Sunday, August 08, 2010

चर्चा नक्सली कहानी और अन्य चिट्ठों की

साहित्य में नक्सलवाद का मुद्दा बहुत देर पहले दाखिल हो गया था. अनगिनत कहानियों, कवितायों और आलेखों के साथ बहुत सी किताबें इस बात की गवाह हैं. इस मुद्दे पर फिल्में भी बनीं तो वह समय इस मुद्दे की प्रकाष्ठा कहा जा सकता है.यह सब मुझे याद आया एक कहानी देख कर कहानी का शीर्षक है नक्सली कहानी तन्हाई के कदम. ज़रा इस कहानी का  आरम्भ तो देखिये. 
कमरे की एक दीवार पर ओशो की तस्वीर लगी हुई थी.
मोहम्मद लियाक़त अली (MLA) 
एक युवती की निगाहेँ जिस पर टिकी हुई थीँ.उसके दाहिने हाथ मेँ हिन्दुस्तान दैनिक समाचार पत्र था,जिसकी मुख्य हैडिँग थी-दस नक्सली एक पुलिस मुठभेड़ मेँ ढेर.साथ मेँ एक फोटो भी छपा था.वह फोटो अमित कन्नौजिया का था.
अमित कन्नौजिया का एक फ्रेम जड़ा फोटो यहाँ इस कमरे मेँ टेबल पर रखा था.युवती ने आगे बढ़कर टेबल से वह फ्रेम मड़ी फोटो उठा ली और सिसकने लगी.
इधर झारखण्ड के एक जंगली इलाके मेँ काफी तादाद मेँ नक्सली पुलिस चौकी पर आक्रमण करके अमित कन्नौजिया व उसके अन्य साथियोँ की लाशेँ उठा लाए थे और अब उनका अन्तिम संस्कार ससम्मान कर रहे थे. 

Reporter Rizwan Mustafa
इस कहानी को पूरा पढ़ने के लिए बस यहां चटखा लगायें. एक और  ब्लागर साथी हैं --मोहम्मद लियाकत अली. उनके नाम के इन तीनों  प्रमुख शब्दों  को  मिलाया जाए तो उनका संक्षिप्त  नाम बन जाता है एम एल ऐ . अपने बारे में  बताते हुए वह कहते हैं, "मेरा नाम मोहम्मद लियाक़त अली (MLA) है और मैं दिल्ली मैं रहता हूँ. मैं एक कोल्ड ड्रिंक कंपनी में सेल्स डिपार्टमेंट में हूँ.'इन्होंने ब्लागजगत में दोगलेपन के मुद्दे को भी उठाया है.अब चलते चलते एक बात और. क्या आप उर्दू के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं.अगर आपका जवाब हां में है तो इस लिंक पर चटखा लगायें....सारे जहां में धूम हमारे ज़बां की है.वहां आपको बहुत कुछ और भी मिलेगा.अगर आपके पास भी कोई नयी जानकारी हो तो उसे अवश्य भेजें. उसे आपके नाम और तस्वीर सहित प्रकाशित किया जाएगा. --रेक्टर कथूरिया.

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