Wednesday, November 17, 2010

"हवा करती है सरगोशी बदन ये कांप जाता है"

मुशायरे का विवरण 
कम्प्यूटर जैसी बहुत सी तकनीकी सुविधायों के कारण अब किताबों का सुंदर और तेज़ प्रकाशन बहुत आसान तो अवश्य लगने लगा है पर वास्तव में यह इतना आसान भी नहीं हुआ. किताब छप जाने के बाद उसे आम लोगों तक ले कर जाना हमेशां से ही बहुत कठिन रहा है. किताबों और पाठकों के दरम्यान एक पुल का काम करते हुए और  इस मुश्किल को आसान बनाने के प्रयासों में योगदान डालते हुए ओपन बुक्स आनलाइन ने भी एक खुशखबरी सुनाई है. आपकी लिखी किताबों के निशुल्क विज्ञापन की घोषणा करते हुए ओपन बुक्स आनलाइन ने कहा है कि लेखक/प्रकाशक को केवल कुछ नियमों की पालना करनी होगी और पुस्तक की दो प्रतियाँ उपलब्ध करानी होंगीं. इसके साथ ही ओपन बुक्स के सदस्यों को पुस्तक की खरीद का समय दस प्रतिशत की छूट भी प्रदान करनी होगी. इ पूरे विवरण को आप पढ़ सस्कते हैं केवल यहां क्लिक करके. इसके साथ ही किया गया है नए तरही मुशायरे का ऐलान. दिनांक २० नवम्बर से शुरू होकर २३ नवम्बर तक चलने वाले लाइव तरही मुशायरे के लिया इस बार का तरह मिसरा है "हवा करती है सरगोशी बदन ये कांप जाता है". अगर आपने पिछले मुशायरों में भाग नहीं लिया तो आपके लिए यह सुनहरी अवसर भी है. अपनी कविता का जादू सभी के सामने लाईए. कविता जगत आपको बुला रहा है.--रेक्टर कथूरिया