Thursday, September 11, 2008

क्या तुम्हारा खुदा है हमारा नहीं....?




मेरे एक मित्र हैं तुषार भारती मेरे साथ ही एक टीवी चैनल में काम करते हैं । इसी सितम्बर महीने की 9 तारीख को रात २३:३५ पर उनका एस एम एस आया :

मंजिल भी उनकी थी,
रास्ता भी उनका था !

एक हम अकेले थे;
बाकी सारा काफिला भी उनका था !

साथ साथ चलने की सोच भी उनकी थी,
फ़िर रास्ता बदलने का
फ़ैसला भी उनका था !

आज क्यूँ अकेले हैं हम...?

दिल सवाल करता है ,

लोग तो उनके थे,
क्या खुदा भी उनका था...........?


ये उन्हों ने मुझे क्यूँ भेजा मैं समझ नहीं पाया सो आपकी नज़र कर रहा हूँ कि शायद आप भी उन्हें कुछ समझाएं ।
वैसे मुझे लगता है कि शायद किसी से परेशान हैं ; अगर ऐसा है तो उन्हें बताना चाहता हूँ कि मुन्नी बेगम को ज़रूर सुने खास तौर पर ये ग़ज़ल उन्हों ने बहुत ही तर्रनुम और दर्द से गाई है ।:
जालिमों अपनी किस्मत पे नाजां न हों ,
दौर बदलेगा ये वक्त की बात है ;
वो यकीनन सुनेगा सदाएं मेरी ;
क्या तुम्हारा खुदा है ! हमारा नहीं ?
http://www.youtube.com/watch?v=t0N6gmlQJnM&feature=related

Monday, September 08, 2008

जिम्मेदार कौन ?


कभी एक गीत बहुत ही लोकप्रिय था :
सोहणे देशां विचों देश पंजाब नी सयियो ;
जिवें फुल्लां विचों फुल गुलाब नी सयियो !
पर अब पंजाब की हालत देख कर पूछा जा सकता है उन लोगों से जो रहनुमा होने का दावा करते हैं कि आख़िर हँसता बसता पंजाब टुकड़े टुकड़े और लहू लुहान कैसे हो गया ? सरबत्त का भला मांगने वाली इस धरती पर भाई भाई का दुश्मनी कैसे बन गया ? कहीं शरारत सियासत की तो नहीं ? कहीं ऐसा तो नहीं के मामला यहीं पर ही गड़बड़ हो....!
लगा कर आए हो जब पेड़ तुम बबूलों के ;
तुम्ही बतायो कहाँ से गुलाब निकलेगा ?
http://www.carnage84.com/




Sunday, September 07, 2008

अधूरे पंजाब के नाम.....


मेरे एक मित्र कंवर सुखदेव ने कई दशक पहले लिखा था :
 

एह मेरे नेत्रां दे दोआबे ; 

मैथों रो रो पंजाब मंगदे ने !
 

ओह जेहड़े आप ने सिफर वर्गे ; 

मैथों सो सो हिसाब मंगदे ने !

Saturday, September 06, 2008

एक सच जिंदगी के बारे में......




ओशो कहते हैं :

जिंदगी क्या है; इक पहेली है !

कभी दुश्मन;कभी सहेली है !
छू के देखा तो महफिले यारां ;
अपनी अपनी जगह अकेली हैं !


बहुत ही सीधे और सादे से शब्दों में ब्यान किये गए इस सच को मैंने जिंदगी में कदम कदम पर सच होते देखा. इस करिश्मे को बहुत से लोगों ने देखा होगा पर दुःख है की लोग अभी भी, इस करिश्मे को देख कर भी उन लोगों ले पास चाकर काटते हैं जो थोड़ी सी मदारीगिरी दिखा कर लोगों का शोषण करते रहते हैं...