary Joseph W. Westphal ne इस जंग के  योद्दायों के शौर्य की कहानियाँ सुनायीं. गौरतलब है  कि यह जंग 25 जून 1950 को  उत्तर कोरोया और दक्षिण कोरिया  के दरम्यान शुरू हुई थी. जब  इस जंग के do नामी योद्दा Bill Scott,बायें  और  Harold Ruddy इस  सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे तो  अमेरिकी रक्षा विभाग के  छायाकार Elaine Wilson  ने इन पलों को तुरंत अपने कैमरे में उतार लिया. आपको यह तस्वीर कैसी लगी बताना न भूलें.

Wednesday, June 16, 2010

साईं की नज़रे-कर्म रलीज़

आखिर वह घडी भी आ ही गयी जब साईं के गीतों और साईं के संगीत से सजी सुरीली सीडी लांच होने वाली थी. १२ जून २०१० को शिर्डी के समाधी मन्दिर में शाम के ६ बजे थे. सभी के मन में एक प्यास थी. सभी की आंखों में एक इंतज़ार थी. सभी दिल थाम कर इंतज़ार कर रहे थे भक्ति रस की इस गंगा का. इस सीडी का नाम भी कुछ ऐसा ही है--भक्ति भावना से भरा हुआ......साईं की नज़रे-कर्म.
 कुछ ही पलों के बाद संस्थान के चेयरमैन Jayant Sasane आये और उन्हों ने इस सीडी को लांच किया. इसके साथ ही एक और ख़ुशी की बात यह हुई कि एक पुस्तक भी तैयार थी. इस दस्तावेजी पुस्तक में दर्ज थे वे सभी अनुभव जिन्हें महसूस किया था बहुत से साईं भक्तों ने. इन भक्तों ने देखा था कि किस तरह दुःख और संकट की घडी में जब सभी साथ छोड़ गए थे उस वक्त साईं बाबा दौड़े चले आये उन्हें गले से लगाने के लिए. इन करिश्मों और इन चमत्कारों की संख्या तो अनगिनत है पर पुस्तक में वही शामिल किये गए जो थोड़े से समय में एकत्र हो सके. इन सच्ची कहानियों पर आधारित इस पुस्तक को रलीज़ किया महाराष्ट्र  के लोक निर्माण विभाग के कैबनेट मन्त्री Jaydatta Kshirsagar ने.
औपचारिक लांचिंग से पूर्व सीडी की पहली परत बाबा के चरणों पर रखी गयी उसके बाद हुई लांचिंग. दुनिया के कोने कोने से आये साईं भक्तों को इस सीडी की प्रति दी गयी. सीडी के निर्माता और “99musique”  के सी ई ओ नरेश कुमार भी इस मौके पर मौजूद थे. गौरतलब है कि जालंधर में लोगों को स्वास्थ्य सेवा के ज़रिये लाभ पंहुचा रहे दिवाईन हीलिंग मंडल के डाक्टर जगमोहन सिंह उप्पल इस सीडी के निर्माता हैं और पूरी तरह बाबा की भक्ति के रंग में रंगें हुए हैं.
इस यादगारी सुअवसर को और भी यादगारी बनाया जाने माने गायक वसीम खान की गायकी ने. जब उन्होंने गाना शुरू किया तो एक ऐसा रंग बंधा कि बाकी सब कुछ भूल गया.
इस संगीत एल्बम के साथ आयी पुस्तक की भी एक अलग कहानी है. जब नरेश कुमार जी कुछ भक्तों से मिले तो उन भक्तों ने बहुत सी सच्ची कहानियां सुनायीं. इन चमत्कारों की सारी सच्ची कथायों को नरेश जी ने एकत्र किया और फिर उनको एक संकलन के रूप में सभी के सामने ला कर रख दिया. जब कभी कभी दुखों के कारण मन डोल जाता है तो इस पुस्तक की कहानियां  भक्तों को एक नयी ऊर्जा और नया विशवास देती है. यह पढने योग्य पुस्तक और सुरीली सीडी देश भर में तो उपलब्ध है ही...जल्द ही इसे दुनिया के कोने कोने में पहुंचाने के प्रयास भी जारी हैं. कुछ ही दिनों में यह पूरी दुनिया में होगी.इसके साथ ही आप इंतज़ार कीजिये किसी नए ऐलान का क्यूंकि अब इस सीडी  से इस तरह की एल्बमों का एक सिलसला शुरू हुआ है. गज़ल, रॉक म्यूजिक,  पॉप संगीत और अंतर राष्ट्रीय संगीत की धुनों से सजी नयी नयी ऐलबमें भी आप तक पहुंचने वाली हैं..बहुत ही जल्द.
                                                                                                     --रेक्टर कथूरिया

Tuesday, June 15, 2010

एक प्याली चाय

चाय की चुस्की न हो तो सचमुच चुस्ती ही नहीं आती. हाल ही में जब अमेरिकी सेना के सैनिक ईराक के बसरा शहर में हो रही एक विशेष बैठक को सुरक्षा प्रदान करने गए तो सारी थकावट उतार कर एक बार फिर से चुस्त होना उनके लिए भी ज़रूरी था. यह मीटिंग हो रही थी 6 जून 2010 को  Sheik शेख सयदी  अली अल मौसावी और बसरा क्षेत्र की पुनर्निर्माण टीम के दरम्यान.
शेख के स्टाफ ने सेनिकों के लिए चाय भिजवाई तो U.S. Army Sgt. William Tyrrell ने तुरंत ही प्यार से भेजी गयी इस चाय को स्वीकार कर लिया. अमेरिकी सुरक्षा विभाग के Staff Sgt. Adelita Mead ने देखते ही देखते इन पलों को अपने कैमरे में उतार लिया.गौरतलब है कि U.S. Army Sgt. William Tyrrell मुख्यालय  की कम्पनी में तायनात और अपनी सेवओयों को बहुत ही ज़िम्मेदारी से निभाते हैं.---रेक्टर कथूरिया 

Saturday, June 12, 2010

डूब जाना ही गर इश्क की तहजीब हैं तो या रब ! मुझे डूबने में लुत्फ़ की तौफिक फरमा दे....मधु

मधु गजाधर का नाम सामने आते ही दिल और दिमाग में एक साथ बहुत कुछ दिखाई देने लगता है बिलकुल उसी तरह जैसे अचानक अँधेरी रात में आसमान से बिजली कोंध उठे और पल भर के लिए एक साथ बहुत कुछ दिख जाए. उसके बाद फिर अन्धेरा. अन्धेरा मैंने इस लिए कहा की मधु के बारे कुछ कहना बहुत कठिन है. दिल बहुत से सुझाव भेजता है पर उन्हें देख कर दिमाग चकरा जाता है की आखिर कहां से शुरू करें? उसकी कविता से, उसके किसी लेख या आलेख से, या फिर उसके किसी रेडियो टी वी के कार्यक्रमों से जुडी किसी याद से. उसकी सफलतायों की सूची इतनी लम्बी है कि जल्दी में समाप्त नहीं होती पर अपने आप को छूपाये रखने और अपनी प्राप्तियों को तुच्छ समझने की उसकी आदत का अनुमान मुझे तब हुआ जब मैंने कहा मधु जी अपने बारे कुछ तो कहिये. बहुत बार कहने पर जो जवाब मिला उसे आप भी देखिये," अपने बारे में कुछ लिखना न जाने क्यों मुझे इतना भारी लगता है | कलम उठती हूँ रख देती हूँ ...फिर उठती हूँ फिर रख देती हूँ और ऐसे ही दिन हफ्ते महीने गुजर जाते है | इस का कारण शायद ये है कुछ ऐसी विशेषता नहीं है मेरे अन्दर जिस पर कुछ लिखा जाए ,अपने बारे में बहुत कुछ बताने को नहीं है...एक अति साधारण सी स्त्री ..जो अति साधारण शकल सूरत, स्वभाव की द्ठ निशचयी , मेहनती ,अद्भुद स्मरण शक्ति वाली और सदा कुछ नया तलाशती आँखों,और सोच के साथ जीने वाली मैं जो जीवन बहुत कुछ करना चाहती थी कर नहीं पायी बहुत कुछ सीखना चाहती थी सीख नहीं पायी बहुत कुछ कहना चाहती थी कह नहीं पायी...वक्त इतनी तेजी से गुजर गया |"
 थोडा और कुरेदा तो जवाब था, "मेरे जीवन में दो ही ऐसी बाते हुई जिन पर मैं गर्व कर सकती हूँ...प्रथम तो बेटी के रूप में जन्म लेना और दूसरा भारत में मेरा जन्म होना...और ये दो बातें ऐसी थी जिन का चयन करने का अधिकार मेरा नहीं था इस इश्वर की कृपा समझ कर गदगद हो जाती हूँ |और फिर जो कुछ जीवन में पाया वो सब इन्ही दो वरदानों से जुड़ा रहा |" मैंने जन्म और परिवार के बारे में जानना चाहा तो कहने लगीं: देहली के एक अति सज्जन, साहित्य प्रेमी ,देश प्रेमी परिवार में मेरा जन्म हुआ| पापा की पीड़ी में कोई बेटी नहीं जन्मी थी सो पुरातन पंथी परिवार होते हुए भी प्रथम संतान के रूप में जन्मने पर भी मेरे जन्म का स्वागत किया गया | बचपन प्रारंभ से ही अति साहित्यिक वातावरण में गुजरा |मुझे आज भी भली भांति याद है जब हमारे तिलक बाजार देहली ६ वाले घर में अक्सर शाम को साहित्यिक बैठके हुआ करती थी | गोपाल प्रसाद व्यास जी , नीरज, बाल मुकुंद मिश्र जी, काका हाथरसी जी बेकल उत्साही जी, ओम प्रकाश आदित्य जी जैसे महानुभावों  का आगमन होता था|
पारिवारिक माहौल और संस्कारों ने साहित्य और संगीत की तरफ भी बढ़ाया. मधु गजाधर ने बताया कि मेरा सौभाग्य ही था कि पति के रूप में मैंने न सिर्फ एक बहुत पढ़े लिखे विद्वान पुरुष को पाया वरन चरित्र और व्यवहार से एक अति दुर्लभ ऐसे मानव को पाया जिन के मन में नारी जाति के प्रति बहुत सम्मान की भावना थी| मेरे पतिदेव ही मेरे गुरु सिद्ध हुए और उन के सान्निध्य में मैंने फ्रेंच भाषा के साथ साथ अनेक विषयों पर गहन जानकारी प्राप्त की |मैं तीन संतान की माँ हूँ | एक बेटा और दो बेटिया| बच्चों ने विदेश में जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की | 
पारिवारिक जिम्मेदारियों और साहित्य  से लगाव दोनों के साथ तालमेल बैठाना कोई कम कठिन नहीं होता. पर मधु इस में भी पारंगत हैं. कहती हैं,"बच्चों के और घर परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मैंने मारीशस के नेशनल चेनल से रेडियो और टीवी के प्रोग्राम्स प्रस्तुत करने शुरू किये| मैं रेडियो पर दो लाइव प्रोग्राम्स सप्ताह में दो बार देती हूँ|"
मैं उत्सुक था यह जानने को कि ये प्रोग्राम कौन से हैं? पूछा तो जवाब मिला  



मेरा घर मेरा संसार के अंतर्गत घर संसार से सम्बंधित विषयों पर और आप की चिठ्ठी मिली प्रोग्राम के अंतर्गत पत्रों द्वारा भेजी गयी पारिवारिक ,सामाजिक, मानसिक समस्याओं पर चर्चा करती हूँ| मेरे रेडियो और टीवी के प्रोग्राम्स मारीशस भर में और मारीशस से बाहर बहुत पसंद किये जाते है| इन प्रोग्रामों  के माध्यम से मैंने हिंदी भाषा ,भारतीय संस्कृति , भारतीय भोजन, आयुर्वेद,भारत के तीज त्योहारों की बहुत जानकारी लोगों तक पहुचाई है | टीवी के लिए भी महीने में दो प्रोग्राम्स बनाती हूँ| स्वाद स्वास्थ्य सौन्दर्य और दूसरा है दीपांजली | क्या होता है आपके इस कार्यक्रम दीपांजली में तो पता चला कि यह तो एक नयी सामाजिक क्रान्ति कि शुरुआत है. मधु जी ने बताया,"दीपांजलि प्रोग्राम के अंतर्गत मैंने देश की समस्त महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है |इस प्रोग्राम्स के अंतर्गत मैं अनेक प्रकार के होम बिजनेस प्रारंभ करने के प्रयोगात्मक तरीके बताती हूँ.| दीपांजलि प्रोग्राम के माध्यम से बहुत सी महिलायें आज अपने पैरों पर खड़ी हैं|प्रोग्राम्स की दो सफलताएं रही प्रथम तो लोगों में हिंदी भाषा में बात करने का प्रचलन हुआ दूसरा इन प्रोग्राम्स के माध्यम से मैं हिन्दू और मुस्लिम्स दोनों को एक दूसरे के प्रति बहुत प्रेम और सम्मान की भावना लिए एक मंच पर लाने में सफल हो पायी हूँ जो अपने में एक उदहारण है | 
अब आगे क्या नया कर रहीं हैं आप. भविष्य के लिए भी मधु के पास ठोस योजनायें हैं,"मैंने बहुत देशों की यात्रायें की है और वो सब अनुभव एक पुस्तक के रूप में तयार करने की चेष्टा है |साथ ही आजकल तीन पुस्तकों को एक साथ लिखने में सलंगनहूँ|"
पर अगर आप मधु गजाधर कि कविता का रंग न देखें तो बात अधूरी रहेगी. 
....डूब जाना ही गर इश्क की तहजीब हैं तो या रब ! 

मुझे डूबने में लुत्फ़ की तौफिक फरमा दे.



सुबह की किरण का देवनहार अगर तू है ,
तो रात की स्याही का खुदा क्या कोई और है ?


...लिए मन्नतों का टोकरा मैं निकली थी अपने घर से ,
तेरे दर तक आते आते या खुदा ! न मन्नत रही न मैं.



....ख़्वाबों का क्या है बंद आँखों में उतर ही आते है ,
खुली आँखों से देखे ख्वाब की ताबीर गजब होती है.



ना उम्मीदी के अंधेरों से घबरा मत ऐ दिल,
उम्मीदों की हवाएं भी चिरागों को बुझा देती हैं 

मेरे ख्वाबों की ताबीर हो ये ख्वाब तो नहीं है मेरा,
मेरे ख्वाबों की दुनिया में मुझे बस रहने दे मालिक 
नक़्शे कदम पर चलने की हसरत तो है हमको ,
पर वक्त की ये हवाएं तो निशां ही मिटाए जाती है
मैं पूछती तो हूँ तुझ से पर जवाब के लिए नहीं,
क्यों बनायीं तूने दुनिया, अब क्यों मिटा रहा है 

बिखरना तो जिंदगी में लाजिम है एक दिन ,
बिखरे जो गुलाब की मानिंद तो खुशबुओं में सिमटे रहोगे.

कश्तियाँ किनारों से लग जाती हैं उन मेहरबानों की ,
जिन की कश्तियों में दूआओं का असबाब(सामान) भरा होता है |
गलियां कूचे,मंदिर मस्जिद घर आँगन की बात ही छोड़ो ,
दिल से निकली हर दुआ में जिन्दगी भर के लिए सबाब(पुन्य) होता है |
यूँ तो मैंने उस जहाँ के मालिक को कभी देखा नहीं है मगर,
हर माँ की आँखों में उस के होने का एहसास होता है |
जिन्दगी के पन्नो पर क्या लिखूं ,क्या मिटाऊं मेरे मालिक ,
कि तुझ से तुझी को मांगने का जज्बात जवां होता है |

तस्वीरों की बात: सब से ऊपर वाली तस्वीर में मधु गजाधर मरिशिअस के प्रधान मन्त्री डाक्टर नवीन रामगुलाम और उनकी पत्नी वीणा रामगुलाम के साथ नजर आ रही हैं.
उससे नीचे वाली तस्वीर में पंडित जसराज जी के साथ....आपको यह प्रस्तुतु कैसी लगी इसे अवश्य बताएं.आप उनसे फेसबुक पर भी मिल सकते हैं और उनके ब्लॉग पर भी. आप उनकी अन्य रचनायें भी पढ़ सकते हैं.  --रेक्टर कथूरिया 

Friday, June 11, 2010

हाथ में बंदूक मन में प्रेम

कौन कहता है कि सेना केवल बंदूक और तोप से बात करती है या बस जंग की भाषा ही बोलती है....तस्वीर में आप देख रहे हैं इस सेनिक को ? कितने प्यार से हाथ मिला रहा है किसी बुज़ुर्ग के साथ. अमेरिकी सेना का यह सेनिक है Staff Sgt. Michael Baldwin जो अफगानिस्तान के लोयघड क्षेत्र के इलाके मिर्सलेह में आते एक गांव में तेनात है. मिलिटरी पुलिस को सहयोग देने के लिए विशेष तौर पर नियुक्त इस सेनिक अधिकारी ने जब 6 जून 2010 को इस बुज़ुर्ग से हाथ मिलाया तो अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए Spc. De'Yonte Mosley ने झट से इन पलों की एक यादगारी तस्वीर अपने कैमरे से खींच ली.आपको यह तस्वीर कैसी लगी अवश्य बताईये.  
बन्दूकों और तोपों से खेलने वाले सेनिक कितने भावुक होते हैं इसका अनुमान आसानी से नहीं लगाया जा सकता. किसी की जान लेना या फिर किसी मिशन पर हंसते हंसते अपनी जान देना....कितना कठिन है इसे वही जानता है जिसने इन पलों को जी कर देखा हो. आप सैनिक ज़िन्दगी के ज़रा नज़दीक  जा कर देखें तो हैरान हो जायेंगे कि फौलादी एक्शन लेने वालों में एक मोम का दिल कैसे ? अपनी  इसी तरह जब अमेरिकी नौसेना के  Chief Logistics Specialist Jose Rodriguez को नयी डियूटी पर नियुक्त किया गया तो उसने जलपोत चलने से पूर्व बहुत ही भरे मन से अपनी बेटी से विदा ली.उस दिन 21 मई 2010 की तारीख थी. अलविदा के इन भावुक पलों को अमेरिकी रक्षा विभाग के जनसंचार विशेषज्ञ Rafael Martie  ने तुरंत अपने कैमरे में कैद कर लिया. यह तस्वीर आपको कैसी लगी.आपके विचारों का इंतज़ार तो हमें रहता ही है.
परिवार के साथ मोह और प्रेम ही एक सेनिक को सिखाता है कि उसे इस पूरे देश या फिर पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह कैसे मानना है....कैसे जानना है. प्रेम के इस बिंदु से ही उन्हें अहसास होता है विराट का. इसी बूँद से ही तो उन्हें ज्ञान होता है सागर का. इस बड़े परिवार की भलाई के लिए कब कहां शस्त्र उठाना है, कहां दुश्मन को सबक सिखाना है...कहां किसकी जान लेनी ज़रूरी है और कहां ज़रुरत पड़ने पर अपनी जान की कुर्बानी देनी है.ज़रा गौर से देखिये इस तस्वीर को कितना प्रेम और कितना पितृत्व झलक रहा है इस चेहरे से. अमेरिकी वायुसेना के Lt. Col. Jack Barnes जब पिट्सबर्ग में 4 जून 2010 को नयी डियूटी संभालने की तैयारी करके उठे तो अपने परिवार से भी गले मिले.भावुकता के इन पलों को कैमरे में कैद किया Master Sgt. Ann Young ने.आपको यह तस्वीर कैसी लगी.ज़रूर बताएं.                --रेक्टर कथूरिया     

सैनिक और बच्चे

सेना के बूटों की धमक और तोपों के गोलों की आवाज़ शायद अफगानिस्तान की तकदीर बन चुकी है.पर कुछ हिम्मतवर लोग आंधियों के सामने भी चिराग जलाने की परम्परा को मजबूत करने से कभी नहीं चूकते...चाहे जंग का मैदान ही क्यूं न हो. अमेरिकी सेना के Spc. Joshua Rojas ने जब अफगानिस्तान के परवान क्षेत्र के बगराम बजार में बच्चों को देखा तो शायद उसके मन में बचपन की यादें उअर बच्चों से प्रेम उमड़ आया. वह एकदम कैसे इन बच्चों से घुलमिल गया इसे आप देख सकते हैं इस तस्वीर में. प्रेम के चिराग जलाते हुए प्रेम की गंगा बहाते हुए इन बच्चों और इस सैनिक की इस छोटी सी भेंट को कैमरे में उतारा अमेरिकी सेना के ही Sgt. Corey Idleburg ने. आपको यह तस्वीर कैसी लगी...बताना न भूलें.  --रेक्टर कथूरिया 

Thursday, June 10, 2010

राम राज्य पार्टी की आवश्यक बैठक दिल्ली में 11-12 जून को


राम राज्य पार्टी के गठन की प्रक्रिया अब अन्तिव पड़ाव में है. इस पर चर्चा करने के लिए एक आवश्यक बैठक दिल्ली में बुलाई गयी है. 11 और 12 जून को हो रही इस बैठक में पार्टी के संस्थापक स्वामी आत्म योगी भी विशेष तौर पर पहुंच रहे हैं. गौरतलब है कि ग्लोबल राम राज्य के मुताबिक राम राज्य में न तो गरीबी होगी, न ही किसी से कोई अन्याय, न ही किसी का अपमान, न ही किसी का शोषण और न ही कोई अन्य दुःख रहेगा. राम राज्य पार्टी के गठन कि घोषणा हाल ही में कि गयी थी. इसकी चर्चा पहले भी होती रही है. उल्लेखनीय है कि स्वामी जी ने खुशहाली के राज़ भी लोगों को बताये और कई गहरी कवितायें भी लिखीं. जिन्हें आप यहां भी पढ़ सकते हैं बस यहां कलिक करके. आप इस संबंध में मोबाइल फोन नम्बर   09290778701 पर सम्पर्क कर के अधिक जानकारी भी ले सकते हैं और पार्टी में भाग लेने की प्रक्रिया भी जान सकते हैं और आवश्यक आज्ञा भी ले सकते .  --रेक्टर कथूरिया 

Tuesday, June 08, 2010

नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुठी में क्या है?

कुछ दशक पूर्व एक गीत बहुत ही हिट हुआ था.बच्चे मन के सच्चे..सारे जग की आँख के तारे, ये वो नन्हें फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे...इस तरह के और भी बहुत से गीत लोकप्रिय हुए क्यूंकि बच्चे तो बच्चे हैं जिन्हें भगवान का रूप माना जाता है. इनके लिए कुछ भी बनना पढ़े.....सब ख़ुशी से तैयार हो जाते हैं. जापान के Fujisawa City के मिसोनो अनाथायालय के एक कमियुनिटी प्रोजेक्ट के दौरान किसी बच्चे को खुश करने के लिए गाये बन कर रंभाते हुए अमेरिकी नौसेना के सेकंड क्लास कमियूनिकेशन इलेक्ट्रीशियन डिक्सन रिवेरा Ticonderoga-class guided-missile cruiser USS Cowpens (CG 63) में तेनात हैं. पिछले पांच वर्षों के दौरान इस काम के लिए निकाले गए अपने  समय और सेवायों से Cowpens के इन सदस्यों ने अनाथालय के बच्चों और स्टाफ के साथ अपने संबंधों को बहुत ही घनिष्ठ बना लिया है. इन नजदीकियों को आप इस तस्वीर में भी महसूस कर सकते हैं. इन जीवंत पलों को हमेशां के लिए सहेजने के मकसद से अपने कैमरे में उतारा अमेरिकी रक्षा विभाग के जन संचार विशेषज्ञ Mike R. Mulcare ने. आपको यह तस्वीर कैसी लगी..इसे बताना न भूलें.अंत में सुनिये बच्चों से संबंधित यह गीत जिसमें ये नन्हें मुन्ने कह रहे हैं हमने किस्मत को बस में किया है. --रेक्टर कथूरिया 

अमेरिका के रक्षा सचिव रोबर्ट एम गेटस


बाकू  आज़र्बयिजान में 7 जून 2010 को सेनायों के दस्तों का मुआयना करते हुए अमेरिका के रक्षा सचिव रोबर्ट एम गेटस और आज़रबाईजान के रक्षा मन्त्री Col. Gen. Safar Abiyev. अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए इन पलों को कैमरे में कैद किया Master Sgt. Jerry Morrison ने. 

Saturday, June 05, 2010

अमेरिकी कम्युनिस्ट पार्टी ने की क्यूबा यात्रा पर लगा प्रतिबन्ध हटाने की मांग

आप देख रहे हैं इन बच्चों को....ये कितने खुश नज़र आ रहे हैं. इनकी ख़ुशी और भी बढ़ सकती है अगर अमेरिकी सरकार क्यूबा यात्रा पर लगा प्रतिबन्ध हटा ले. इस प्रतिबन्ध को हटाने की ज़ोरदार मांग एक बार फिर की है अमेरिकी कम्युनिस्ट पार्टी ने. पार्टी ने इस प्रतिबन्ध को जन अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कहा है कि इसे हटाने से जहां दोनों देशों के लोगों में दोस्ताना संबंध और मजबूत होंगें वहीं कृषि और व्यापार जैसे क्षेत्रों में भी नया अध्याय खुलेंगे. इससे सर्वाधक ख़ुशीहवाना के इन बच्चों को भी होगी जिनकी तस्वीर आप देख रहे है. पूरा मामला पढने के लिए आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं. --रेक्टर कथूरिया 

मीडिया के सवालों का जवाब

हाल ही में जब चार जून 2010 को इन्सीच्यूट फार स्ट्रेजिक स्टडीज़ एशिया स्किओरिटी का ९ वां अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन हुआ तो उसमें भाग लेने के लिए अमेरिका के रक्षा सचिव रोबर्ट एम गेटस भी विशेष तौर पर पहुंचे. इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारों से भी मुलाकात की. इस भेंट के दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए श्री गेटस किसी बेहद गंभीर मुद्दे पर बात करते हुए नज़र आ रहे हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग के लिए मास्टर Sgt. Jerry प्रेस वार्ता के इन पलों को अपने कैमरे में कैद करना नहीं भूले.


  

अमेरिकन कम्यूनिस्ट पार्टी का 29 वां सम्मेलन सम्पन्न



अमेरिकन कम्यूनिस्ट पार्टी का 29 वां राष्ट्रीय सम्मेलन अपने पारम्परिक जोशो खरोश और उत्साह के साथ समाप्त हो गया. 90 वर्षों के लम्बे संघर्ष से भविष्य के लिए एक नयी ऊर्जा लेते हुए इस बात का संकल्प एक बार फिर दोहराया गया कि कम्यूनिस्ट पार्टी और यंग  कम्यूनिस्ट लीग को और अधिक मजबूत करने के साथ साथ लोकतांत्रिक संघर्षों के दायरे को भी व्यापक किया जाएगा.  इस अवसर पर ढोल पे डगा भी लग रहा था और बैग पाईपर से निकल रही धुनें भी क्रान्ति के गीतों को और बुलंद कर रहीं थीं. इस यादगारी आयोजन में बढ़ चढ़ कर शामिल होने वालों में जहां 60 फ़ीसदी डेलिगेट्स श्रमिक वर्ग से संबंधित थे तो वहीँ पर 20 प्रतिशत ऐसे भी थे जो कि प्रथम बार इस संमेलन में भाग ले रहे थे. यह दर यंग कम्यूनिस्ट लीग एक नया उत्साह और ख़ुशी दे रही थी क्यूंकि यह किसी उपलब्धि से कम नहीं था. 
पार्टी के राष्ट्रीय चेयरमैन सिम वैबस ने अपने उदघाटनी भाषण में इस बात पर जोर दिया कि श्रमिक वर्ग से एकजुट्त्ता को और मज़बूत करके ही उन उपलब्धियों की रक्षा की जा सकेगी. जो 2008 में प्राप्त की गयीं थीं. सिम ने उन कुचालों को भी करारी हर देने को कहा जो नवम्बर में आ रहे मध्कालीन चुनावों में एक बार फिर मज़बूत होने की फिराक में हैं. उन्होंने आर्थिक संकट और नौकरियों के लिए संघर्ष और तेज़ करने की बात भी कही. आप इस विषय पर पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं यहां क्लिक करके.    --रेक्टर कथूरिया 

कभी तो मौसम बदलेगा

बात बहुत पुरानी है। उन दिनों एक पंजाबी गीत बहुत ही लोकप्रिय हुआ था जिसके बोल थे : 
जदों मेरी अर्थी उठा के चलनगे, 
मेरे यार सब हुम हुमा के चलनगे....
अर्थात जब मेरी शवयात्रा चलेगी तो मेरे सभी मित्र तो साथ चलेंगे ही, मेरे दुश्मन भी साथ साथ चलेंगे...अब यह बात अलग है कि वे मुस्कराते हुए चलेंगे. प्रकाश साथी के लिखे हुए इस दर्द भरे गीत को उस वक्त के जानेमाने गायक आसा सिंह मस्ताना ने अपने दिल से गया था और कई बार कई तरह के अंदाज़ में गाया था. अगर आप चाहें तो इस हिट गीत को आज भी सुन सकते हैं केवल यहां क्लिक करके. मुझे इस पुराने गीत की एक बार फिर याद आई मीना शर्मा की एक अंग्रेजी रचना को पढ़ कर. आज मैं बात कर रहा हूँ पंजाब की एक ऐसी बेटी की जिसने बहुत समय पूर्व जन्म तो लिया विदेश में लेकिन आज भी उसका पूरा ध्यान जुड़ा हुआ है पंजाब के साथ. विदेश से आना और फिर पंजाब की माटी को सजदा करना उसका ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण निशाना रहता है. इस सब के साथ ही पुराने गीतों से लगाव रह रह कर झलकता है उसकी पसंद में और पसंद भी केवल फ़िल्मी गीतों की नहीं...इसमें गज़लें भी शामिल हैं और मधुशाला जैसी कालजयी रचना भी. आजकल न्यूज़ीलैंड में रह रही मीना एक बार फिर इस बात को साबित कर रही है कि दुनिया का शायद ही कोई कोना ऐसा होगा जहां पंजाब के लोगों ने अपने जोशीले और रंगीले खून के साथ अपने पावन प्रेम और श्रम का लोहा न मनवाया हो. मन में दर्द के सैलाबों को समेटे हुए वह अपनी मुस्कराहट में सब कुछ छुपा लेने में बहुत ही कलाकार है. एक दिन मैंने पूछा आपकी ज़िन्दगी में इतनी खुशियाँ और आपकी रचनायों में इतना दर्द....मैं समझा नहीं पाया....जवाब में एक अंग्रेजी का वाक्य बोल कर कहने लगीं.किसी भी पुस्तक को उसका कवर देख कर नहीं जाना जाता. एक बार उनकी किसी तस्वीर पर टिप्पणियाँ करते पाठकों ने फेसबुक उनकी सुन्दरता कि बहुत तारीफ़ की. कुछ टिप्पणियों के बाद मैडम कहने लगीं...ओह  गोड...!!! प्लीज़ बंद करो तारीफ करना...हम कोई जन्नत की हूर नहीं जिसके लिए तारीफों का पुल बांध दिया जाये...!!! दरअसल मन के दर्द को छुपाने अनगिनत प्रयास उसे एक ऐसी आभा प्रदान कर रहे हैं जो हर किसी के नसीब में नहीं होती. लोग उसका मुस्कराता हुआ चेहरा देखते हैं पर उसके पीछे छुपी पीड़ा को कभी नहीं देख पाते. उसकी यह पीड़ा शुरू तो हुई थी उसके व्यक्तिगत जीवन से ही लेकिन अब दर्द का वह बिन्दु समुन्द्रों से भी बड़ा हो गया है. अब अगर कहीं मौसम का कोप नज़र आता है तो उसे चिंता होती है..क्या बनेगा उनका. अगर बच्चों के साथ दुनिया में कहीं भी कुछ गलत होता है तो वह बुलंद आवाज़ में कह उठती है...कब तक होगा यह सब ? नारी जीवन की इस व्यथा और उसके ममतामय भावों को आप इस गीत से भी जान सकते हैं जो उसे बहुत पसंद है. गीत सुनने के बाद  पढ़िए मीना की एक नज्म.

एक छोटी सी कली खिली थी कहीं,
ज्योत चिराग में जली थी कहीं.

मस्त पावन के झूले में डाल के
माली ने उसे पला बड़े प्यार से.

एक दिन आया एक फूलवाला
माली ने कली को उसकी झोली में डाला.

कली से वोह फूल बन गयी,
समझी थी कली उसकी ज़िन्दगी संवर गयी.

कभी मसली गयी कभी कुचली गयी,
फूल कि तो दुनिया ही बदल गयी.

माली की परवरिश का असर था शायद
हर मौसम में फूल खिली रही

अब तो वोह बाग़ न तो माली रहा,
फूल की दुनिया वीरान हो गयी.

इतना जरूर हुआ उस फूल के जीवन में,
उसकी बगिया में तीन कलियाँ खिल गयीं.

सोचा फूल ने कि कभी तो मौसम बदलेगा
कभी तो फूलवाले का दिल पिघलेगा.

आज भी वोह सर्दी और धुप में खड़ी है
उसी फूल वाले के चरणों में पड़ी है.
                                                -----मीना शर्मा 

(नोट:फूल: ज़िन्दगी है, फूलवाला: ज़िन्दगी की परेशानियाँ और माली: हमारे सिद्धांत/ कर्म…..!!!)

अब आखिर में सुनिये उनकी पसंद का एक गीत और बताएं कि आपको यह पोस्ट कैसी लगी..?   --रेक्टर कथूरिया