Thursday, July 29, 2010

सेनिकों के साथ साथ


जंग के मैदान में जाते वक्त हर सैनिक सर पर कफ़न बांध कर निकलता है. उसे वापिस लौटने का यकीन नहीं होता.सामने होता है बस करो या मरो का जनून. कुछ मालुम नहीं होता किस तरफ से अति गोली उसके खून को पी जायेगी. किस बम धमाके में उसके चीथड़े उड़ जायेंगे. पर फिर भी वे बहुत ही  जोश के साथ जाते हैं.निशाना होता है या विजय श्री या फिर मौत.ऐसे में जब कभी लौटना हो जाता है घर की तरफ तो उनकी ख़ुशी चरम सीमा पर पहुंच जाती है.वे नाचते हैं गाते हैं. यह उनका एक तरह से पुनर्जन्म ही होता है. अमेरिका की 10वीं माऊंनटेन डवीयन के दूसरी ब्रिगेड क्म्बाट टीम के जवान जब इराक में 9 महीने लगातार जंग के मैदान में रह कर लौट तो न्यू यार्क के फोर्ट ड्रम में एक शानदार आयोजन हुआ. इस रंगारंग प्रोग्राम में उप राष्ट्रपति  की पत्नी भी विशेष तौर पर पहुंची.उन्होंने सेनिकों के साथ तस्वीरें भी खिंचवायीं. गौरतलब है की 11 सितम्बर 2001 के हमले के बाद इराक में इन सेनिकों की यह सातवीं नियुक्ति थी. जब 28 जुलाई 2010 को डाक्टर जिल सेनिकों का होंसला बढ़ने के लिए पोज़ दे रहीं थीं तो इन यादगारी पलों को अमेरिकी रक्षा विभाग के  John D. Banusiewicz ने झट से अपने कैमरे में कैद कर लिया. आपको यह तस्वीर कैसी लगी अवश्य बताएं.--रेक्टर कथूरिया.

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