Sunday, July 25, 2010

अष्टभुजा शुक्ल और इंद्रजीत नन्दन हुए सम्मानित

वर्ष 2009 के लिए कविता के क्षेत्र में दिए जाने वाले प्रतिष्ठित "केदार सम्मान" की  घोषणा 23 जुलाई शुक्रवार को कर दी गयी. वर्ष 2009 के लिए यह सम्मान कवि अष्टभुजा शुक्ल को उनकी कृति "दु:स्वप्न भी आते हैं" के लिए प्रदान किया जाएगा। मुझे इसकी जानकारी जब डाक्टर कविता की ओर से मिली तब तक तारीख बदल चुकी थी और रात का तीसरा पहर शुरू होने को था. भूमंडलीकरण और बाजारवाद के इस दौर में भी गांवों की बात अपनी सीधी साधी जुबान में करने के माहिर अष्टभुजा शुक्ल को मिले इस सम्मान की पूरी जानकारी आप पढ़ सकते हैं केवल यहां क्लिक करके.
इसी बीच एक और पोस्ट सामने आई अश्कारा फारूकी की.. ज़रा आप भी देखिये:मैं एक House -Wife हूँ जिसका आसान हिन्दुस्तानी में तर्जुमा ''घर की बीवी'' ही हो सकता है.. इसलिए इस ब्लॉग का नाम मुझको यही उपयुक्त लगता है. मैं लेखिका नहीं हूँ रोज़मर्रा के वाक़ियात पर अपनी प्रतिक्रियाएं इस ब्लॉग के द्वारा आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हूँ. अगर पसंद आयें तो बराए मेहरबानी अपने निष्पक्ष विचार ज़रूर पोस्ट करें. धन्यवाद!!!दिल्ली के रोहिणी इलाके में रह रही अश्कारा फारूकी के इस  ब्लाग को आप पढ़ सकते हैं केवल यहां क्लिक करकेइसी तरह एक और अच्छी सी पोस्ट सामने आयी तो क्लिक किये बिना रहा नहीं गया. 
 हिंदी से प्रेम का संदेश देती इस पोस्ट को लिखा है मनीषा ने. हिंदी ब्लॉग के नाम से मनीषा की पोस्टों का यह सिलसिला शायद 2006 से जारी है पर मुझे इसका पता आज ही चला.इस ब्लॉग में बहुत सी सामग्री है जो विवधिता लिए हुए है.इसे एक बार अवश्य देखिये.आपको बहुत कुछ मिलेगा. कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाएँ तो वहां के नज़ारों को देख कर दिल चाहता है बस वहीँ रह जाए. वहां अष्टपद के जल की अहमियत भी एक बार फिर ताज़ा हो जाती है और पौराणिक कथाएँ भी. बस यहां क्लिक करिए और लगा आइये वहां का एक मानसिक चक्र. आपको वहां से मिलेगी तन मन की ऐसी शान्ति जो वहां से लौट कर भी बनी रहेगी और ज़िन्दगी की इस गर्दिश में भी आप उसी तरह संतुलन रखने के काबिल हो सकेंगे जैसे भगवान शिव तमाम कठिनाईयों और विरोधों के बावजूद मुस्कराते हुए मगन रहते हैं. 
पंजाब के होशियारपुर इलाके में जाएँ तो वहां अब भी उसी शांत और मीठे काव्यपूर्ण पंजाब का अहसास होने लगता है जो अब अतीत की बात महसूस होने लगा है.तेज़ी से बढ़ रही इंडस्ट्री और शहरीकरण में वह खुला खुला शांत माहौल अब कहीं गुम हो गया है. प्रदूषित हवा और घुटन में उसकी याद आती भी है तो बस सपने की तरह.वह भी कभी कभी. हरयाली भरे उसी शांत माहौल के शहर में रहती हैं इंद्रजीत नन्दन. साहित्य के क्षेत्र में बहुत नाम कमा चुकी लेखिका इंद्रजीत नन्दन को अब दैनिक भास्कर ने भी सम्मानित. इस सम्मान में बहुत से प्रमुख लोग शामिल हुए जिनमें पंजाब की आवाज़ को बहुत ही तर्कपूर्ण दलेरी के साथ बुलंद करने वाली हरसिमरत कौर बादल भी शामिल थीं.
इस पोस्ट में अब हम बात करते हैं एक ऐसी शुरुयात के आमंत्रण की जिसमें आपको मिलेगी ब्लॉग जगत की हर नयी और ताज़ा जानकारी. अगर आप के पास कुछ है तो आप भी अवश्य भेजिए. इसमें लिखा है:हिंदी ब्लोगिंग आज चौथे खम्भे का एक मजबूत हिस्सा है और एक मात्र ऐसा हिस्सा जो सीधे तौर पर सरोकारों से जुडा हुआ है | दिशाहीनता वाले कुछ लोगों की मौजूदगी के बाद भी सरोकारों की गूंज ब्लॉगजगत की दहलीज से सुनाई देती है जिसके परिणाम भी सामने आते हैं | और इसका कारण यह है कि ब्लॉगजगत की पहुँच उन लोगों तक है जो देश की आर्थिक और राजनीतिक नीति और नियति निर्धारक हैं | और यही वो वजह भी है कि ब्लॉगजगत की जिम्मेदारी कहीं और बढ़ गयी है | इस स्तम्भ में ऐसे ही सार्थक ब्लोगों की खबर प्रकाशित की जाएगी |आपको आज की पोस्ट कैसी लगी अवश्य बताएं.अगर आपके पास भी कोई ख़ास बात है तो हम सभी के साथ अवश्य बांटिये.--रेक्टर कथूरिया.

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