Thursday, September 16, 2010

एक और आन लाईन मुशायरा

राणा प्रताप सिंह Rana 

संचार और तकनीक में हो रहे विकास ज़िन्दगी के अंदाज़ को भी लगातार तेज़ी से बदल रहे हैं. जो बातें मुद्दतों के बाद मिलजुल कर हुआ करतीं थीं वही बातें अब हर रोज़ बिना मिले बार बार भी हो सकती हैं. इंटरनेट ने बहुत कुछ बदल डाला है. कुछ समय पूर्व मैंने हिंदी कविता की कार्यशाला का शानदार आयोजन फेसबुक पर देखा था जिसमें देश के साथ साथ विदेश के शायरों ने भी भाग लिया. अब एक नयी घोषणा हुई है लाइव मुशायरे की. राणा प्रताप सिंह Rana की तरफ से 16  September 2010 को  दोपहर के 12:14 बजे मिले एक संदेश में बताया गया कि  ओपन बुक्स ऑनलाइन पर लाइव तरही मुशायरे का आयोजन किया गया है| आप सब भी इस मुशायरे में आमंत्रित हैं| नियम एवं शर्तें इस प्रकार हैं| उन्होंने बताया कि इस बार का तरही मिसरा 'बशीर बद्र' साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|उनकी गज़ल से लिया गया मिसरा है :"ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई" 
इसका वज्न इस प्रकार है : 212 212 212 212 
काफिया: ई की मात्रा
रद्दीफ़: रह गई

इतना अवश्य ध्यान रखें कि यह मिसरा पूरी ग़ज़ल में कहीं न कही ( मिसरा ए सानी या  मिसरा ए ऊला में) ज़रूर आये|
मुशायरे की शुरुवात शनिवार से की जाएगी| admin टीम से निवेदन है कि रोचकता को बनाये रखने के लिए फ़िलहाल कमेन्ट बॉक्स बंद कर दे जिसे शनिवार को ही खोला जाय|
इसी बहर का उदहारण :
मोहम्मद अज़ीज़ का गाया हुआ गाना "आजकल और कुछ याद रहता नही" या लता जी का ये गाना 
"मिल गए मिल गए आज मेरे सनम"...
अंत में एक ख़ास गुजारिश भी है...: विशेष : जो फ़नकार किसी कारण लाइव तरही मुशायरा-2 में शिरकत नही कर पाए हैं उनसे अनुरोध है कि वह अपना बहूमुल्य समय निकाल लाइव तरही मुशायरे-3 की रौनक बढाएं| दो लिंक भी दिए गए हैं.
गौरतलब है कि राणा जी इस तरह के सफल आयोजन पहले भी कर चुके हैं. इस बार आप भी इस में शामिल हो जाईये.--रेक्टर कथूरिया 

5 comments:

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छा आयोजन।

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्‍ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

अभिलाषा की तीव्रता एक समीक्षा आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

पहले और दूसरे मुशायरे के बाद अब तीसरे मुशायरे में मज़े लूटने को बेचैन हैं अपुन तो भैया|

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

पहले और दूसरे मुशायरे के बाद अब तीसरे मुशायरे में मज़े लूटने को बेचैन हैं अपुन तो भैया|

राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh) said...

रेक्टर जी पंजाब स्क्रीन पर भी इस मुशायरे की चर्चा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद| आशा है यह मुशायरा भी सफल होगा|

Subodh kumar said...

बहुत सुंदर ..ऐसे आयोजनों में अधिक से अधिक लोगों को सम्लित होकर इस आयोजन का मान बढाना चाहिए !