Thursday, September 23, 2010

जारी है रेल ट्रैक पर हाथियों की मौत का सिलसिला

एक पुरानी तस्वीर 
इन्सान को इन्सान की कोई परवाह हो या न हो पर हाथियों को इस बात की परवाह अवश्य है की उनके बच्चे कहीं रेल के नीचे न आ जायें. बस प्यार और मोह ममता की इसी भावना को कायम रखते हुए पांच हाथियों ने खुद को कुर्बान कर दिया. ये पांचो हाथी अपने दो नन्हे हाथियों को बचना चाहते थे जो एक रेल मार्ग में फंस चुके थे. यह सब हुआ जलपाईगुड़ी पशिचमी बंगाल के रेल मार्ग में. मौत के मूंह में गए इन सात हाथियों में तीन तो हाथी के बच्चे थे जबकि तीन हथनियां थीं. इनमें से पांच की मौत तो मौके पर ही हो गयी जबकि दो हाथियों ने अस्पताल में जा कर दम तोड़ दिया. यह हादसा बुधवार की रात को उस समय हुआ जब हाथियों का यह झुण्ड मोराघात वन की तरफ से रेलवे लाईन को पार करके दियेना वन जा रहा था जो की रेल लाईन के दूसरी ओर है. इसी बीच दो नन्हे हाथी रेल मार्ग में फंस गए. अन्य पांच हाथी उन्हें निकालने के प्रयास में ही थे की इतने में ही मालगाड़ी आ गयी. हाथियों के चिंघाड़ने की आवाज़ सुन कर जहां वन अधिकारी मौके पर पहुंचे वहीं बहुत से दूसरे हाथी भी वहां पहुंच गए.पढ़िए पूरी खबर बस यहां क्लिक करके. गौरतलब है कि 1987 के बाद 118 हाथी  इसी तरह रेलवे लाईन पर मौत का शिकार हुए. उत्तरांचल वन विभाग और उत्तर रेलवे ने इन मौतों को रोकने के लिए संयुक्त प्रयास भी शुरू किये थे पर अभी तक उनका कोई ठोस नतीजा निकलता दिखाई नहीं दे रहा. अगर आपके पास भी कोई ऐसी खबर हो तो हमें अवश्य  भेजें. हम उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे.   --रेक्टर कथूरिया 

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