Friday, December 31, 2010

क्या बनेगा इस मीडिया का

पूंजी का दबाव बढ़ा तो बढ़ता ही चला गया. इस ने लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया को भी प्रभावित किया. जिस की पहले से ही कई मिलें चलती थीं उसने एक आध यूनिट मीडिया का भी खोल लिया. किसी ने चैनल तो किसी ने अखबार. कारोबार का कारोबार और हथियार का हथियार. बिलकुल उसी तरह जैसे बिस्कुट, चाकलेट या साबुन बनाने की फैक्ट्री खोली जाती है. पत्रकारिता की डिग्री लेकर नए जोशोखरोश के साथ निकलने वाले युवा पत्रकार भी इन लोगों के ही काम आने थे और आये भी. इनके दम पर वे लोग भी पत्रकारिता के आकाश पर चमकाने लगे  जिन्हें इस क्षेत्र का क ख ग भी नहीं आता था. परिणाम देश ने भी भुगता, जनता ने भी भुगता और स्वयं अपनी जान जोखिम में डाल कर काम करने वाले पत्रकार भाईचारे ने भी भुगता.वे लोग भी इन अखबारों और चैनलों में न्यूज़ हैड और चैनल हैड जैसे प्रमुख पदों पर पहुंचे जिन्हें इस की जरा भी समझ नहीं थी. विज्ञापन लाने वाले और स्कियोरटी जमा कराने वाले लोग संवाददाता बनने लगे. काबिल लोग बेकार कर दिए गए. यह आग कुछ और फैली तो मालिकों तक भी पहुंचने लगी. उन पर संकट आया तो ये नौसीखिए लोग उनके काम नहीं आ एके. इसकी ताज़ा मिसाल मिली है देश की राजधानी दिल्ली में जिसे बहुत ही सलीके से सब के सामने रखा है विस्फोट ने. पढ़िए आप भी इस दिलचस्प पोस्ट को. --रेक्टर कथूरिया 
   गिरफ्तार हो गये मिस्टर चेयरमैन, चैन की बंसी बजा रहे हैं श्रीमान संपादक

समय के खेल भी निराले होते हैं. छोटे मोटे कारोबार से बिल्डर हो चले विजय दीक्षित ने अपने सखा संतोष भारतीय के साथ मिलकर 2005 में चैनल लांच करने की योजना इसलिए बनाई थी कि उनके धंधे को मीडिया का प्रोटेक्शन मिल सके. लेकिन आज पांच साल बाद वही विजय दीक्षित धोखाधड़ी के एक पांच साल पुराने मामले में गिरफ्तार हो जाते हैं लेकिन उनका अपना ही अनाम सा चैनल और गुमनाम सा संपादक उनके लिए लड़ने की बजाय आफिस में बैठकर चैन की बंसी बजा रहे हैं.
वैसे विजय दीक्षित जैसे व्यापारी जिस दिन से मीडिया व्यापार में उतरे हैं उनकी करतूतों का ही परिणाम है कि उनके संपादक तक को उनकी गिरफ्तारी का असर नहीं होता है. बिल्कुल वैसे ही जैसे विजय दीक्षित की ही पत्रिका सीनियर इंडिया में छपे एक कार्टून के विवाद में आलोक तोमर को जेल हो गयी और विजय दीक्षित को कोई फर्क नहीं पड़ा था. अब खुद विजय दीक्षित गिरफ्तार हैं, जेल में हैं लेकिन उनके संपादकीय प्रभारी राजीव शर्मा को शायद ही कोई फर्क पड़ता हो. हो सकता है राजीव शर्मा का अपना संपादकीय फर्ज आड़े आ रहा हो लेकिन उनकी अपने ही चैनल में इस बात को लेकर असंतोष है कि चैनल ही अपने मालिक के लिए नहीं लड़ रहा है.
विजय दीक्षित की गिरफ्तारी एक धोखाधड़ी के मामले में हुई है. धोखाधड़ी की शिकायत सीमा स्वरूप ने किया है. उनका आरोप है कि विजय दीक्षित की कंपनी में उन्होने पचास लाख का निवेश किया था और कंपनी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनका निवेश सीनियर माल गुड़गांव में किया गया है. उनके निवेश के बदले में उन्हें निश्चित रिटर्न मिलेगा. ऐसा नहीं हुआ तो सीमा ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी जिस पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने दो दिन पहले विजय दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन यह तो सार्वजनिक हुई कहानी है.
असल में विजय दीक्षित दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीके गुप्ता के निशाने पर हैं. बीके गुप्ता के बेटे ने 2005 में एक कार एक्सीडेन्ट कर दिया था. कार एक्सीडेन्ट भी उस सीरीफोर्ट इलाके में हुआ था जहां उन दिनों एस-1 चैनल का दफ्तर हुआ करता था. उस वक्त चैनल ने बड़ी बहादुरी दिखाते हुए उसे बड़ा मुद्दा बना दिया था. खैर उस वक्त तो बात आयी गयी हो लेकिन जैसे ही बी के गुप्ता दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बने उन्होंने दीक्षित के खिलाफ मामलों की फाइलें खुलवा दी. विजय दीक्षित कोई पाक साफ आदमी तो हैं नहीं. आठ से अधिक मामले उनके खिलाफ दर्ज हैं. इसलिए पुलिस ने अपने हिसाब से उनके खिलाफ एक्शन ले लिया. लेकिन मजा देखिए कि जिस बीके गुप्ता के बेटे के खिलाफ चैनल ने पत्रकारिता की बहादुरी दिखाई थी, आज उनका अपना ही मालिक गिरफ्तार हो गया तो चैनलवाले चुप बैठ गये हैं. इसे लेकर चैनल के अंदर ही संपादक श्री के खिलाफ असंतोष है. देखना यह होगा कि मिस्टर चेयरमैन जेल से छूटकर आते हैं तो संपादक महोदय के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं.
            चलते चलते एक अच्छी खबर भी. पेड न्यूज़ को लेकर मीडिया जाग चुका है. देर से ही सही पर इसका विरोध तेज़ी से बढ़ रहा है. भोपाल में 2 जनवरी को इस मुद्दे पर  पत्रकार एकत्र हो रहे हैं.  इस की खबर भी विस्फोट ने बहुत ही अहमीयत से प्रकाशित की है. देखिये एक झलकपेड न्यूज के खिलाफ शुरू हुई बहस अब दिल्ली के दायरे के बाहर निकल रही है. भोपाल में वर्किंग यूनियन आफ जर्नलिस्ट के बैनर तले आगामी 2 जनवरी को देशभर के पत्रकारों का एक जमावड़ा होने जा रहे हैं जिसमें पेड न्यूज पर पत्रकार अपनी परेशानियों को बयान करेंगे.

वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस परिचर्चा में देश के 18 राज्यों से प्रतिनिधियों को बुलाया गया है. न केवल देश के अठारह राज्यों से पत्रकारों को पेड न्यूज पर चिंता व्यक्त करने के लिए बुलाया गया है बल्कि पड़ोसी मुल्क श्रीलंका के प्रतिनिधि भी इस परिचर्चा में हिस्सा लेंगे.
परिचर्चा का उद्घाटन स्थानीय शहीद भवन में दोपहर 12.15 बजे बालाभास्कर एस करेंगे. इस अवसर पर माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति बीके कुठियाला और नई दुनिया के स्थानीय संपादक ओम मेहता विशिष्ट अतिथि के बतौर उपस्थित रहेंगे. वर्किंग यूनियन आफ जर्नलिस्ट के प्रांतीय अध्यक्ष राधा वल्लभ ने सभी स्थानीय पत्रकारों से इस परिचर्चा में शामिल होने की अपील की है.

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