Thursday, July 22, 2010

कहानी सात गमलों की और अन्य मुद्दे

क के बाद एक सात गमलों का काम तमाम कर दिया ..ऐसी हुंकारे भर रही थी मानो साक्षात देवी काली प्रलय मचाने विधान मंडल में उतर गई हों । अचानक एक गमला श्वेत वस्त्र मे खडी महिला मार्शल को भी दे मारा । तीन महिला मार्शलों ने इसके बाद मिलकर जोर लगाया और पार्षद कुमारी ज्योति चारो खाने चित !........

धर खबर आयी कि कांग्रेश की महिला पार्षद कुमारी ज्योति को पटना मेडिकल कांलेज अस्पताल मे भर्ती करवाया गया । खबर ये भी आयी कि उनकी हालत चिंता से बाहर है । भगवान का लाख लाख शुक्र है, तो चिंता अब उन लोगों को करनी है जिन्होने उन्हे घसीटने का प्रयास किया था । लेकिन अब सवाल तो ये भी है एक महिला पार्षद का इस तरह से पूरे मीडिया की उपस्थिति मे गमला चला चला कर आस पास खडे लोगों को मारना क्या जायज था ? कहते है कि कोई भी कठिनाई क्यों न हो, अगर हम सचमुच शान्त रहें तो समाधान मिल जाएगा। तो फिर ये सब क्यूं ???????? स सारे घटना कर्म को अपने शब्दों में संजोया है बहुत ही खूबसूरती से अनिकेत प्रियदर्शी ने. अपने बारे में बहुत ही नपे तुले शब्दों में अनिकेत कहते हैं...."लेखन के शुरूआती दौर में हूँ | 2009 में जनसंचार एवं पत्रकारिता(MJMC) में स्नातकोत्तर किया है | कुछ विचार जो मन में आते हैं उन्हें शब्दों में सही तरह से ढाल सकूँ इसी का प्रयास है | कमियाँ बहुत होगी मुझमे फिर भी आप अपना स्नेह बनाये रखे इसकी आशा करता हूँ | मुझे कर्म करने पर अधिकार है , फल में नहीं | पर एक बात मैं मानता हूँ की विश्वास से आश्चर्यजनक प्रोत्साहन मिलता है | priyadarshianiket@gmail.com aniketpriyadarshi@yahoo.co.in और महत्वपूर्ण ढंग से प्रकाशित किया है तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे जनोक्ति ने. इसे पूरा पढने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.
सी तरह एक और नया चिटठा सामने आया है आईना.इसमें प्रमोद कुमार परवीन ने भी कहा है कि पिछले पन्द्रह सालों के जिस कुशासन के लिए लालू-राबड़ी सरकार बदनाम रही,,,और जनता ने जिसके खिलाफ जनादेश देकर नीतीश को सत्ता के शीर्ष शिखर तक पहुंचाया... नीतीश सरकार भी कमोबेश, उसी जमात में अब शामिल होती नजर आ रही है।
कुल मिलाकर बिहार विधानसभा दो दिनों से बेशर्मी की सभा बनी हुई है, जहां हमारे नुमाइंदे अपने मूल कर्तव्य से हटकर वो सबकुछ कर रहे हैं...जिससे सियासी सिक्का चमकता है..या यूं कहें कि चमकाया जाता है। दरअसल, ये नौटंकी नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों की पटकथा मात्र है...जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष,,दोनों... एक ही तमाशे के मदारी भी हैं और खिलाड़ी भी...
 हिंदी ब्लागजगत को अंग्रेजी के सामान सम्मान दिलाने के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है.इस चिंता की बात की जाये तो तक्नालोजी के क्षेत्र को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. हालांकि इस मामले में काफी कुछ हो भी रहा है पर फिर भी अभी मंजिलें दूर हैं. अब एक नया प्रयास मेरी नज़र से गुज़रा कम्प्यूटर लाइफ का. क्या आप अपने ब्लॉग का लोगिन पासवर्ड भूल गए हैं.ऐसी दिक्कत कई बार सामने आ जाती है.इसका सीधा सा समाधान बताया है संजीव न्योल ने.उनका सुझाव है...."जब लोगिन स्क्रीन आती है तब ctrl+alt+del को दो बार दबाओं.........फिर एक नई स्क्रीन आयगी इसमें टाइप करो

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pass word नहीं डालना है आपका काम हो जायेगा
ओके आप इस ब्लॉग पर जा कर बहुत कुछ और भी सीख सकते हैं केवल यहां क्लिक करके. मुझे इस की जानकारी मिली चिट्ठाजगत से जहां हर रोज़ बहुत ही मेहनत और प्रेम से इस तरह कि नयी जानकारियाँ सभी को प्रेषित की जाती हैं.

इसी  से एक और जानकारी मिली एक और नए चिट्ठे की जिसमें बिलकुल ही नयी बात लिखी थी....." दया एक बड़ा पाप है l न दया करनी चाहिए और न दया की प्राप्ति की आशा करनी चाहिए l दया से प्रयत्न दूर हो जाता है और प्रयत्न ही सत्य का स्वरूप है l ईश्वर के यहाँ न्याय होता और हमारे यहाँ की ही तरह वहाँ भी एक न्यायालय है l किसी पर दया नहीं की जाती. न्याय का मतलब दया नहीं है l किसी व्यक्ति के प्रति दया करना, न्याय से डिगना ईश्वर के प्रति बड़ा अपराध करना है...." इस ब्लॉग के सभी संदेश पढने के लिए केवल यहां क्लिक करें.वहां आपको बहिउट कुछ ऐसा मिलेगा जिसमें नए अर्थ हैं.
लोग किसी के भी पोस्ट पर आते हैं पढ़े अच्छा है , अति सुंदर रचना , बधाई हो , कभी इधर भी आयें , मेरा ब्लॉग पता आदि लिख कर अपना पता दे जाते हैं । इस बात की चर्चा जनोक्ति ने करीब एक बरस पूर्व 29 जुलाई 2009 को की थी पर इस का सिलसिला आज भी जारी है. अगर यह भी कह दिया जाए की पहले से बढ़ गया है तो भी शायद बात गलत न हो.   यह पोस्ट कुछ यूं शुरू होती है...."ब्लॉगर साथियों को नमस्कार ! पिछले कई दिनों से अंतरजाल पर यत्र-तत्र भटकते हुए कई सज्जनों की हरकतों से आजिज हो कर आज शिकायत कर रहा हूँ । कुछ लोग ब्लॉग जैसे समाजोन्मुखी मंच की महत्ता को नही समझ पा रहे हैं । एक ओर ब्लॉग्गिंग को लोकतंत्र के भावी स्तंभों की कड़ी में गिना जाने लगा है वहीँ दूसरी तरफ़ हम बेहद लापरवाह होते जा रहे हैं । हिन्दी चिठ्ठों की भरमार हो गई है । गली -गली खुल रहे ट्यूशन सेंटर की भांति हर दिन १०० के करीब चिठ्ठों का पदार्पण होना खुशी की बात है । पर कई लोग ब्लॉग्गिंग को महज निजी स्वार्थों की पूर्ति के रूप में देख रहे हैं । पोस्ट और कमेन्ट की कहानी पर अब तक कई लोग ऐतराज जता चुके हैं ।" इसे पूरा पढने के लिए केवल यहां क्लिक करें.आपको इस बार की यह ब्लॉग चर्चा कैसी लगी..अवश्य बताएं.--रेक्टर कथूरिया 
  

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